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डॉली और किट्टी की जिंदगी के चमकते सितारे पर ऐतराज की वजहें समाज में भरी हैं

    • आईचौक
    • Updated: 19 सितम्बर, 2020 05:42 PM
  • 19 सितम्बर, 2020 05:42 PM
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नेटफ्लिक्स (Netflix Film) पर भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar) और कोंकणा सेन शर्मा (Konkona Sen Sharma) की बहुप्रतीक्षित फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे (Dolly Kitty Aur Woh Chamakte Sitare) महानगर में रह रहीं दो बहनों की ख्वाहिशों की कहानी है, जो सामाजिक मान्यताओं की परवाह नहीं करती.

नेटफ्लिक्स पर नई फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे रिलीज हो गई है. भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा द्वारा अभिनीत और अलंकृता श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म आधुनिक जमाने की ऐसी हकीकत दिखाती है, जिसमें महिलाएं भी अपनी ख्वाहिशों को पंख लगाने के लिए सामाजिक मान्यताओं और पारंपरिक तहजीबों से समझौता करने से पीछे नहीं हटतीं. हालांकि, यह समाज के बेहद सीमित लोगों की चाहतों और जरूरतों का प्रतिनिधित्व करती हैं. एकता कपूर ने अलंकृता श्रीवास्तव के साथ एक बार फिर ऐसी फ़िल्म बनाई है, जो न सिर्फ महिला प्रधान है, बल्कि ऐसे विषय पर आधारित है, जिसपर भारतीय समाज को भले आपत्ति हो, लेकिन यह धीरे-धीरे हकीकत बनती जा रहा है. जिस तरह हम आकाश में चमकते तारों को देखकर खुश हो लेते हैं, उसी तरह डॉली और किट्टी नामक दो बहनों की जिंदगी भी कुछ ऐसे सितारों से रोशन होती है, जो सितारे तो हैं, लेकिन वे अंधेरे से भरी इस दुनिया में कुछ लोगों को ही अपनी चमक से रोशन कर पाते हैं.

लंबे समय के बाद कोंकणा सेन शर्मा की ऐसी फ़िल्म आई है, जिसमें उनकी अदाकारी देख आप महसूस करते हैं कि डॉली के किरदार के लिए कोंकणा ही बनी थी. उसी तरह भूमि पेडनेकर ने भी किट्टी की भूमिका निभाकर अपने एक्टिंग करियर को ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है, जहां लोग उनकी फ़िल्मों से ज्यादा उनके किरदार को याद करने वाली हैं. बेहद सीमित कलाकारों को लेकर बनी फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे में कोंकणा और भूमि के साथ ही आमिर बशीर, विक्रांत मेसी, अमोल पराशर, करण कुंद्रा और कुब्रा सैत ने अपनी शामदार अदाकारी से फ़िल्म को देखने लायक बना दिया है. अलंकृता की फ़िल्म डॉली और किट्टी स्टोरी के लिहाज से खास भले न हों, लेकिन ट्रीटमेंट के हिसाब से अच्छी बन पड़ी है. डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे छोटे शहर की दो बहनों की नौकरी, जरूरतें और ख्वाहिशों की ऐसी दास्तां है, जिसे देखकर आपको लगता है कि कि दोनों भले समय-समय पर गलत हों, लेकिन ये तो उनकी जरूरत और हकीकत है, जिससे मुंह फेरा नहीं जा सकता है.

डॉली और...

