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सर्कस है तो रोहित की फिल्म, मगर पठान की वजह से बायकॉट बॉलीवुड की सुनामी से अब नुकसान की आशंका!

    • आईचौक
    • Updated: 21 दिसम्बर, 2022 06:57 PM
  • 21 दिसम्बर, 2022 06:54 PM
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पठान की वजह से दीपिका पादुकोण के खिलाफ जो गुस्सा नजर आ रहा है. हो सकता है कि इसका खामियाजा रोहित शेट्टी के निर्देशन में आ रही रणवीर सिंह की पीरियड कॉमेडी ड्रामा सर्कस को भी भुगतना पड़े. जैकलीन फैक्टर भी कारोबारी लिहाज से बहुत बेहतर नहीं कहा जा सकता. आइए जानते हैं क्यों?

पठान की वजह से बायकॉट बॉलीवुड का तूफ़ान चरम पर है. बेशरम रंग पर तो विरोध कुछ ऐसा दिख रहा है जैसे क्रिकेट में चिर प्रतिद्वंद्वी से मुकाबले के दौरान लोग टीम इंडिया के पक्ष में रहते हैं और एक स्वर से चिर प्रतिद्वंद्वी को धूल चटाना चाहते हैं. यहां लोगों ने पठान को चिर प्रतिद्वंद्वी के रूप में ले लिया है. पठान के खिलाफ लगभग सभी विचारधाराओं के तमाम बड़े ओपिनियन मेकर्स विरोध कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर सक्रिय शायद ही कोई ऐसा धड़ा बचा हो जो या तो फिल्म का विरोध कर रहा है या फिर समर्थन. पठान का समर्थन करने वाले और उसके पक्ष में नाना प्रकार के बौद्धिक तर्क गढ़ने वाले समर्थकों की भी कोई कमी नहीं है.

पठान रिपब्लिक डे वीक पर जनवरी में आएगी और टिकट खिड़की पर उसका हश्र क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में है. अभी तो सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं. हालांकि पठान से पहले बायकॉट बॉलीवुड की आंच से सर्कस के झुलस जाने की आशंका अब जरूर नजर आने लगी है. तो रोहित शेट्टी और रणवीर सिंह एंड टीम को कुर्सी की पेटी बांध लेनी चाहिए. ऊंचाई, दृश्यम और भेड़िया, अवतार 2 से बॉक्स ऑफिस का जो मौसम साफ़ सुथरा नजर आ रहा था, फिर बिगड़ सकता है. पठान का विरोध किस कदर है- अंदाजा इस बात से लगाइए कि 12 दिसंबर को बेशरम रंग गाना आने के बाद से अब तक ऐसा कोई एक घंटा नहीं निकला है, जब शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म के विरोध का कोई टॉप ट्रेंड सोशल मीडिया पर ना दिखा हो. यही बात इसी हफ्ते क्रिसमस वीक पर आ रही (23 दिसंबर) सर्कस के लिए नुकसानदेह है. बड़ा खतरा है.

सर्कस में दीपिका पादुकोण मेहमान भूमिका में हैं.

असल में रणवीर की पिछली दो फ़िल्में (83 और जयेशभाई जोरदार) लगातार बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड का शिकार हुई हैं. सोशल मीडिया की पब्लिक कोर्ट को देखते हैं तो उनके ऊपर जो बड़े आरोप...

पठान की वजह से बायकॉट बॉलीवुड का तूफ़ान चरम पर है. बेशरम रंग पर तो विरोध कुछ ऐसा दिख रहा है जैसे क्रिकेट में चिर प्रतिद्वंद्वी से मुकाबले के दौरान लोग टीम इंडिया के पक्ष में रहते हैं और एक स्वर से चिर प्रतिद्वंद्वी को धूल चटाना चाहते हैं. यहां लोगों ने पठान को चिर प्रतिद्वंद्वी के रूप में ले लिया है. पठान के खिलाफ लगभग सभी विचारधाराओं के तमाम बड़े ओपिनियन मेकर्स विरोध कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर सक्रिय शायद ही कोई ऐसा धड़ा बचा हो जो या तो फिल्म का विरोध कर रहा है या फिर समर्थन. पठान का समर्थन करने वाले और उसके पक्ष में नाना प्रकार के बौद्धिक तर्क गढ़ने वाले समर्थकों की भी कोई कमी नहीं है.

पठान रिपब्लिक डे वीक पर जनवरी में आएगी और टिकट खिड़की पर उसका हश्र क्या होगा यह भविष्य के गर्भ में है. अभी तो सिर्फ कयास लगाए जा सकते हैं. हालांकि पठान से पहले बायकॉट बॉलीवुड की आंच से सर्कस के झुलस जाने की आशंका अब जरूर नजर आने लगी है. तो रोहित शेट्टी और रणवीर सिंह एंड टीम को कुर्सी की पेटी बांध लेनी चाहिए. ऊंचाई, दृश्यम और भेड़िया, अवतार 2 से बॉक्स ऑफिस का जो मौसम साफ़ सुथरा नजर आ रहा था, फिर बिगड़ सकता है. पठान का विरोध किस कदर है- अंदाजा इस बात से लगाइए कि 12 दिसंबर को बेशरम रंग गाना आने के बाद से अब तक ऐसा कोई एक घंटा नहीं निकला है, जब शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण की फिल्म के विरोध का कोई टॉप ट्रेंड सोशल मीडिया पर ना दिखा हो. यही बात इसी हफ्ते क्रिसमस वीक पर आ रही (23 दिसंबर) सर्कस के लिए नुकसानदेह है. बड़ा खतरा है.

