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Criminal Justice के बहाने घरेलू हिंसा के दर्द को बयां करते पंकज त्रिपाठी

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 28 दिसम्बर, 2020 07:29 PM
  • 28 दिसम्बर, 2020 07:29 PM
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पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi In Criminal Justice) की वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस (Criminal Justice) रिलीज हो ही गयी. जैसी ये सीरीज है इसमें घरेलू हिंसा (Domestic Violence) को एक बिलकुल अलग अंदाज में पेश किया गया है. सीरीज में एक्टिंग के मद्देनजर ऐसा बहुत कुछ है जिसको देखकर दर्शकों के रौंगटे खड़े हो जाएंगे.

Criminal Justice Review: चाहे बड़ा हो या छोटा. आप अखबार उठाइये. कहीं महिला को सास और ननद द्वारा सिर्फ इसलिए पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी जाती है क्योंकि वो अपने साथ गहने, टीवी फ्रिज और वाशिंग मशीन नहीं लाई होती है. या फिर कहीं नई बहू सिर्फ इसलिए प्रताड़ना का शिकार होती है क्योंकि वो सब कुछ तो लाई लेकिन उसके पिता ने उसे कार या फिर मोटर सायकिल नहीं दी. या फिर वो खबर जहां महिला को सिर्फ इसलिए तमाम तरह की ज्यादतियों का सामना करना पड़ता है क्यों कि उसके पति का बाहर किसी दूसरी महिला से चक्कर है. बावजूद इसके कि सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं अखबार और न्यूज़ चैनल भरे पड़े हैं उन खबरों से जो घरेलू हिंसा से जुड़ी हैं. बात अगर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की हो तो घरेलू हिंसा के मुद्दे ने हमेशा ही दर्शकों का ध्यान खींचा है और निर्माता निर्देशकों को फायदा पहुंचाया है. चूंकि ये मुद्दा हमेशा ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद रहा है तो एक बार फिर पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi In Criminal Justice) की वेब सीरीज 'क्रिमिनल जस्टिस' के जरिये इसे दोबारा कैश कराने की कोशिश हुई है.

अपने आप में परफेक्ट एंटरटेनर है डिज्नी हॉटस्टार की वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस

क्रिमिनल जस्टिस एक ऐसी वेब सीरीज है जिसमें आप देखेंगे कि कैसे बार बार शोषण का शिकार एक महिला असहज होकर एक ऐसा कदम उठाती है जो उसकी पूरी जिंदगी को पल भर में बदल कर रख देता है. सीरीज बताती है कि किसी भी तरह के शोषण या ये कहें कि घरेलू हिंसा का शिकार हो रही महिला हर रोज तिल तिल मरती है और ये एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति तब तक नहीं उभर सकता जबतक उसे मिल रहा सपोर्ट सिस्टम बहुत ज्यादा मजबूत न हो.

क्या है कहानी

'क्रिमिनल जस्टिस' की कहानी घूमती है अनु चंद्रा नाम की महिला के...

Criminal Justice Review: चाहे बड़ा हो या छोटा. आप अखबार उठाइये. कहीं महिला को सास और ननद द्वारा सिर्फ इसलिए पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी जाती है क्योंकि वो अपने साथ गहने, टीवी फ्रिज और वाशिंग मशीन नहीं लाई होती है. या फिर कहीं नई बहू सिर्फ इसलिए प्रताड़ना का शिकार होती है क्योंकि वो सब कुछ तो लाई लेकिन उसके पिता ने उसे कार या फिर मोटर सायकिल नहीं दी. या फिर वो खबर जहां महिला को सिर्फ इसलिए तमाम तरह की ज्यादतियों का सामना करना पड़ता है क्यों कि उसके पति का बाहर किसी दूसरी महिला से चक्कर है. बावजूद इसके कि सरकार ने सख्त कानून बनाए हैं अखबार और न्यूज़ चैनल भरे पड़े हैं उन खबरों से जो घरेलू हिंसा से जुड़ी हैं. बात अगर एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की हो तो घरेलू हिंसा के मुद्दे ने हमेशा ही दर्शकों का ध्यान खींचा है और निर्माता निर्देशकों को फायदा पहुंचाया है. चूंकि ये मुद्दा हमेशा ही एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद रहा है तो एक बार फिर पंकज त्रिपाठी (Pankaj Tripathi In Criminal Justice) की वेब सीरीज 'क्रिमिनल जस्टिस' के जरिये इसे दोबारा कैश कराने की कोशिश हुई है.

