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Brahmastra को बाहुबली फेम राजमौली दक्षिण की 4 भाषाओं में प्रजेंट करेंगे, इसके मायने बड़े हैं!

    • आईचौक
    • Updated: 18 दिसम्बर, 2021 07:01 PM
  • 18 दिसम्बर, 2021 06:57 PM
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रणबीर कपूर-आलिया भट्ट स्टारर ब्रह्मास्त्र (Brahmastra) को दक्षिण में बाहुबली फेम एसएस राजमौली प्रजेंट करेंगे. यह दक्षिण भारत में बॉलीवुड फिल्मों के लिए बंद दरवाजों को खोलने का मौका साबित हो सकता है.

प्रभास के साथ बाहुबली जैसी कालजयी फिल्म बनाकर भारतीय सिनेमा की सूरत बदल देने वाले एसएस राजमौली फैंटेसी एक्शन मूवी ब्रह्मास्त्र (Brahmastra movie) को दक्षिण की चार अहम भाषाओं में प्रजेंट करेंगे. ब्रह्मास्त्र को तीन पार्ट में बनाया गया है. रणबीर कपूर, अलिया भट्ट, नागार्जुन और अमिताभ बच्चन की दमदार भूमिकाओं से सजी फिल्म का निर्देशन अयान मुखर्जी ने किया है. अयान ने फिल्म की कहानी भी लिखी है. जबकि इसका निर्माण करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन ने किया है. ब्रह्मास्त्र को हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और मलयालम भाषा में भी वर्ल्ड वाइड रिलीज करने की तैयारी है.

ब्रह्मास्त्र की कहानी क्या हो सकती है?

फिल्म को अगले साल 9 सितंबर के दिन सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा. ब्रह्मास्र की कहानी अभी बहुत साफ़ नहीं हुई है. फिल्म फेयर के मुताबिक़ नागार्जुन आर्कियोलाजिस्ट का किरदार निभा रहे हैं. वे प्रोफ़ेसर भी सकते हैं. उनका किरदार काशी में गंगा के किनारे अति प्राचीन शिव मंदिर खोज रहा है. फिल्म की कहानी मौजूदा कालखंड की है जिसमें धार्मिक-पौराणिक रेफरेंस जुड़ते हैं. काशी और शिव का रेफरेंस पौराणिक ही है. रणबीर कपूर का किरदार अलौकिक शक्तियां हासिल करता है. हाल ही में आए मोशन पोस्टर में यह दिखा भी. टीजर में घायल रणबीर को दिव्य शक्तियां मिलती नजर आती हैं. वे उठते हैं और उनके हाथ में दिव्य त्रिशूल नजर आता है. बैकड्रॉप में भगवान शिव का विशालकाय रूप नजर आता है.

ब्रह्मास्त्र, ब्रह्मा विष्णु और महेश की ट्रियोलजी पर आधारित है. यह पहला पार्ट है और इसमें शिव से जुड़े रहस्य हैं. ब्रह्मास्त्र की कहानी में शिव का सुपर नेचुरल एंगल ही दर्शकों की दिलचस्पी का विषय है. फ़िल्में से जुड़ी अब तक की चर्चाओं के आधार पर कह सकते हैं कि ब्रह्मास्त्र में कुछ कुछ टॉम हैंक्स की "दा विंची कोड" जैसे रहस्य को सुलझाने की कोशिशें सुपर नेचुरल एंगल के साथ दिख सकती हैं. मणिशंकर ने संजय दत्त और सुनील शेट्टी के साथ पौराणिक रेफरेंस लेते हुए 17 साल पहले ऐसी ही एक फिल्म रुद्राक्ष बनाई...

प्रभास के साथ बाहुबली जैसी कालजयी फिल्म बनाकर भारतीय सिनेमा की सूरत बदल देने वाले एसएस राजमौली फैंटेसी एक्शन मूवी ब्रह्मास्त्र (Brahmastra movie) को दक्षिण की चार अहम भाषाओं में प्रजेंट करेंगे. ब्रह्मास्त्र को तीन पार्ट में बनाया गया है. रणबीर कपूर, अलिया भट्ट, नागार्जुन और अमिताभ बच्चन की दमदार भूमिकाओं से सजी फिल्म का निर्देशन अयान मुखर्जी ने किया है. अयान ने फिल्म की कहानी भी लिखी है. जबकि इसका निर्माण करण जौहर के धर्मा प्रोडक्शन ने किया है. ब्रह्मास्त्र को हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और मलयालम भाषा में भी वर्ल्ड वाइड रिलीज करने की तैयारी है.

ब्रह्मास्त्र की कहानी क्या हो सकती है?

फिल्म को अगले साल 9 सितंबर के दिन सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा. ब्रह्मास्र की कहानी अभी बहुत साफ़ नहीं हुई है. फिल्म फेयर के मुताबिक़ नागार्जुन आर्कियोलाजिस्ट का किरदार निभा रहे हैं. वे प्रोफ़ेसर भी सकते हैं. उनका किरदार काशी में गंगा के किनारे अति प्राचीन शिव मंदिर खोज रहा है. फिल्म की कहानी मौजूदा कालखंड की है जिसमें धार्मिक-पौराणिक रेफरेंस जुड़ते हैं. काशी और शिव का रेफरेंस पौराणिक ही है. रणबीर कपूर का किरदार अलौकिक शक्तियां हासिल करता है. हाल ही में आए मोशन पोस्टर में यह दिखा भी. टीजर में घायल रणबीर को दिव्य शक्तियां मिलती नजर आती हैं. वे उठते हैं और उनके हाथ में दिव्य त्रिशूल नजर आता है. बैकड्रॉप में भगवान शिव का विशालकाय रूप नजर आता है.

