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अक्षय की गोरखा डिब्बाबंद, 100 करोड़ी एक्टर संग फिल्म बनाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे निर्माता!

    • आईचौक
    • Updated: 07 जनवरी, 2023 09:16 PM
  • 07 जनवरी, 2023 09:16 PM
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अक्षय कुमार के करियर में पिछला साल बहुत खराब रहा. उनकी कई फ़िल्में आई मगर एक भी हिट नहीं हुई. अब वॉर सोल्जर की बेहतरीन कहानी गोरखा को डिब्बाबंद कर दिया गया है. आइए जानते हैं अक्षय के साथ क्या चल रहा है.

सूर्यवंशी तक पिछले एक दशक में अक्षय कुमार की सक्सेस रेट कुछ इस तरह दिखती है कि बॉलीवुड के निर्माता उन्हें साइन करने के लिए ब्लैंकचेक लेकर कतार में लगे नजर आते हैं. लेकिन ब्लॉकबस्टर सूर्यवंशी देने के बाद पिछले एक साल में बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, रक्षाबंधन, कटपुतली और रामसेतु को दर्शकों ने बुरी तरह खारिज किया है. कटपुतली ओटीटी पर रिलीज हुई थी. अक्षय की जो फ़िल्में फ्लॉप हुई- उनका कॉन्टेंट वैसा ही था जैसे सूर्यवंशी तक उनकी फिल्मों का होता था. और दर्शक उसे हाथों हाथ लेते दिखते हैं. लेकिन अब वही फ़िल्में लगातार खारिज कर रहे हैं. यहां तक कि उनकी फिल्मों के खिलाफ भी बायकॉटट्रेंड देखने को मिला. अक्षय की फिल्मों के फ्लॉप होने का सिलसिला कैसे शुरू हुआ, इसकी चर्चा आगे होगी. मगर यहां चर्चा का विषय लगातार फिल्मों की वजह से अक्षय के करियर पर पड़ने वाले असर को लेकर है.

यहां तक कि अब निर्माता एक्टर की सक्सेसफुल फ्रेंचाइजी भी दूसरे एक्टर्स के साथ बना रहे हैं. हेराफेरी फ्रेंचाइजी इसी कड़ी में शामिल की जा सकती है. अक्षय के लाख चाहने के बावजूद निर्माताओं ने कार्तिक आर्यन को कास्ट किया है. इससे पहले कार्तिक की ही ब्लॉकबस्टर भूल भुलैया  2 में भी नजर आए थे. अक्षय से जुड़ी ताजा चर्चा भी उनके डांवाडोल करियर को लेकर कई संदिग्ध संकेत दे रही है. असल में आनंद एल रॉय उन्हें लेकर वॉर बैकग्राउंड में एक सोल्जर की सच्ची कहानी से प्रेरित गोरखा फिल्म बना रहे थे. मगर पहले खबर आई कि उन्होंने इसे छोड़ दिया है. बाद में आनंद ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में साफ़ किया कि असल में एक्टर ने फिल्म नहीं छोड़ी बल्कि फिल्म की स्क्रिप्ट को लेकर फैक्ट और दूसरी टेक्नीकल चीजों की वजह से बहुत सारा काम होना अभी बाकी है.

गोरखा ना बनाने का बहाना पच नहीं रहा है?

उन्होंने बताया कि गोरखा को जल्दबाजी में नहीं बनाया जा सकता. हम कुछ समय लेना चाहते हैं. उन्होंने कहा यह फिल्म जब बनेगी तो अक्षय के साथ ही वर्ना नहीं बनेगी. यानी फिलहाल गोरखा ठंडे बस्ते में है. बनेगी...

सूर्यवंशी तक पिछले एक दशक में अक्षय कुमार की सक्सेस रेट कुछ इस तरह दिखती है कि बॉलीवुड के निर्माता उन्हें साइन करने के लिए ब्लैंकचेक लेकर कतार में लगे नजर आते हैं. लेकिन ब्लॉकबस्टर सूर्यवंशी देने के बाद पिछले एक साल में बच्चन पांडे, सम्राट पृथ्वीराज, रक्षाबंधन, कटपुतली और रामसेतु को दर्शकों ने बुरी तरह खारिज किया है. कटपुतली ओटीटी पर रिलीज हुई थी. अक्षय की जो फ़िल्में फ्लॉप हुई- उनका कॉन्टेंट वैसा ही था जैसे सूर्यवंशी तक उनकी फिल्मों का होता था. और दर्शक उसे हाथों हाथ लेते दिखते हैं. लेकिन अब वही फ़िल्में लगातार खारिज कर रहे हैं. यहां तक कि उनकी फिल्मों के खिलाफ भी बायकॉटट्रेंड देखने को मिला. अक्षय की फिल्मों के फ्लॉप होने का सिलसिला कैसे शुरू हुआ, इसकी चर्चा आगे होगी. मगर यहां चर्चा का विषय लगातार फिल्मों की वजह से अक्षय के करियर पर पड़ने वाले असर को लेकर है.