अपने आप में परफेक्ट एंटरटेनर है डिज्नी हॉटस्टार की वेब सीरीज क्रिमिनल जस्टिस

क्रिमिनल जस्टिस एक ऐसी वेब सीरीज है जिसमें आप देखेंगे कि कैसे बार बार शोषण का शिकार एक महिला असहज होकर एक ऐसा कदम उठाती है जो उसकी पूरी जिंदगी को पल भर में बदल कर रख देता है. सीरीज बताती है कि किसी भी तरह के शोषण या ये कहें कि घरेलू हिंसा का शिकार हो रही महिला हर रोज तिल तिल मरती है और ये एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति तब तक नहीं उभर सकता जबतक उसे मिल रहा सपोर्ट सिस्टम बहुत ज्यादा मजबूत न हो.

क्या है कहानी

'क्रिमिनल जस्टिस' की कहानी घूमती है अनु चंद्रा नाम की महिला के इर्द गिर्द. अनु को उसके पति द्वारा शारीरिक, आर्थिक, मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है और ये सब बहुत लंबे समय से चल रहा होता है. अपने साथ हो रहे शोषण का अनु पर कुछ ऐसा असर होता है कि उसे मनोचिकित्सक की मदद लेनी पड़ जाती है. मनोचिकित्सक अनु का इलाज तो कर रहा होता है लेकिन क्यों कि घरेलू हिंसा की कहानी रोज की है, उस इलाज का अनु पर कोई असर नहीं होता. सीरीज में दिखाया गया है कि अनु बार बार मदद के लिए मनोचिकित्सक के पास जाती है इसलिए एक समय वो भी आता है जब उसके और डॉक्टर के बीच अवैध संबंध स्थापित हो जाते हैं.

बाद में अनु को अपनी गलती का एहसास होता है मगर तब तक बहुत देर हो जाती है. अच्छा चूंकि अनु और उसके पति के बीच मारपीट रोज मर्रा की बात थी एक दिन उससे एक बहुत बड़ी गलती हो जाती है और वो अपने पति की हत्या को अंजाम दे देती है. अनु को अपनी गलती का एहसास होता है और वो जुर्म को स्वीकार कर लेती है. कहानी का यही भाग इस वेब सीरीज की जान है. ये पोर्शन कहानी का वो टर्निंग पॉइंट है जहां एक ऐसे अपराधी को न्याय दिलाने का प्रयास किया जा रहा है जो दरअसल अपराधी है ही नहीं. कहानी में कई मौके ऐसे आएंगे जहां एक दर्शक के रूप में आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि आखिर अनु के साथ हुआ क्या.

सीरीज देखते हुए तमाम मौके ऐसे भी आएंगे जब हमें महसूस होगा कि एक पुरुष प्रधान समाज के रूप में हमारा समाज कुंठाओं के किस लेवल से भरा पड़ा है. सीरीज देखते हुए ये भी साफ है कि विकास की इतनी बड़ी बड़ी बातों और बराबरी के दावों के बीच आज भी हमारा समाज एक महिला को सिर्फ और सिर्फ भोग की वस्तु मानता है और उसे महसूस होता है कि अपने जुल्म ओ सितम से एक महिला को वो कितना भी क्यों न दबा ले मगर बात जब इंसाफ की आएगी तो अदालत, कानून सब उसी के साथ है.