ब्रह्मास्त्र, ब्रह्मा विष्णु और महेश की ट्रियोलजी पर आधारित है. यह पहला पार्ट है और इसमें शिव से जुड़े रहस्य हैं. ब्रह्मास्त्र की कहानी में शिव का सुपर नेचुरल एंगल ही दर्शकों की दिलचस्पी का विषय है. फ़िल्में से जुड़ी अब तक की चर्चाओं के आधार पर कह सकते हैं कि ब्रह्मास्त्र में कुछ कुछ टॉम हैंक्स की "दा विंची कोड" जैसे रहस्य को सुलझाने की कोशिशें सुपर नेचुरल एंगल के साथ दिख सकती हैं. मणिशंकर ने संजय दत्त और सुनील शेट्टी के साथ पौराणिक रेफरेंस लेते हुए 17 साल पहले ऐसी ही एक फिल्म रुद्राक्ष बनाई थी. खैर कहानी जो भी हो लेकिन राजमौली का ब्रह्मास्त्र के साथ जुड़ना बड़ी बात है.

शिव के कितने करीब लग रहें रणबीर कपूर?

सोशल मीडिया में कुछ यूजर्स को ब्रह्मास्त्र में कास्टिंग खटक रही है. दरअसल, रणबीर कपूर की छवि "छैला बाबू" टाइप की रही है. शरारती, फ्लर्टबाज और रोमांटिक. मानना यह है कि रणबीर में कृष्ण की छवि ज्यादा नजर आती है. शिव नहीं. बहरहाल. ट्रेलर आने तक तमाम चीजें साफ़ नहीं होंगी. लेकिन फिल्म की कहानी में भले ही शिव का पौराणिक रेफरेंस हो, पर रणबीर शिव की भूमिका नहीं कर रहे. हो सकता है कि उनके किरदार को शिव की कोई अलौकिक शक्ति मिली हो, पर उन्हें शिव नहीं बल्कि कोई आधुनिक युवा का किरदार ही जीना है. कास्टिंग पर अभी बहस करना जल्दबाजी होगी.

बॉलीवुड के लिए दक्षिण में बंद दरवाजे खोल सकता है ब्रह्मास्त्र

अब तक बॉलीवुड ने दक्षिण के दर्शकों को प्रभावित करने की बहुत सीधी कोशिशें की हैं लेकिन ऐसा बड़ा मौका नहीं दिखता कि इन कोशिशों को बहुत हाथोंहाथ लिया गया हो. हाल के कुछ सालों में कई बॉलीवुड फ़िल्में साउथ की भाषाओं में बनी और रिलीज हुईं मगर दर्शकों ने उन्हें कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी. जबकि इन्हीं सालों में दक्षिण की हिंदी में आई फिल्मों को दर्शकों ने हाथोंहाथ लिया. बाहुबली के दोनों पार्ट, रोबोट, 2.0, काला, काबाली, साहो, केजीएफ हिंदी में भी सुपर हिट रहीं. ब्रह्मास्त्र के साथ इस बार राजमौली और दूसरे एंगल फिल्म के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं.

एक तो ब्रह्मास्त्र का विषय पैन इंडिया है. सुपर नेचुरल पौराणिक कहानी भारतीय दर्शकों के मूड की है. दक्षिण में राजमौली का फिल्म को प्रजेंट करने से ब्रह्मास्त्र को वहां हाइप मिलेगी. बॉलीवुड फ़िल्में साउथ में स्टार अपील की वजह से भी खारिज हो जाती हैं. राजमौली का नाम और पैन इंडिया फिल्म इसकी भरपाई करने में सक्षम है. दूसरी बात राजमौली की आरआरआर अगले साल 7 जनवरी को रिलीज हो रही है. फिल्म में मुख्य हीरोइन के रूप में आलिया भट्ट हैं. आरआरआर की वजह से आलिया भट्ट को दक्षिण भारतीय ऑडियंस के बीच लोकप्रियता मिलेगी. नागार्जुन साउथ के सुपरस्टार रहे हैं. उनकी मौजूदगी से भी ब्रह्मास्त्र को फायदा मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. संभवत: ये सब चीजें दक्षिण भारतीय दर्शकों में ब्रह्मास्त्र के लिए हुक पॉइंट साबित हो.

दोस्ती में मदद दोतरफा है

ब्रह्मास्त्र के साथ राजमौली के जुड़ने की वजह दोस्ती बताई जा रही है. दरअसल, बाहुबली को हिंदी में करण जौहर ने प्रजेंट किया था और अब बारी राजमौली की है. पहली बार ब्रह्मास्त्र के जरिए बॉलीवुड दक्षिण में बंद दरवाजे खोलता नजर आ रहा है. वैसे भी बाहुबली के बाद दक्षिण और उत्तर का सिनेमा एक-दूसरे के ज्यादा करीब नजर आ रहा है. भाषा की दीवार अब ज्यादा मजबूत नहीं. एक दूसरे की स्वीकार्यता बढ़ी है और स्टार अपील भी. हालांकि दक्षिण के मुकाबले उत्तर के सितारों की दक्षिण में स्टार अपील बहुत कमजोर है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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