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Bombay Begums Review: स्त्रियां क्या सिर्फ़ सेक्स करके ही एम्पॉवर हो सकती हैं?

    • अनु रॉय
    • Updated: 02 अप्रिल, 2021 12:18 PM
  • 02 अप्रिल, 2021 12:18 PM
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Bombay Begums को लेकर जो उम्मीद बहुत पहले थी वही हुआ नेटफ्लिक्स पर आई इस सीरीज में हर बार की तरह किसी भी महिला को कामयाब होने के लिए पुरुषों के साथ हमबिस्तर होते हुए दिखाया गया है.

हिंदी वेब-सीरीज़ देख कर एक ही बात समझ में आती है कि भारत में एम्पॉवर हो रही औरत का एक ही अर्थ है अलग-अलग मर्दों से सेक्स करना. किसी भी बड़े मुक़ाम को हासिल करने के लिए अपने जिस्म का इस्तेमाल करना. जैसे स्त्रियों के पास दिमाग़ की जगह सिर्फ़ बूब्स और वजाइना ही है. कुछ दिन पहले आई वेब सीरीज Tandav में भी यही दिखाया गया था कि कैसे स्त्रियां किसी मुक़ाम तक पहुंचने के लिए अपनी बॉडी का इस्तेमाल करती हैं. दिलचस्प ये कि अब Bombay Begums में भी यही सब दिखाया जा रहा है.Netflix पर आयी इस सीरीज़ को कल रात देख कर ख़त्म किया है. अलंकृता श्रीवास्तव ने इसे निर्देशित किया है जिन्होंने इसके पहले Lipstick nder My Burkha फ़िल्म बनाई थी. मैंने अलंकृता का नाम देख कर ही इस सीरीज़ को देखना शुरू किया लेकिन निराशा के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा.

सीरीज़ की कहानी मुंबई की चार औरतों के इर्द गिर्द घूमती है. जिसमें रानी का किरदार पूजा भट्ट निभा रहीं हैं, जो बैंक की सबसे बड़ी अधिकारी हैं और पति के अलावा किसी और के साथ प्यार में हैं. वैसे ही उसी बैंक में एक और लड़की है जो इंदौर से आयी है. उसे शादी नहीं करनी है. वो कभी किसी लड़की के साथ सेक्स करती है तो कभी किसी लड़के के साथ. फिर एक हैं फ़ातिमा जिनका पति उन्हें प्यार तो करता है लेकिन सेक्स करने के लिए वो एक दूसरे बंदे के पास जाती हैं और बाद में पति को बता देती हैं.

नेटफ्लिक्स की सीरीज बॉम्बे बेगम्स में सेक्स के अलावा और कुछ नहीं है

कहानी में एक बार डांसर भी है और एक रानी की सौतेली बेटी है जिनकी भी अपनी कहानियां हैं.बार-डांसर के बेटे को रंडी की औलाद कह कर स्कूल वाले अपने स्कूल से निकाल देते हैं. वहीं रानी की बेटी शाय इसी  में है कि उसे पिरीयड जल्दी आए. इन सब स्त्रियों की कहानी आपस में...

हिंदी वेब-सीरीज़ देख कर एक ही बात समझ में आती है कि भारत में एम्पॉवर हो रही औरत का एक ही अर्थ है अलग-अलग मर्दों से सेक्स करना. किसी भी बड़े मुक़ाम को हासिल करने के लिए अपने जिस्म का इस्तेमाल करना. जैसे स्त्रियों के पास दिमाग़ की जगह सिर्फ़ बूब्स और वजाइना ही है. कुछ दिन पहले आई वेब सीरीज Tandav में भी यही दिखाया गया था कि कैसे स्त्रियां किसी मुक़ाम तक पहुंचने के लिए अपनी बॉडी का इस्तेमाल करती हैं. दिलचस्प ये कि अब Bombay Begums में भी यही सब दिखाया जा रहा है.Netflix पर आयी इस सीरीज़ को कल रात देख कर ख़त्म किया है. अलंकृता श्रीवास्तव ने इसे निर्देशित किया है जिन्होंने इसके पहले Lipstick nder My Burkha फ़िल्म बनाई थी. मैंने अलंकृता का नाम देख कर ही इस सीरीज़ को देखना शुरू किया लेकिन निराशा के सिवाय कुछ भी हाथ नहीं लगा.

सीरीज़ की कहानी मुंबई की चार औरतों के इर्द गिर्द घूमती है. जिसमें रानी का किरदार पूजा भट्ट निभा रहीं हैं, जो बैंक की सबसे बड़ी अधिकारी हैं और पति के अलावा किसी और के साथ प्यार में हैं. वैसे ही उसी बैंक में एक और लड़की है जो इंदौर से आयी है. उसे शादी नहीं करनी है. वो कभी किसी लड़की के साथ सेक्स करती है तो कभी किसी लड़के के साथ. फिर एक हैं फ़ातिमा जिनका पति उन्हें प्यार तो करता है लेकिन सेक्स करने के लिए वो एक दूसरे बंदे के पास जाती हैं और बाद में पति को बता देती हैं.

नेटफ्लिक्स की सीरीज बॉम्बे बेगम्स में सेक्स के अलावा और कुछ नहीं है

कहानी में एक बार डांसर भी है और एक रानी की सौतेली बेटी है जिनकी भी अपनी कहानियां हैं.बार-डांसर के बेटे को रंडी की औलाद कह कर स्कूल वाले अपने स्कूल से निकाल देते हैं. वहीं रानी की बेटी शाय इसी  में है कि उसे पिरीयड जल्दी आए. इन सब स्त्रियों की कहानी आपस में कैसे जुड़ी है ये देखने के लिए आप सीरीज़ देख सकते हैं. वो आपकी अपनी मर्ज़ी होगी. मैं सजेस्ट नहीं कर रही हूं.

बॉम्बे बेग़म के बारे में लिख सिर्फ़ इसलिए रही हूं कि औरतों की स्ट्रगल की कहानी बोल कर जब भी कोई हिंदी वेब सिरिज बनती है तो सिर्फ़ सेक्स और धोखे पर जा कर ही क्यों ख़त्म होती है? क्यों नहीं हिंदी वेब सीरीज़ कभी ???????????????????? ???????????????????????? जैसी बनती है. क्यों भारत में स्त्रियों को स्ट्रॉंग दिखाने के लिए कई मर्दों के साथ सेक्स ज़रूरी हो जाता है.

मैं जानती हूं सेक्स ज़िंदगी का ज़रूरी हिस्सा है लेकिन फ़ेमिनिस्ट होने के लिए क्या अलग-अलग पार्ट्नर के साथ सेक्स करना ज़रूरी है. चाहे Four More Shots Please हो या Bombay Begums सबका वही हाल है. अलंकृता श्रीवास्तव ने मुझे तो निराश ही किया है. #MeTooMovement जैसे टॉपिक को हल्के से ब्रश करती हुई ये सीरीज़ निकल गयी है. बहरहाल आप इसे इग्नोर कर सकते हैं और अगर देखना चाहें तो पूजा भट्ट की वापसी के तौर पर झेल सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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