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Bhoot Review : निराशा के हम नहीं हैं जिम्मेदार, भूत 'दर्शक अपने रिस्क पर ही देखें'

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 21 फरवरी, 2020 07:21 PM
  • 21 फरवरी, 2020 03:01 PM
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Bhoot movie review-rating: विक्की कौशल (Vicky Kaushal) स्टारर फिल्म भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप (Bhoot Part One: The Haunted Ship) रिलीज हो गई है. जैसा फिल्म के निर्देशक ने फिल्म को ट्रीटमेंट दिया है और जैसी विक्की की एक्टिंग है दोनों ही बातें दर्शक को इम्प्रेस करने में नाकाम हैं.

Bhoot movie review-rating: आखिरकार डायरेक्टर भानु प्रताप सिंह का भूत दर्शकों के सामने आ ही गया. धर्मा प्रोडक्शन (Dharma Production) के बैनर तले भानु प्रताप सिंह की भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप (Bhoot Part One: The Haunted Ship) इस हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई है. फिल्म में मुख्य भूमिका में विक्की कौशल (Vicky Kaushal), भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar), आशुतोष राणा (Ashutosh Rana) हैं. जैसा कि नाम से साफ़ है फिल्म हॉरर (Horror) और सस्पेंस जॉनर की फिल्म है जिसे लेकर काफी दिन से चर्चा का बाजार गर्म था. जब फिल्म में विक्की कौशल, भूमि पेडनेकर और आशुतोष राणा जैसे मंझे हुए कलाकार हों तो दर्शक यूं भी मान लेता है कि फिल्म में कुछ हो न हो एक्टिंग जरूर होगी. लेकिन जब हम 'भूत' को देखते हैं तो इस बिंदु पर फिल्म बुरी तरह विफल होती है और साफ़ पता चलता है कि निर्देशक इतने उम्दा एक्टर्स से काम लेने में नाकाम रहे हैं. भारत में बनी हॉरर फिल्मों की खासियत है कि इसमें दिखया गया भूत भले ही 'कौड़ी का तीन' हो. लेकिन उसे फुटेज देने के लिए माहौल इतना बनाया जाता है कि डर वाले कुछ एलिमेंट आ ही जाते हैं. विक्की कौशल की भूत का भी हाल कुछ ऐसा ही है. एक दर्शक के तौर पर आप इस फिल्म में भी तेज साउंड की बदौलत डर को महसूस करेंगे. फिल्म में खिड़की दरवाजों को अचानक बंद होते दिखाया गया है. तो साथ ही वो दृश्य भी हैं जिनमें शीशे के सामानों को क्रैक होते, घर के अंदर रखी वस्तुओं को इधर उधर खिसकते देखकर डर वाली फीलिंग को महसूस किया जा सकता है. सारी बातों के इतर जिस बिंदु ने हमें फिल्म के दौरान सबसे ज्यादा विचलित किया वो फिल्म की स्टोरी या ये कहें कि प्लाट था. भूत फिल्‍म को औसत एक से डेढ़ रेटिंग (Bhoot movie rating) ही मिल पाई हैं.

फिल्म भूत में विक्की कौशल हैं और यही वो एक वजह है जिसके लिए...

Bhoot movie review-rating: आखिरकार डायरेक्टर भानु प्रताप सिंह का भूत दर्शकों के सामने आ ही गया. धर्मा प्रोडक्शन (Dharma Production) के बैनर तले भानु प्रताप सिंह की भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप (Bhoot Part One: The Haunted Ship) इस हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई है. फिल्म में मुख्य भूमिका में विक्की कौशल (Vicky Kaushal), भूमि पेडनेकर (Bhumi Pednekar), आशुतोष राणा (Ashutosh Rana) हैं. जैसा कि नाम से साफ़ है फिल्म हॉरर (Horror) और सस्पेंस जॉनर की फिल्म है जिसे लेकर काफी दिन से चर्चा का बाजार गर्म था. जब फिल्म में विक्की कौशल, भूमि पेडनेकर और आशुतोष राणा जैसे मंझे हुए कलाकार हों तो दर्शक यूं भी मान लेता है कि फिल्म में कुछ हो न हो एक्टिंग जरूर होगी. लेकिन जब हम 'भूत' को देखते हैं तो इस बिंदु पर फिल्म बुरी तरह विफल होती है और साफ़ पता चलता है कि निर्देशक इतने उम्दा एक्टर्स से काम लेने में नाकाम रहे हैं. भारत में बनी हॉरर फिल्मों की खासियत है कि इसमें दिखया गया भूत भले ही 'कौड़ी का तीन' हो. लेकिन उसे फुटेज देने के लिए माहौल इतना बनाया जाता है कि डर वाले कुछ एलिमेंट आ ही जाते हैं. विक्की कौशल की भूत का भी हाल कुछ ऐसा ही है. एक दर्शक के तौर पर आप इस फिल्म में भी तेज साउंड की बदौलत डर को महसूस करेंगे. फिल्म में खिड़की दरवाजों को अचानक बंद होते दिखाया गया है. तो साथ ही वो दृश्य भी हैं जिनमें शीशे के सामानों को क्रैक होते, घर के अंदर रखी वस्तुओं को इधर उधर खिसकते देखकर डर वाली फीलिंग को महसूस किया जा सकता है. सारी बातों के इतर जिस बिंदु ने हमें फिल्म के दौरान सबसे ज्यादा विचलित किया वो फिल्म की स्टोरी या ये कहें कि प्लाट था. भूत फिल्‍म को औसत एक से डेढ़ रेटिंग (Bhoot movie rating) ही मिल पाई हैं.

