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Gandhi-Godse Ek Yudh: नौ साल बाद वापसी कर रहे राजकुमार संतोषी ने देश का मिजाज समझ लिया है!

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 27 दिसम्बर, 2022 06:08 PM
  • 27 दिसम्बर, 2022 06:08 PM
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राजकुमार संतोषी 9 साल बाद अपनी नई फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' के साथ वापसी कर रहे हैं. इस फिल्म का मोशन पोस्टर आज जारी किया गया है, जिसमें गांधी और गोडसे के बीच वैचारिक मतभेद की एक झलक देखने को मिल रही है. 'बरसात', 'दामिनी', 'घायल', 'अंदाज अपना अपना', 'चाइना गेट' और 'अजब प्रेम की गजब कहानी' जैसी बेहतरीन फिल्में बनाने वाले फिल्म मेकर भले ही लंबे समय बाद वापसी कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने देश के मिजाज को समझ लिया है.

दिग्गज फिल्म मेकर राजकुमार संतोषी किसी परिचय के मोहताज नहीं है. 'पुकार', 'बरसात', 'दामिनी', 'घायल', 'अंदाज अपना अपना', 'लज्जा', 'खाकी', 'चाइना गेट' और 'अजब प्रेम की गजब कहानी' जैसी फिल्में उनके प्रतिभा की कहानी बयां करती हैं. 6 नेशनल फिल्म अवॉर्ड पा चुके संतोषी 9 साल बाद बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं. उनकी आखिरी फिल्म 'फटा पोस्टर निकला हीरो' थी. 40 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड 63 करोड़ रुपए का कारोबार किया था. अब उनकी नई फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' अगले साल 26 जनवरी को रिलीज होने के लिए तैयार है. इसका मोशन पोस्टर रिलीज किया गया है, जिसमें महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के बीच के वैचारिक मतभेद की झलक दिख रही है.

भारतीय सिनेमा में राजकुमार संतोषी को लीक से हटकर फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है. उनकी लिखी हुई कहानियां अपने दौर का आईना हुआ करती हैं. 1990 में रिलीज हुई फिल्म 'घायल' की कहानी लिखने के साथ ही उन्होंने निर्देशन भी किया था. इसके लिए उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था. ये फिल्म उस वक्त के संगठित अपराध और उसके सामने लाचार कानून व्यवस्था को दिखाती है. अब लंबे समय बाद वापसी कर रहे राजकुमार संतोषी ऐसी फिल्म लेकर आए हैं, जो इस वक्त देश के मिजाज के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठती है. अपने देश में महात्मा गांधी को चाहने वालों की संख्या भले ही बहुत बड़ी हो, उनको राष्ट्रपिता कहा जाता हो, लेकिन नाथूराम गोडसे के विचारों को मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है.

राजकुमार संतोषी 9 साल बाद फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' के जरिए कमबैक कर रहे हैं.

प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस सत्ता में बैठी बीजेपी पर अक्सर नाथुराम गोडसे के विचारों के पोषक होने का आरोप लगाती रही है. हिंदू महासभा तो हर साल गोडसे की जयंती मनाती है. कई बार...

दिग्गज फिल्म मेकर राजकुमार संतोषी किसी परिचय के मोहताज नहीं है. 'पुकार', 'बरसात', 'दामिनी', 'घायल', 'अंदाज अपना अपना', 'लज्जा', 'खाकी', 'चाइना गेट' और 'अजब प्रेम की गजब कहानी' जैसी फिल्में उनके प्रतिभा की कहानी बयां करती हैं. 6 नेशनल फिल्म अवॉर्ड पा चुके संतोषी 9 साल बाद बॉलीवुड में वापसी कर रहे हैं. उनकी आखिरी फिल्म 'फटा पोस्टर निकला हीरो' थी. 40 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड 63 करोड़ रुपए का कारोबार किया था. अब उनकी नई फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' अगले साल 26 जनवरी को रिलीज होने के लिए तैयार है. इसका मोशन पोस्टर रिलीज किया गया है, जिसमें महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के बीच के वैचारिक मतभेद की झलक दिख रही है.

भारतीय सिनेमा में राजकुमार संतोषी को लीक से हटकर फिल्में बनाने के लिए जाना जाता है. उनकी लिखी हुई कहानियां अपने दौर का आईना हुआ करती हैं. 1990 में रिलीज हुई फिल्म 'घायल' की कहानी लिखने के साथ ही उन्होंने निर्देशन भी किया था. इसके लिए उन्हें पहला नेशनल अवॉर्ड मिला था. ये फिल्म उस वक्त के संगठित अपराध और उसके सामने लाचार कानून व्यवस्था को दिखाती है. अब लंबे समय बाद वापसी कर रहे राजकुमार संतोषी ऐसी फिल्म लेकर आए हैं, जो इस वक्त देश के मिजाज के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठती है. अपने देश में महात्मा गांधी को चाहने वालों की संख्या भले ही बहुत बड़ी हो, उनको राष्ट्रपिता कहा जाता हो, लेकिन नाथूराम गोडसे के विचारों को मानने वालों की संख्या भी कम नहीं है.

