• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सिनेमा

बॉलीवुड कलाकार क्या दक्षिण में उतने ही पॉपुलर हैं, जितने उत्तर में साउथ के सितारे?

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 13 जनवरी, 2022 10:58 PM
  • 13 जनवरी, 2022 10:58 PM
offline
Pushpa: The Rise फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता ने साउथ सिनेमा के एक्टर अल्लू अर्जुन (Allu Arjun) पैन इंडिया सुपरस्टार बना दिया है. उनके चाहने वाले जितने साउथ में हैं, उतने ही ज्यादा अब नॉर्थ में भी हो गए हैं. लेकिन क्या बॉलीवुड के कलाकार साउथ में ऐसे ही पॉपुलर हैं?

पैन इंडिया फिल्मों का जमाना है. अब ज्यादातर बड़ी बजट की फिल्में साउथ और नॉर्थ के ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं. इन्हें प्रमुख रूप से हिंदी, तमिल, तेलुगू, कन्नड और मलयालम में रिलीज किया जा रहा है. एसएस राजामौली की फिल्म 'बाहुबली' की धमाकेदार सफलता के बाद से ही इसकी शुरूआत हुई थी. उसके बाद ज्यादातर साउथ की फिल्में पैन इंडिया रिलीज होने लगीं. लेकिन बॉलीवुड को ऐसी फिल्मों के बारे में सोचने में थोड़ा वक्त लगा. पिछले कुछ वर्षों से हिंदी फिल्म मेकर्स इस दिशा में काम कर रहे हैं. हालही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई रणवीर सिंह की फिल्म '83' और अक्षय कुमार की फिल्म 'अतरंगी रे' को पैन इंडिया रिलीज किया गया. उसी तरह साउथ के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा: द राइज' पहली बार पैन इंडिया रिलीज हुई है. इस फिल्म ने हिंदी पट्टी में कमाई के कई सारे रिकॉर्ड बना दिए हैं. कोरोना काल में भी करीब 240 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करने वाली फिल्म ने हिंदी वर्जन से केवल 80 करोड़ कमा लिए हैं.

अक्षय कुमार और रणवीर सिंह भले ही सुपरस्टार हैं, लेकिन पैन इंडिया स्टार तो अल्लू अर्जुन ही हैं.

फिल्म 'पुष्पा: द राइज' की तुलना में यदि फिल्म '83' के साउथ इंडिया बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की बात करें, तो उसका हिस्सा बहुत ही कम देखने को मिलेगा. रिलीज के बाद फिल्म ने 17 दिनों में करीब 100 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया है. इसमें हिंदी वर्जन से 97 करोड़ रुपए और साउथ लैंग्वेज से महज 3 करोड़ रुपए का कलेक्शन हुआ है. इसमें तमिल वर्जन में 2.64 करोड़ रुपए, कन्नड वर्जन से 1 लाख रुपए, मलयालम से 1 लाख रुपए और तेलुगू से महज 36 हजार रुपए का कलेक्शन हुआ है. इसी अंदाजा लगाया जा सकता है कि बॉलीवुड फिल्मों का साउथ मार्केट में क्या हाल है. जबकि हिंदी से साउथ में डब...

पैन इंडिया फिल्मों का जमाना है. अब ज्यादातर बड़ी बजट की फिल्में साउथ और नॉर्थ के ऑडियंस को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं. इन्हें प्रमुख रूप से हिंदी, तमिल, तेलुगू, कन्नड और मलयालम में रिलीज किया जा रहा है. एसएस राजामौली की फिल्म 'बाहुबली' की धमाकेदार सफलता के बाद से ही इसकी शुरूआत हुई थी. उसके बाद ज्यादातर साउथ की फिल्में पैन इंडिया रिलीज होने लगीं. लेकिन बॉलीवुड को ऐसी फिल्मों के बारे में सोचने में थोड़ा वक्त लगा. पिछले कुछ वर्षों से हिंदी फिल्म मेकर्स इस दिशा में काम कर रहे हैं. हालही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई रणवीर सिंह की फिल्म '83' और अक्षय कुमार की फिल्म 'अतरंगी रे' को पैन इंडिया रिलीज किया गया. उसी तरह साउथ के सुपरस्टार अल्लू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा: द राइज' पहली बार पैन इंडिया रिलीज हुई है. इस फिल्म ने हिंदी पट्टी में कमाई के कई सारे रिकॉर्ड बना दिए हैं. कोरोना काल में भी करीब 240 करोड़ का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करने वाली फिल्म ने हिंदी वर्जन से केवल 80 करोड़ कमा लिए हैं.

अक्षय कुमार और रणवीर सिंह भले ही सुपरस्टार हैं, लेकिन पैन इंडिया स्टार तो अल्लू अर्जुन ही हैं.

