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Halloween 2022: डरने का मजा लेना है, तो जरूर देखिए ये हॉरर हिंदी फिल्में

    • आईचौक
    • Updated: 01 नवम्बर, 2022 06:19 PM
  • 01 नवम्बर, 2022 06:19 PM
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हैलोवीन के मौके पर दुनिया भर में लोग डरवाने वेश-भूषा में एक-दूसरे को डराने की कोशिश करते हैं. लोगों की मान्यता है कि ऐसा करने से बुरी आत्माएं डरकर भाग जाएंगी. यदि वाकई में डरने का मजा लेना है, तो बॉलीवुड की इन प्रमुख हॉरर फिल्मों को जरूर देखना चाहिए. यकीन कीजिए आनंद आ जाएगा.

दुनिया भर में हैलोवीन त्योहार मनाया जा रहा है. मूल रूप से पश्चिमी देशों में मनाया जाने वाले ईसाइयों के इस त्योहार में आत्माओं की शांति के लिए भूत-पिशाचों की पूजा की जाती है. इस दौरान लोग भूत बनते हैं. अजीबो-गरीब शक्लो-सूरत बनाकर एक-दूसरे को डराने की कोशिश करते हैं. इस त्योहार में सबसे ज्यादा मजे बच्चे लेते हैं. भूतिया कपड़े और मुखैटे लगाकर अपने-अपने पड़ोसियों के वहां जाते हैं. उन्हें डराते हैं, तो कई बार गिफ्ट देकर चले आते हैं. मुख्य रूप से देखा जाए तो इस त्योहार में डर के बीच आनंद लेने की परंपरा रही है. भारत में भी ये त्योहार महानगरों से निकलकर छोटे शहरों तक पहुंच चुका है. दिल्ली और मुंबई में तो लोग बड़ी संख्या में इसे मनाते ही रहे हैं, लेकिन अब जयपुर, भोपाल और लखनऊ जैसे शहरों में भी लोग हैलोवीन मनाने लगे हैं. सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में तस्वीरें देखी जा सकती हैं.

डर के साए में मनोरंजन की जब भी आती है, तो फिल्मों का जिक्र जरूर होता है. हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक बड़ी संख्या में हॉरर फिल्मों का निर्माण हुआ है. लोग हॉरर फिल्मों को बड़े चाव से देखते हैं. बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों की बात रामसे ब्रदर्स के बिना अधूरी है. सही मायने में हिंदी सिनेमा में हॉरर फिल्मों के जनक इनको ही कहा जाता है. 'दो गज जमीन के नीचे', 'दरवाजा', 'पुराना मंदिर', 'तहख़ाना', 'वीराना', 'पुरानी हवेली' और 'बंद दरवाजा' जैसी हॉरर फिल्में रामसे ब्रदर्स ने ही बनाई हैं. इन्होंने अंधेरे थिएटर में दर्शकों को डराकर उनका मनोरंजन करने की प्रेरणा हॉलीवुड फिल्मों से ली थी. उन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में रोमांटिक फिल्मों का दौर था. ऐसे समय में रामसे ब्रदर्स ने रिस्क लेकर हिंदी सिनेमा को भूत, प्रेत, आत्मा और शैतान की कहानियों से रूबरू कराया. जो अप्रत्याशित रूप से भारत के लोगों को बहुत पसंद आई थीं.

दुनिया भर में हैलोवीन त्योहार मनाया जा रहा है. मूल रूप से पश्चिमी देशों में मनाया जाने वाले ईसाइयों के इस त्योहार में आत्माओं की शांति के लिए भूत-पिशाचों की पूजा की जाती है. इस दौरान लोग भूत बनते हैं. अजीबो-गरीब शक्लो-सूरत बनाकर एक-दूसरे को डराने की कोशिश करते हैं. इस त्योहार में सबसे ज्यादा मजे बच्चे लेते हैं. भूतिया कपड़े और मुखैटे लगाकर अपने-अपने पड़ोसियों के वहां जाते हैं. उन्हें डराते हैं, तो कई बार गिफ्ट देकर चले आते हैं. मुख्य रूप से देखा जाए तो इस त्योहार में डर के बीच आनंद लेने की परंपरा रही है. भारत में भी ये त्योहार महानगरों से निकलकर छोटे शहरों तक पहुंच चुका है. दिल्ली और मुंबई में तो लोग बड़ी संख्या में इसे मनाते ही रहे हैं, लेकिन अब जयपुर, भोपाल और लखनऊ जैसे शहरों में भी लोग हैलोवीन मनाने लगे हैं. सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में तस्वीरें देखी जा सकती हैं.

