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उड़ता पंजाब जैसी एक फिल्म गुजरात की भी, सेंसर बोर्ड चाहता है 100 कट

    • आईचौक
    • Updated: 15 जून, 2016 02:22 PM
  • 15 जून, 2016 02:22 PM
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हाल ही में सेंसर बोर्ड के पास अटकने के लिए चर्चित हुई फिल्म उड़ता पंजाब के बाद हार्दिक पटेल के आरक्षण आंदोलन पर बनी एक गुजराती फिल्म भी सेंसर बोर्ड के पास अटक गई है, जानिए.

उड़ता पंजाब के बाद अब सेंसर बोर्ड के सामने अब एक गुजराती फिल्‍म चुनौती बनकर खड़ी है. हार्दिक पटेल के पाटीदार आरक्षण आंदोलन पर बनी इस फिल्‍म में सेंसर बोर्ड रिलीज से पहले 100 कट चाहता है. पिछले एक साल के दौरान गुजरात में सबसे बड़ा मुद्दा पाटीदार आंदोलन ही रहा. जिसके नेता हार्दिक पटेल आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उस आंदोलन को आंबेडकर के आरक्षण आंदोलन की तरह बताती एक फिल्‍म बनकर तैयार है, जो सेंसर बोर्ड के सामने अटक गई है. यह सीन बिलकुल उड़ता पंजाब की तरह है.

पिछले वर्ष हुए हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन पर बनी एक गुजराती फिल्म सेंसर बोर्ड के पास अटक गई है

सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने फिल्‍म 'सलगतो सवाल अनामत' यानी आरक्षण का सुलगता सवाल पर 100 कट लगाने की बात कही है. इसके डायरेक्टर राजेश गोहिल का कहना है कि हम इसमें हार्दिक पटेल का पक्ष नहीं रख रहे बल्कि उस आरक्षण आंदोलन को दिखाना चाह रहे हैं. मेरा मकसद उस आंदोलन की पूरी हकीकत दिखाना है. गोहिल अब तक 7 फिल्में बना चुके हैं और उनके मुताबिक सेंसर बोर्ड का फिल्मों पर किसी वाजिब वजह के बिना ही आपत्ति लगाना अभिव्यक्ति की आजादी को छीनने जैसा है.

हार्दिक पटेल पिछले वर्ष पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करके चर्चा में आए थे

पाटीदार,...

उड़ता पंजाब के बाद अब सेंसर बोर्ड के सामने अब एक गुजराती फिल्‍म चुनौती बनकर खड़ी है. हार्दिक पटेल के पाटीदार आरक्षण आंदोलन पर बनी इस फिल्‍म में सेंसर बोर्ड रिलीज से पहले 100 कट चाहता है. पिछले एक साल के दौरान गुजरात में सबसे बड़ा मुद्दा पाटीदार आंदोलन ही रहा. जिसके नेता हार्दिक पटेल आरक्षण की मांग कर रहे हैं. उस आंदोलन को आंबेडकर के आरक्षण आंदोलन की तरह बताती एक फिल्‍म बनकर तैयार है, जो सेंसर बोर्ड के सामने अटक गई है. यह सीन बिलकुल उड़ता पंजाब की तरह है.

पिछले वर्ष हुए हार्दिक पटेल के पाटीदार आंदोलन पर बनी एक गुजराती फिल्म सेंसर बोर्ड के पास अटक गई है

सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन ने फिल्‍म 'सलगतो सवाल अनामत' यानी आरक्षण का सुलगता सवाल पर 100 कट लगाने की बात कही है. इसके डायरेक्टर राजेश गोहिल का कहना है कि हम इसमें हार्दिक पटेल का पक्ष नहीं रख रहे बल्कि उस आरक्षण आंदोलन को दिखाना चाह रहे हैं. मेरा मकसद उस आंदोलन की पूरी हकीकत दिखाना है. गोहिल अब तक 7 फिल्में बना चुके हैं और उनके मुताबिक सेंसर बोर्ड का फिल्मों पर किसी वाजिब वजह के बिना ही आपत्ति लगाना अभिव्यक्ति की आजादी को छीनने जैसा है.

हार्दिक पटेल पिछले वर्ष पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग करके चर्चा में आए थे

पाटीदार, आंबेडकर और पटेल शब्‍द हटाने को कहाःसेंसर बोर्ड के इस फिल्‍म से एतराज काफी कुछ उड़ता पंजाब से मिलते जुलते हैं. जैसे उस फिल्‍म में पंजाब शब्‍द हटाने को कहा गया था. वैसे ही गुजराती फिल्‍म में दिखाए गए आंदोलन को लेकर बोर्ड चाहता है कि इसे आंबेडकर से न जोड़ा जाए और फिल्‍म से पाटीदार और पटेल शब्‍द हटा दिया जाए. लेकिन फिल्‍म डायरेक्‍टर गोहिल कहते हैं कि यदि पाटीदार शब्‍द ही फिल्‍म से हटा दिया तो फिल्‍म की आत्‍म ही मर जाएगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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