नेटफ्लिक्स पर नई फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे रिलीज हो गई है. भूमि पेडनेकर और कोंकणा सेन शर्मा द्वारा अभिनीत और अलंकृता श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म आधुनिक जमाने की ऐसी हकीकत दिखाती है, जिसमें महिलाएं भी अपनी ख्वाहिशों को पंख लगाने के लिए सामाजिक मान्यताओं और पारंपरिक तहजीबों से समझौता करने से पीछे नहीं हटतीं. हालांकि, यह समाज के बेहद सीमित लोगों की चाहतों और जरूरतों का प्रतिनिधित्व करती हैं. एकता कपूर ने अलंकृता श्रीवास्तव के साथ एक बार फिर ऐसी फ़िल्म बनाई है, जो न सिर्फ महिला प्रधान है, बल्कि ऐसे विषय पर आधारित है, जिसपर भारतीय समाज को भले आपत्ति हो, लेकिन यह धीरे-धीरे हकीकत बनती जा रहा है. जिस तरह हम आकाश में चमकते तारों को देखकर खुश हो लेते हैं, उसी तरह डॉली और किट्टी नामक दो बहनों की जिंदगी भी कुछ ऐसे सितारों से रोशन होती है, जो सितारे तो हैं, लेकिन वे अंधेरे से भरी इस दुनिया में कुछ लोगों को ही अपनी चमक से रोशन कर पाते हैं.

लंबे समय के बाद कोंकणा सेन शर्मा की ऐसी फ़िल्म आई है, जिसमें उनकी अदाकारी देख आप महसूस करते हैं कि डॉली के किरदार के लिए कोंकणा ही बनी थी. उसी तरह भूमि पेडनेकर ने भी किट्टी की भूमिका निभाकर अपने एक्टिंग करियर को ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है, जहां लोग उनकी फ़िल्मों से ज्यादा उनके किरदार को याद करने वाली हैं. बेहद सीमित कलाकारों को लेकर बनी फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे में कोंकणा और भूमि के साथ ही आमिर बशीर, विक्रांत मेसी, अमोल पराशर, करण कुंद्रा और कुब्रा सैत ने अपनी शामदार अदाकारी से फ़िल्म को देखने लायक बना दिया है. अलंकृता की फ़िल्म डॉली और किट्टी स्टोरी के लिहाज से खास भले न हों, लेकिन ट्रीटमेंट के हिसाब से अच्छी बन पड़ी है. डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे छोटे शहर की दो बहनों की नौकरी, जरूरतें और ख्वाहिशों की ऐसी दास्तां है, जिसे देखकर आपको लगता है कि कि दोनों भले समय-समय पर गलत हों, लेकिन ये तो उनकी जरूरत और हकीकत है, जिससे मुंह फेरा नहीं जा सकता है.

डॉली और किट्टी की कहानी कैसी है?

डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे दो बहनों की कहानी है, जो ग्रेटर नोएडा में रहते हैं. डॉली (कोंकणा सेन शर्मा) शादीशुदा हैं और अपने पति (आमिर बशीर) और दो बच्चे के साथ ठीक-ठाक जिंदगी जी रही होती हैं. काजल (भूमि पेडनेकर) दरभंगा के नोएडा नौकरी के लिए आती है और अपनी कजिन के यहां ठहरती है. बाद में डॉली उसे जूते बनाने की एक फैक्ट्री में काम पर लगवा देती है. काजल पर उसके जीजा की नजर होती है, जिसके बारे में वह अपनी दीदी डॉली को भी बताती है, लेकिन डॉली उसे नजरअंदाज कर देती है. बाद में काजल एक रोमांस ऐप में नौकरी शुरू करती है और अलग रहने लगती है. डॉली अपनी सेक्स लाइफ से खुश नहीं है, लेकिन वह इस बारे में किसी से बात नहीं कर पाती है. वहीं काजल अब किट्टी बनकर फोन पर लड़कों को रातें रंगीन करती है. इसी दौरान उसकी मुलाकात प्रदीप (विक्रांत मेसी) से होती है और वह उससे प्यार करने लगती है. प्रदीप उसका कौमार्य भंग करके धोखा दे देता है, जिससे किट्टी काफी टूट जाती है.