फिल्म 'पुष्पा: द राइज' की तुलना में यदि फिल्म '83' के साउथ इंडिया बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की बात करें, तो उसका हिस्सा बहुत ही कम देखने को मिलेगा. रिलीज के बाद फिल्म ने 17 दिनों में करीब 100 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन किया है. इसमें हिंदी वर्जन से 97 करोड़ रुपए और साउथ लैंग्वेज से महज 3 करोड़ रुपए का कलेक्शन हुआ है. इसमें तमिल वर्जन में 2.64 करोड़ रुपए, कन्नड वर्जन से 1 लाख रुपए, मलयालम से 1 लाख रुपए और तेलुगू से महज 36 हजार रुपए का कलेक्शन हुआ है. इसी अंदाजा लगाया जा सकता है कि बॉलीवुड फिल्मों का साउथ मार्केट में क्या हाल है. जबकि हिंदी से साउथ में डब फिल्‍मों को तमिलनाडू में 102, केरेला में 76, कर्नाटका में 75 तो निजाम-आंध्रा में 340 स्‍क्रीन यानी कम से कम 563 स्‍क्रीन मिल जाते हैं. यह फिल्‍म के बिजनेस के लिहाज से बेहतर होता है. फिल्म ट्रेड एक्‍सपर्ट की मानें तो बॉलीवुड की फिल्में साउथ मार्केट में लाने से बॉक्‍स ऑफिस कलेक्शन में कम से कम 10 फीसदी की बढ़ोतरी तय मानी जाती है.

साउथ में बॉलीवुड सितारे पॉपुलर क्यों नहीं हैं?

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि बॉलीवुड कलाकार क्या दक्षिण में उतने ही पॉपुलर हैं, जितने उत्तर में साउथ के सितारे हैं? क्योंकि यदि बॉलीवुड के सितारे साउथ में उतने पॉपुलर होते तो उनकी फिल्में भी वैसा ही कारोबार करती, जैसे कि साउथ स्टार्स की फिल्में नॉर्थ में करती हैं. सही मायने में देखा जाए तो बॉलीवुड के कलाकार साउथ में पॉपुलर नहीं हैं. वहां के लोग 99 फीसदी अपने सुपरस्टार्स की फिल्में ही देखना ही पसंद करते हैं. साउथ लैंग्वेज के हिसाब से बनी उनकी फिल्म इंडस्ट्री जैसे कि तमिल का कॉलीवुड, तेलुगू का टॉलीवुड, मलयालम का मॉलीवुड और कन्नड का सैंडीवुड के अपने-अपने सुपरस्टार हैं. हर साल बड़ी संख्या में उनकी ही फिल्में रिलीज होती हैं. चूंकि साउथ का मूवी ऑडियंस अपने स्टार्स के प्रति समर्पित होता है, इसलिए वो उनकी फिल्में देखने जरूर जाता है. उनकी भाषा और संस्कृति में बनी फिल्मों ही उनको पसंद आती हैं. वहीं, बॉलीवुड फिल्में पहले साउथ मार्केट को ध्यान में रखकर बनाई भी नहीं जाती थीं. इसलिए सितारों की लोकप्रियता का सवाल ही नहीं बनता.

केबल टीवी ने साउथ स्टार्स को लोकप्रिय बनाया

डिजिटल युग में ओवर द टॉप यानी ओटीटी का जमाना आने से पहले केबल टीवी मनोरंजन का सबसे बड़ा जरिया था. जीटीवी, सोनी टीवी और कलर्स टीवी जैसे कई सारे चैनल 24 घंटे लोगों का मनोरंजन किया करते थे. टीवी सीरियल से लेकर तमाम फिल्में प्रसारित की जाती थी. साल 1995 के बाद केबल टीवी पर साउथ फिल्मों के हिंदी डब का दौर शुरू हुआ. इसके तहत साउथ लैंग्वेज तमिल, तेलुगू, कन्नड और मलयालम में बनने वाली सुपरहिट फिल्मों को हिंदी में डब करके 24 घंटे चलने वाले केबल चैनल पर दिखाया जाता था. हालांकि, डब क्वालिटी बहुत खराब हुआ करती थी, लेकिन फिर इन फिल्मों में दिखाए गए एक्शन की वजह से लोगों को बहुत पसंद आती थीं. इन फिल्मों के जरिए पहले रजनीकांत, कमल हासन, डग्गुबती वेंकटेश, प्रकाश राज और बाद में महेश बाबू, अल्लू अर्जुन, विजय देवरकोंडा, धनुष, सुर्या आदि अभिनेता हिंदी पट्टी में पसंद किए जाने लगे. इसमें दिलचस्प ये भी था कि साउथ के कई कलाकारों के नाम नॉर्थ के लोग नहीं जानते, लेकिन उनको पहचनाते जरूर थे.

