• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

पठान vs सर्कस: दीपिका की दो फिल्मों की दो तस्वीरों से भी समझ सकते हैं बॉलीवुड की असल बीमारी?

    • आईचौक
    • Updated: 21 दिसम्बर, 2022 03:11 PM
  • 21 दिसम्बर, 2022 02:13 PM
offline
बेशरम रंग में कला और अश्लीलता के फर्क को समझना है तो कहीं दूर ना जाकर दीपिका पादुकोण के ही एक और आइटम नंबर करंट लागा रे से समझ सकते हैं. करंट लागा रे रोहित शेट्टी की सर्कस का गाना है. सर्कस इसी शुक्रवार को सिनेमाघर में रिलीज होने जा रही है.

रोहित शेट्टी के निर्माण-निर्देशन में बनी पीरियड कॉमेडी ड्रामा सर्कस रिलीज के लिए तैयार है. इसी शुक्रवार क्रिसमस डे वीक पर सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है फिल्म. असल में सर्कस मल्टीएक्टर्स पीरियड ड्रामा है. इसमें रणवीर सिंह, पूजा हेगड़े, जैकलीन फर्नांडीज और वरुण शर्मा अहम भूमिकाओं में हैं. बॉलीवुड के कई दिग्गज कैरेक्टर आर्टिस्ट भी कॉमिक किरदारों में नजर आएंगे. रणवीर की भूमिका हैं और उनकी पत्नी दीपिका पादुकोण भी मेहमान कलाकार की हैसियत से नजर आने वाली हैं. उनपर फिल्म का एक डांस नंबर 'करंट लागा रे' फिल्माया गया है. सर्कस का गाना पहले ही रिलीज हो चुका है. गाने में रियल लाइफ कपल की केमिस्ट्री लोगों के आकर्षण का विषय है.

सर्कस की रिलीज से पहले यह गाना एक बार फिर लोगों की जेहन में ताजा हो रहा है. बावजूद कि इसकी बड़ी वजह सर्कस नहीं बल्कि शाहरुख खान की पठान के गाने बेशरम रंग पर छिड़ा विवाद है. बेशरम रंग को दीपिका के ऊपर एक बीच सीक्वेंस के रूप में फिल्माया गया है. बेशरम रंग भी डांस नंबर बताया जा रहा है. हालांकि गाने में दीपिका ने जिस तरह बिकिनी में भड़काऊ स्टेप्स किए हैं बहुतायत लोगों को पसंद नहीं आया है. बावजूद कि उसे पसंद करने वाले और आलोचनाओं को खारिज करने वाले भी कम नहीं हैं. असल में गाने गाने का बोल बेशरम रंग हैं और दीपिका भगवा रंग की बिकनी में शाहरुख के साथ बहुत उत्तेजक स्टेप्स करते दिख रही हैं. गाने की धुन-बोल पर भी कॉपी करने के आरोप लग रहे हैं. बहुत सारे लोगों की शिकायत यह भी है कि गाने में दम ही नहीं है. बस दीपिका के अंग प्रदर्शन और प्रचार के लिए जानबूझकर कंट्रोवर्सी क्रिएट की गई है. कंट्रोवर्सी ने गाने को हाइप भी खूब दी.

दीपिका पादुकोण का एक आइटम नंबर सर्कस में भी है. यह बेशरम रंग से कितना अलग है.

अब जबकि सर्कस...

रोहित शेट्टी के निर्माण-निर्देशन में बनी पीरियड कॉमेडी ड्रामा सर्कस रिलीज के लिए तैयार है. इसी शुक्रवार क्रिसमस डे वीक पर सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है फिल्म. असल में सर्कस मल्टीएक्टर्स पीरियड ड्रामा है. इसमें रणवीर सिंह, पूजा हेगड़े, जैकलीन फर्नांडीज और वरुण शर्मा अहम भूमिकाओं में हैं. बॉलीवुड के कई दिग्गज कैरेक्टर आर्टिस्ट भी कॉमिक किरदारों में नजर आएंगे. रणवीर की भूमिका हैं और उनकी पत्नी दीपिका पादुकोण भी मेहमान कलाकार की हैसियत से नजर आने वाली हैं. उनपर फिल्म का एक डांस नंबर 'करंट लागा रे' फिल्माया गया है. सर्कस का गाना पहले ही रिलीज हो चुका है. गाने में रियल लाइफ कपल की केमिस्ट्री लोगों के आकर्षण का विषय है.

