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रीमेक फिल्मों-गानों के दौर में ओरिजनल कंटेंट की बात बेमानी नजर आती है!

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 29 नवम्बर, 2021 02:16 PM
  • 29 नवम्बर, 2021 02:16 PM
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ओटीटी प्लेटफॉर्म्स में ओरिजनल कंटेंट को लेकर मची होड़ के बीच बॉलीवुड में रीमेक फिल्मों और रीमिक्स गानों का दौर चल रहा है. हर दूसरी फिल्म हॉलीवुड, साउथ या मराठी फिल्मों का रीमेक नजर आती है. इसे आइडिया और ओरिजनल स्टोरी का अभाव समझा जाए या फिर फिल्म मेकर्स की कमी मानी जाए?

नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, डिज्नी प्लस हॉटस्टार और एमएक्स प्लेयर जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते क्रेज और विस्तार के साथ ही ओरिजनल कंटेंट की डिमांड तेज हो गई है. यही वजह है कि ओटीटी पर रिलीज होने वाले अधिकांश वेब सीरीज और फिल्मों के ओरिजनल होने का दावा किया जाता है. इस तरह के कंटेंट पर ओवर द टॉप कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश भी कर रही हैं. भारतीय ओटीटी बाजार में इस साल के अंत तक केवल ओरिजनल कंटेंट पर 4905 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

इनमें डिज्नी प्लस हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे प्लेटफॉर्म कंटेंट पर निवेश करने में सबसे आगे हैं. इन तीनों ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ओरिजनल कंटेंट पर 2824.9 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है, जबकि घरेलू प्लेटफॉर्म पर 2080 करोड़ रुपए खर्च करने की उम्मीद है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय बाजार में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बीच ओरिजनल कंटेंट को लेकर किस कदर होड़ मची है.

अभिनेता शाहिद कपूर की अपकमिंग फिल्म 'जर्सी' भी इसी नाम से बनी तमिल फिल्म की रीमेक है.

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बीच मचे इस होड़ के बीच बॉलीवुड में रीमेक फिल्मों और रीमिक्स गानों का दौर चल रहा है. पिछले एक दशक के दौरान सबसे अधिक हिंदी फिल्में साउथ या हॉलीवुड फिल्मों की रीमेक रही हैं. वहीं पिछले कुछ वर्षों से रीमिक्स गानों का चलन भी तेज हो गया है. ऐसे में ओरिजनल कंटेंट की बात बेमानी नजर आती है. पुरानी फिल्मों की बात तो बाद में है, हाल में रिलीज हुई कुछ फिल्मों का उदाहरण ही देख लीजिए. सबसे ताजा तरीन रिलीज फिल्म है, नुसरुत भरूचा की 'छोरी', सलमान खान की 'अंतिम द फाइनल ट्रुथ', अक्षय कुमार की 'सूर्यवंशी' और कार्तिक आर्यन की 'धमाका'. इनमें 'छोरी' मराठी फिल्म 'लपाछप्पी', 'अंतिम द फाइनल ट्रुथ' मराठी फिल्म 'मुल्शी पैटर्न', 'धमाका' कोरियाई फिल्म 'द टेरर लाइव' का हिंदी रीमेक है.

नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, डिज्नी प्लस हॉटस्टार और एमएक्स प्लेयर जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते क्रेज और विस्तार के साथ ही ओरिजनल कंटेंट की डिमांड तेज हो गई है. यही वजह है कि ओटीटी पर रिलीज होने वाले अधिकांश वेब सीरीज और फिल्मों के ओरिजनल होने का दावा किया जाता है. इस तरह के कंटेंट पर ओवर द टॉप कंपनियां बड़े पैमाने पर निवेश भी कर रही हैं. भारतीय ओटीटी बाजार में इस साल के अंत तक केवल ओरिजनल कंटेंट पर 4905 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.

इनमें डिज्नी प्लस हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे प्लेटफॉर्म कंटेंट पर निवेश करने में सबसे आगे हैं. इन तीनों ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ओरिजनल कंटेंट पर 2824.9 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है, जबकि घरेलू प्लेटफॉर्म पर 2080 करोड़ रुपए खर्च करने की उम्मीद है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय बाजार में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बीच ओरिजनल कंटेंट को लेकर किस कदर होड़ मची है.

अभिनेता शाहिद कपूर की अपकमिंग फिल्म 'जर्सी' भी इसी नाम से बनी तमिल फिल्म की रीमेक है.

ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बीच मचे इस होड़ के बीच बॉलीवुड में रीमेक फिल्मों और रीमिक्स गानों का दौर चल रहा है. पिछले एक दशक के दौरान सबसे अधिक हिंदी फिल्में साउथ या हॉलीवुड फिल्मों की रीमेक रही हैं. वहीं पिछले कुछ वर्षों से रीमिक्स गानों का चलन भी तेज हो गया है. ऐसे में ओरिजनल कंटेंट की बात बेमानी नजर आती है. पुरानी फिल्मों की बात तो बाद में है, हाल में रिलीज हुई कुछ फिल्मों का उदाहरण ही देख लीजिए. सबसे ताजा तरीन रिलीज फिल्म है, नुसरुत भरूचा की 'छोरी', सलमान खान की 'अंतिम द फाइनल ट्रुथ', अक्षय कुमार की 'सूर्यवंशी' और कार्तिक आर्यन की 'धमाका'. इनमें 'छोरी' मराठी फिल्म 'लपाछप्पी', 'अंतिम द फाइनल ट्रुथ' मराठी फिल्म 'मुल्शी पैटर्न', 'धमाका' कोरियाई फिल्म 'द टेरर लाइव' का हिंदी रीमेक है.

इसी तरह फिल्म 'सूर्यवंशी' का सबसे मशहूर गाना अक्षय कुमार की फिल्म 'मोहरा' के गाने 'टिप-टिप बरसा पानी' का रीमिक्स है. फिल्म 'सत्यमेव जयते 2' का पहला गाना "मेरी जिंदगी है तू" नुसरत फतेह अली खान के गाने का रीमेक है, जिसके बोल नासिर काज़मी ने लिखे हैं. इसका एक दूसरा गाना "तेनु लहंगा" साल 2019 में रिलीज हुए जस मानक के पंजाबी गाने "लहंगा" का रीमेक है. 

इसी तरह पिछले साल ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई अक्षय कुमार और कियारा आडवाणी की फिल्म 'लक्ष्मी' को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. ये फिल्म साउथ इंडस्ट्री की फिल्म 'कंचना' का हिंदी रीमेक थी. अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई भूमि पेडनेकर की फिल्म 'दुर्गामती' तेलुगू-तमिल बाइलिंगुअल फिल्म 'भागमति', साल 2019 में रिलीज हुई शाहिद कपूर और कियारा आडवाणी स्टारर फिल्म 'कबीर सिंह' साल 2017 में रिलीज हुई साउथ फिल्म 'अर्जुन रेड्डी', साल 2017 में रिलीज हुई आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर की कॉमेडी फिल्म 'शुभ मंगल सावधान' तमिल फिल्म 'कल्याणम समायाल साधन', अक्षय कुमार विद्या बालन स्टारर फिल्म 'भूल भुलैया' साल 1993 की मलयालम फिल्म 'मणिचित्राथाजु', अनिल कपूर की फिल्म 'नायक' साल 1999 की तमिल फिल्म 'मुधालवम', साल 2015 में रिलीज हुई अजय देवगन की फिल्म 'दृश्यम' साल 2013 की मलयालम फिल्म 'दृश्यम' का हिंदी रीमेक है.

हॉलीवुड या साउथ की फिल्मों का रीमेक क्यों?

देखिए हर फिल्म मेकर्स चाहता है कि उसकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अधिक से अधिक कलेक्शन करके सुपरहिट बने. इसी तरह फिल्म में काम करने वाले लीड एक्टर और एक्ट्रेस भी चाहते हैं कि उनकी फिल्में सुपरहिट हों, ताकि उनकी साख बढ़ सके. ऐसे में हर कोई शॉटकट रास्ता अपनाना चाहता है. ऐसे में किसी दूसरे भाषा में बनीं सुपरहिट फिल्में उनको अडॉप्ट करने के लिए ज्यादा मुफीद नजर आती हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह इन फिल्मों की अपनी मूल भाषा क्षेत्र में मिली सफलता और रोचक कहानी है.

फिल्म मेकर्स को बिना अधिक मेहनत किए, ऐसी कहानी मिल जाती है, जिसकी सफलता का चांस अधिक होता है. चूंकि इन फिल्मों में बड़े सुपरस्टार काम कर चुके होते हैं, इसलिए बॉलीवुड के कलाकार भी अभिनय करने के लिए आसानी से मान जाते हैं. वरना पहले एक अच्छी कहानी सर्च करना, फिर उसकी पटकथा पर काम करना, उसके बाद मनमाफिक कलाकारों का चयन करना, मेकर्स के लिए एक बड़ी चुनौती होती है.

