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एक ही कहानी या कॉन्सेप्ट पर आधारित बॉलीवुड फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर कैसा रहा हाल?

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 29 मार्च, 2021 01:08 PM
  • 29 मार्च, 2021 01:08 PM
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'स्कैम 1992' और 'द बिग बुल' से लेकर 'थलाइवी' और 'क्वीन' तक, कई फिल्में एक कहानी या कॉन्सेप्ट पर आधारित हैं. एक जैसी कहानी या कॉन्सेप्ट पर आधारित बॉलीवुड फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर कैसी परफॉर्मेंस रही है? लोगों ने कितना पसंद किया है? फिल्म दोबारा बनाने की जरूरत क्यों? जानिए सभी सवालों के जवाब.

सिनेमा में नया पुराना जैसा कुछ मानकर नहीं चला जाता. ये माध्यम ही ऐसा है. जो घड़ी की सुई के साथ चलता है. अपने आज से कदमताल करता हुआ. यहां जो भी रचा जाता है, वो किसी अतीत की घटना होते हुए भी अपने आज में घटित होती है. इसीलिए सिनेमा को अपने समाज और समय का आईना भी कहा जाता है. अपने अतीत को आज के अक्स में देखने का सबसे सशक्त माध्यम है सिनेमा. इसकी दुनिया में अपने समय का ये अक्स ही मायने रखता है. पूरी दुनिया में ऐसे ही सिनेमा को सहज कहा जाता है, जो अपने समाज और समय के मौजूदा संदर्भ के मुताबिक अपनी कहानियां चुनता या बुनता है. चुनना और बुनना फिल्म निर्माण की दो प्रक्रियाएं हैं. एक में कहानियां अपनी विरासत से चुनी जाती हैं और दूसरी में अपने समाज और दर्शकों की पसंद की मुताबिक गढ़ी जाती हैं.

बीते काफी समय से बॉलिवुड में ऐसी फिल्में बन रही हैं जिन्हें देखकर लगता है कि क्या वाकई अब कुछ नया और अलग करने के लिए नहीं रह गया है? क्या जिस चीज के लिए बॉलिवुड को जाना जाता था वह आउट ऑफ फैशन हो गया है, मतलब ड्रामा, एक्शन और सदाबहार गाने. आजकल की फिल्मों में ड्रामा तो देखने को मिलता ही नहीं है, कहानी या तो सिक्वल होती है या फिर रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित या किसी की बायोपिक. कई बार तो एक ही टॉपिक या कहानी पर कई फिल्में बना दी जाती हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत की फिल्म 'थलाइवी' को ही ले लीजिए. इस फिल्म की कहानी तमिलनाडु की पूर्व सीएम और अपने जमाने की मशहूर अदाकारा जे जयललिता के जीवन पर आधारित है. इससे पहले भी जयललिता पर वेब सीरीज 'क्वीन' बन चुकी है. इसमें राम्या कृष्णन ने लीड रोल निभाया है.

कंगना रनौत की फिल्म 'थलाइवी' से पहले जयललिता पर वेब सीरीज 'क्वीन' बन चुकी है.

फिल्मों में अब बाजारीकरण पूरी तरह हावी हो चुका है. जब से कम लागत में ज्यादा...

सिनेमा में नया पुराना जैसा कुछ मानकर नहीं चला जाता. ये माध्यम ही ऐसा है. जो घड़ी की सुई के साथ चलता है. अपने आज से कदमताल करता हुआ. यहां जो भी रचा जाता है, वो किसी अतीत की घटना होते हुए भी अपने आज में घटित होती है. इसीलिए सिनेमा को अपने समाज और समय का आईना भी कहा जाता है. अपने अतीत को आज के अक्स में देखने का सबसे सशक्त माध्यम है सिनेमा. इसकी दुनिया में अपने समय का ये अक्स ही मायने रखता है. पूरी दुनिया में ऐसे ही सिनेमा को सहज कहा जाता है, जो अपने समाज और समय के मौजूदा संदर्भ के मुताबिक अपनी कहानियां चुनता या बुनता है. चुनना और बुनना फिल्म निर्माण की दो प्रक्रियाएं हैं. एक में कहानियां अपनी विरासत से चुनी जाती हैं और दूसरी में अपने समाज और दर्शकों की पसंद की मुताबिक गढ़ी जाती हैं.