यहां तक कि अब निर्माता एक्टर की सक्सेसफुल फ्रेंचाइजी भी दूसरे एक्टर्स के साथ बना रहे हैं. हेराफेरी फ्रेंचाइजी इसी कड़ी में शामिल की जा सकती है. अक्षय के लाख चाहने के बावजूद निर्माताओं ने कार्तिक आर्यन को कास्ट किया है. इससे पहले कार्तिक की ही ब्लॉकबस्टर भूल भुलैया  2 में भी नजर आए थे. अक्षय से जुड़ी ताजा चर्चा भी उनके डांवाडोल करियर को लेकर कई संदिग्ध संकेत दे रही है. असल में आनंद एल रॉय उन्हें लेकर वॉर बैकग्राउंड में एक सोल्जर की सच्ची कहानी से प्रेरित गोरखा फिल्म बना रहे थे. मगर पहले खबर आई कि उन्होंने इसे छोड़ दिया है. बाद में आनंद ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में साफ़ किया कि असल में एक्टर ने फिल्म नहीं छोड़ी बल्कि फिल्म की स्क्रिप्ट को लेकर फैक्ट और दूसरी टेक्नीकल चीजों की वजह से बहुत सारा काम होना अभी बाकी है.

गोरखा ना बनाने का बहाना पच नहीं रहा है?

उन्होंने बताया कि गोरखा को जल्दबाजी में नहीं बनाया जा सकता. हम कुछ समय लेना चाहते हैं. उन्होंने कहा यह फिल्म जब बनेगी तो अक्षय के साथ ही वर्ना नहीं बनेगी. यानी फिलहाल गोरखा ठंडे बस्ते में है. बनेगी वरना नहीं बनेगी का जो तर्क आनंद ने दिया है वह समझ से परे है. भला ऐसा कौन सा रिसर्च का काम था इसे समझाना मुश्किल है. अक्षय एक साल में पांच-पांच फ़िल्में कर ले जाते हैं. गोरखा की अनाउंसमेंट बहुत पहले हुई थी. यहां तक कि अक्षय का लुक पोस्टर तक जारी कर दिया गया था. जाहिर है कि स्क्रिप्ट तय होने के बाद ही मेकर्स इस दिशा में आगे बढ़े होंगे. और फैक्ट्स को लेकर जो थोड़े बहुत मतभेद रहे होंगे ऐसा नहीं है कि वह टाइम टेकिंग मसला हो. अक्षय या निर्माता ही इस बारे में बेहतर जानते होंगे. लेकिन इतना तो साफ़ है कि अक्षय कुमार के साथ सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. बावजूद कि उनके पास अभी भी पांच फ़िल्में हैं जिन्हें इसी साल रिलीज किया जाना है.

गोरखा

कश्मीर फाइल्स के बाद से ही क्यों बेपटरी नजर आ रहा अक्षय का करियर?

सूर्यवंशी तक अक्षय के लिए सबकुछ ठीकठाक चल रहा था. लेकिन पिछले साल जब द कश्मीर फाइल्स रिलीज हुई- अक्षय भी बॉलीवुड के दूसरे अभिनेताओं की तरह फिल्म के कॉन्टेंट को लेकर चुप रहे. संभवत: यह भारत के इतिहास में दुर्लभ फिल्म थी जिसके पक्ष में एक जनआंदोलन खड़ा हो गया. हर कोई फिल्म के साथ खड़ा था और सिनेमाघर में सपोर्ट के लिए पहुंच रहा था. अक्षय की पहचान राष्ट्रवादी अभिनेता के रूप में की जाती है. मगर उन्होंने खुलकर फिल्म के विषय पर कुछ नहीं कहा. उन्होंने एक ट्वीटभर किया जो असल में द कश्मीर फाइल्स के लिए नहीं बल्कि अनुपम खेर की तारीफ़ में था. कश्मीर फाइल्स के एक हफ्ते बाद उन्होंने सिनेमाघरों में अपनी फिल्म भी रिलीज कर दी. दर्शकों को यह पसंद नहीं आया.

बावजूद कि दर्शक काफी पहले से ही अक्षय कुमार की पत्नी ट्विंकल खन्ना के विचारों को नापसंद करते नजर आए थे. ट्विंकल ने कई ब्लॉग में राष्ट्रवादी विचारों की मुखालफत की थी. कश्मीर फाइल्स पर अक्षय की प्रतिक्रया ने साफ़ कर दिया कि दोनों पति-पत्नी वैचारिक संतुलन बना रहे हैं और फ़िल्मी कारोबार कर रहे हैं. अगर देखें तो द कश्मीर फाइल्स के बाद से ही अक्षय कुमार की गाडी बेपटरी हुई है. चूंकि सम्राट पृथ्वीराज जैसी फिल्मों के लिए भी अक्षय की आलोचना हुई- फ़िल्में बुरी तरह फ्लॉप हुईं तो यह भी कहा जा सकता है कि अब निर्माताओं के लिए अक्षय के साथ भी फ़िल्में बनाना रिस्की मामला है. वैसे भी अक्षय को लेकर मशहूर है कि वह मोटी फीस चार्ज करते हैं. प्राफिट में शेयर भी लेते हैं. उनके 100 करोड़ तक फीस लेने की चर्चा है. कोई भी निर्माता इतने पैसे देकर नाकामी तो नहीं खरीदना चाहेगा.

या यह भी हो सकता है कि गोरखा को जरूरी रिसर्च की वजह से ही डिब्बाबंद कर दिया गया है. जो भी हों पर चीजें अक्षय कुमार के पक्ष में तो नहीं कही जा सकती.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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