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Farzi Public Review: शाहिद कपूर और विजय सेतुपति की वेब सीरीज मास्टरपीस है!

    • आईचौक
    • Updated: 10 फरवरी, 2023 08:05 PM
  • 10 फरवरी, 2023 08:05 PM
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Farzi Web series Public Review in Hindi: शाहिद कपूर और विजय सेतुपति की बहुप्रतीक्षित वेब सीरीज 'फर्जी' को अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम कर दिया गया है. राज और डीके के निर्देशन में बनी इस सीरीज की तारीफ हो रही है. सोशल मीडिया पर लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बीच इसे मास्टरपीस बताया जा रहा है.

देश में हर साल करोड़ों रुपए की कीमत के नकली नोट पकड़े जाते हैं. बड़ी संख्या में नकली नोट प्रचलन में हैं. ये न केवल लोगों के लिए परेशानी का सबब हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती हैं. बीते तीन साल में सुरक्षा एजेंसियों ने करीब 138 करोड़ रुपए के नकली नोट पकड़े हैं. नकली नोटों की सबसे ज्यादा खेप पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और बांग्लादेश के जरिए भेजी जाती है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में नोटबंदी की थी. उस वक्त 1000 और 500 के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था. नकली नोटों के इसी गोरखधंधे पर आधारित एक वेब सीरीज 'फर्जी' ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है.

मनोज बाजपेयी की मशहूर वेब सीरीज 'द फैमिली मैन' से धमाल मचाने वाले राज और डीके की वेब सीरीज 'फर्जी' के जरिए शाहिद कपूर और विजय सेतुपति ने ओटीटी डेब्यू किया है. इसमें इन दोनों के साथ केके मेनन, भुवन अरोड़ा, जाकिर हुसैन, जसवंत सिंह, अमोल पालेकर और राश‍ि खन्‍ना भी अहम भूमिका में हैं. शाहिद इस सीरीज के लिए लंबे समय से तैयार कर रहे थे. पिछले साल उनकी फिल्म 'जर्सी' के फ्लॉप होने के बाद उनके करियर पर संदेह पैदा होने लगा था, लेकिन इसी सीरीज में अपनी दमदार के जरिए उन्होंने साबित कर दिया है कि उनकी एक्टिंग में अभी बहुत जान बाकी है. एक पुलिस अधिकारी के किरदार में विजय सेतुपति ने भी गजब का काम किया है. लोग दोनों एक्टरों की शानदार एक्टिंग की जमकर तारीफ कर रहे हैं. हालांकि, कुछ लोगों का ये भी कहना है कि राज और डीके अपनी ही सीरीज 'द फैमिली मैन' के स्तर को नहीं छू पाए हैं.

वेब सीरीज 'फर्जी' को अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम कर दिया गया है.

सोशल मीडिया पर वेब सीरीज 'द फैमिली मैन' को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं...

देश में हर साल करोड़ों रुपए की कीमत के नकली नोट पकड़े जाते हैं. बड़ी संख्या में नकली नोट प्रचलन में हैं. ये न केवल लोगों के लिए परेशानी का सबब हैं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी बड़ी चुनौती हैं. बीते तीन साल में सुरक्षा एजेंसियों ने करीब 138 करोड़ रुपए के नकली नोट पकड़े हैं. नकली नोटों की सबसे ज्यादा खेप पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और बांग्लादेश के जरिए भेजी जाती है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2016 में नोटबंदी की थी. उस वक्त 1000 और 500 के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था. नकली नोटों के इसी गोरखधंधे पर आधारित एक वेब सीरीज 'फर्जी' ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही है.

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वेब सीरीज 'फर्जी' को अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम कर दिया गया है.

सोशल मीडिया पर वेब सीरीज 'द फैमिली मैन' को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही है. ट्विटर पर एक यूजर कुमार स्वयं ने इसे पांच में से तीन स्टार देते हुए लिखा है, ''कमाल की वेब सीरीज है. शाहिद कपूर अपनी शानदार एक्टिंग की वजह से चमक उठे हैं. बाकी कलाकारों जैसे कि विजय सेतुपति, केके मेनन, राशि खन्ना और भुवन अरोड़ा ने बेहतरीन काम किया है. सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्युजिक प्रभावित करती है. राज और डीके ने एक बार फिर अपने मजबूत निर्देशन के जरिए खुद को साबित किया है.'' दूसरे यूजर अभिजीत देसाई ने लिखा है, ''अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज फर्जी जरूर देखी जानी चाहिए. सभी कलाकारों ने अद्भुत अभिनय किया है. उनकी डायलॉग डिलीवरी भी शानदार है. केके मेनन को लंबे समय बाद पर्दे पर देखना अच्छा लगता है. शाहिद कपूर और विजय सेतुपति की उपस्थिति धांसू है.''