बीते काफी समय से बॉलिवुड में ऐसी फिल्में बन रही हैं जिन्हें देखकर लगता है कि क्या वाकई अब कुछ नया और अलग करने के लिए नहीं रह गया है? क्या जिस चीज के लिए बॉलिवुड को जाना जाता था वह आउट ऑफ फैशन हो गया है, मतलब ड्रामा, एक्शन और सदाबहार गाने. आजकल की फिल्मों में ड्रामा तो देखने को मिलता ही नहीं है, कहानी या तो सिक्वल होती है या फिर रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित या किसी की बायोपिक. कई बार तो एक ही टॉपिक या कहानी पर कई फिल्में बना दी जाती हैं. बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत की फिल्म 'थलाइवी' को ही ले लीजिए. इस फिल्म की कहानी तमिलनाडु की पूर्व सीएम और अपने जमाने की मशहूर अदाकारा जे जयललिता के जीवन पर आधारित है. इससे पहले भी जयललिता पर वेब सीरीज 'क्वीन' बन चुकी है. इसमें राम्या कृष्णन ने लीड रोल निभाया है.

कंगना रनौत की फिल्म 'थलाइवी' से पहले जयललिता पर वेब सीरीज 'क्वीन' बन चुकी है.

फिल्मों में अब बाजारीकरण पूरी तरह हावी हो चुका है. जब से कम लागत में ज्यादा मुनाफा बनाने की आदत फिल्मकारों पर हावी हुई है तब से फिल्मों में कहानी का अभाव सा हो गया. फिल्मों की कहानी में अब मसाला, हॉट सीन और फूहड़ संवाद मिलते हैं और जब फिल्मकारों को यह भी सही नहीं लगता तो वह पुरानी फिल्मों का सिक्वल बनाने में लग जाते हैं. उसमें भी ना पुराना रंग रख पाते हैं ना ही बात. सिक्वल में भी बिना मसाले के कहानी पूरी नहीं होती. फिल्मकारों ने एक नया फंडा अपनाया है. वह है रियल लाइफस्टोरी पर फिल्में बनाने का. इसको फिल्मकार साहस का कार्य मानते हैं, लेकिन सच यह है कि विषय की कमी की वजह से ऐसे टॉपिक चुने जाते हैं. ग्लैमर और स्टार पॉवर से अलग आज के सिनेमा का हीरो है, उसकी कहानी. कहानी नई हो या पुरानी, इससे फर्क नहीं पड़ता. दर्शकों ने साफ इशारा कर दिया है कि यदि फिल्म सहज है, उसके किरदार और उनकी कहानी दिल को छूती है, तो वो फिल्म देखने जाएंगे. उनके लिए सितारा कोई मायने नहीं रखता.

अब बात फिल्मों की कहानी पर निकली है, तो आपको बताते दें 'थलाइवी' और 'क्वीन' से पहले भी अब तक कई फिल्में और वेब सीरीज एक ही टॉपिक पर बनाई जा चुकी हैं. कुछ फिल्मों की कहानी बिल्कुल एक जैसी है, तो कुछ एक जैसे कॉन्सेप्ट पर आधारित हैं. बॉलीवुड में नई बोतल में पुरानी शराब परोसने की परंपरा बहुत पुरानी है. इस फेहरिस्त में फिल्म देवदास, भगत सिंह, पैडमैन, केसरी, लखनऊ सेंट्रल, दंगल, सुल्तान, हसीना और डैडी जैसी फिल्में शामिल हैं. आइए उन फिल्मों की बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस पर एक नजर डालते हैं, जो एक ही कहानी या कॉन्सेप्ट पर आधारित हैं...

फिल्म- द बिग बुल और स्कैम 1992

स्टारकास्ट- फिल्म 'द बिग बुल' में बॉलीवुड एक्टर अभिषेक बच्चन और एक्ट्रेस इलियाना डिक्रूज लीड रोल में हैं. वेब सीरीज स्कैम 1992 में एक्टर प्रतीक गांधी लीड रोल में हैं. अभिषेक और प्रतीक ने घोटालेबाज हर्षद मेहता का किरदार निभाया है.

कहानी/कॉन्सेप्ट- हर्षद मेहता के शेयर बाजार घोटाले पर कहानी आधारित है.

बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट- फिल्म 'द बिग बुल' 8 अप्रैल को रिलीज होने वाली है. वेब सीरीज स्कैम 1992 ओटीटी प्लेटफॉर्म सोनी लिव पर रिलीज हुई थी. इसको दर्शकों ने खूब सराहा है. सीरीज को IMDB पर 9.5 से अधिक रेटिंग मिली है. रिलीज के 6 महीने बाद भी आज ये चर्चा के केंद्र में है.

फिल्म- बाला और उजड़ा चमन

स्टारकास्ट- फिल्म बाला में आयुष्मान खुराना, यामी गौतम और भूमि पेडनेकर हैं. फिल्म उजड़ा चमन में सनी सिंह और मानवी गगरू लीड रोल में हैं.

