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क्या राष्ट्रीयता के मुद्दे पर मुखरता ने दिलाया अक्षय को राष्ट्रीय पुरस्कार ?

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 08 अप्रिल, 2017 01:03 PM
  • 08 अप्रिल, 2017 01:03 PM
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हालांकि अक्षय कुमार के अभिनय कौशल पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए, मगर अक्षय को जिस फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजा गया है वो कई सवाल खड़े करता है.

अक्षय कुमार को साल 2016 के लिए के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड दिया गया है, अक्षय को यह अवार्ड 2016 में आयी उनकी फिल्म रुस्तम के लिए दिया गया है. रुस्तम नानावटी केस पर आधारित फिल्म थी जिसमें अक्षय ने कैप्टन पावरी का किरदार निभाया था. अक्षय का यह पहला नेशनल अवार्ड है और अक्षय ने भी इस अवार्ड को मिलते ही अपनी खुशी सोशल मीडिया पर जाहिर कर दी.

हालांकि अक्षय कुमार के अभिनय कौशल पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए, अक्षय ने अपने 25 साल से ज्यादा लम्बे फिल्मी करियर में कई किरदारों को रुपहले परदे पर जीवंत किया है. मगर अक्षय को जिस फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजा गया है वो कई सवाल खड़े करता है.

अक्षय ने इस साल का बेस्ट एक्टर अवार्ड के लिए जिन दो कलाकारों से टक्कर लेनी थी वो थे अमिताभ बच्चन, जो अपनी फिल्म पिंक के लिए नामित थे तो दूसरे थे आमिर खान जो अपनी फिल्म दंगल के लिए नामित थे. अगर बात करें फिल्म पिंक की तो इस फिल्म में अमिताभ बच्चन अपनी लम्बी करियर में पहली बार एक वकील की भूमिका में नजर आये थे, अमिताभ ने जिस संजीदगी से एक थके हारे बूढ़े वकील की भूमिका निभाई उसने आम लोगों से लेकर विश्लेषकों तक को मंत्रमुग्ध कर दिया था. वही फिल्म दंगल लिए आमिर खान ने जिस प्रकार से पसीना बहाया था, वो पूरी फिल्म में बखूबी दिखाई दी, आमिर ने महावीर सिंह फोगट के जिंदगी को जिस प्रकार पर्दे पर जिया था वो आमिर को अवार्ड का प्रबल दावेदार बनाती थी.

हो सकता है कि नेशनल अवार्ड की ज्यूरी को बतौर अभिनेता फिल्म में किया काम बाकियों से बेहतर लगा हो मगर उनके चयन पर सवाल यह उठ रहा है कि क्या वाकई फिल्म में किया गया काम ही पैमाना था? या इन दिनों जिस तरीके से अक्षय कुमार ने...

अक्षय कुमार को साल 2016 के लिए के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवार्ड दिया गया है, अक्षय को यह अवार्ड 2016 में आयी उनकी फिल्म रुस्तम के लिए दिया गया है. रुस्तम नानावटी केस पर आधारित फिल्म थी जिसमें अक्षय ने कैप्टन पावरी का किरदार निभाया था. अक्षय का यह पहला नेशनल अवार्ड है और अक्षय ने भी इस अवार्ड को मिलते ही अपनी खुशी सोशल मीडिया पर जाहिर कर दी.

हालांकि अक्षय कुमार के अभिनय कौशल पर किसी को कोई शक नहीं होना चाहिए, अक्षय ने अपने 25 साल से ज्यादा लम्बे फिल्मी करियर में कई किरदारों को रुपहले परदे पर जीवंत किया है. मगर अक्षय को जिस फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड से नवाजा गया है वो कई सवाल खड़े करता है.

अक्षय ने इस साल का बेस्ट एक्टर अवार्ड के लिए जिन दो कलाकारों से टक्कर लेनी थी वो थे अमिताभ बच्चन, जो अपनी फिल्म पिंक के लिए नामित थे तो दूसरे थे आमिर खान जो अपनी फिल्म दंगल के लिए नामित थे. अगर बात करें फिल्म पिंक की तो इस फिल्म में अमिताभ बच्चन अपनी लम्बी करियर में पहली बार एक वकील की भूमिका में नजर आये थे, अमिताभ ने जिस संजीदगी से एक थके हारे बूढ़े वकील की भूमिका निभाई उसने आम लोगों से लेकर विश्लेषकों तक को मंत्रमुग्ध कर दिया था. वही फिल्म दंगल लिए आमिर खान ने जिस प्रकार से पसीना बहाया था, वो पूरी फिल्म में बखूबी दिखाई दी, आमिर ने महावीर सिंह फोगट के जिंदगी को जिस प्रकार पर्दे पर जिया था वो आमिर को अवार्ड का प्रबल दावेदार बनाती थी.

हो सकता है कि नेशनल अवार्ड की ज्यूरी को बतौर अभिनेता फिल्म में किया काम बाकियों से बेहतर लगा हो मगर उनके चयन पर सवाल यह उठ रहा है कि क्या वाकई फिल्म में किया गया काम ही पैमाना था? या इन दिनों जिस तरीके से अक्षय कुमार ने राष्ट्रीयता के मुद्दे पर मुखर तरीके से खड़े दिखे हैं उनको पैमाना बनाकर उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है. अक्षय कुमार वर्तमान में सैनिकों के कल्याण को लेकर काफी काम किया है और साथ ही अक्षय भारत सरकार के स्वच्छ भारत अभियान से भी जुड़े हैं. अब राष्ट्रीय पुस्कारों के लिए किस बात को पैमाना माना गया है यह तो पुरस्कारों को तय करने वाले ही जाने मगर इन अवार्डों के घोषणा के बाद इनके निष्पक्ष होने पर सवाल जरूर उठाये जायेंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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