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Bappi Lahiri के निधन का कारण बनी OSA बीमारी को लेकर बहस छिड़ गई है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 17 फरवरी, 2022 02:23 PM
  • 17 फरवरी, 2022 02:20 PM
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बप्पी लहरी की मौत से देश स्तब्ध है. आइये जानें किस कारण हुई बप्पी लहरी की मौत और आखिर क्यों इस मौत के बाद सोशल मीडिया जगत और फैंस के बीच Obstructive Sleep Apnea को लेकर बहस तेज हो गयी है.

Bappi Lahiri Death Due To Obstructive Sleep Apnea : संगीत और फिल्म जगत के लिए मुश्किलों भरा वक्त है. अभी बीते दिनों ही सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर कोरोना वायरस के आगे जिंदगी की जंग हार गईं थी. लता की मौत से आम ओ खास सब दुखी और पूरा देश सदमे में है. संगीत और सिनेमा के शौकीन अभी लता जी की मौत का गम भुला भी नहीं पाए थे. ऐसे में बप्पी लहरी के अचानक चले जाने ने एक बार फिर से फैंस और संगीत के कद्रदानों को झकझोर कर रखे दिया है. महज 69 साल की उम्र में गायक और संगीतकार बप्पी लहरी का यूं अचानक चले जाना कई बातों को स्पष्ट करता है और बताता है कि सच में मौत पर किसी का बस नहीं है. ये किसी को भी आ सकती है. कभी भी आ सकती है. बप्पी लहरी और फैंस के बीच बप्पी दा के रूप में मशहूर इस सदाबहार गायक ने मुंबई के क्रिट‍िकेयर हॉस्प‍िटल में अपनी अंतिम सांसे ली.

OSA के चलते अचानक हुई बप्पी लहरी की मौत ने फैंस और संगीत प्रेमियों को हैरत में डाल दिया है

बप्पी दा की मौत के बाद जो जानकारी डॉक्टर्स ने दी है, यदि उसपर यकीन किया जाए तो बप्पी दा पिछले कुछ वक्त से कई गम्भीर बीमारियों की चपेट में थे. डॉक्टर्स के मुताबिक बप्पी दा को लगभग एक साल से ऑब्स्ट्रक्ट‍िव स्लीप एपन‍िया (OSA) और चेस्ट इन्फेक्शन की समस्या थी. बप्पी दा के विषय में माना यही जा रहा है कि OSA ही वो बीमारी थी, जो उनकी मौत की वजह बनी.

OSA क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? कैसे इस बीमारी से जिंदगी और मौत की जंग में मौत को मात देते हुए जिंदगी को बचाया जा सकता है? इस पर करने के लिए तमाम बातें हैं मगर उससे पहले हमारे लिए ये जान लेना...

Bappi Lahiri Death Due To Obstructive Sleep Apnea : संगीत और फिल्म जगत के लिए मुश्किलों भरा वक्त है. अभी बीते दिनों ही सुरों की मल्लिका लता मंगेशकर कोरोना वायरस के आगे जिंदगी की जंग हार गईं थी. लता की मौत से आम ओ खास सब दुखी और पूरा देश सदमे में है. संगीत और सिनेमा के शौकीन अभी लता जी की मौत का गम भुला भी नहीं पाए थे. ऐसे में बप्पी लहरी के अचानक चले जाने ने एक बार फिर से फैंस और संगीत के कद्रदानों को झकझोर कर रखे दिया है. महज 69 साल की उम्र में गायक और संगीतकार बप्पी लहरी का यूं अचानक चले जाना कई बातों को स्पष्ट करता है और बताता है कि सच में मौत पर किसी का बस नहीं है. ये किसी को भी आ सकती है. कभी भी आ सकती है. बप्पी लहरी और फैंस के बीच बप्पी दा के रूप में मशहूर इस सदाबहार गायक ने मुंबई के क्रिट‍िकेयर हॉस्प‍िटल में अपनी अंतिम सांसे ली.

OSA के चलते अचानक हुई बप्पी लहरी की मौत ने फैंस और संगीत प्रेमियों को हैरत में डाल दिया है

बप्पी दा की मौत के बाद जो जानकारी डॉक्टर्स ने दी है, यदि उसपर यकीन किया जाए तो बप्पी दा पिछले कुछ वक्त से कई गम्भीर बीमारियों की चपेट में थे. डॉक्टर्स के मुताबिक बप्पी दा को लगभग एक साल से ऑब्स्ट्रक्ट‍िव स्लीप एपन‍िया (OSA) और चेस्ट इन्फेक्शन की समस्या थी. बप्पी दा के विषय में माना यही जा रहा है कि OSA ही वो बीमारी थी, जो उनकी मौत की वजह बनी.

OSA क्या है? इसके लक्षण क्या हैं? कैसे इस बीमारी से जिंदगी और मौत की जंग में मौत को मात देते हुए जिंदगी को बचाया जा सकता है? इस पर करने के लिए तमाम बातें हैं मगर उससे पहले हमारे लिए ये जान लेना भी बहुत जरूरी है कि चाहे वो देर से सोना और बे वक्त भोजन करना हो या फिर शराब और सिगरेट का सेवन और घंटों मोबाइल, लैपटॉप या तकनीक से चिपके रहना यदि आज हमारी जिंदगी हमारी बिगड़ी लाइफस्टाइल की भेंट चढ़ी है तो इसका जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि हम खुद हैं.

कहना गलत नहीं है कि बप्पी दा की मौत हम सभी फैंस के लिए एक ऐसा संकेत है जिसने हमें बता दिया है कि यदि हम वक्त रहते संभल गए और अपना सही से इलाज करा लिया तो न केवल हम कुछ समय के लिए अपनी मौत को टाल सकते हैं बल्कि दूसरों को भी स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित कर सकते हैं.