फिल्म भूत में विक्की कौशल हैं और यही वो एक वजह है जिसके लिए दर्शक थियेटर का रुख कर सकता है

विक्की कौशल की भूत पार्ट 1: द हॉन्टेड शिप को देखकर कहा जा सकता है कि फिल्म की स्टोरीलाइन वही 70 और 80 के दशक की है. जहां 'दो गज जमीन के नीचे' से वीराने तक पहुंचा कारवां, हॉन्टेड शिप पर आकर थम सा गया है.

कमज़ोर स्क्रिप्ट, भूत के नाम पर मजाक और सिर्फ 'विक्की कौशल'

फिल्म भूत पार्ट वन : द हॉन्टेड शिप को एक सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बताया गया है. फिल्म में विक्की, पृथ्वी का किरदार निभाते हुए नजर आ रहे हैं जो मुंबई में अकेले रहते हैं और और शिपिंग ऑफिसर की नौकरी करते हैं. फिल्म में बताया गया है कि एक हादसे के दौरान पृथ्वी यानी विक्की अपनी पत्नी और बेटी को खो चुके हैं जिसका जिम्मेदार वो खुद को मानते हैं. पृथ्वी के अन्दर एक गिल्ट है और उसे यही लगता है कि ये गिल्ट तभी दूर हो सकता है जब वो किसी की मदद करें. हादसा पृथ्वी के दिमाग में कुछ इस तरह बैठा है कि वो हैलोसिनेट करते हैं और जगह-जगह उन्हें अपनी बीवी और बेटी दिखाई देते हैं.

फिल्म में एक दिलचस्प बात ये है कि पृथ्वी अपना इलाज नहीं कराते हैं उन्हें लगता है कि यदि उन्होंने इलाज कराया तो उनकी बीवी और बेटी फिर उनसे दूर हो जाएंगे. इतना बातों पर गौर करिए और निर्देशक की क्रिएटिविटी को अपने सब्र के पैमाने पर तौलिये. फिल्म में निर्देशक ने अचानक ही एक सुनसान जहाज सी-बर्ड की एंट्री दिखाई है. सी-बर्ड को लेकर अफवाह है कि उसमें भूत है.

फिल्म में विक्की यानी पृथ्वी दिलेरी दिखाते हैं और इस शिप की जांच कर उसे ठिकाने लगाने का प्लान बनाते हैं. फिल्म में पृथ्वी को जहाज का निरिक्षण करते देखकर फिल्म के दौरान कुछ मौके ऐसे भी आए हैं जिनको देखकर थियेटर में बैठा दर्शक कभी आश्चर्य में आकर दांतों तले अपनी अंगुली दबा लेता है. तो कभी उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाती है. चूंकि फिल्म को निर्देशक ने कुछ वैसा ही ट्रीटमेंट दिया है जैसा हम पूर्व की बॉलीवुड वाली फिल्मों में देख चुके हैं इसलिए बात जब डरने की आएगी तो दर्शक भी बस यही सोचेगा इसे देखकर क्या डरना? ऐसा डर तो वो पांच या छह साल पहले आई भूतिया फिल्म के दौरान महसूस कर चुका है.

