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Avatar 2 के जरिए अपने ही बनाए इतिहास को दोहरा पाएंगे जेम्स कैमरून?

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 23 नवम्बर, 2022 08:30 PM
  • 23 नवम्बर, 2022 08:28 PM
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जेम्स कैमरून की फिल्म 'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' 16 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. इसके टीजर और ट्रेलर रिलीज करके मेकर्स माहौल बनाने में लगे हुए हैं. आज से इसकी एडवांस बुकिंग भी शुरू कर दी गई है. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 1909 करोड़ रुपए की लागत में बनी ये फिल्म क्या अपने ही बनाए हुए इतिहास को दोहरा पाएंगी?

कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है, लेकिन इतिहास में जो रिकॉर्ड बनते हैं, उसे तोड़ना मुश्किल होता है. खासकर अपने द्वारा स्थापित किए गए माइलस्टोन को दोबारा पाना इतना आसान नहीं होता. इस वक्त दुनिया के जाने-माने फिल्म निर्माता और निर्देशक जेम्स कैमरून इसी सवाल से दो-चार हो रहे हैं. उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म 'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' 16 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. इस फिल्म का पहला पार्ट 18 दिसंबर 2009 को दुनिया भर में कई भाषाओं में रिलीज किया गया था. इस फिल्म के जरिए जेम्स ने एक नए तरह के सिनेमा से दुनिया का परिचय कराया था. उन्होंने अपनी फिल्म में एक ऐसी दुनिया दिखाई है, जो काल्पनिक होते हुए भी वास्तविकता के बहुत करीब दिखती है. तकनीकी के सहारे इमोशन का ऐसा जादू किया है कि फिल्म देखने वाला हर दर्शक स्तब्ध रह गया था. लोगों की आंखें खुली की खुली रह गई. किसी को सहसा विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई ऐसी फिल्म बनाने के बारे में भी सोच सकता है.

2000 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म के पहले पार्ट ने वर्ल्डवाइड 19025 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

'अवतार' की रिलीज के 13 साल बाद जेम्स कैमरून उसके दूसरे पार्ट 'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' को लेकर आ रहे हैं. ऐसे में मेकर्स के साथ दर्शकों को भी उम्मीद है कि ये फिल्म अपने द्वारा स्थापित इतिहास को दोहरा पाएगी. क्योंकि पहले पार्ट की तुलना में सीक्वल में ज्यादा मेहनत की गई है. इसमें अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ऐसी तकनीक जो सिर्फ इस फिल्म की शूटिंग के लिए ईजाद की गई है. वरना अंडर वॉटर शूट करने की समस्याओं और तकनीक की गैरमौजूदगी की वजह से कैमरून ने पहले सीक्वल का विचार त्याग दिया था. उनको उस तरह की कहानी भी नहीं मिल पा रही थी, जो पहले पार्ट के रोमांच को आगे बढ़ा सके. लेकिन तकनीक और कहानी की...

कहते हैं कि इतिहास खुद को दोहराता है, लेकिन इतिहास में जो रिकॉर्ड बनते हैं, उसे तोड़ना मुश्किल होता है. खासकर अपने द्वारा स्थापित किए गए माइलस्टोन को दोबारा पाना इतना आसान नहीं होता. इस वक्त दुनिया के जाने-माने फिल्म निर्माता और निर्देशक जेम्स कैमरून इसी सवाल से दो-चार हो रहे हैं. उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म 'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' 16 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. इस फिल्म का पहला पार्ट 18 दिसंबर 2009 को दुनिया भर में कई भाषाओं में रिलीज किया गया था. इस फिल्म के जरिए जेम्स ने एक नए तरह के सिनेमा से दुनिया का परिचय कराया था. उन्होंने अपनी फिल्म में एक ऐसी दुनिया दिखाई है, जो काल्पनिक होते हुए भी वास्तविकता के बहुत करीब दिखती है. तकनीकी के सहारे इमोशन का ऐसा जादू किया है कि फिल्म देखने वाला हर दर्शक स्तब्ध रह गया था. लोगों की आंखें खुली की खुली रह गई. किसी को सहसा विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई ऐसी फिल्म बनाने के बारे में भी सोच सकता है.

2000 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म के पहले पार्ट ने वर्ल्डवाइड 19025 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

'अवतार' की रिलीज के 13 साल बाद जेम्स कैमरून उसके दूसरे पार्ट 'अवतार: द वे ऑफ वॉटर' को लेकर आ रहे हैं. ऐसे में मेकर्स के साथ दर्शकों को भी उम्मीद है कि ये फिल्म अपने द्वारा स्थापित इतिहास को दोहरा पाएगी. क्योंकि पहले पार्ट की तुलना में सीक्वल में ज्यादा मेहनत की गई है. इसमें अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. ऐसी तकनीक जो सिर्फ इस फिल्म की शूटिंग के लिए ईजाद की गई है. वरना अंडर वॉटर शूट करने की समस्याओं और तकनीक की गैरमौजूदगी की वजह से कैमरून ने पहले सीक्वल का विचार त्याग दिया था. उनको उस तरह की कहानी भी नहीं मिल पा रही थी, जो पहले पार्ट के रोमांच को आगे बढ़ा सके. लेकिन तकनीक और कहानी की उपलब्धता होने के बाद उन्होंने इस पर काम किया. करीब पांच साल की मेहनत के बाद रिलीज की स्थिति में हैं.