सर्कस की रिलीज से पहले यह गाना एक बार फिर लोगों की जेहन में ताजा हो रहा है. बावजूद कि इसकी बड़ी वजह सर्कस नहीं बल्कि शाहरुख खान की पठान के गाने बेशरम रंग पर छिड़ा विवाद है. बेशरम रंग को दीपिका के ऊपर एक बीच सीक्वेंस के रूप में फिल्माया गया है. बेशरम रंग भी डांस नंबर बताया जा रहा है. हालांकि गाने में दीपिका ने जिस तरह बिकिनी में भड़काऊ स्टेप्स किए हैं बहुतायत लोगों को पसंद नहीं आया है. बावजूद कि उसे पसंद करने वाले और आलोचनाओं को खारिज करने वाले भी कम नहीं हैं. असल में गाने गाने का बोल बेशरम रंग हैं और दीपिका भगवा रंग की बिकनी में शाहरुख के साथ बहुत उत्तेजक स्टेप्स करते दिख रही हैं. गाने की धुन-बोल पर भी कॉपी करने के आरोप लग रहे हैं. बहुत सारे लोगों की शिकायत यह भी है कि गाने में दम ही नहीं है. बस दीपिका के अंग प्रदर्शन और प्रचार के लिए जानबूझकर कंट्रोवर्सी क्रिएट की गई है. कंट्रोवर्सी ने गाने को हाइप भी खूब दी.

दीपिका पादुकोण का एक आइटम नंबर सर्कस में भी है. यह बेशरम रंग से कितना अलग है.

अब जबकि सर्कस रिलीज होने वाली है और बेशरम रंग भी आ चुका है- दोनों गानों के विजुअल सामने रखकर, दो फिल्मों के मेकर्स के अप्रोच पर सवाल किए जा रहे हैं. एक्टर्स की ड्रेस, बोल, धुन, डांस स्टेप के आधार पर दोनों फिल्मों पर तुलनात्मक बातचीत हो रही है. अगर दोनों गानों को देखा जाए तो दोनों को मसालेदार ही कहा जाएगा. लेकिन दोनों गानों की प्रस्तुति में जमीन आसमान का अंतर साफ़ नजर आता है. सर्कस के गाने में दीपिका ने ब्लाउज और साड़ी पहना है. हालांकि साड़ी उन्होंने पारंपरिक अंदाज में नहीं पहना है. मगर ख़ूबसूरत दीपिका इसमें भी बहुत आकर्षक नजर आ रही हैं. सर्कस के गाने करंट लागा रे की बीट भी बहुत तेज है और रणवीर-दीपिका की डांस केमिस्ट्री देही खते बन रही है. गाने पर रोहित शेट्टी का प्रभाव साफ नजर आ रहा है.

क्या स्त्री देह को लेकर किसी ख़ास तबके की यौन कुंठा को टिकट खिड़की पर भुनाना चाहते हैं शाहरुख?

जबकि बेशरम रंग में दीपिका ने अलग-अलग रंग की बिकिनी पहनी है. गाने पर उनके डांस स्टेप्स रूटीन नहीं हैं. हो सकता है कि यह कोई कलात्मक प्रयोग हो जिसे तमाम लोग बहुत पिछड़ा होने या फिर दुनियादारी को लेकर तमाम चीजें समझ नहीं पा रहे हो. बावजूद बेशरम रंग में दीपिका को जिस तरह ऑब्जेक्ट के रूप में प्रस्तुत किया गया है तमाम लोग उसे डांस नंबर की बजाए जानबूझकर किया गया अंग प्रदर्शन करार दे रहे हैं. ऐसा अंग प्रदर्शन जिसका उद्देश्य दर्शकों के एक तबके की यौन कुंठा को टिकट खिड़की पर भुनाना है. बेशरम रंग में दीपिका को देखकर लोगों का कहना है कि असल में यह उन दर्शकों को ललचाने का उपक्रम है जो अब तक औरतों के शरीर के बारे में नहीं जानते और उन्हें दूसरे ग्रह का जीव समझते हैं.

कुछ लोगों की नजर में यह कोई कला नहीं बल्कि एक मानसिक बीमारी है. अफसोस यह है कि जो लोग कला के नाम पर मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं उन्हें कोई समझा भी नहीं सकता कि आप दिमागी रूप से बीमार है. दीपिका के ही गाने करंट लागा रे से तुलना में सवाल स्वाभाविक है कि बेशरम रंग में आखिर कौन सी कलात्मकता है? लोग कह भी रहे हैं कि ट्रिक्स से सफलता पाने की कोशिश का नतीजा है कि यशराज फिल्म्स पिछले एक दशक में कुछेक मौकों को छोड़ दें तो उसने ब्लॉकबस्टर नहीं दी है. एक दो ब्लॉकबस्टर (धूम 3, सुल्तान, टाइगर ज़िंदा है, वॉर) को छोड़कर इक्का-दुक्का औसत हिट (मर्दानी, दम लगा के हइशा, हिचकी, सुई धागा) शामिल हैं.

