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Abhishek Bachchan की फिल्म से पहले दसवीं के मेकर्स की ये 5 फ़िल्में ना देखी हो तो देख लें!

    • आईचौक
    • Updated: 04 अप्रिल, 2022 05:44 PM
  • 04 अप्रिल, 2022 05:41 PM
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अभिषेक बच्चन की दसवीं के निर्माताओं ने इस फिल्म से पहले भी बेहतरीन सोशल कॉमेडी ड्रामा बनाई हैं. सभी फिल्म पिछले पांच सालों के दौरान बैक टू बैक आईं और जबरदस्त हिट रहीं.

इसी हफ्ते 7 अप्रैल को अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निमरत कौर की भूमिकाओं से सजी सोशल कॉमेडी ड्रामा दसवीं आ रही है. यह एक जाट पॉलिटिशियन की दिलचस्प कहानी है. एक मुख्यमंत्री जिसे जेल जाने की वजह से अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ती है और वह गाय-भैंसों संभालने वाली पत्नी को मुख्यमंत्री बनवा देता है. कम पढ़ा-लिखा होने की वजह से जेल में अपमानित महसूस करता है. फिर वहीं से दसवीं की पढ़ाई का फैसला लेता है. यह पहली नजर में दिलचस्प दिख रही है.

दसवीं दिनेश विजान के मैडॉक फिल्म्स ने बनाया है. इस प्रोडक्शन ने दसवीं से पहले भी कई फ़िल्में बनाई हैं जिसमें एक्शन, थ्रिलर और रोमांटिक ड्रामा शामिल हैं. हालांकि मेड इन चाइना जैसी इक्का-दुक्का नाकामी को छोड़ दिया जाए तो सोशल कॉमेडी ड्रामा ने प्रोडक्शन को बेहद कामयाब बैनर बनाया. हम नीचे जिन फिल्मों के बारे में बात कर रहे हैं वे किसी ना किसी मुद्दे को मनोरंजक तरीके से पेश करती हैं. फिल्मों ने खूब दर्शक जुटाए और बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रहीं. आइए जानते हैं ऐसी ही छह फिल्मों के बारे में जानते हैं.

दसवीं

#1. हिंदी मीडियम

यह फिल्म साल 2017 में आई थी. फिल्म की कहानी उस निम्न मध्यवर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जो आर्थिक रूप से सक्षम होकर दूसरे उच्च मध्यवर्ग में शामिल होने की होड़ में लगा है. मगर सांस्कृतिक तौर पर उसकी जड़े बदलाव को लेकर उहापोह में है. ऐसे समाजों में कुछ व्यर्थ की चीजों को शान ओ शौकत का प्रतीक मान लिया जाता है. और अंग्रेजी ज्ञान के आधार पर ही किसी को सभ्य और संपन्न माना जाता है. असल में यह एक ही छत के नीचे रह रही तीन पीढ़ियों का द्वंद्व भी है जिसे कॉमिक अंदाज में दिखाने की कोशिश की गई है.

अंग्रेजी में बात करना, हाई फाई सोसायटी में रहना, बच्चों को बड़े और महंगे अंग्रेजी...

इसी हफ्ते 7 अप्रैल को अभिषेक बच्चन, यामी गौतम और निमरत कौर की भूमिकाओं से सजी सोशल कॉमेडी ड्रामा दसवीं आ रही है. यह एक जाट पॉलिटिशियन की दिलचस्प कहानी है. एक मुख्यमंत्री जिसे जेल जाने की वजह से अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ती है और वह गाय-भैंसों संभालने वाली पत्नी को मुख्यमंत्री बनवा देता है. कम पढ़ा-लिखा होने की वजह से जेल में अपमानित महसूस करता है. फिर वहीं से दसवीं की पढ़ाई का फैसला लेता है. यह पहली नजर में दिलचस्प दिख रही है.

दसवीं दिनेश विजान के मैडॉक फिल्म्स ने बनाया है. इस प्रोडक्शन ने दसवीं से पहले भी कई फ़िल्में बनाई हैं जिसमें एक्शन, थ्रिलर और रोमांटिक ड्रामा शामिल हैं. हालांकि मेड इन चाइना जैसी इक्का-दुक्का नाकामी को छोड़ दिया जाए तो सोशल कॉमेडी ड्रामा ने प्रोडक्शन को बेहद कामयाब बैनर बनाया. हम नीचे जिन फिल्मों के बारे में बात कर रहे हैं वे किसी ना किसी मुद्दे को मनोरंजक तरीके से पेश करती हैं. फिल्मों ने खूब दर्शक जुटाए और बॉक्स ऑफिस पर कामयाब रहीं. आइए जानते हैं ऐसी ही छह फिल्मों के बारे में जानते हैं.

दसवीं

#1. हिंदी मीडियम

यह फिल्म साल 2017 में आई थी. फिल्म की कहानी उस निम्न मध्यवर्ग का प्रतिनिधित्व करती है जो आर्थिक रूप से सक्षम होकर दूसरे उच्च मध्यवर्ग में शामिल होने की होड़ में लगा है. मगर सांस्कृतिक तौर पर उसकी जड़े बदलाव को लेकर उहापोह में है. ऐसे समाजों में कुछ व्यर्थ की चीजों को शान ओ शौकत का प्रतीक मान लिया जाता है. और अंग्रेजी ज्ञान के आधार पर ही किसी को सभ्य और संपन्न माना जाता है. असल में यह एक ही छत के नीचे रह रही तीन पीढ़ियों का द्वंद्व भी है जिसे कॉमिक अंदाज में दिखाने की कोशिश की गई है.

