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विजय वर्मा से तृप्ति डिमरी तक, बॉलीवुड के अंडररेटेड एक्टर जिनको अच्छे मौके का इंतजार है!

    • आईचौक
    • Updated: 17 जनवरी, 2023 12:11 PM
  • 17 जनवरी, 2023 12:11 PM
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Bollywood Underrated Actors: कई कलाकारों को उनकी प्रतिभा के अनुसार काम नहीं मिल पाता है. कई बार उनको एक बेहतर मौके के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. उम्र गुजर जाती है, लेकिन मौका मिलता जरूरी है. ऐसे बॉलीवुड में कई शानदार कलाकार हैं, जो एक अच्छे मौके का इंतजार कर रहे हैं. आइए इस वक्त के इन अंडररेटेड एक्टरों के बारे में जानते हैं.

बॉलीवुड में ऐसे कई नाम हैं, जिनको लंबे समय तक काम करने के बाद अपनी पहचान मिली है. उनमें एक्टिंग टैलेंट कूट-कूट कर भरे होने के बावजूद मेकर्स की नजर सही समय पर नहीं पड़ी. इसके परिणामस्वरूप इन कलाकारों को अपनी पहचान बनाने में एक उम्र लग गई. उदाहरण के लिए अन्नू कपूर, मनोज बाजपेयी, पंकज त्रिपाठी, जयदीप अहलावत और नवाजुद्दीन सिद्दकी का नाम लिया जा सकता है. इन कलाकारों की लिस्ट में अन्नू कपूर ऐसा नाम है, जिनको सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ा है. उनमें एक्टिंग और सिंगिंग की प्रतिभा होने के बावजूद उनको पहचान बनाने में कई दशक लग गए. पहले उनको फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार मिला करते थे. ऐसे किरदार जिनकी अपनी फिल्म में भी कोई पहचान नहीं होती थी, जो सिर्फ किसी बड़े किरदार के लिए फिलर का काम करते थे, उनको मजबूरी में अन्नू कपूर को करना पड़ता था.

1979 में अमिताभ बच्चन की फिल्म काला पत्थर से अपना एक्टिंग करियर शुरू करने वाले अन्नू कपूर को 2007 में दूरदर्शन के एक कार्यक्रम 'व्हील स्मार्ट श्रीमती' से असलवी पहचान मिली थी. इसके बाद लोगों ने जाना का अन्नू जैसा कोई कलाकार है, जो एक्टिंग, सिंगिंग के साथ बेहतरीन एंकरिंग भी कर सकता है. इसके बाद आयुष्मान खुराना की फिल्म 'विकी डोनर' ने उनकी पहचान को एक नई ऊंचाई दी थी. कुछ इसी तरह मनोज बाजपेयी की कहानी है. साल 1994 में गोविंद निहलानी की फिल्म 'द्रोहकाल' में एक मिनट के रोल से अलना बॉलीवुड डेब्यू करने वाले मनोज के सितारे शुरू में बहुत बुलंद थे. बतौर अभिनेता उनको पहली ही फिल्म 'बैंडिट क्वीन' मिल गई थी, जिसे शेखर कपूर जैसे दिग्गज फिल्म मेकर ने बनाया था. इसके बाद उन्होंने 'स्वाभिमान' जैसे टीवी सीरियल और 'सत्या' जैसी सुपरहिट फिल्म में भी काम किया था.

इसके बाद मनोज बाजपेयी के सितारे गर्दिश में चले गए. उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई. इसकी वजह से उनको धीरे-धीरे काम मिलना बंद हो गया. वो घर पर बैठ गए. करीब एक दशक तक बेरोजगार रहने के बाद मनोज बाजपेयी ने प्रकाश झा की फिल्म 'राजनीति' से...

बॉलीवुड में ऐसे कई नाम हैं, जिनको लंबे समय तक काम करने के बाद अपनी पहचान मिली है. उनमें एक्टिंग टैलेंट कूट-कूट कर भरे होने के बावजूद मेकर्स की नजर सही समय पर नहीं पड़ी. इसके परिणामस्वरूप इन कलाकारों को अपनी पहचान बनाने में एक उम्र लग गई. उदाहरण के लिए अन्नू कपूर, मनोज बाजपेयी, पंकज त्रिपाठी, जयदीप अहलावत और नवाजुद्दीन सिद्दकी का नाम लिया जा सकता है. इन कलाकारों की लिस्ट में अन्नू कपूर ऐसा नाम है, जिनको सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ा है. उनमें एक्टिंग और सिंगिंग की प्रतिभा होने के बावजूद उनको पहचान बनाने में कई दशक लग गए. पहले उनको फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार मिला करते थे. ऐसे किरदार जिनकी अपनी फिल्म में भी कोई पहचान नहीं होती थी, जो सिर्फ किसी बड़े किरदार के लिए फिलर का काम करते थे, उनको मजबूरी में अन्नू कपूर को करना पड़ता था.