साउथ की फिल्मों बॉलीवुड स्टार्स केवल चेहरा भर

देश में जबसे पैन इंडिया फिल्मों का चलन बढ़ा है, फिल्म मेकर्स ने सक्सेस का एक नया फॉर्म्यूला तैयार किया है. इसमें साउथ फिल्म इंडस्ट्री में बनने वाली फिल्मों में बॉलीवुड के कुछ कलाकारों को लिया जाता है, ताकि नॉर्थ की ऑडियंस फिल्म से कनेक्ट कर सके. उसी तरह बॉलीवुड पैन इंडिया फिल्मों में साउथ के कलाकारों रखा जाता है, ताकि वहां के दर्शक कनेक्ट कर सकें और प्रमोशन में आसानी रहे. हाल के कुछ फिल्मों पर नजर डालें, तो आपको ये फॉर्म्यूला दिख जाएगा. एसएस राजामौली की बहुप्रतिक्षित बड़े बजट की फिल्म 'आरआरआर' में साउथ के सुपरस्टार्स जूनियर एनटीआर और राम चरण के साथ बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट और एक्टर अजय देवगन नजर आने वाले हैं. फिल्म 'आदिपुरुष' में प्रभास के साथ कृति सैनन और सैफ अली खान, फिल्म 'लाइगर' में विजय देवरकोंडा और राम्या कृष्णा के साथ अनन्या पांडे नजर आएंगी. ऐसे ही हालही में रिलीज हुई फिल्म 'अतरंगी रे' में अक्षय कुमार और सारा अली खान के साथ साउथ सुपरस्टार धनुष अहम रोल में नजर आए थे.

इसी तरह मॉलीवुड सुपरस्टार मोहनलाल की फिल्म 'मरक्कर: लॉयन ऑफ द अरेबियन सी' भी पिछले साल सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी. इसमें मोहनलाल, कीर्थि सुरेश और मंजू वारियर के साथ बॉलीवुड एक्टर सुनील शेट्टी भी नजर आए थे. इसी तरह 'मरक्कर' सहित साउथ की कई फिल्मों को देखने के बाद एक बात समझ में आई कि जिस तरह बॉलीवुड साउथ के स्टार्स को अपनी फिल्मों में अहम रोल देता है, उस तरह साउथ सिनेमा के मेकर्स अपनी फिल्मों में बॉलीवुड कलाकारों को अहमियत नहीं देते हैं. वो इन कलाकारों को सिर्फ एक चेहरे के रूप में इस्तेमाल करते हैं. जैसे कि 'मरक्कर' फिल्म में सुनील शेट्टी एक सूबे के योद्धा के किरदार में हैं, लेकिन पूरी फिल्म में महज 10 मिनट ही स्क्रीन स्पेस उनको मिला होगा. वो ज्यादातर अपने कॉस्ट्यूम में राजदरबार में बैठे हुए दिखाई देते हैं. उनके जैसे बड़े एक्टर को इस किरदार के लिए लिया जाना समझ से परे लगता है. वहीं फिल्म 'अतरंगी रे' अक्षय कुमार की होते हुए भी धनुष की ज्यादा लगती है. इसमें धनुष का बहुत दमदार रोल है.

कुल मिलाकार, मुझे लगता है कि बॉलीवुड के कलाकारों को साउथ की फिल्में साइन करते वक्त अपने रोल और उसकी अहमियत के बारे में एक बार जरूर सोचना चाहिए. केवल पैसे के लिए या बड़ी बजट की फिल्म होने भर से किसी फिल्म को साइन नहीं किया जाना चाहिए. यदि बॉलीवुड एक्टर और एक्ट्रेस का किरदार साउथ की फिल्मों में ज्यादा दमदार और प्रभावी रहेगा तो उनको अपना हुनर दिखाने का भी मौका मिलेगा. इस तरह उनकी लोकप्रियता धीरे-धीरे साउथ के राज्यों में भी बढ़ती जाएगी. इसका सीधा फायदा बॉलीवुड की पैन इंडिया फिल्मों को मिलेगा, जो अभी केवल साउथ के स्टार्स ही उठा पा रहे हैं. इस पर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    सत्तर के दशक की जिंदगी का दस्‍तावेज़ है बासु चटर्जी की फिल्‍में
  • offline
    Angutho Review: राजस्थानी सिनेमा को अमीरस पिलाती 'अंगुठो'
  • offline
    Akshay Kumar के अच्छे दिन आ गए, ये तीन बातें तो शुभ संकेत ही हैं!
  • offline
    आजादी का ये सप्ताह भारतीय सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो गया है!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