अंग्रेजी में बात करना, हाई फाई सोसायटी में रहना, बच्चों को बड़े और महंगे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ाना और दिखावे की जिंदगी जीना शामिल है. यह फिल्म उस विचार को स्थापित करती है कि कामयाब, सभ्य, बुद्धिमान और संपन्न होने की शर्त केवल यह नहीं कि आप अंग्रेजी में दक्ष हैं. हकीकत में अंग्रेजी ऐसी किसी चीज का कोई पैमाना नहीं है. साकेत चौधरी के निर्देशन में इरफान खान और सबा करीम ने मुख्य भूमिका निभाई थी.

#2. स्त्री

यह फिल्म साल 2018 में आई थी. असल में यह हॉरर कॉमेडी ड्रामा है. भूतिया कहानी के जरिए एक बड़े इशू (सेक्स वर्कर्स के पुनर्वास) को एड्रेस करने की कोशिश है. इसमें दिखाया गया है कि किसी सेक्स वर्कर से संबंध बनाने पर समाज उसे बुरा नहीं मानता मगर उससे प्रेम करने को गलत निगाह से देखता है. स्त्री प्रेम और महिला को लेकर उसके अलग-अलग नजरियों की कहानी है. छोटे कस्बे के बैकड्राप में यह खूब मनोरंजन करती है और अंत तक बांधे रखती है.

यही फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है. हालांकि इसकी कहानी बहुत व्यवस्थित नहीं है. मगर एक्टर्स की परफोर्मेंस और मजेदार कॉमिक सीन्स दिलचस्पी बनाए रखते हैं. फिल्म में राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर, अपारशक्ति खुराना और पंकज त्रिपाठी ने जबरदस्त अभिनय किया है.

#3. लुका छुपी

लक्षमण उटेकर के निर्देशन में बनी यह फिल्म साल 2019 में आई थी. इसमें टियर टू या थ्री शहरों में भारतीय परंपरा और आधुनिक समाज के अंतर्द्वंद्व और विरोधाभास को प्रेम के जरिए दिखाया गया है. एक जोड़ा प्यार करता है और घर से बाहर लिव इन में रहता है. लड़की का पिता संस्कृति का स्वघोषित रक्षक है इस तरह के प्रेम की खिलाफत करता है. दोनों के घरवालों को पता चल जाता है. और उन्हें लगता है कि दोनों ने भागकर शादी कर ली है. जबकि प्रेमी जोड़ा यह कह नहीं पाता कि वह बिना शादी के साथ रहता है.

इसके बाद फिल्म में खूब ढेर सारे उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं. परिवार वालों ने रिश्ते को स्वीकार कर लिया है मगर सच्चाई यह है कि दोनों ने अबतक शादी नहीं की है. शादी करने के लिए उन्हें क्या-क्या पापड बेलने पड़ते हैं इसी को फिल्म में दिखाया गया है. कार्तिक आर्यन, कृति सेनन और अपारशक्ति खुराना ने बहुत जबरदस्त काम किया है.

#4. बाला

अमर कौशिक के निर्देशन में बनी बाला भी 2019 में ही आई थी. फिल्म में गंजेपन और त्वचा के रंग को मुद्दा बनाया गया है. इसके जरिए दिखाया गया है कि नैसर्गिक चीज को लेकर परेशान लोगों को कैसे व्यर्थ में लूटा जाता है. कंपनियां बाल उगाने और गोरा बनाने के नाम पर किस तरह उल्लू बनाती हैं. हीरो का बाल एक उम्र के बाद चला जाता है और इसकी वजह से उसे रिलेशनशिप बनाने और शादी में परेशानी का सामना करना पड़ता है. वह गंजेपन को छिपाकर शादी करने में कामयाब हो जाता है लेकिन उसकी पोल खुल जाती है और मामला कोर्ट में पहुंच जाता है. जबकि उसी की बैचमेट जो अब एक वकील है- त्वचा के रंग की वजह से शादी में अड़चनों का सामना करना पड़ता है.

फिल्म में यही बताने की कोशिश की गई हैं कि प्राकृतिक चीजों के कई रंग होते हैं और वो अपनेआप में खूबसूरत ही होते हैं. उन्हें लेकर झिझक, शर्म का कोई मतलब नहीं. उसे स्वीकार करके जीना ही खूबसूरती है. आयुष्मान खुराना, भूमि पेडणेकर और सौरभ शुक्ला ने जबरदस्त अभिनय किया है.

#5. मिमी

साल 2021 में आई मिमी, सरोगेसी और चाइल्ड अडाप्शन के बहाने कई जरूरी मैसेज देती है. फिल्म ह्यूमर, इमोशन का बढ़िया डोज है. असल में फिल्म की कहानी एक सामान्य घर के लड़की की है जो पैसों की जरूरत के लिए एक मध्यस्थ की वजह से अपनी कोख किराए पर देने को तैयार हो जाती है. एक विदेशी जोड़ा ने उसकी कोंख को किराए पर ले रखा है. हालांकि किन्हीं वजहों से विदेशी बच्चा लेने से मुकर जाते हैं. इसके बाद मिमी मुश्किल हालत का सामना करती है और बच्चे को पैदा करने का फैसला लेती है. उसके माता पिता को ये बात ठीक नहीं लगती पर बेटी का साथ देते हैं.

क्या विदेशी जोड़ा बच्चे को लेने वापस आता है, मिमी बच्चे पैदा कर उसे कैसे पालती है- यही फिल्म में दिखाया गया है. कृति सेनन, पंकज त्रिपाठी ने फिल्म में जबरदस्त काम किया है.





इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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