हॉलीवुड फिल्मों से ज्यादा साउथ और मराठी फिल्मों का हिंदी रीमेक देखने को मिलता है. इसकी वजह ये है कि लोकल के लिए ज्यादा रेकी नहीं करनी पड़ती. स्क्रीन प्ले भी तैयार ही रहता है. शॉट डिविजन भी ज्यादातर वही इस्तेमाल हो सकता है. थोड़ा-सा हिंदी तड़का मारा, सुपर स्टार लिया, हो गई तैयार सुपरहिट फिल्म. तीन दशक पहले 70 के दशक के आखिरी वर्षों में भी फिल्में रीमेक होती थीं, लेकिन ये ऑफिशियल रीमेक नहीं कही जाती थी.

इनके आईडिया पुराने होते थे, लेकिन उसमें स्क्रीनप्ले का नया तड़का होता था. अमिताभ बच्चन की फिल्म 'डॉन' भी फिल्म 'चाइना टाउन' से मिलती-जुलती है. इसी तरह पहले भी साउथ और हॉलीवुड की फिल्मों के रीमेक बनते थे. फरक बस इतना है कि आजकल रीमेक ज्यादा बनते हैं और मेकर्स को मजबूरन इसका क्रेडिट देना पड़ता है. जैसे ज्यादातर ट्रेंड क्लासिक्स या हिट फिल्मों के रीमेक का ही देखा गया है, पर कुछ फिल्मों को नया तड़का देकर हिट या बनाकर कुछ निर्देशकों ने दिखाया है.

रीमेक फिल्मों की तरह रीमिक्स गानों का दौर

एक वक्त था जब गीत-संगीत फिल्मों की आत्मा हुआ करती थी. फिल्म कहानी, अभिनय और निर्देशन पर जितना फोकस रहता था, उससे कहीं ज्यादा संगीत पर होता था. राज कपूर, यश चोपड़ा और हीरू जौहर जैसे दिग्गज फिल्म मेकर्स तो कई साल अच्छे गानों की तलाश में ही लगा देते थे. बेहतरीन गान मिल जाने पर उसके हिसाब से गायक का चुनाव होता था. फिर लंबे रिहर्सल के बाद गाना रिकॉर्ड किया जाता था. यही वजह है कि उस दौर के गाने आज भी कर्णप्रिय लगते हैं.

ये गाने आज भी लोगों के जेहन में जिंदा हैं. लेकिन आज के दौर के गानों न तो लोगों को अच्छे लगते, न ही बहुत याद रह पाते हैं. इस वजह से पुराने गानों के रीमिक्स का चलन शुरू हुआ. ताकि पहले से हिट हो चुके गानों को नए सिरे से पैकेजिंग करके पेश किया जाए. कैसेट और सीडी के जमाने में सोनू निगम और कुमार सानू जैसे कुछ गायकों ने मुकेश और मो. रफी जैसे दिग्गज गायकों के गाए कई गानों को उनकी आवाज में दोबारा गाने की कोशिश, जिसे पसंद भी किया गया.

इसके बाद दौर आया फिल्मों में गानों के रीमिक्स करने का, जिसमें पुराने हिट गानों को नए सिरे से पेश किया जाने लगा. यह चलन पिछले कुछ वर्षों से बहुत तेज हुआ है. अधिकांश बड़ी फिल्में को गाने उठा कर देख लीजिए आपको उनमें कई रीमिक्स गाने मिल जाएंगे. चाहे वो फिल्म 'पति पत्नी और वो' में 'अखियों से गोली मारे' हो, बागी 2 का '1,2,3' या फिर फिल्म 'सिंबा' का 'आंख मारे'. फिल्मों में गानों के रीमिक्स पर कई बड़े गायक और संगीतकार अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं.

इनमें एआर रहमान, प्रसून जोशी, समीर अंजान और अलका याज्ञनिक का नाम शामिल है. कुछ-कुछ होता है, राजा हिंदुस्तानी और कभी खुशी कभी ग़म जैसे फ़िल्मों के लिए गाने लिख चुके गीतकार समीर अंजान तो रीमिक्स के खिलाफ कोर्ट तक जाने की बात कर चुके हैं. उनका आरोप है कि रीमिक्स में ओरिजिनल लेखकों और संगीतकारों को ठीक से क्रेडिट नहीं दिया जाता है. अलका याज्ञनिक का तो कहना है कि रीमिक्स से सदाबहार गीतों की रूह मर जाती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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