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डॉली, किट्टी के बहाने भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन ‘महिला ख्वाहिशों’ की अलग पहचान बनेंगी

    • ओम प्रकाश धीरज
    • Updated: 05 सितम्बर, 2020 10:24 PM
  • 05 सितम्बर, 2020 10:24 PM
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नेटफ्लिक्स (Netflix) पर 18 सितंबर को भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) और कोंकणा सेन शर्मा (Konkona Sen Sharma) की क्रांतिकारी फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे (Dolly Kitty Aur Woh Chamakte Sitare) रिलीज हो रही है, जिसमें महिलाओं की अनगिनत ख्वाहिशों में से कुछ ऐसी चाहतों की झलक दिखती है, जिसपर पुरुषवादी समाज को भयंकर आपत्ति होती है.

‘दुनिया का हर चौथा आदमी अपनी महिला पार्टनर से फोन सेक्स की डिमांड करता है, अगर यह सुविधा महिलाओं के लिए होती तो कितना अच्छा होता!’ यह एक वाक्य महिलाओं की ख्वाहिशों और जरूरतों में से एक यानी दैहिक जरूरत और किसी के भावनात्मक साथ का बेहतर वर्णन करता है. ख्वाहिश तो हर किसी की होती है, चाहे वह पुरुष हो या महिला, ऐसे में आज नहीं तो कल महिलाएं भी अपनी यौन इच्छाओं और जरूरतों के बारे में बोलेंगी ही, चाहे वह किसी मर्द से बोलें या अपनी दोस्त या छोटी-बड़ी बहन से. नेटफ्लिक्स पर इस महीने रिलीज हो रही डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे फ़िल्म भी महिलाओं की इन्हीं ख्वाहिशों और जरूरतों के साथ ही चुनौतियों और मुश्किलों की कहानी है, जिसमें इतने ट्विस्ट और टर्न हैं कि पुरुषवादी समाज की सोच हादसे का शिकार हो जाए.

फ़िल्मों के साथ ही ऑल्ट बालाजी पर तरह-तरह की यौन प्रधान वेब सीरीज बनाने वालीं फेमस प्रोड्यूसर एकता कपूर द्वारा निर्मित और लिपस्टिक अंडर माई बुर्का जैसी बोल्ड फ़िल्म बनाने वालीं अलंकृता श्रीवास्तव एक बार फिर डॉली और किट्टी फिल्म के जरिये हंगामा मचाने वाली है. डॉली किट्टी और चमकते सितारे 19 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो रही है. फिलहाल तो डॉली और किट्टी का ट्रेलर रिलीज हो चुका है, जो कि बेहद जबरदस्त है, जिसमें भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा के साथ ही विक्रांत मेसी, आमिर बशीर, अमोल पालेकर के साथ ही कुब्रा सैत और करण कुंद्रा हंगामा मचाते नजर आ रहे हैं. महिला प्रधान फ़िल्म बनाने वाली अलंकृता श्रीवास्तव एक बार फिर ऐसे विषय पर फ़िल्म लेकर आ रही हैं, जिसपर चर्चा करने से भी महिलाएं घबराती हैं और यह भारतीय समाज में जैसे किसी अपराध बोध जैसा लगता है. हम बात कर रहे हैं महिलाओं की यौन इच्छाओं को जाहिर करने की प्रवृति की, जो कि भारतीय समाज में सामान्य नहीं है.

कहानी नई नहीं, लेकिन ट्रींटमेंट में नयापन जरूर है

भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा की प्रमु्ख भूमिका वाली फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे महिला ख्वाहिशों की...

‘दुनिया का हर चौथा आदमी अपनी महिला पार्टनर से फोन सेक्स की डिमांड करता है, अगर यह सुविधा महिलाओं के लिए होती तो कितना अच्छा होता!’ यह एक वाक्य महिलाओं की ख्वाहिशों और जरूरतों में से एक यानी दैहिक जरूरत और किसी के भावनात्मक साथ का बेहतर वर्णन करता है. ख्वाहिश तो हर किसी की होती है, चाहे वह पुरुष हो या महिला, ऐसे में आज नहीं तो कल महिलाएं भी अपनी यौन इच्छाओं और जरूरतों के बारे में बोलेंगी ही, चाहे वह किसी मर्द से बोलें या अपनी दोस्त या छोटी-बड़ी बहन से. नेटफ्लिक्स पर इस महीने रिलीज हो रही डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे फ़िल्म भी महिलाओं की इन्हीं ख्वाहिशों और जरूरतों के साथ ही चुनौतियों और मुश्किलों की कहानी है, जिसमें इतने ट्विस्ट और टर्न हैं कि पुरुषवादी समाज की सोच हादसे का शिकार हो जाए.