1979 में अमिताभ बच्चन की फिल्म काला पत्थर से अपना एक्टिंग करियर शुरू करने वाले अन्नू कपूर को 2007 में दूरदर्शन के एक कार्यक्रम 'व्हील स्मार्ट श्रीमती' से असलवी पहचान मिली थी. इसके बाद लोगों ने जाना का अन्नू जैसा कोई कलाकार है, जो एक्टिंग, सिंगिंग के साथ बेहतरीन एंकरिंग भी कर सकता है. इसके बाद आयुष्मान खुराना की फिल्म 'विकी डोनर' ने उनकी पहचान को एक नई ऊंचाई दी थी. कुछ इसी तरह मनोज बाजपेयी की कहानी है. साल 1994 में गोविंद निहलानी की फिल्म 'द्रोहकाल' में एक मिनट के रोल से अलना बॉलीवुड डेब्यू करने वाले मनोज के सितारे शुरू में बहुत बुलंद थे. बतौर अभिनेता उनको पहली ही फिल्म 'बैंडिट क्वीन' मिल गई थी, जिसे शेखर कपूर जैसे दिग्गज फिल्म मेकर ने बनाया था. इसके बाद उन्होंने 'स्वाभिमान' जैसे टीवी सीरियल और 'सत्या' जैसी सुपरहिट फिल्म में भी काम किया था.

इसके बाद मनोज बाजपेयी के सितारे गर्दिश में चले गए. उन्होंने कई फिल्मों में काम किया, जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई. इसकी वजह से उनको धीरे-धीरे काम मिलना बंद हो गया. वो घर पर बैठ गए. करीब एक दशक तक बेरोजगार रहने के बाद मनोज बाजपेयी ने प्रकाश झा की फिल्म 'राजनीति' से कमबैक किया. उसके बाद 2012 में रिलीज हुई अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' ने उनके सितारे को एक बार फिर बुलंदियों पर पहुंचा दिया. फिर साल 2018 में रिलीज हुई अमेजन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज द फैमिली मैन ने उनके करियर को एक नई दिशा दी है. उनकी ही तरह अभिनेता पंकज त्रिपाठी को भी फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' से पहचान मिली थी. इसके बाद प्राइम वीडियो की ही वेब सीरीज 'मिर्जापुर' ने पंकज को लोकप्रिय बना दिया. आज ये दोनों कलाकार सितारे बन चुके हैं. दोनों एक साथ कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं.

आइए इस वक्त के कुछ अंडररेटेड लेकिन टैलेंटेड एक्टरों के बारे में जानते हैं...

1. विजय वर्मा

पिछले साल रिलीज हुई आलिया भट्ट और शेफाली शाह की फिल्म डार्लिंग्स के जरिए चर्चा में आए अभिनेता विजय वर्मा को असली पहचान रणवीर सिंह की फिल्म 'गली बॉय' से मिली थी. फिल्म 'गली बॉय' ने विजय की करियर की दशा और दिशा दोनों बदल दी थी. इससे पहले उनको फिल्मों में बहुत छोटे-छोटे किरदारों में देखा गया था. लेकिन अपनी दमदार एक्टिंग की बदौलत उन्होंने लोगों का दिल जीत लिया था. विजय एक प्रतिभा संपन्न कलाकार है, ये उन्होंने 'मिर्जापुर' में अपने किरदार के जरिए साबित किया है. लेकिन 16 साल के करियर में उनको बहुत कम ऐसे मौके मिले हैं, जिनके जरिए वो अपनी प्रतिभा को दुनिया के सामने जाहिर कर सके. आशा है कि इस साल वो मौका उन्हें मिलेगा.

