साल में कम से कम तीन से चार फ़िल्में देने वाले अक्षय कुमार की फ़िल्में सिनेमाघर में रिलीज नहीं हो रही हैं. साल 2020 में सिर्फ लक्ष्मी बॉम्ब रिलीज हुई थी वो भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर. कुछ वक्त को छोड़ दिया जाए तो सिनेमाघर महामारी के दोनों दौर में बंद ही पड़े रहे. दूसरी लहर फिलहाल लगभग खात्मे की ओर है. बॉलीवुड का कामकाज भी वापस पटरी पर लौटता दिख रहा है. बंद पड़े सिनेमाघरों के जल्द खुलने के आसार बढ़ हैं. अक्षय भी तैयार हैं. जैसे ही सिनेमाघर खुलेंगे, बॉक्स ऑफिस पर बैक टू बैक अक्षय की फ़िल्में दिखेंगी. उनकी कई फ़िल्में रिलीज के ही इंतज़ार में हैं. कुछ फ्लोर पर जा चुकी हैं जो अगले साल कई विधानसभा चुनावों की वजह से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा सकती हैं.
संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों में सम्राट पृथ्वीराज का प्रतीक बहुत गहरा है. भारतीय राजनीति में मोदी युग के आगमन के साथ फिल्म इंडस्ट्री का एक धड़ा लगातार आरोप लगाता आ रहा है कि भाजपा सरकार एजेंडा के तहत कला माध्यमों खासकर फिल्म और टीवी का इस्तेमाल कर रही है. बॉलीवुड की कई फिल्मों पर सीधे-सीधे आरोप लगे. हालांकि ये भी व्यावसायिक रूप से हिट रही ज्यादातर फ़िल्में कहीं ना कहीं मोदी सरकार की उपलब्धियों, योजनाओं या हिंदुत्व की राजनीति को प्रभावित करने वाली कहानियों को समेटे हुई थीं. इसमें कुछ फ़िल्में तो अक्षय कुमार की ही थीं.
अब इस कड़ी में आने वाली फिल्मों को शामिल करें तो मुस्लिम आक्रमणकारियों को हराने वाले और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पासी और राजभर समाज में पूजनीय महाराजा सुहेलदेव के जीवन पर अजय देवगन की "बैटल ऑफ़ बहराइच", अक्षय कुमार के दो प्रोजेक्ट राम सेतु और पृथ्वीराज फ्लोर पर हैं. रणबीर कपूर-अमिताभ बच्चन की मल्टी स्टारर ड्रामा "ब्रह्मास्त्र" को इसी कड़ी में शामिल कर सकते हैं जिसमें बनारस के एक शिव मंदिर का सूत्र है. राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत RRR जैसी भारी-भरकम फ़िल्में भी हैं. भाजपा...
साल में कम से कम तीन से चार फ़िल्में देने वाले अक्षय कुमार की फ़िल्में सिनेमाघर में रिलीज नहीं हो रही हैं. साल 2020 में सिर्फ लक्ष्मी बॉम्ब रिलीज हुई थी वो भी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर. कुछ वक्त को छोड़ दिया जाए तो सिनेमाघर महामारी के दोनों दौर में बंद ही पड़े रहे. दूसरी लहर फिलहाल लगभग खात्मे की ओर है. बॉलीवुड का कामकाज भी वापस पटरी पर लौटता दिख रहा है. बंद पड़े सिनेमाघरों के जल्द खुलने के आसार बढ़ हैं. अक्षय भी तैयार हैं. जैसे ही सिनेमाघर खुलेंगे, बॉक्स ऑफिस पर बैक टू बैक अक्षय की फ़िल्में दिखेंगी. उनकी कई फ़िल्में रिलीज के ही इंतज़ार में हैं. कुछ फ्लोर पर जा चुकी हैं जो अगले साल कई विधानसभा चुनावों की वजह से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जा सकती हैं.
संघ और उसके अनुषांगिक संगठनों में सम्राट पृथ्वीराज का प्रतीक बहुत गहरा है. भारतीय राजनीति में मोदी युग के आगमन के साथ फिल्म इंडस्ट्री का एक धड़ा लगातार आरोप लगाता आ रहा है कि भाजपा सरकार एजेंडा के तहत कला माध्यमों खासकर फिल्म और टीवी का इस्तेमाल कर रही है. बॉलीवुड की कई फिल्मों पर सीधे-सीधे आरोप लगे. हालांकि ये भी व्यावसायिक रूप से हिट रही ज्यादातर फ़िल्में कहीं ना कहीं मोदी सरकार की उपलब्धियों, योजनाओं या हिंदुत्व की राजनीति को प्रभावित करने वाली कहानियों को समेटे हुई थीं. इसमें कुछ फ़िल्में तो अक्षय कुमार की ही थीं.