भूतिया फिल्म बनाना और उसके जरिये पैसे खर्च कर थियेटर में आए दर्शक को डराना हमेशा ही एक निर्देशक के लिए बहुत जिम्मेदारी का काम रहा है. विक्की की भूत यहां इसलिए भी विफल है क्योंकि निर्देशक ने डर दिखाने के लिए अंधेरा तो खूब किया मगर बोरिंग अंदाज में. पूरी फिल्म किसी पहेली की तरह नजर आ रही है जिसमें सी-बर्ड का सीक्रेट क्या है? पृथ्वी का इस जहाज से क्या रिश्ता है? क्या भूत पृथ्वी बने विक्की की जान ले पाएगा? क्या पृथ्वी भूत को शिकस्त दे पाएंगे? इन सभी सवालों के जवाब के लिए दर्शक को पैसे खर्च करने होंगे और थियेटर का रुख करना होगा?

फिल्म की स्क्रिप्ट कमज़ोर है. इसलिए हम यही कहेंगे कि अगर आप इस वीकेंड भूत देखने का प्लान बना रहे हैं तो केवल विक्की के लिए थियेटर आ जाइए. विक्की का चिल्लाना, उनका डर से सहम जाना, कई मौकों पर उनका कन्फ्यूज रहना आपको निराश नहीं करेगा. फिल्म में भूमि पेडनेकर और आशुतोष राणा का भी जिक्र किया गया है. तो बता दें कि भले ही इनके रोल दाल में नमक जैसे हैं मगर जैसी एक्टिंग इन दोनों ही कलाकारों ने की है. कहा जा सकता है कि इन दोनों ही कलाकारों ने फीकी दाल को मसालेदार बनाने के लिए अपनी तरफ से भरसक कोशिश की है.

गौरतलब है की किसी भी हॉरर मूवी का एक जरूरी पक्ष उसका साउंड रहता है. तो भले ही निर्देशक कुशल निर्देशन देने में नाकाम हुए हों मगर फिल्म में साउंड के साथ समझौता नहीं किया गया है. फिल्म देखते हुए कई मौके ऐसे भी आएंगे जब आपको लगेगा कि या तो यहां साउंड नहीं डालना था. या फिर यहां साउंड क्यों डाला गया है. जिक्र अगर सिनेमेटोग्राफी का हो तो फिल्म के सिनेमेटोग्राफर ने फिल्म को हॉरर फिल्म बनाने के लिए भरसक कोशिश की है और अगर उन्हें निर्देशक का साथ मिला होता तो चीजें और अच्छे से निकल कर सामने आती.

फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर भी खूब बातें हुई हैं. तो वहां भी वो तमाम दर्शक जो इस फिल्म को देखकर आए हैं निराश हुए हैं. फिल्म क्रिटिक तरण आदर्ष तक ने इसे एक कमज़ोर फिल्म माना है और दर्शकों को बता दिया है कि उन्हें ये फिल्म देखनी चाहिए या नहीं.

दर्शक विक्की कौशल के इस रूप या ये कहें कि उन्हें बेवजह डरते हुए देखकर इस हद तक आहत हैं कि उन्होंने करण जौहर तक से कह दिया है कि जब फ़िल्में ऐसी हों तो उसमें विक्की को न लिया जाए.

दर्शक ड्रामा प्रोडक्शन और विक्की कौशल से इस हद तक नाराज हैं कि, उन्होंने मांग कर डाली है कि इस फिल्म को देखते हुए उनके पैसे बर्बाद हुए हैं और उन्हें उनके पैसे रिफंड किये जाएं.

दर्शकों की प्रतिक्रियाओं से साफ़ है कि अगर विक्की ऐसी ही फ़िल्में बनाते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब उनका सूरज अस्त हो जाएगा.

बहरहाल, फिल्म भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप आ चुकी है. फिल्म का भूत और विक्की की एक्टिंग दर्शकों को डराने में कामयाब होती है या नहीं इसका जवाब वक़्त देगा. लेकिन हमारा एक छोटा सा सुचाव है. भूतिया पिक्चर बनाते वक़्त हमारे निर्देशकों को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि अब वो कुछ नया लेकर आएं. वरना जो उनके भूत हैं वो डराते तो नहीं हैं. हां मगर निर्देशकों की काबिलियत और उनकी क्रिएटिविटी को सवालों के घेरे में जरूर डाल देते हैं जैसा कि भूत पार्ट वन: द हॉन्टेड शिप और विक्की कौशल के इस मामले में देखने को मिला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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