फ़िल्मों के साथ ही ऑल्ट बालाजी पर तरह-तरह की यौन प्रधान वेब सीरीज बनाने वालीं फेमस प्रोड्यूसर एकता कपूर द्वारा निर्मित और लिपस्टिक अंडर माई बुर्का जैसी बोल्ड फ़िल्म बनाने वालीं अलंकृता श्रीवास्तव एक बार फिर डॉली और किट्टी फिल्म के जरिये हंगामा मचाने वाली है. डॉली किट्टी और चमकते सितारे 19 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो रही है. फिलहाल तो डॉली और किट्टी का ट्रेलर रिलीज हो चुका है, जो कि बेहद जबरदस्त है, जिसमें भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा के साथ ही विक्रांत मेसी, आमिर बशीर, अमोल पालेकर के साथ ही कुब्रा सैत और करण कुंद्रा हंगामा मचाते नजर आ रहे हैं. महिला प्रधान फ़िल्म बनाने वाली अलंकृता श्रीवास्तव एक बार फिर ऐसे विषय पर फ़िल्म लेकर आ रही हैं, जिसपर चर्चा करने से भी महिलाएं घबराती हैं और यह भारतीय समाज में जैसे किसी अपराध बोध जैसा लगता है. हम बात कर रहे हैं महिलाओं की यौन इच्छाओं को जाहिर करने की प्रवृति की, जो कि भारतीय समाज में सामान्य नहीं है.

कहानी नई नहीं, लेकिन ट्रींटमेंट में नयापन जरूर है

भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा की प्रमु्ख भूमिका वाली फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे महिला ख्वाहिशों की ऐसी दास्तां पेश करेगी, जिनमें दो कजिन बहनें एक-दूसरे से हर तरह की बातें कर लेती हैं, घूम फिर सकती है, विवाहेत्तर संबंध बनाती हैं और कॉल सेंटर में नौकरी कर रात में लड़कों को फोन पर प्यार और सेक्स की दुनिया से रूबरू कराती है. कहानी नई नहीं, लेकिन इसके ट्रींटमेंट में जरूर नयापन है. तो कहानी कुछ इस तरह है कि डॉली (कोंकणा सेन शर्मा) और काजोल उर्फ किट्टी (भूमि पेडनेकर) कजिन बहने हैं. डॉली की शादी हो चुकी है और वह नोएडा में रहती है. बाद में किट्टी भी नौकरी की तलाश में नोएडा आ जाती है और अपनी दीदी डॉली के यहां ही रहती है. डॉली का पति (आमिर बशीर) किट्टी पर भी डोरे डालने की कोशिश करता है, जिसको लेकर एक दिन किट्टी डॉली को बोल देती है कि जीजाजी मुझसे सेक्स करना चाहते हैं. अलंकृता ने इस सामान्य दृश्य में समाज की एक ऐसी हकीकत लोगों के सामने लाकर रख दी, जिसे न चाहते भी समाज को स्वीकार करना पड़ेगा कि ‘साली आधी घरवाली’ जैसी बात का कितना भयावह रूप देखने को मिलता है.