राजकुमार संतोषी 9 साल बाद फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' के जरिए कमबैक कर रहे हैं.

प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस सत्ता में बैठी बीजेपी पर अक्सर नाथुराम गोडसे के विचारों के पोषक होने का आरोप लगाती रही है. हिंदू महासभा तो हर साल गोडसे की जयंती मनाती है. कई बार गांधी जी की जयंती पर गोडसे जिंदाबाद के नारे सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहे हैं. इससे समझा जा सकता है कि देश में गांधी और गोडसे दोनों के विचारों के समर्थक मौजूद हैं. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' में राजकुमार संतोषी किस तरह से दोनों के विचारों को प्रदर्शित करते हैं. इस फिल्म का जो मोशन पोस्टर जारी किया है, उसमें गांधी और गोडसे दोनों के विचारों का संतुलन दिखाया गया है. हालांकि, इसे सुनने के बाद यह फैसला करना मुश्किल होता है कि किसके विचार सही थे.

फिल्म 'गांधी गोडसे एक युद्ध' के 2 मिनट 17 सेकेंड के मोशन पोस्टर की शुरूआत नाथूराम गोडसे का किरदार कर रहे अभिनेता चिन्मय मांडलेकर की आवाज से शुरू होती है. इसमें वो कहते हैं, ''हिंदू राष्ट्र को बचाने के लिए मैं तुम्हारा वध करना चाहता था, और करना चाहता हूं.'' इसके बाद महात्मा गांधी का किरदार कर रहे अभिनेता दीपक अंतानी कहते हैं, ''गोली से आदमी मरता है, उसके विचार नहीं. मैं तुमसे कौन सा युद्ध कर रहा था?'' गोडसे कहते हैं, ''विचारों का युद्ध''. इस पर गांधी की आवाज आती है, ''विचारों के युद्ध में हथियार नहीं विचार चलते हैं''. इसके बाद गांधी जी का पसंदीदा भजन ''रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम'' बैकग्राउंड में चलता है, जिसके साथ भारत की आजादी के दौरान हुई घटनाओं की कुछ तस्वीरें चलती हैं. जैसे कि चरखा चलाते गांधी, जवाहर लाल नेहरू, भीम राव आंबेडकर के साथ गोडसे की मीटिंग और गांधी-गोडसे की बातचीत की तस्वीरें हैं.

इसके साथ ही फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि नाथूराम गोडसे अखंड भारत के पक्षधर थे. वो भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के खिलाफ थे. इसके लिए उन्होंने गांधी जी से लेकर नेहरू, आंबेडकर और पटेल तक से बात की थी. वो भारत-पाक बंटवारे के बाद हुए नरसंहार से दुखी थे. इन सबके लिए गांधी जी को जिम्मेदार मानते थे. इतना ही नहीं देश की आजादी में गांधी की योगदान की झलकियां भी देखने को मिलती हैं. गांधी जी के नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा की तस्वीरें भी दिखाई गई हैं. सबसे अंत में गोडसे से गोली मारते हुए दिखाया गया है. इस तरह राजकुमार संतोषी महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के विचारों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हुए दिख रहे हैं.

इस फिल्म की कहानी राजकुमार संतोषी ने असगर वजाहत के साथ मिलकर लिखी है. दिल्ली स्थित जामिला मिलिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रह चुके असगर वजाहत तीन कहानी संग्रह, चार उपन्यास और छह नाटक लिख चुके हैं. इतना ही नहीं राजकुमार संतोषी के साथ उन्होंने कई फिल्मों के लिए लेखन का काम भी किया है. फिल्म का निर्देशन खुद संतोषी कर रहे हैं. संतोषी प्रोडक्शंस और पीवीआर पिक्चर्स के बैनर तले बन रही ये फिल्म 26 जनवरी, 2023 को रिलीज होगी. इसका सीधा मुकाबला शाहरुख खान की बहु प्रचारित फिल्म 'पठान' से होना है. बॉलीवुड बायकॉट मुहिम के बीच जिस तरह से 'पठान' के खिलाफ माहौल बन रहा है, उसमें 'गांधी गोडसे एक युद्ध' को फायदा होता दिख रहा है.



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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