वहीं डॉली भी एक डिलिवरी बॉय से दिल लगा बैठती है, जो उसकी शारीरिक जरूरतें भी पूरा करता है. इधर किट्टी अपने दोस्तों की संगत में शराब-सिगरेट के साथ ही सेक्स की तलाश में नोएडा के डीजे, जो पहले उसकी दोस्त का बॉयफ्रेंड था, के पास चली जाती है. कहते हैं न कि दिल टूटने के बाद सबसे पहले लोगों का भरोसा उस पूरी जमात से उठता है, जिससे उसकी आशिकी की डोर बंधी होती है. इस कहानी में कुब्रा सैत और करण कुंद्रा एक ऐसे कपल की भूमिका में हैं, जो प्यार को जिस्मानी जरूरत से ज्यादा कुछ नहीं समझते हैं. अलंकृता श्रीवास्तव ने रिश्तों की इसी पहेली को लेकर फ़िल्म बना डाली है, जिसमें सामाजिक मान्यताओं की धज्जियां उड़ातीं दो बहनें वो सब करती हैं, जो उनका मन करता है और जिनसे उन्हें खुशी मिलती है. हालांकि, बाद में उनकी जिंदगी में कुछ ऐसा होता है, जिससे उनका नजरिया ही बदल जाता है और साथ ही सोच और जीवनशैली भी. आखिरकार सितारों की खोज में सामाजिक मान्यताओं की परवाह किए बिना आगे बढ़ रहीं डॉली और किट्टी के साथ क्या होता है, ये जानने के लिए आपको नेटफ्लिक्स पर रिलीज फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे देखना होगा.

शानदार एक्टिंग और जानदार निर्देशन

डॉली के रूप में कोंकणा सेन शर्मा और किट्टी के रूप में भूमि पेडनेकर इस फ़िल्म की जान हैं, जो लगभग हर सीन में कहानी के साथ न्याय करती नजर आती हैं. कोंकणा सेन शर्मा ने तो बेहतरीन काम किया है. वहीं आमिर बशीर डॉली के पति के रूप में जबरदस्त लगे हैं. विक्रांत मेसी और अमोल पराशर अपने-अपने किरदार के साथ न्याय करते हैं. कुब्रा सैत और करण कुंद्रा संक्षिप्त भूमिका में दर्शकों की उम्मीदों पर खड़ा उतरते हैं. अलंकृता श्रीवास्तव ने राइटर और डायरेक्टर के रूप में ऐसी कहानी लिखी है, जिसमें बिहार के दरभंगा के आईं बहनों की ग्रेटर नोएडा जैसे महानगर में ख्वाहिशों की उड़ान दिखती है. डॉली किट्टी छोटे शहरों की एक प्रतीकात्मक तस्वीर की तरह है, जिससे लोग जुड़ेंगे तो नहीं, लेकिन उन्हें नजरअंदाज करना भी आसान नहीं होगा. लिपस्टिक अंडर माई बुर्का के बाद अलंकृता ने डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे के जरिये एक और बोल्ड सब्जेक्ट दुनिया के सामने पेश किया है, जिसे देखकर दर्शकों की तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं.

क्यों देखें डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे

नेटफ्लिक्स पर रिलीज नई फ़िल्म डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे एक अच्छी कहानी के साथ ही कोंकणा सेन शर्मा और भूमि पेडनेकर समेत अन्य कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी के लिए देखिए. साथ ही इसलिए भी देखिए कि किस तरह महिलाएं अब अपनी ख्वाहिशें जाहिर करने लगी हैं और इसके लिए वह सामाजिक बंधनों या मान्यताओं की परवाह नहीं करतीं. डॉली और किट्टी नए जमाने की लड़कियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो घर-समाज की परवाह किए बगैर नौकरी करना चाहती है, बॉयफ्रेंड बनाना चाहती हैं और सेक्स के मामले में भी काफी मुखर होने लगी हैं. शायद यह फ़िल्म आपको थोड़ी अजीब लगे, लेकिन इसलिए देखिए कि अब महिलाएं हर मामले में पुरुषों के समकक्ष आने लगी हैं. इस हफ्ते आपके पास डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे के रूप में मनोरंजन का बेहतर विकल्प है.





इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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