फिल्म 'अवतार 2' की कहानी को लिखने में एक साल से ज्यादा का समय लगा था. लेकिन कहानी तैयार होने के बाद भी कैमरून को प्रभावित नहीं कर पा रही थी. यही वजह है कि निराश होकर उन्होंने फिल्म बनाने का ईरादा छोड़ दिया, लेकिन बाद में उनके हाथ ऐसी कहानी लग ही गई, जिसने पहले का तीसरे पार्ट तक विस्तार कर दिया. इस बारे में खुद जेम्स कहते हैं, ''मैं जब अपनी लेखन टीम के साथ फिल्म के दूसरे पार्ट की कहानी लिखने बैठा तभी मैंने सबसे कह दिया था कि हमें इस कोड को क्रैक करना होगा कि इसका पहला पार्ट इतना अच्छा क्यों था? बाद में ये कंक्लूजन निकला कि सभी फिल्में अलग-अलग लेवल पर काम करती हैं. पहला सरफेस, जिसमें प्रॉब्लम और रिजॉल्यूशन होता है. दूसरा थीममैटिक, जिसमें ये होता है कि कोई फिल्म आखिर चाहती क्या है? मैंने इसके सीक्वल के लिए पूरी स्क्रिप्ट लिखी, उसे पढ़ा और पढ़ने के बाद मुझे ये अहसास हुआ कि ये लेवल थ्री तक नहीं पहुंचती है. हालांकि, अब ये फिल्म रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है.''

''संतोषम परम सुखम''...इसका मतलब ये है कि संतोष में ही परम सुख है. माना कि ये बात ठीक है, लेकिन हर परिस्थिति में इसे सही नहीं माना जा सकता. जल्दी संतोष कर लेना आपको इतिहास रचने से रोक सकता है, क्योंकि आप फिर कुछ अलग करने के लिए खास प्रयास नहीं करेंगे. जेम्स कैमरून की बातों से ही समझ लीजिए. यदि जेम्स ने अपनी लिखी पहली कहानी को ही सही मान लिया होता, तो शायद वो इतिहास नहीं रच पाते और आने वाले वक्त में रिकॉर्ड बनाने की राह पर नहीं होते. वो तबतक मेहनत करते रहे, जबतक कि उनको बेस्ट नहीं मिल गया. उनकी यही खासियत उनको दुनिया के तमाम बड़े फिल्म मेकर्स से अलग करती है. इसकी वजह से ही वो विश्व सिनेमा की कालजयी फिल्म बनाने में कामयाब हो पाए हैं. ऐसी फिल्म जिसमें 3डी के साथ हाई डायनमिक रेंज, हाइयर फ्रेम रेट, बेहतर रिजॉल्यूशन और विजुअल इफेक्‍ट्स के साथ शानदार साउंड सिस्टम देखने को मिलता है. इतना ही नहीं कमाई के मामले में भी इस फिल्म ने वर्ल्डवाइड कई रिकॉर्ड बनाए हैं.

2000 करोड़ रुपए के बजट में बनी इस फिल्म के पहले पार्ट ने रिलीज के बाद महज दो महीने में वर्ल्डवाइड 19025 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इस बार फिल्म का बजट 1909 करोड़ रुपए है. फिल्मी पंडितों का अनुमान है कि फिल्म का सीक्वल 2500 से 3000 करोड़ रुपए के बीच कारोबार कर सकता है. यदि ऐसा हुआ तो ये फिल्म के तीसरे पार्ट के लिए सुखद संकेत होगा. क्योंकि जेम्स कैमरून पहले ही कह चुके हैं कि 'अवतार 2' की कमाई तय करेगी कि इसका तीसरा और चौथा पार्ट बनेगा या नहीं. यदि फिल्म की कमाई कम हुई तो तीसरे पार्ट पर ग्रहण लग जाएगा. एक इंटरव्यू में जेम्स ने कहा है, 'फिल्म की कहानी तीन पार्ट्स में पूरी करें या फ्रेंचाइजी बनाएं, यह आने वाले सीक्वल के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन पर निर्भर करेगा. हम उस समय की तुलना में अब एक अलग दुनिया में हैं, जब मैंने यह फिल्म लिखी थी. महामारी और ओटीटी से बहुत कुछ बदला है. शायद हमें लोगों को याद दिलाना है कि थिएटर जाना क्या होता है. यह फिल्म निश्चित रूप से ऐसा करती है.''



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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