कहानी आगे कुछ इस तरह बढ़ती है कि एक बच्चे की मां डॉली की जिंदगी में जिस तरह उम्र बढ़ रही है, वैसे ही जरूरतें भी बढ़ रही हैं और यह बेहद प्राकृतिक है, चाहे वह शारीरिक जरूरतें ही क्यों न हों. पतिदेव डॉली की यह ख्वाहिश पूरी करने में नाकाम साबित होते हैं और डॉली का दिल एक डिलिवरी बॉय पर आ जाता है, जो आगे चलकर डॉली की हर जरूरत का ध्यान रखने लगता है. उधर किट्टी फोन पर लड़कों की रातें रंगीन कर रही होती है और इस नौकरी के बारे में जानकर डॉली को काफी बुरा लगता है. लेकिन किट्टी इसकी परवाह किए बगैर अपना काम करती जाती है. किट्टी को एक लड़के (विक्रांत मेसी) से फोन पर ही प्यार हो जाता है और फिर किट्टी की दुनिया भी हसीन हो जाती है. कितना ठीक चल रहा है न सबकुछ. तो आइए, इसमें कुछ ट्विस्ट डालते हैं. तो होता कुछ यूं है कि एक तरह जहां डॉली के पति को अपनी पत्नी के विवाहेत्तर संबंध के बारे में पता चल जाता है, वहीं किट्टी को ये पता चल जाता है कि वह जिस लड़के से प्यार कर रही है, उसका टांका तो कहीं और ही भिड़ा हुआ है. लीजिए, फिर हंगामा शुरू. इसके बाद क्या हो सकता है, इसका अंदाजा तो आप लगा ही सकते हैं. हम आपको कुछ और बताते हैं, जिससे आपको पता चलेगा कि यौन इच्छा क्या है और इसे जाहिर करने से क्या-क्या हो सकता है.

डॉली और किट्टी की चाहत का सिला क्या?

हकीकत कुछ ऐसी है कि जिस तरह लड़के की शारीरित जरूरत होती है, वैसे ही लड़कियों की भी होती है, चाहे उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो. अलंकृता ने डॉली के एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स को दिखाकर समाज की ऐसी सच्चाई दिखा दी है, जिसका दायरा समय के साथ बढ़ता जा रहा है. और यह महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में है. अपने पार्टनर के साथ विश्वास की कमी हो या शारीरिक संतुष्टि की चाहत, पुरुषों और महिलाओं की ये भावनाएं अब खुलकर सामने आने लगी हैं और एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर्स से रिश्ते भी प्रभावित होने लगे हैं. जिस तरह सबकुछ पता चलने के बाद डॉली और किट्टी की जिंदगी में भूचाल आ जाता है, उसी तरह हमारे-आपके आसपास भी कुछ उदाहरण दिख ही जाते हैं. दरअसल, ये एक सच्चाई बनकर अब लोगों के साामने आने लगी हैं और महिलाएं अपनी यौन इच्छाओं को जाहिर करने लगी हैं, जिससे पुरुषवादी सोच में और हंगामा मचने लगा है. डॉली किट्टी और चमकते सितारे में प्यार, ख्वाहिश, अपनापन, केयरिंग नेचर के साथ ही दुख, जुदाई, शिकवा और अपराध बोध जैसी अनगिनत भावनाएं हैं, जिसे देखकर आपको भले कुछ समय के लिए अजीब लगे, लेकिन जब आप दिमाग पर जोर देंगे तो लगेगा कि यार ये ऐसा मसला है, जो किसी के साथ भी हो सकता है. इसमें कोई पूरी तरह गलत या पूरी तरह सही नहीं हो सकता.

अलंकृता फिर से हंगामा मचाने वाली हैं

दरअसल, भारतीय समाज का ढांचा परंपरा, तहजीब, संस्कार और न जाने कितने मानवीय मूल्यों से जुड़ीं भावनाओं को आत्मसात किए हुए है, जिसमें औरतों से एक निश्चित संस्कार और तहजीब की उम्मीद की जाती है. लेकिन जब महिलाएं अपने अरमानों के बारे में बताने लगती हैं तो फिर लोगों की भौंहे चढ़ने लगती है और उससे बाद क्या-क्या होता है, ये सबको पता है. अलंकृता श्रीवास्तव और एकता कपूर की फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे फिल्म में विक्रांत मेसी और अमोल पराशर सितारे की तरह आते हैं, जिनमें डॉली और किट्टी का घर रोशन तो होता है, लेकिन बाद में उनकी जिंदगी में अमावश्या की रात का साया 15 दिनों की अवधि से निकलकर आजीवन हो जाता है. क्या डॉली और किट्टी के सितारे गर्दिश में ही रह जाते हैं या काले साये से उनका दामन दूर हो पाता है, यह 18 सितंबर को नेटफ्लिक्स पर पता चलेगा. अलंकृता की यह फ़िल्म उनकी आखिरी फ़िल्म लिपस्टिक अंडर माई बुर्का से बोल्डनेस के मामले में कहीं आगे है, जिसपर आने वाले समय में आपत्तियां भी जताई जा सकती हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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