कहानी/कॉन्सेप्ट- ऐसे व्यक्ति की कहानी दिखाई गई है, जिसके समय से पहले ही बाल झड़ने लगते हैं. वह शख्स शादी से पहले गंजा हो जाता है.

बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट- फिल्म बाला और उजड़ा चमन साल 2019 में एक हफ्ते के अंतराल में रिलीज हुई थीं. इसमें बाला बड़ी स्टारकास्ट की वजह से ज्यादा चर्चा में रही और हिट हुई थी. जबकि उजड़ा चमन को अच्छा रिस्पांस नहीं मिला था.

फिल्म- शहीद-ए-आजाद भगत, शहीद और भगत सिंह

स्टारकास्ट- साल 1963 में आई फिल्म शहीद-ए-आजाद भगत में शम्मी कपूर ने लीड रोल निभाया था. इसके बाद साल 1965 में फिल्म शहीद में मनोज कुमार लीड रोल में रोल थे. साल 2002 में भगत सिंह पर तीन फिल्में रिलीज हुई थी, जिनमें अजय देवगन, बॉबी देओल और सोनू सूद ने भगत सिंह का किरदार निभाया था.

कहानी/कॉन्सेप्ट- फ्रीडम फाइटर भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित कहानी है.

बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट- फिल्म शहीद-ए-आजाद भगत की बॉक्स ऑफिस पर एवरेज परफॉर्मेंस थी. फिल्म शहीद सुपरहिट हुई थी. 'शहीद' भगत सिंह के जीवन पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है. फिल्म को नेशनल अवॉर्ड के साथ राष्ट्रीय एकता पर बनी बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड भी मिला था. अजय देवगन की फिल्म भगत सिंह भी सुपरहिट रही थी. इसमें अजय को भगत सिंह के रोल में काफी पसंद किया गया था. बॉबी देओल और सोनू सूद की फिल्म फ्लॉप हो गई थी.

फिल्म- देवदास-1, देवदास-2 और देव डी

स्टारकास्ट- साल 1955 में आई फिल्म देवदास में सुपरस्टार दिलीप कुमार मुख्य भूमिका में थे. साल 2002 में आई संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास में बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान लीड रोल में थे. फिल्म देव डी साल 2009 में रिलीज हुई थी. इसमें अभय देओल मुख्य भूमिका में थे.

कहानी/कॉन्सेप्ट- देवदास एक धनी परिवार के लड़के और मध्यम वर्ग की लड़की के दोस्ती, इश्क, विरह और वियोग की कहानी है.

बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट- इस कॉन्सेप्ट पर बनी तीनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट साबित हुई थीं.

फिल्म/वेब सीरीज- केसरी और 21 सरफरोश सारागढ़ी 1897

स्टारकास्ट- फिल्म केसरी में सुपरस्टार अक्षय कुमार लीड रोल में हैं. वेब सीरीज 21 सरफरोश सारागढ़ी 1897 में मोहित रैना और मुकुल देव लीड रोल में हैं.

कहानी/कॉन्सेप्ट- यह 36 सिख रेजिमेंट के 21 बहादुर वीरों की कहानी है जिन्होंने 10,000 ब्रिटिश सैनिकों से सन 1897 में लड़ाई लड़ी थी. इसे सारगढ़ी का युद्ध कहा जाता है.

बॉक्स ऑफिस रिपोर्ट- फिल्म और वेब सीरीज दोनों ही हिट हुई थीं. दर्शकों ने इसे बहुत पसंद किया था.

देखा जाए, तो एक ही कहानी, कॉन्सेप्ट या टॉपिक पर बनने वाली फिल्मों का बॉक्स ऑफिस पर रिजल्ट मिला-जुला रहा है. फिल्म को हिट होने में उसकी कहानी का सबसे बड़ा रोल होता है. एक जमाना था, जब फिल्में स्टार के नाम से देखी जाती थीं. फिल्मों की पहचान भी लीड एक्टर या एक्ट्रेस के नाम पर होती थी. लेकिन समय बदला तो सिनेमा में भी बदलाव आया. फिल्मों को निर्देशकों के नाम से जाना जाने लगा. महेश भट्ट, सुभाष घई, यश चोपड़ा, राम गोपाल वर्मा, संजय लीला भंसाली और करण जौहर की फिल्में इनके नाम से जानी जाती हैं. इसकी वजह ये है कि फिल्म में स्टारकास्ट से ज्यादा इनके निर्देशन की झलक मिलती है.






इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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