डर के साए में मनोरंजन की जब भी आती है, तो फिल्मों का जिक्र जरूर होता है. हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक बड़ी संख्या में हॉरर फिल्मों का निर्माण हुआ है. लोग हॉरर फिल्मों को बड़े चाव से देखते हैं. बॉलीवुड में हॉरर फिल्मों की बात रामसे ब्रदर्स के बिना अधूरी है. सही मायने में हिंदी सिनेमा में हॉरर फिल्मों के जनक इनको ही कहा जाता है. 'दो गज जमीन के नीचे', 'दरवाजा', 'पुराना मंदिर', 'तहख़ाना', 'वीराना', 'पुरानी हवेली' और 'बंद दरवाजा' जैसी हॉरर फिल्में रामसे ब्रदर्स ने ही बनाई हैं. इन्होंने अंधेरे थिएटर में दर्शकों को डराकर उनका मनोरंजन करने की प्रेरणा हॉलीवुड फिल्मों से ली थी. उन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में रोमांटिक फिल्मों का दौर था. ऐसे समय में रामसे ब्रदर्स ने रिस्क लेकर हिंदी सिनेमा को भूत, प्रेत, आत्मा और शैतान की कहानियों से रूबरू कराया. जो अप्रत्याशित रूप से भारत के लोगों को बहुत पसंद आई थीं.

हैलोवीन के मौके पर आइए उन हॉरर फिल्मों के बारे में जानते हैं, जिन्हें देखकर डरेंगे जरूर लेकिन आनंद आ जाएगा...

1. घोल (Ghoul)

IMDb रेटिंग- 7.0

OTT- नेटफ्लिक्स

साल 2018 में ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई फिल्म 'घोल' का निर्देशन पेट्रिक ग्रहाम ने किया है. इसमें राधिका आप्टे, मानव कौल, एसएम ज़हीर और रत्नाबली भट्टाचार्जी जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. 'घोल' एक अरबी शब्द जिसका हिंदी अर्थ जिन्न या पिशाच है. इस हॉरर थ्रिलर में राधिका आप्टे लीड रोल में हैं. इसकी कहानी आर्मी के एक इंटेरोगेशन सेंटर पर आधारित है. निदा रहीम (राधिका आप्टे) एक आर्मी अफसर है, जो अपने देशद्रोही पिता को पकड़वाने में मदद करती है. उसका पिता अपने इस्लामिक ज्ञान को देश के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा होता है. वो अपने मकसद में कामयाब होने के लिए एक जिन्न का सहारा लेता है. यहां हॉरर और थ्रिल के बीच इमोशन भी देखने को मिलता है. आर्मी की गतिविधियां, जिन्न की उपस्थिति और एक देशद्रोही पिता के साथ एक बेटी की मजबूरी इमोशनल कर देती है. इस फिल्म को बहुत पसंद किया गया था.

2. वेलकम होम (Welcome Home)

IMDb रेटिंग- 7.4

OTT- सोनी लिव

अभिनेता परेश रावल के प्रोडक्शन और हेमल ठक्कर के प्लेटाइम क्रिएशंस के बैनर तले बनी फिल्म 'वेलकम होम' का पुश्कर महाबल ने निर्देशन किया है. इसमें कश्मीरा ईरानी, स्वरा थिगले, शशि भूषण, टीना भाटिया, बोलाराम दास और अक्षिता अरोड़ा जैसे कलाकार अहम भूमिका में हैं. इसमें बाल शोषण और यौन शोषण का बहुत क्रूर चित्रण किया गया है. फिल्म के मेकर्स इसकी शुरूआत में ही इस बात का दावा कर देते हैं कि ये कमजोर दिल वालों के देखने लायक नहीं है. यहां तक कि इसे पूरे परिवार साथ भी नहीं देखी जा सकती है. इस तरह फिल्मकार इसके प्रति लोगों की उत्सुकता जगाने में कामयाब रहे हैं. फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है. इसकी पटकथा अंकिता नारंग ने लिखी है. फिल्म में एक ऐसे घर को दिखाया गया है, जो कि शहर से दूर घने जंगल में बना है. वहां बड़ी संख्या में लड़कियां मौजूद हैं. हर किसी के चेहरे पर निराशा और डर देखा जा रहा है. उनके साथ क्रूरतम व्यवहार किया जाता है, अत्याचार किया जाता है. लेकिन ये लड़कियां उस सूनसून इलाके में बने घर में क्यों हैं? इसके जवाब के लिए ये फिल्म देखनी होगी.