अब इस कड़ी में आने वाली फिल्मों को शामिल करें तो मुस्लिम आक्रमणकारियों को हराने वाले और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पासी और राजभर समाज में पूजनीय महाराजा सुहेलदेव के जीवन पर अजय देवगन की "बैटल ऑफ़ बहराइच", अक्षय कुमार के दो प्रोजेक्ट राम सेतु और पृथ्वीराज फ्लोर पर हैं. रणबीर कपूर-अमिताभ बच्चन की मल्टी स्टारर ड्रामा "ब्रह्मास्त्र" को इसी कड़ी में शामिल कर सकते हैं जिसमें बनारस के एक शिव मंदिर का सूत्र है. राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत RRR जैसी भारी-भरकम फ़िल्में भी हैं. भाजपा ने पृथ्वीराज, सुहेलदेव, रामसेतु और बनारस को राजनीतिक प्रतीक के तौर पर स्थापित किया है. विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कहा जा सकता है ये प्रोजेक्ट्स हर हाल में जनवरी 2022 या उससे पहले तक रिलीज कर दिए जाएंगे. फिल्म पूरा करने की अक्षय की स्पीड तो कमाल की है ही. वैसे कंटेंट की वजह से फिल्मों पर चर्चा अभी से शुरू है.
लॉकडाउन खुलते ही मुहिम में जुट गए अक्षय कुमार
अक्षय कुमार ने "पृथ्वीराज" का मुहूर्त पहले ही कर दिया था. रामसेतु का मुहूर्त पूजन व्यापक रूप से अयोध्या में किया गया था. फिल्म शूट के लिए फ्लोर पर भी चली गई थी. मार्च में फोटोग्राफी भी शुरू हो गई थी. लेकिन अक्षय कुमार के कोरोना पॉजिटिव होने और दूसरी लहर की बंदी ने रामसेतु पर असर डाला. फिल्म की कहाने काल्पनिक है मगर इसे रामसेतु की पौराणिकता के इर्द गिर्द समेटा गया है. लॉक डाउन के बाद अक्षय अपने प्रोजेक्ट में सक्रिय बताए जा रहे हैं.
अक्षय के अंडर प्रोडक्शन प्रोजेक्ट्स को छोड़ दें तो उनकी तीन फ़िल्में बनकर तैयार हैं. सुपरकॉप ड्रामा "सूर्यवंशी" और "बेल बाटम" पूरी तरह से बन गई है. जबकि "अतरंगी रे" भी लगभग बन चुकी है. हालांकि फाइनल टच देने में महामारी की दूसरी लहर ने असर डाला. सुपरकॉप सीरीज में रोहित शेट्टी के निर्देशन में बनी सूर्यवंशी चौथी फिल्म है. महामारी की वजह से इसकी रिलीज डेट दो बार (पिछले साल मार्च और इस साल अप्रैल) बदला गया. अभी नई डेट नहीं आई है. निर्माता एक दो दिन में फिल्म को थियेटर या ओटीटी रिलीज को लेकर फैसला ले सकते हैं.
पहले से तय शेड्यूल के हिसाब से बेल बाटम को भी पिछले महीने 28 मई को रिलीज हो जाना था. लेकिन इसके शेड्यूल को भी बदलना पड़ा. रंजीत तिवारी के निर्देशन में बनी बेल बाटम स्पाई थ्रिलर ड्रामा है. अतरंगी रे आनंद एल रॉय के निर्देशन में बनी रोमांटिक ड्रामा है. इसमें अक्षय के साथ धनुष और सारा अली खान भी मुख्य भूमिकाओं में है. फिल्म का रिलीज शेड्यूल पहले से तय है. अगर इसे बदला नहीं गया तो संभवत: 6 अगस्त को रिलीज की जाए. ये अक्षय की उन फिल्मों की लिस्ट है जो बनकर तैयार हैं.
यानी अगर इस साल जुलाई से सिनेमाघर खुल गए तो अगले छह महीने तक लगातार अक्षय की कोई ना कोई फिल्म रिलीज होती रहेगी. अक्षय की फ़िल्में आने वाले दिनों में बॉक्स ऑफिस पर हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का ज्वार लेकर आ सकती हैं. हो सकता है कि सामजिक राजनीतिक सोच भी तैयार करने में फिल्मों की भूमिका बने.
इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.