2. शोभिता धुलिपाला

सुपरमॉडल, ब्यूटी पेजेंट टाइटल होल्डर और एक्ट्रेस शोभिता धुलिपाला हिंदी के साथ तमिल और तेलुगू सिनेमा के लिए भी काम करती हैं. शोभिता ने साल 2016 में अनुराग कश्यप की फिल्म 'रमन राघव 2.0' से अपने करियर की शुरूआत की थी. लेकिन साल 2019 में रिलीज हुई अमेजन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'मेड इन हैवेन' के जरिए उनकी एक्टिंग को पहचान मिली थी. पिछला साल उनके लिए बहुत बेहतरीन रहा है. 2022 में उनकी दो बड़ी फिल्मे रिलीज हुई हैं, जिनमें आदिव शेष की 'मेजर' और मणिरत्नम की 'पोन्नियिन सेल्वन' का नाम शामिल है. दोनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट रही हैं. उनकी चर्चा भी बहुत हुई है. इस साल शोभिता एक हॉलीवुड फिल्म 'मंकी मैन' में भी नजर आने वाली हैं.

3. तृप्ति डिमरी

पिछले साल 1 दिसंबर से ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई वेब सीरीज 'कला' के जरिए सुर्खियों में आई तृप्ति डिमरी ने अपनी खूबसूरती और अदाकारी से हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. इतना ही नहीं इस वेब सीरीज में उन्होंने अपनी मां की तवज्जो के लिए तड़पती एक बेटी और कामयाबी के लिए कुछ भी कर गुजरने वाली एक गायिका के बीच इतने अच्छे से तालमेल बिठाया है कि लोग उनके अभिनय की तारीफ कर रहे हैं. साल 2017 में रिलीज हुई फिल्म 'पोस्टर बॉयज' से अपना करियर शुरू करने वाली तृप्ति ने साल 2018 में रिलीज हुई 'लैला मजनू' और साल 2020 में रिलीज हुई 'बुलबुल' में काम किया है. इन सभी फिल्मों में उनके अभिनय को सराहा गया है.

4. जितेंद्र कुमार

टीवीएफ यानी 'द वायरल फीवर' की फैक्ट्री से निकले अभिनेता जितेंद्र कुमार आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. अमेजन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज 'पंचायत' के जरिए वो घर-घर में लोकप्रिय हो चुके हैं. लेकिन जीतू भइया को अपने एक्टिंग टैलेंट के हिसाब से फिल्म इंडस्ट्री में मौका नहीं मिला है. पिछले साल उनकी फिल्म 'जादूगर' भले ही रिलीज हुई, लेकिन कमजोर निर्देशन और कहानी की वजह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाई थी. साल 2020 में रिलीज हुई आयुष्मान खुराना की फिल्म 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' में उनके अभिनय की बहुत सराहना हुई थी. जितेंद्र कुमार फिलहाल फिल्मों से ज्यादा वेब सीरीज पर फोकस कर रहे हैं, जबकि रूपहले पर्दे लोग उन्हें देखना चाहते हैं.

5. अंशुमान पुष्कर

अंशुमान पुष्कर को हाल ही में सोनी लिव की वेब सीरीज 'काठमांडू कनेक्शन' के दूसरे सीजन में देखा गया था. उससे पहले वो डिज्नी प्लस हॉटस्टार की वेब सीरीज में 'ग्रहण' की वजह से चर्चा में आए थे. इस वेब सीरीज में अंशुमान पुष्कर ने अपने सहज अभिनय से ऋषि रंजन के किरदार को जीवंत कर दिया था. ऐसा लगता है कि उनका किरदार सिर्फ उन्हीं के लिए गढ़ा गया है. इससे पहले नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हुई वेब सीरीज 'जामताड़ा' में रॉकी के किरदार में भी उन्होंने दमदार अभिनय किया था. इस सीरीज का भी दूसरा सीजन पिछले साल स्ट्रीम हुआ था. अंशुमान ने अपनी वेब सीरीज में जिस तरह से नेचुरल एक्टिंग करते हैं, उसे देखकर ये साफ लगता है कि वो लंबी रेस के घोड़े हैं. 'काठमांडू कनेक्शन' में उनका किरदार सन्नी शर्मा एक गैंगस्टर होते हुए भी प्रेमी के रूप में इतना सहज, सरल और सुंदर हैं, जिस पर कोई भी लड़की मर-मिटे. 'ग्रहण' में भी उनका किरदार इतना जोरदार है कि भविष्य में भी उनके लिए असरदार रहेगा. अंशुमन ने ज्यादातर ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ही काम किया है. उनको फिल्मों में काम करने का मौका मिला तो बेहतरीन करेंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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