• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

iChowk Movie Review: गैसलाइट

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 01 अप्रिल, 2023 05:42 PM
  • 01 अप्रिल, 2023 05:21 PM
offline
Gaslight Movie Review in Hindi: सारा अली खान, चित्रांगदा सिंह, विक्रांत मैसी की क्राइम थ्रिलर फिल्म 'गैसलाइट' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर में रहस्य और रोमांच का तड़का लगाने की पूरी कोशिश की गई है, लेकिन कहानी की सुस्त रफ्तार ने सारी मेहनत पर पानी फेर देती है.

बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान और एक्ट्रेस अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग की बदौलत अपने उपर लगे नेपोटिज्म के दाग धो दिया. उन्होंने अभी तक महज पांच फिल्में की हैं, लेकिन हर फिल्म में अपने किरदार में जान डाल दी है. चाहे वो उनकी डेब्यू फिल्म 'केदारनाथ' और 'सिंबा' हो फिर आखिरी रिलीज 'अतरंगी रे', उनकी प्रतिभा और काम के प्रति समर्पण की तारीफ उनके सहकर्मी और निर्देशक भी करते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ वक्त से बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिलने की वजह से उन्होंने ओटीटी की ओर रुख कर लिया है. उनकी लगातार तीन फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज हो चुकी हैं. इसी कड़ी में एक नई फिल्म 'गैसलाइट' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर में रहस्य और रोमांच का तड़का लगाने की पूरी कोशिश की गई है, लेकिन कहानी की सुस्त रफ्तार ने मेहनत पर पानी फेर दिया है.

क्राइम थ्रिलर फिल्म 'गैसलाइट' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है.

पवन कृपलानी के निर्देशन में बनी फिल्म 'गैसलाइट' में सारा अली खान के अलावा चित्रांगदा सिंह, विक्रांत मैसी, अक्षय ओबेरॉय, शिशिर शर्मा और राहुल देव जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इस फिल्म की कहानी नेहा वीणा शर्मा, पवन कृपलानी और अमित मेहता ने मिलकर लिखी है. लेकिन तीन लोगों की टीम भी कहानी की रफ्तार को कायम नहीं रख पाई है. यही वजह है कि फिल्म फर्स्ट हॉफ में बहुत बोरिंग हो गई है. सेकेंड हॉफ में जरूर कुछ ट्विस्ट एंड टर्न हैं, जो रहस्य और रोमांच के स्तर को बढ़ाते हैं. लेकिन शुरू के 40-50 मिनट तक झेलने के बाद यदि कोई आगे बढ़ पाया तो ही उसे आनंद मिलेगा, वरना लोग बीच में ही फिल्म को छोड़ सकते हैं. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें जो दिखता है, वो होता नहीं हैं, जो होता है, वो बहुत बाद में पता चलता है. जैसे कई किरदार शुरू में पॉजिटिव दिखते हैं, लेकिन आखिर वो हीरो से विलेन बन जाते हैं.

बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान और एक्ट्रेस अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग की बदौलत अपने उपर लगे नेपोटिज्म के दाग धो दिया. उन्होंने अभी तक महज पांच फिल्में की हैं, लेकिन हर फिल्म में अपने किरदार में जान डाल दी है. चाहे वो उनकी डेब्यू फिल्म 'केदारनाथ' और 'सिंबा' हो फिर आखिरी रिलीज 'अतरंगी रे', उनकी प्रतिभा और काम के प्रति समर्पण की तारीफ उनके सहकर्मी और निर्देशक भी करते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ वक्त से बॉक्स ऑफिस पर सफलता नहीं मिलने की वजह से उन्होंने ओटीटी की ओर रुख कर लिया है. उनकी लगातार तीन फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही रिलीज हो चुकी हैं. इसी कड़ी में एक नई फिल्म 'गैसलाइट' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है. इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर में रहस्य और रोमांच का तड़का लगाने की पूरी कोशिश की गई है, लेकिन कहानी की सुस्त रफ्तार ने मेहनत पर पानी फेर दिया है.

क्राइम थ्रिलर फिल्म 'गैसलाइट' ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम हो रही है.