तो आखिर क्या है ऑब्स्ट्रक्ट‍िव स्लीप एपन‍िया

जैसा कि हम बता चुके हैं सिंगर और कंपोजर बप्पी लहरी की मौत की वजह ऑब्स्ट्रक्ट‍िव स्लीप एपन‍िया है. जिसके विषय में तमाम डॉक्टर्स का यही मत है कि ये नींद से संबंधित एक ब्रीदिंग डिसऑर्डर है. बात अगर इस विकार की हो तो इसमें सोते समय सांस बार-बार रुकती और चलती है. बीमारी किस हद तक गंभीर है इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि कभी कभी इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की सांस नींद में ही रुक जाती है और उसे इसकी भनक भी नहीं लगती.

डॉक्टरों के अनुसार नींद में सांस रुकने की ये दिक्कत जहां कुछ सेकंड्स के लिए होती है तो वहीं ऐसे भी मामले प्रकाश में आए हैं जिनमें एक मिनट या उससे कुछ ऊपर व्यक्ति की सांस नींद में रुकी. स्थिति गंभीर हुई और यही बात मरीज की मौत की वजह बनी.

बीमारी को लेकर क्या कहते हैं हेल्थ एक्सपर्ट्स

OSA नींद से जुड़ी उन चुनिंदा बीमारियों में है जिसे किसी भी सूरत में हल्के में नहीं लिया जा सकता. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जिस समय नींद में व्यक्ति की सांस रुकती है उस वक्त व्यक्ति ब्लड में ऑक्सीजन की कमी महसूस करता है. चूंकि इस अवस्था में शरीर में कार्बन डाई ऑक्साइड जमा होने लगती है. व्यक्ति का दिमाग फौरन ही एक्टिव हो जाता है. व्यक्ति कुछ सेकंड्स के लिए जगाता है ताकि वो सांस ले सके.

चूंकि इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति बार बार नींद से जागता है तो उसे भरी पूरी नींद नहीं मिल पाती. वो बोझिल महसूस करता है और उसकी सेहत दिन ब दिन खराब होती जाती है.

इस जानलेवा बीमारी के मद्देनजर हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बात पर भी बल देते हैं कि व्यक्ति जब तक समझता है कि उसके शरीर में कोई दिक्कत है तब तक देर हो चुकी होती है और व्यक्ति हाल कुछ वैसा ही होता है जैसा बप्पी लहरीर का हुआ.

डॉक्टर्स के मुताबिक वैसे तो स्लीप एपनिया अलग अलग तरह के होते हैं, लेकिन इनमे सबसे कॉमन ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है. इसमें गले की मसल्स नींद के दौरान ढीली पड़ जाती हैं और एयर फ्लो में रुकावट डालती हैं. यही वो कारण भी है जिसके चलते इंसान तेज खर्राटे लेता है.

खर्राटों पर भी डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स के दिलचस्प तथ्य है. माना जाता है कि जल्दी- जल्दी और तेज-तेज खर्राटे लेने वाला हर व्यक्ति OSA की चपेट में आए ये बिलकुल भी जरूरी नहीं. बीमारी को लेकर माना यही जाता है की खून में ऑक्सीजन का स्तर कम होना ही इंसान की मौत की बड़ी वजह बनता है.

ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लक्षण

ये तो बात हो गई बीमरी की. व्यक्ती इस बीमारी से ग्रसित भी है या नहीं इसके लिए हमें पहले इस बीमारी के लक्षणों के पड़ताल कर लेनी चाहिए. जोर-जोर से खर्राटे लेना, दिन में अत्यधिक नींद आना, सोते समय सांस लेने में कठिनाई महसूस होना, मुंह सूखना या गले में खराश रहना, मूड चेंज और डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और सेक्सुअल डिजायर्स में कमी OSA के अहम लक्षण हैं. यदि व्यक्ति को अपने शरीर में ये लक्षण दिख रहे हैं तो उसे फ़ौरन ही इस बीमारी के प्रति गंभीर हो जाना चाहिए. 

होने तो तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन जो लोग मोटापे का शिकार हैं या फिर जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज है या फिर वो लोग जो स्मोकिंग में लिप्त हैं उन्हें सावधान हो जाने की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि ये बीमारी उन गिनी चुनी बीमारियों में है जो व्यक्ति की जीवन लीला समाप्त करने का पूरा सामर्थ्य रखती है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को छोटे मोटे काम करने में भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और बीमारी के कारण  उसके जीवन में बाधाएं आती रहती हैं. 

जैसा कि हमें पता है जानकारी ही बचाव है यदि व्यक्ति को उपरोक्त बताए गए लक्षणों में से कुछ भी दिखता है तो फ़ौरन ही उसे मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए और अपनी लाइफ स्टाइल में छोटे बड़े फेरबदल करने शुरू कर देने चाहिए.

बात OSA की चपेट में आने के बाद बप्पी लहरी की मौत की हुई है. तो ट्विटर पर भी लोग यही कह रहे हैं कि व्यक्ति को अपने शरीर में होते छोटे बड़े परिवर्तनों पर गौर करना चाहिए. यदि समस्या छोटी भी है तो इसे चिकित्सीय मदद लेनी चाहिए.

बहरहाल अभी कुछ दिन पहले भारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर की कोरोना से मौत और अब OSA की वजह से महज 69 साल में बप्पी दा का दुनिया छोड़कर जाना इस बात की तस्दीख कर दे रहा है कि सेहत सबसे जरूरी है साथ ही उसका ध्यान भी. अगर इंसान को अपने अंदर कुछ भी तब्दीली दिखे तो फ़ौरन ही उसे डॉक्टर की क्षरण में जाना चाहिए और समय रहते इलाज कर लेना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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