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Gaslight Review: फिल्म थ्रिलर थी तो अगर थ्रिलर रहता, वाक़ई हम दर्शकों को मजा आ जाता!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 03 अप्रिल, 2023 05:15 PM
  • 03 अप्रिल, 2023 05:15 PM
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सारा अली खान, विक्रांत मैसी और चित्रांगदा सिंह की फिल्म गैसलाइट आखिरकार डिज्नी हॉटस्टार पर रिलीज हो गयी. कहने को तो फिल्म थ्रिलर थी लेकिन बात फिर वही है कि कथनी और करनी में अंतर होता है. फिल्म में एलिमेंट तमाम थे लेकिन अगर कुछ मिसिंग था तो वो थ्रिलर ही था.

ओटीटी के इस दौर में शायद ही कोई शुक्रवार ऐसा बीतता हो जब अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर फ़िल्में न रिलीज होती हों. कुछ फ़िल्में होती हैं जो दर्शकों को इम्प्रेस करने में कामयाब होती हैं वहीं कक गुमनामी के अंधेरों में कहीं गम हो जाती हैं. आज फिर शुक्रवार है. डिज्नी हॉटस्टार पर पवन कृपलानी के निर्देशन में बनी गैस लाइट रिलीज हुई है. फिल्म में सारा अली खान, विक्रांत मैसी और चित्रांगदा सिंह लीड रोल में हैं. आइये जानते हैं कि ये फिल्म दर्शकों को रिझाने में कामयाब हुई या फिर हमेशा की तरह उसके साथ निराशा आई.

जैसी फिल्म थी, गैस लाइट को लेकर जैसी उम्मीदें थीं सब धरी की धरी रह गयीं

बाकी सब ठीक है फिल्म में कहानी होनी चाहिए

कहने को तो फिल्म न्यू एज थ्रिलर है लेकिन बात फिर वही है जब तक बॉलीवुड फिल्मों में बॉलीवुडिया ट्रीटमेंट न दिया जाए बात नहीं बनती. ऐसा ही कुछ हमें गैस लाइट के मामले में भी देखने को मिला. सिवाए थ्रिलर के फिल्म में हर वो एलिमेंट था जिसकी जरूरत एक फिल्म बनाने के लिए होती है. मतलब राजा महाराजा और पुरानी हवेली वाला बैक ड्रॉप. व्हील चेयर पर एक लड़की. सौतेली मां और ढेर सारा मसाला. बाकी एक्टिंग की बात हो तो जिसे जितना रोल मिला और जैसी गुंजाईश रही सब ने अपनी तरफ से बढ़िया एक्टिंग की. यानीअंगुली कटा के शहीदों में नाम लिखाने वाली कहावत को अगर किसी ने चरितार्थ किया तो वो फिल्म गैस लाइट की स्टार कास्ट थी.

फिल्म की आत्मा की तरह होता है निर्देशन

भले ही अभी हाल ही में एस एस राजामौली की फिल्म आर आर आर के गाने नाटू नाटू को ऑस्कर मिला हो लेकिन बतौर दर्शक हमें इतना समझ में आया कि अगर निर्देशन बढ़िया हो तो गाने को भी ऑस्कर मिल सकता है. गैस लाइट के निर्देशक पवन कृपलानी को न केवल इस बात पर विचार करना चाहिए बल्कि इसे गांठ...

ओटीटी के इस दौर में शायद ही कोई शुक्रवार ऐसा बीतता हो जब अलग अलग प्लेटफॉर्म्स पर फ़िल्में न रिलीज होती हों. कुछ फ़िल्में होती हैं जो दर्शकों को इम्प्रेस करने में कामयाब होती हैं वहीं कक गुमनामी के अंधेरों में कहीं गम हो जाती हैं. आज फिर शुक्रवार है. डिज्नी हॉटस्टार पर पवन कृपलानी के निर्देशन में बनी गैस लाइट रिलीज हुई है. फिल्म में सारा अली खान, विक्रांत मैसी और चित्रांगदा सिंह लीड रोल में हैं. आइये जानते हैं कि ये फिल्म दर्शकों को रिझाने में कामयाब हुई या फिर हमेशा की तरह उसके साथ निराशा आई.

जैसी फिल्म थी, गैस लाइट को लेकर जैसी उम्मीदें थीं सब धरी की धरी रह गयीं

बाकी सब ठीक है फिल्म में कहानी होनी चाहिए

कहने को तो फिल्म न्यू एज थ्रिलर है लेकिन बात फिर वही है जब तक बॉलीवुड फिल्मों में बॉलीवुडिया ट्रीटमेंट न दिया जाए बात नहीं बनती. ऐसा ही कुछ हमें गैस लाइट के मामले में भी देखने को मिला. सिवाए थ्रिलर के फिल्म में हर वो एलिमेंट था जिसकी जरूरत एक फिल्म बनाने के लिए होती है. मतलब राजा महाराजा और पुरानी हवेली वाला बैक ड्रॉप. व्हील चेयर पर एक लड़की. सौतेली मां और ढेर सारा मसाला. बाकी एक्टिंग की बात हो तो जिसे जितना रोल मिला और जैसी गुंजाईश रही सब ने अपनी तरफ से बढ़िया एक्टिंग की. यानीअंगुली कटा के शहीदों में नाम लिखाने वाली कहावत को अगर किसी ने चरितार्थ किया तो वो फिल्म गैस लाइट की स्टार कास्ट थी.

फिल्म की आत्मा की तरह होता है निर्देशन

भले ही अभी हाल ही में एस एस राजामौली की फिल्म आर आर आर के गाने नाटू नाटू को ऑस्कर मिला हो लेकिन बतौर दर्शक हमें इतना समझ में आया कि अगर निर्देशन बढ़िया हो तो गाने को भी ऑस्कर मिल सकता है. गैस लाइट के निर्देशक पवन कृपलानी को न केवल इस बात पर विचार करना चाहिए बल्कि इसे गांठ बांधकर मन के किसी कोने में छिपा लेना चाहिए.

फिल्म की लाज बचा सकता था संगीत और कैमरावर्क

ऐसा कई बार हुआ है कि फिल्म ख़राब है लेकिन उसका म्यूजिक और कैमरावर्क सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर बज बनवा ही देता है. ऐसे में जब हम गैसलाइट को देखते हैं तो मायूसी यहां भी होती है. ऐसा लगा किसी नौसिखिये कैमरामैन को कैमरा मिला और उसने बस चला दिया वहीं जब हम म्यूजिक सुनते हैं तो वहां हमें संगीत कम शोर ज्यादा सुनाई देता है.

डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर के लिए सबक है गैसलाइट

फिल्म औसत रह गयी इसके लिए हम अकेले सारा अली खान, विक्रांत मैसी और चित्रांगदा सिंह को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते. फिल्म की जैसी हालत हुई है अब तक निर्देशक और पटकथा लिखने वाले इस बात को समझ गए होंगे कि लंबे रास्तों पर शार्ट कट लेने के लिए उस रास्ते की समझ होनी चाहिए जिसका चयन शार्ट कट के लिए किया गया है.

कुल मिलाकर हम बस ये कहेंगे कि एक्टिंग के नाम पर सारा, विक्रांत और चित्रांगदा को कुछ डायलॉग बोलते हुए यदि आप देखना चाहते हैं तो गैस लाइट का रुख किया जा सकता है. और चूंकि हम पहले ही डिग्नी हॉटस्टार जैसे प्लेटफॉर्म की सदस्यता पाने के लिए पैसा खर्च कर चुके हैं तो टिकट लेने वाला झंझट भी नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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