• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

आधी जुलाई तबाह, Box Office पर बॉलीवुड का बेड़ा कैसे पार होगा? शमशेरा-एक विलेन रिटर्न्स से उम्मीदें!

    • आईचौक
    • Updated: 17 जुलाई, 2022 09:23 PM
  • 17 जुलाई, 2022 09:18 PM
offline
जुलाई के 17 दिन बीत चुके हैं और इस महीने में अब तक रिलीज आधा दर्जन फिल्मों के बॉक्स ऑफिस ने ट्रेड सर्किल को निराश किया है. अभी इस महीने बॉलीवुड की दो बड़ी फिल्में शमशेरा और एक विलेन रिटर्न्स रिलीज होनी हैं. फिल्म ट्रेड सर्किल को दोनों फिल्मों से काफी उम्मीदें हैं.

जुलाई महीने के 17 दिन बीत चुके हैं. कोरोना से भले सिनेमाघरों की हालत खराब थी, लेकिन इस साल यह संभवत: पहला ऐसा महीना होगा जिसमें हिंदी बॉक्स ऑफिस पर कोई रौनक ही नजर नहीं आई है. हालांकि हॉलीवुड की 'थॉर: लव एंड थंडर' जरूर अपवाद है जिसकी वजह से हिंदी बेल्ट में भी टिकट खिड़की के सामने थोड़ी भीड़ दिखी. लेकिन ऐसी भीड़ ना तो बॉलीवुड की किसी फिल्म के लिए और ना ही साउथ की फिल्मों के लिए दिखी. जबकि बॉलीवुड और साउथ को मिलाकर आधा दर्जन से ज्यादा फ़िल्में अबतक रिलीज हुई हैं.

जुलाई को अगर छोड़ दिया जाए तो इस साल आलिया भट्ट की गंगूबाई काठियावाड़ी से जो सिलसिला शुरू हुआ था वह द कश्मीर फाइल्स से होते हुए जून के आख़िरी हफ्ते में आई वरुण धवन-कियारा आडवाणी की जुग जुग जियो तक जारी रहा. जून तक किसी ना किसी फिल्म का उल्लेखनीय बॉक्स ऑफिस देखने को मिला.  

यहां तक कि आरआरआर और केजीएफ 2 की वजह से भी हिंदी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त रौनक बनी रही. लेकिन जुलाई ने भारतीय निर्माताओं को निराश किया है. थॉर: लव एंड थंडर भी बेहतर ओपनिंग हासिल करने के बावजूद अब तक सिर्फ 79.55 करोड़ कमा पाई है.  यह कलेक्शन भी हिंदी समेत तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषा का है. जुलाई में जो हिंदी फ़िल्में रिलीज हुईं उनमें- राष्ट्रकवच ओम (7.11 करोड़), पैन इंडिया रॉकेटरी: द नाम्बी इफेक्ट (16.36 करोड़), खुदा हाफिज (10.91करोड़), टीटू अंबानी, रोमियो का फंडे लाजवाब, शाबास मिठू और हिट द फर्स्ट केस शामिल हैं. टीटू अंबानी और रोमियो का फंडे लाजवाब की कमाई का कुछ पता ही नहीं चल पाया.

जुलाई की उम्मीदें अब एक विलेन रिटर्न्स और शमशेरा पर हैं. राजकुमार राव-तापसी पन्नू की फ़िल्में भी नहीं कर पाई जुलाई का बेड़ा पार

जबकि राजकुमार राव की हिट द फर्स्ट केस ने भी दो दिन में महज 3.36...

जुलाई महीने के 17 दिन बीत चुके हैं. कोरोना से भले सिनेमाघरों की हालत खराब थी, लेकिन इस साल यह संभवत: पहला ऐसा महीना होगा जिसमें हिंदी बॉक्स ऑफिस पर कोई रौनक ही नजर नहीं आई है. हालांकि हॉलीवुड की 'थॉर: लव एंड थंडर' जरूर अपवाद है जिसकी वजह से हिंदी बेल्ट में भी टिकट खिड़की के सामने थोड़ी भीड़ दिखी. लेकिन ऐसी भीड़ ना तो बॉलीवुड की किसी फिल्म के लिए और ना ही साउथ की फिल्मों के लिए दिखी. जबकि बॉलीवुड और साउथ को मिलाकर आधा दर्जन से ज्यादा फ़िल्में अबतक रिलीज हुई हैं.

जुलाई को अगर छोड़ दिया जाए तो इस साल आलिया भट्ट की गंगूबाई काठियावाड़ी से जो सिलसिला शुरू हुआ था वह द कश्मीर फाइल्स से होते हुए जून के आख़िरी हफ्ते में आई वरुण धवन-कियारा आडवाणी की जुग जुग जियो तक जारी रहा. जून तक किसी ना किसी फिल्म का उल्लेखनीय बॉक्स ऑफिस देखने को मिला.  