3. तुम्बाड (Tumbbad)

IMDb रेटिंग- 8.2

OTT- अमेजन प्राइम वीडियो

साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म 'तुम्बाड' का निर्देशन राही अनिल बर्वे, आनंद गांधी और आदेश प्रसाद ने किया है. इस फिल्म को सोहम शाह, आनंद एल राय, आनंद गांधी, मुकेश शाह और अमित शाह ने प्रोड्यूस किया है. इसमें सोहम शाह, रुद्रा सोनी, महादेव हरी, पियूष कौशिक, दीपक दामले और ज्योति माल्से जैसे साउथ के कलाकार अहम रोल में हैं. महात्मा गांधी ने कहा था कि धरती पर इंसान की जरूरत के लिए पर्याप्त साधन हैं, उसके लालच के लिए नहीं, 'तुम्बाड' का मूल यही है. ज्यादा पाने का लालच इंसान को शैतान बना देता है. फिल्म ऐसे ही रहस्यमयी, रोमांचकारी और डरावने सफर पर ले जाती है, जहां आपको बिना किसी डरवानी आवाज या अंधेरे के भी डर लगेगा. फिल्म की कहानी 1918 के महाराष्ट्र के तुम्बाड गांव में शुरू होती है. एक छिपे हुए खजाने की तलाश में एक आदमी किस हद तक गुजर जाता है, उसे दिखाया गया है. फिल्म की कहानी हालांकि काल्पनिक है, लेकिन जबरदस्त है. पहले फ्रेम से लेकर आखिर तक आपको हिलने नहीं देगी. यदि जरा भी नजर हटाए, तो बहुत कुछ चूक जाएंगे.

4. 1920

IMDb रेटिंग- 6.4

OTT- अमेजन प्राइम वीडियो

साल 2008 में रिलीज हुई विक्रम भट्ट की हॉरर फिल्म '1920' लोगों को डराने में कामयाब रही थी. इस फिल्म में रजनीश दुग्गल और अदा शर्मा ने अहम भूमिका निभाई थी. हिंदी में फिल्माई गई यह कहानी साल 1920 में भूतिया घर में रहने वाले एक विवाहित जोड़े के इर्द-गिर्द घूमती है. फिल्म का वो दृश्य जब वो उल्टे पैर से दीवार पर चढ़ती है, देखकर सिहरन होने लगती है. गुलाम भारत में अंग्रेजों ने कैसे भारतीयों पर जुल्म किया था, उसके लिए लड़ते हुए हमारे लोग कैसे मारे गए थे और उनकी आत्माएं कैसे अतृप्त होकर घूमती हैं, इसे बहुत ही डरवाने लेकिन दिलचस्प अंदाज में दिखाया गया है. इसके साथ ही एक अनोखी प्रेम कहानी भी दिखाई गई है, जिसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका के लिए भूत से भी लड़ जाता है. कहानी का एक सिरा पूर्नजन्म से भी जुड़ा हुआ है. फिल्म की सिनेमैटेग्राफी इसे भव्य बनाती है. जंगल, महल और उस दौर के थीम पर फिल्माए सीन मनमोह लेते हैं.

5. राज (Raaz)

IMDb रेटिंग- 6.5

OTT- अमेजन प्राइम वीडियो

'1920', 'राज' और 'घोस्ट' जैसी हॉरर फिल्मे बनाने वाले फिल्मकार विक्रम भट्ट ने इस कैटेगरी में जबरदस्त काम किया है. साल 2002 में उनकी फिल्म 'राज' रिलीज हुई थी. हिंदी सिनेमा में ये अबतक कि सबसे अलग किस्म की डरावनी फिल्म है. इसे हॉलीवुड फिल्म 'What Lies Beneath' से प्रेरित बताया जाता है. फिल्म में डीनो मोरिया और बिपाशा बसु लीड रोल में हैं. फिल्म में अभिनेत्री मालिनी शर्मा ने चुड़ैल का किरदार निभाया है. अपने किरदार में आने के बाद वो इस कदर डराती हैं कि देखने वालों के मुंह से चीख निकल पड़ती है. इस फिल्म के कई सीक्वल बने लेकिन इतना कोई नहीं डरा पाया. फिल्म 'राज' की सफलता आज तक राज है. इसे गाने लोगों की जुबान पर चढ़ गए. 'आपके प्यार में हम संवरने लगे', 'इतना मैं चाहूं तुझे कोई किसी को न चाहे' और 'यह शहर है अमन का यहां की फीजा है निराली' जैसे गाने आज भी कर्णप्रिय लगते हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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