पवन कृपलानी के निर्देशन में बनी फिल्म 'गैसलाइट' में सारा अली खान के अलावा चित्रांगदा सिंह, विक्रांत मैसी, अक्षय ओबेरॉय, शिशिर शर्मा और राहुल देव जैसे कलाकार अहम किरदारों में हैं. इस फिल्म की कहानी नेहा वीणा शर्मा, पवन कृपलानी और अमित मेहता ने मिलकर लिखी है. लेकिन तीन लोगों की टीम भी कहानी की रफ्तार को कायम नहीं रख पाई है. यही वजह है कि फिल्म फर्स्ट हॉफ में बहुत बोरिंग हो गई है. सेकेंड हॉफ में जरूर कुछ ट्विस्ट एंड टर्न हैं, जो रहस्य और रोमांच के स्तर को बढ़ाते हैं. लेकिन शुरू के 40-50 मिनट तक झेलने के बाद यदि कोई आगे बढ़ पाया तो ही उसे आनंद मिलेगा, वरना लोग बीच में ही फिल्म को छोड़ सकते हैं. इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें जो दिखता है, वो होता नहीं हैं, जो होता है, वो बहुत बाद में पता चलता है. जैसे कई किरदार शुरू में पॉजिटिव दिखते हैं, लेकिन आखिर वो हीरो से विलेन बन जाते हैं.

सारा अली खान ने एक दिव्यांग लड़की का किरदार निभाया है. करियर के जिस पड़ाव पर कोई भी एक्ट्रेस केवल रोमांटिक फिल्मे करना चाहती है, उसमें इस तरह के किरदार को स्वीकार करना बहुत हिम्मत की बात है. सारा ने न केवल इस रोल को स्वीकारा है, बल्कि उसमें पूरी तरफ फिट भी बैठी हैं. फिल्म का सबसे हैरान कर देने वाला किरदार कपिल है. इस रोल को विक्रांत मैसी ने किया है. उनके किरदार का ट्विस्ट फिल्म का सबसे रोमांचक पहलू है. इसके बारे में ज्यादा बात करना फिल्म देखने वालों का मजा किरकिरा कर सकता है. विक्रांत को ओटीटी का सुपरस्टार माना जाता है. पंकज त्रिपाठी की वेब सीरीज 'मिर्जापुर' से घर-घर मशहूर हुए एक्टर की पिछले दो साल में उनकी पांच फिल्में ओटीटी पर ही रिलीज हुई हैं. इनमें 'फोरेंसिक', 'हसीन दिलरुबा', '14 फेरे' और 'लव हॉस्टल' का नाम प्रमुख है. फिल्म में चित्रांगदा सिंह रानी रुक्मिणी के किरदार में मौजूद हैं. उनके किरदार भी दिलचस्प है. चित्रांगदा ने बेहतरीन काम किया है. उनको आखिरी बार साल 2021 में रिलीज हुई अभिषेक बच्चन की फिल्म 'बॉब बिस्वास' में देखा गया था. 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' (2005) से डेब्यू करने वाली एक्ट्रेस ने 'घूमकेतू', 'बाजार', 'साहेब बीवी और गैंगस्टर' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया है.

फिल्म 'गैसलाइट' की कहानी गुजरात के एक रियासत की बेटी मीशा के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने घर से लंबे समय से दूर है. लेकिन अपने पिता का एक खत मिलने के बाद घर वापस आती है. इसमें सारा अली खान की किरदार मीशा की दोस्त है, लेकिन एक हादसे में मौत हो जाने की वजह से वो अपनी दोस्त की जगह उसके घर जाती है. सारा अली मीशा बनकर रियासत लौटती हैं. चूंकि मीशा दिव्यांग है, इसलिए सारा को व्हील चेयर पर चलना पड़ता है. महल में पिता की जगह मीशा की सौतेली मां रुक्मिणी उसका स्वागत करती है. मीशा को यह समझ नहीं आता कि उसके प‍िता ने उसे बुलाया, लेकिन खुद कहां गायब हो गए हैं. वो उनकी तलाश के लिए बहुत कोशिश करती है. इसी बीच उसके साथ अजीबो-गरीब घटनाएं होने लगती हैं. कभी उसे रात में अपने पिता दिखते हैं, तो कभी उनकी परछाई नजर आती है. परेशान मीशा गुमशुदा पिता की तलाश के लिए केस दर्ज करा देती है.