यहां तक कि आरआरआर और केजीएफ 2 की वजह से भी हिंदी बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त रौनक बनी रही. लेकिन जुलाई ने भारतीय निर्माताओं को निराश किया है. थॉर: लव एंड थंडर भी बेहतर ओपनिंग हासिल करने के बावजूद अब तक सिर्फ 79.55 करोड़ कमा पाई है.  यह कलेक्शन भी हिंदी समेत तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषा का है. जुलाई में जो हिंदी फ़िल्में रिलीज हुईं उनमें- राष्ट्रकवच ओम (7.11 करोड़), पैन इंडिया रॉकेटरी: द नाम्बी इफेक्ट (16.36 करोड़), खुदा हाफिज (10.91करोड़), टीटू अंबानी, रोमियो का फंडे लाजवाब, शाबास मिठू और हिट द फर्स्ट केस शामिल हैं. टीटू अंबानी और रोमियो का फंडे लाजवाब की कमाई का कुछ पता ही नहीं चल पाया.

जुलाई की उम्मीदें अब एक विलेन रिटर्न्स और शमशेरा पर हैं. राजकुमार राव-तापसी पन्नू की फ़िल्में भी नहीं कर पाई जुलाई का बेड़ा पार

जबकि राजकुमार राव की हिट द फर्स्ट केस ने भी दो दिन में महज 3.36 करोड़ रुपये कमाए. शाबास मिठू का पहले दिन का कलेक्शन मात्र 40 लाख रहा. फिल्मों का बॉक्स ऑफिस साफ़ बता रहा कि जुलाई महीना पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है. फिलहाल एक फिल्म भी 50 करोड़ या उसके पार जाती नहीं दिख रही है. अब तक आई फिल्मों से आगे कमाई की संभावना जताने की कोई वजह नजर नहीं आ रही. सिनेमा एग्जिबिटर्स को जरूर निराशा हुई होगी.

जुलाई में रिलीज फिल्मों के बॉक्स ऑफिस ने बहुत निराश किया है.

रिलीज हो चुकी फिल्मों से तो नहीं, लेकिन ट्रेड सर्किल आने वाली फिल्मों से एक उम्मीद कर सकता है. जुलाई के आख़िरी दो हफ़्तों में बॉलीवुड की दो बड़ी फ़िल्में रिलीज होने के लिए तैयार हैं. इनमें से एक रणबीर कपूर और संजय दत्त स्टारर पीरियड ड्रामा शमशेरा है तो दूसरी जॉन अब्राहम-अर्जुन कपूर की 'एक विलेन रिटर्न्स' है. किच्चा सुदीप स्टारर साउथ की पैन इंडिया ड्रामा 'विक्रांत रोना' को भी इसमें शामिल किया जा सकता है. विक्रांत रोना 28 जुलाई के दिन आएगी. अगर इनमें से किसी एक फिल्म ने भी बढ़िया कारोबार किया तो मल्टीप्लेक्स/सिनेमाघर राहत की सांस लेंगे. वैसे जुलाई के बाद बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी रौनक दिखने की काफी संभावना है. स्वतंत्रता दिवस से सिनेमा का त्योहारी कैलेंडर शुरू हो जाएगा.  

शमशेरा और एक विलेन रिटर्न्स से उम्मीदें गलत नहीं

बॉलीवुड शमशेरा और एक विलेन रिटर्न्स से उम्मीदें कर रहा है तो इसमें गलत नहीं है. दोनों फिल्मों में बड़ी कामयाबी पाने की क्षमता है. शमशेरा रणबीर की फिल्म है. रणबीर जिस तरह की फ़िल्में करते हैं उनके विषय दर्शकों को बेहतर मनोरंजन का भरोसा देते हैं. फिल्म के जो विजुअल सामने आए हैं उनमें लोग रणबीर और संजय दत्त के लुक पर अभी  से बात कर रहे हैं. जबकि एक विलेन रिटर्न्स, एक विलेन फ्रेंचाइजी की फिल्म है. एक विलेन ने बॉक्स ऑफिस पर जोरदार कामयाबी हासिल की थी. अभी कुछ ही दिन पहले फिल्म का ट्रेलर सामने आया था. सस्पेंस थ्रिलर से भरपूर ट्रेलर की मुक्त कंठ से प्रशंसा हुई है.

अगस्त में स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले यानी 11 अगस्त को आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा और अक्षय कुमार की रक्षाबंधन रिलीज होगी. विजय देवरकोंडा की Liger के साथ कुछ और फ़िल्में भी अगस्त में ही रिलीज होनी है. हालांकि ट्रेड सर्किल की निगाहें आमिर, अक्षय और विजय देवरकोंडा की फिल्मों पर ही रहेगी. तीनों फिल्मों का स्केल जिस तरह है- उसे देखकर माना जा सकता है कि तीनों टिकट खिड़की पर बिजनेस से हैरान भी कर सकती हैं. लेकिन कितना और किस तरह यह अभी बताना जल्दबाजी होगी. हो सकता है कि इसका उल्टा भी हो जाए. वैसे भी बॉक्स ऑफिस पर इस साल तमाम चीजें अप्रत्याशित दिख रही हैं.

बावजूद उम्मीद करने में कोई हर्ज नहीं. उम्मीद तो की ही जा सकती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