जबकि पिछले 11 साल में यशराज ने 27 फ़िल्में की हैं और इसमें कई ऐसी फ़िल्में हैं जो टिकट खिड़की पर बड़ा डिजास्टर साबित हुई हैं. टिकट खिड़की पर यशराज का सक्सेस रेट औसत से भी खराब कहा जा सकता है. लोगों का कहना है कि यशराज के फिल्मों की हालत असल में सस्ते ट्रिक्स के जरिए सक्सेस हासिल करने का नतीजा है. इंटरनेट से पहले के दौर में प्रमोशन आदि वजहों से बड़े बैनर तमाम चीजें पैसों के दम पर मैनेज कर लेते थे. लेकिन अब संभव नहीं है. इंटरनेट के दौर में व्यापक रूप से यौनकुंठा जैसी चीज रही नहीं. लोग ओटीटी पर ज्यादा बोल्ड कॉन्टेंट देख रहे हैं और उन्हें कला क्या है और अश्लीलता क्या है - अब बेहतर जानकारी है.

करंट लागा रे नीचे देख सकते हैं:-

फैमिली ऑडियंस को फोकस करने वाले रोहित शेट्टी की फिल्मों का मंत्र बिल्कुल साफ़ है

जबकि पिछले 11 साल में रोहित शेट्टी की फिल्मों को देखें तो सर्कस समेत करीब 9 फ़िल्में आई हैं. इसमें शाहरुख-वरुण के साथ आई रोमांटिक कॉमेडी दिलवाले को छोड़ दिया जाए तो लगभग सभी फ़िल्में या तो ब्लॉकबस्टर हुई हैं या सुपरहिट. अपनी फिल्म मेकिंग की वजह से रोहित शेट्टी का सक्सेस रेट लगभग 90 प्रतिशत से ऊपर है. अगर रोहित शेट्टी की फिल्मों को देखें तो उन्होंने ग्लैमर का भरपूर इस्तेमाल किया है मगर कहीं से भी ऐसा नहीं दिखता कि अंग प्रदर्शन के ट्रिक से फ़िल्में हिट कराने की कोशिश की गई हो. असल में रोहित फैमिली ऑडियंस को फोकस करते हैं. बतौर फिल्ममेकर फैमिली ऑडियंस उनकी कामयाबी का सबसे बड़ा आधार भी हैं.

यहां तक कि जब 2013 में रोहित शेट्टी ने शाहरुख और दीपिका पादुकोण को लेकर चेन्नई एक्सप्रेस के रूप में ब्लॉकबस्टर रोमांटिक कॉमेडी बनाई थी इसे भी दर्शकों ने खूब पसंद किया था. चेन्नई एक्सप्रेस में कहीं भी नजर नहीं आता कि रोहित ने शाहरुख के अपोजिट दीपिका की देह को भुनाकर दर्शकों को आकर्षित करने की कोशिश की हो. किसी भी फिल्म में उनकी हीरोइनों को देखकर वल्गारिटी के आरोप नहीं लगाए जा सकते. बावजूद उनकी हीरोइनें परदे पर उतनी ही आधुनिक और ख़ूबसूरत नजर आई हैं हकीकत में वे जितनी हैं. तुलनात्मक चीजों से स्पष्ट हो जाता है कि रोहित के लिए फिल्ममेकिंग और उनका टारगेट ऑडियंस क्या है? इनकी फ़िल्में कल्चरली साउदर्न स्टेट से आने वाली फिल्मों से प्रेरित दिखती हैं.

रोहित की फ़िल्में देखकर समझा जा सकता है बॉलीवुड कहां बर्बाद हुआ?

हो सकता है कि यह भी एक बड़ी वजह हो कि जब दक्षिण की अंधी में बॉलीवुड के तमाम 100 करोड़ी एक्टर्स की फ़िल्में तिनके की तरह उड़ती नजर आती हैं, रोहित शेट्टी की फिल्मों ने रिकॉर्डतोड़ वह भी लगातार- फिल्म ट्रेड सर्किल को हैरान करके रख दिया. ज्यादा दूर क्यों जाना. पिछले साल आई रोहित शेट्टी की सूर्यवंशी ऐसी ही एक फिल्म है. कोरोना की वजह से सिनेमाघरों की हालत खराब थी. कई जगह सिनेमाघर बंद थे. ज्यादातर जगहों पर 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ शोकेसिंग का नियम था. बावजूद सूर्यवंशी ने देसी बॉक्सऑफिस पर कमाई के कीर्तिमान बनाए. सूर्यवंशी ने घरेलू बाजार में 196 करोड़ रुपये कमाए थे. जिस हालात में यह कलेक्शन आया वह अपने आप में एक रिकॉर्ड है.

सर्कस का हश्र क्या होगा यह इसी वीकएंड पता चल जाएगा. पठान रिपब्लिक डे वीक पर आ रही है. पठान के कॉन्टेंट को लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा है. देखने वाली बात रहेगी कि दर्शक फिल्म को किस तरह से लेते हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