गूगल ऑडियंस रिव्यू में लोकेश ने इस वेब सीरीज को 5 में से 4 स्टार देते हुए लिखा है, ''राज और डीके द्वारा निर्देशित फर्जी को देखने लायक है. निर्देशक द्वय ने द फैमिली मैन के बाद एक बार फिर धमाल कर दिया है. पटकथा तेज है और संवाद बेहतरीन हैं. इसमें कलाकारों का चयन किरदारों के अनुकूल है. विजय सेतुपति और शाहिद कपूर का मजबूत अभिनय प्रदर्शन सीरीज की ताकत है, वास्तव में दोनों अभिनय में प्रतिस्पर्धा करते हैं, ट्रैफ़िक जाम वाले दृश्य पर अच्छी तरह से काम किया गया है, जबकि कई सीक्वेंस अच्छे हैं. कुछ नकारात्मक कमियां भी हैं, जिन्हें ठीक किया जा सकता है, लेकिन आकर्षक पटकथा ने उन कमियों को ढकने का काम किया है. कुल मिलाकर अच्छी तरह से लिखी गई राज और डीके की पटकथा और संवाद सीरीज देखने लायक बनाते है. यदि आपको ब्रेकिंग बैड पसंद है तो निश्चित रूप से आपको ये सीरीज पसंद आएगी.''

अंचल मिश्रा 'फर्जी' को 5 में से 5 स्टार देते हुए लिखा है, ''ये बहुत बहुत अच्छी वेब सीरीज है. सब कुछ है जो आपको स्टार्ट से एंड तक बांधेगा रखेगा. हर किरदार की अपनी कहानी है, अपनी यात्रा दिलचस्प है. सभी कहानियां इतनी खूबसूरती से बुनी गई हैं कि समझ ही नहीं आएगा हम सनी के साथ हैं, मंसूर या माइकल और मेघा के साथ हैं. बैकग्राउंड म्युजिक, डायलॉग, डायरेक्शन, स्टोरी सब बहुत हार्ड है. जरूप देखें. अभिनेता शीर्ष पायदान पर हैं.'' रहमत अली खान लिखते हैं, ''सही मायने में एक मास्टरपीस वेब सीरीज है. शाहिद कपूर और विजय सेतुपति इस शो के दिल और दिमाग हैं. जर्सी के खराब प्रदर्शन के बाद भी शाहिद ने अपने अभिनय कौशल से दर्शकों को निराश होने का मौका नहीं दिया है. वो कहीं भी किसी भी सीन में के के मेनन और विजय सेतुपति से कम नहीं दिखे हैं. राज और डीके की उत्कृष्ट पटकथा, कॉमेडी टाइमिंग और बीजीएम बेहतरीन है.''

एनबीटी में रोनक कोटेचा ने लिखा है, ''राज और डीके एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं, जिसमें रोमांच है, अपराध है और एक्‍शन भी है. नकली नोट बनाने की क्‍या जटिलताएं हैं, तकनीकी तौर पर यह कितना मुश्‍क‍िल है, छपाई के बाद इसे बांटने और देश की अर्थव्यवस्था में घुसपैठ करने तक, सीरीज में बड़े ही रोमांचक तरीके से इस खतरनाक खेल की बारीकियां दिखाई गई हैं. अध‍िकतर किरदार बड़े ही जरूरी और महत्‍वपूर्ण हैं. अच्‍छी बात यह कि हर किरदार को पर्दे पर पूरा वक्‍त दिया गया है. इन किरदारों की अपनी कहानियां हैं, जो मूल कहानी के साथ चलती रहती हैं. शाहिद कपूर बेहतरीन एक्‍टर हैं और उन्‍होंने यह बात एक बार फिर साबित की है. विजय सेतुपति ने अफसर माइकल के किरदार में अपने ट्रेडमार्क अंदाज में जान डाल दी है. कुल मिलाकर कहानी से लेकर एक्‍ट‍िंग और डायलॉगबाजी तक 'फर्जी' एक फ्रेश और बेहद दिलचस्प क्राइम-थ्रिलर है.''

डीबी में अमित कर्ण ने लिखा है, ''कृष्णा डीके और राज निदिमोरू की कहानियों में एडवेंचर और ह्यूमर की मारक जुगलबंदी रही है. वह उनकी शुरुआती फिल्मों से लेकर उनकी 'द फैमिली मैन’ सीरीज तक बरकरार थी. हालांकि यहां 'फर्जी’ में पहली बार उनका निशाना दोनों मोर्चे पर रफ्तार के मामले में चूका है. राज एंड डीके सधे हुए डायरेक्शन के लिए जाने जाते हैं. लेकिन यहां वह बिखरा हुआ नजर आता है. लेखन की कमजोरी के चलते सभी सधे हुए एक्टर्स छाप नहीं छोड़ पाए हैं. इस सीरीज का सब्जेक्ट जितना क्रिएटिव था स्टोरी उतनी ही बोरिंग और स्लो है. 8 एपिसोड की इस सीरीज में चंद एपिसोड के बाद केवल खानापूर्ति करने वाली कहानी मिलती है. स्टोरी इतनी लिमिटेड है कि अगर ये चंद घंटों की फिल्म होती तो ज्यादा बेहतर होता. राज और डीके की पहचान द फैमिली मैन जैसी सीरीज है, हालांकि फर्जी के जरिए ये वो बैंचमार्क टच नहीं कर सके हैं.''


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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