सर्कस में दीपिका पादुकोण मेहमान भूमिका में हैं.

असल में रणवीर की पिछली दो फ़िल्में (83 और जयेशभाई जोरदार) लगातार बायकॉट बॉलीवुड ट्रेंड का शिकार हुई हैं. सोशल मीडिया की पब्लिक कोर्ट को देखते हैं तो उनके ऊपर जो बड़े आरोप सामने आए, उनमें करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन और आदित्य चोपड़ा जैसे बॉलीवुड के बड़े बैनर्स के साथ एक्टर का फ़िल्में करना था. उन्हें बॉलीवुड के गैंग का एक्टर्स भी कहा गया. रणवीर पर कई आरोप उनकी पत्नी के पक्ष से भी थे. उन्हें टुकड़े-टुकड़े गैंग से रिलेट किया गया. असल में जब छपाक रिलीज हुई थी उससे पहले जेएनयू वैचारिक राजनीति का केंद्र बन गया था. दीपिका वहां पहुंची तो फिल्म का प्रमोशन करने ही थीं, ताकि विरोध कर रही विचारधारा का लाभ फिल्म के पक्ष में भुनाया जा सके. लेकिन उनके पहुंचने को टुकड़े-टुकड़े गैंग से रिलेट किया गया और नुकसान हुआ. बावजूद किओ छपाक एक जरूरी विषय पर अच्छी फिल्म थी.

बेशरम रंग के विरोध में रणवीर पर भी निकल रहा लोगों का गुस्सा

अभी बेशरम रंग के विरोध को देखें तो कई सारे मीम्स ऐसे भी नजर आए जिसमें दीपिका के पठान लुक और रणवीर सिंह की न्यूड फोटोशूट के जरिए निशाने साधे गए. कई प्रतिक्रियाओं में पठान की वजह से खामखा रणवीर की सर्कस भी निशाने पर आती दिखी. वैसे भी गेस्ट अपीयरेंस के रूप में दीपिका भी फिल्म में हैं. रणवीर की 83 में भी दीपिका पादुकोण थीं और फिल्म फ्लॉप हुई थीं. पब्लिक कोर्ट में रणवीर के खिलाफ आरोप कमजोर नजर नहीं आ रहे हैं. दूसरी वजह सर्कस की स्टारकास्ट में जैकलीन फर्नांडीज का होना भी है.

ठग सुकेश चंद्रशेखर मामले की वजह से जैकलीन की बहुत किरकिरी हुई है. उनकी सार्वजनिक छवि पर बट्टा लगा है. सर्कस के मेकर्स के लिए चिंताजनक यह भी है कि महीनों बीत जाने के बावजूद सुकेश चंद्रशेखर का मामला कमजोर नहीं हुआ है. अभी हाल में नोरा फतेही ने जैकलीन के खिलाफ मानहानि का केस भी फ़ाइल किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि जैकलीन झूठे आरोप लगाकर उनका करियर बर्बाद करना चाहती हैं. आम आदमी पार्टी को चंदा देने के मामले में सुकेश से जुड़े अपडेट ताजे ही हैं.

जैकलीन फैक्टर से भी सर्कस को नुकसान पहुंचने की आशंका

सितारों की सार्वजनिक छवियों का उनके प्रोजेक्ट पर बहुत असर पड़ता है. इस लिहाज से सर्कस खतरे की जद से बाहर नहीं है. शायद हो सकता है कि जैकलीन की पिछली फ़िल्में फ्लॉप फिल्मों का एक कारण यह भी रहा हो. यहां तक कि सुकेश केस में किरकिरी होने की वजह से तमाम मेकर्स ने उन्हें अपनी फिल्मों में कायदे से प्रमोट भी नहीं किया. उदाहरण के लिए रामसेतु में जैकलीन अहम किरदार में थीं, पर उन्हें प्रमोशनल एक्टिविटी का हिस्सा नहीं बनाया गया. रामसेतु फ्लॉप हो गई.

भले यह साफ़ नहीं हो सका कि इसमें जैकलीन फैक्टर ने कितना नुकसान पहुंचाया मगर रामसेतु की रिलीज के वक्त कुछ प्रतिक्रियाओं में बार-बार जैकलीन फैक्टर आ रहा था. रामसेतु से पहले अक्षय कुमार के साथ बच्चन पांडे का भी टिकट खिड़की पर हाल बुरा ही था. वैसे बच्चन पांडे के लिए कहा जा सकता है कि इसके बॉक्स ऑफिस को द कश्मीर फाइल्स ने नुकसान पहुंचाया. अगर टिकट खिड़की पर सर्कस को नुकसान पहुंचता है तो तय मानिए कि इसमें एक बड़ा कारक रणवीर की छवि, दीपिका और जैकलीन फैक्टर भी होगा.

बावजूद कि सर्कस को लेकर ट्रेड सर्किल में ढेर सारी उम्मीदें हैं. और उम्मीदें रोहित शेट्टी के बेंचमार्क, पेशेवर रुख की वजह से हैं. उन्होंने अतीत में जिस तरह और खराब से खराब हालात के बावजूद सफलताएं हासिल की हैं वह बेमिसाल है. उनका सिर्फ एक फ़ॉर्मूला है- मास एंटरटेनर. मास एंटरटेनर फिल्म बनाने के लिए रोहित कुछ भी कर सकते हैं. सर्कस के लिए टिकट खिड़की पर क्या फायदेमंद है- और विस्तार से पढ़ना चाहे तो यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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