मीशा की सौतेली मां रुक्मिणी (चित्रांगदा सिंह) उसे लगातार ये यकीन दिलाने की कोशिश करती है कि उसके पिता को कुछ नहीं हुआ है. वो किसी काम से बाहर गए हुए हैं और कुछ दिनों में वापस आ जाएंगे. मीशा उससे पूछती है, ''रुक्मिणी मेरे दादा कहां हैं?" इस पर वो जवाब देती है, ''तुम चिंता मत करो वो 3-4 दिन में घर वापस लौट आएंगे.'' इतना ही नहीं साजिशन ऐसी कई घटनाएं कराई जाती हैं, जिससे कि मीशा को ये लगने लगे कि उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है. इस तरह उसे मानसिक रूप से अस्वस्थ दिखाकर उसकी संपत्ति हड़पने की कोशिश की जाती है. महल में काम करने वाली एक नौकरानी बताती है कि उसके पिता का मैनेजर कपिल (विक्रांत मैसी) उनके बहुत करीब था. उनके बारे में सबकुछ जानता था. मीशा जब उससे पूछती है, तो वो कहता है, ''राजा साहेब के बहुत करीब होकर भी मैं उनकी निजी जिंदगी से कोसों दूर हूं.'' इस तरह मामले को उलझा दिया जाता है.

मिशा को अक्सर लगता है कि उसके पिता किसी बहुत बड़ी मुसीबत में हैं. उससे मदद मांग रहे हैं. यहां तक कि उसका कहना है कि उसने अपने पिता को घर के अंदर भी देखा है. वो उससे कुछ कहना चाहते हैं. लेकिन परिवार में मिशा की बात पर कोई भरोसा नहीं करता है. यहां तक पुलिस उल्टे उससे सवाल करती है कि यदि उसके पिता गायब हैं, तो उसने देखा किसे हैं. यदि उसने अपने पिता को देखा है, तो वो गायब कैसे हैं. इन बातों से परे मिशा अपने पिता की खोजबीन में लगी रहती है. इसी दौरान उसे कुछ ऐसे सबूत हाथ लगते हैं कि जिससे पता चलता है कि उसके पिता की हत्या हो गई है. लेकिन बड़ा सवाल उसके पिता की हत्या किसने और क्यों की है? इस हत्याकांड के पीछे क्या रुक्मिणी का कोई हाथ है या फिर घर में रहने वाले किसी दूसरे सदस्य ने ये काम किया है? क्या मीशा अपने पिता के हत्यारों तक पहुंच पाएगी? जानने के लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी.

फिल्म 'गैसलाइट' का निर्देशन पवन कृपलानी ने किया है, जो इससे पहले 'रागिनी एमएमएस' और 'फोबिया' जैसी फिल्में बना चुके हैं. वो फिल्म की लेखन टीम में भी हैं. लेकिन दोनों ही विभागों में पूरी ईमानदारी से काम नहीं कर पाए हैं. वैसे ऐसी मान्यता है कि यदि निर्देशक फिल्म का लेखक हो या फिर लेखन टीम में हो तो फिल्म अच्छी बनती है, क्योंकि कहानी की मूल आत्मा समझ लेने के बाद निर्देशन आसान हो जाता है. यहां पवन कृपलानी चूक गए हैं. फिल्म के आखिरी 30 मिनट में जो रफ्तार दिखाई देती है, यदि उससे शुरू से मेंटेन किया गया होता, तो निश्चित तौर पर ये एक बेहतरीन साइकोलॉजिकल थ्रिलर बन जाता और सेक्रेड गेम्स', 'द लास्ट ऑवर', 'सुड़ल: द वॉर्टेक्स', 'असुर', 'ऑटो शंकर' और 'मिथ्या' जैसे सिनेमा की कतार में नजर आता. कुल मिलाकर, 'गैसलाइट' एक औसत दर्जे की फिल्म है. यदि आपमें धैर्य है और सारा अली खान के फैन हैं, तो इस फिल्म को देख सकते हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