बात घरेलू हिंसा और शोषण से निकलकर अदालत और कानून पर आ गयी है तो हमारे लिए पंकज त्रिपाठी का जिक्र करना बहुत ज़रूरी हो जाता है. पंकज इस सीरीज में एक ऐसे वकील माधव मिश्रा का किरदार निभा रहे हैं जिसका काम हत्या के आरोप में जेल में बंद अनु को इंसाफ दिलाना है.

तो क्या अनु को इंसाफ मिल पाएगा? क्या अपनी ज़िंदगी में इतना कुछ झेल चुकी अनु बाइज्जत छूट जाएगी? सवाल तमाम हैं जिनके जवाबों के लिए हमें सीरीज देखनी होगी.

कैसी है एक्टिंग

भले ही इस सीरीज में घरेलू हिंसा के रूप में एक बरसों पुराने मुद्दे को पेश किया गया हो लेकिन जब बात एक्टिंग की आएगी तो वो तमाम लोग जिन्होंने इस सीरीज में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है सबका काम मंत्रमुग्ध करके रख देने वाला है. सीरीज में शामिल कलाकारों की एक्टिंग बेमिसाल है. चाहे वो वकील के रोल में पंकज त्रिपाठी हों या फिर अनुप्रिया गोयनका और आशीष विद्यार्थी सबका काम महफ़िल लूट कर रख देने वाला है.

जैसी एक्टिंग इस सीरीज में एक वकील के रूप में पंकज त्रिपाठी ने की है आप हैरत करेंगे कि एक एक्टर के रूप में पंकज कितने वर्सेटाइल हैं पंकज के अलावा चाहे वो दीप्ति नवल हों या फिर मीता वशिष्ठ और जिशु सेन गुप्ता काम सबका शानदार है. बाकी हम फिर उसी चीज को दोहराएंगे कि सारी चीजें और स्टारकास्ट एक तरफ है पंकज त्रिपाठी और कीर्ति कुल्हारी दूसरी तरफ. आप इस सीरीज को देखिए. ज़रूर देखिये और पंकज त्रिपाठी और कीर्ति की शानदार एक्टिंग के लिए देखिये.

सीरीज में कीर्ति की एक्टिंग पर बात इसलिए भी होनी चाहिए क्योंकि जिस सौम्यता से उन्होंने इतने बड़े कैरेक्टर को निभाया और एक महिला के दुख दर्द को बताया वो कई मायनों में रौंगटे खड़े कर देने वाला है. कहना गलत नहीं है कि कीर्ति की एक्टिंग देखकर आप उनके मुरीद बन जाएंगे.

हर चीज परफेक्ट नहीं होती क्रिमिनल जस्टिस भी परफेक्ट नहीं है

भले ही इस सीरीज में उम्दा अभिनेता हों लेकिन चूंकि हर चीज परफेक्ट नहीं होती ऐसा ही कुछ मिलता जुलता हाल इस वेब सीरीज का भी है. सीरीज आजकल प्रदर्शित हो रही सीरीज के लिहाज से थोड़ी धीमी है लेकिन बात जब एंटरटेनमेंट की आती है तो ये सीरीज दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करती है. क्रिमिनल जस्टिस में सस्पेंस, एक्शन, रोमांस जैसे हर वो एलिमेंट हैं जिसकी डरकर एक दर्शक के रूप में हमको होती है.

कुल मिलाकर क्रिमिनल जस्टिस एक देखने योग्य वेब सीरीज है. इसमें ऐसे तमाम एलिमेंट हैं जिन्हें देखकर एक दर्शक के रूप में हमें कहीं से भी बोरियत का एहसास नहीं होगा. बाकी बात अगर अभिनय की हो तो हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि जिस तरह के कलाकारों ने इस सीरीज में काम किया है उन्होंने घरेलू हिंसा जैसे एक बोरिंग टॉपिक में जान डाल दी है. सीरीज में समाज का जैसा चेहरा दिखाया गया है वो डरावना है जिसे आप भले ही आप  कुछ पलों के लिए नकार दें मगर जिसे पूर्णतः ख़ारिज शायद ही किया जा सके.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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