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83 के बॉक्स ऑफिस से भी तय होगा ओमिक्रोन बॉलीवुड के लिए कितना बड़ा खतरा है?

    • आईचौक
    • Updated: 25 दिसम्बर, 2021 07:22 PM
  • 25 दिसम्बर, 2021 07:22 PM
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रणवीर सिंह की 83 सिनेमाघरों में रिलीज तो हो गई, मगर महामारी का भूत अचानक से उसके ऊपर मंडरा रहा. इसका असर फिल्म के कारोबार पर पड़ रहा है.

कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामले जैसे-जैसे बढ़ते जा रहे हैं, दुनिया-जहान की अलग-अलग आशंकाएं सामने आ रही हैं. हमारा देश भी उनसे अछूता नहीं है. अब तक महामारी की दो लहरों ने जिस तरह रोजी-रोजगार, जान-माल और कारोबार को नुकसान पहुंचाया है- तीसरी लहर की आशंका भर से लोग सहम जा रहे हैं. खासकर सिनेमा कारोबार जो महीनों से हालात के सामान्य होने की प्रतीक्षा कर रहा था. विजयदशमी तक हालात अच्छे होते दिखें. फिर धड़ाधड फ़िल्में आनी शुरू हुईं. मगर दुर्भाग्य देखिए कि जब पूरी दुनिया क्रिसमस और नए साल की वजह से त्योहारी मूड में है ओमिक्रोन चीजों को खराब करता नजर आ रहा है. जबकि थियेटर कारोबार के लिए यह एक सबसे बढ़िया मौका है. दीपावली की तरह.

वेरायटी के मुताबिक बेल्जियम में ओमिक्रोन के मद्देनजर वहां की सरकार ने सिनेमाघरों, कॉन्सर्ट हॉल को पूरी तरह से बंद कर दिया है. कुछ और देशों में भी ऐसा ही किया जा रहा है. कनाडा जैसे देशों में तो खतरे की आशंका में सिनेमाघरों के लिए कई सारी सख्त पाबंदियां लागू कर दी गई हैं. भारत में अभी सिनेमाघरों को बंद तो नहीं किया गया है मगर सार्वजनिक जुटान को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त सख्ती बरती जा रही हैं और इस बारे में तमाम राज्य सरकारों की गाइडलाइंस आ रही हैं. नाइट कर्फ्यू, सार्वजनिक स्थानों में कोरोना के अनुकूल नियम लागू करने के आदेश आ चुके हैं.

महाराष्ट्र सरकार ने तो चर्चों में भी 50 प्रतिशत क्षमता की अनुमति दी है. साफ़ दिख रहा है कि ओमिक्रोन के मद्देनजर आउटिंग को कंट्रोल करने की कोशिशें हो रही हैं. जो कार्यालय शुरू हो चुके थे वहां कर्मचारियों को वापस वर्क फ्रॉम होम मोड में भेजा जा रहा हो. कई राज्यों में सिनेमाघर पूरी क्षमता के साथ खुले थे. दिल्ली सरकार ने अब सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ खोलने का आदेश दिया है. कई और शहरों में भी ऐसे निर्देश सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र में तो पहले से ही 50 प्रतिशत क्षमता के साथ ही सिनेमाघर चल रहे हैं.

कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामले जैसे-जैसे बढ़ते जा रहे हैं, दुनिया-जहान की अलग-अलग आशंकाएं सामने आ रही हैं. हमारा देश भी उनसे अछूता नहीं है. अब तक महामारी की दो लहरों ने जिस तरह रोजी-रोजगार, जान-माल और कारोबार को नुकसान पहुंचाया है- तीसरी लहर की आशंका भर से लोग सहम जा रहे हैं. खासकर सिनेमा कारोबार जो महीनों से हालात के सामान्य होने की प्रतीक्षा कर रहा था. विजयदशमी तक हालात अच्छे होते दिखें. फिर धड़ाधड फ़िल्में आनी शुरू हुईं. मगर दुर्भाग्य देखिए कि जब पूरी दुनिया क्रिसमस और नए साल की वजह से त्योहारी मूड में है ओमिक्रोन चीजों को खराब करता नजर आ रहा है. जबकि थियेटर कारोबार के लिए यह एक सबसे बढ़िया मौका है. दीपावली की तरह.

वेरायटी के मुताबिक बेल्जियम में ओमिक्रोन के मद्देनजर वहां की सरकार ने सिनेमाघरों, कॉन्सर्ट हॉल को पूरी तरह से बंद कर दिया है. कुछ और देशों में भी ऐसा ही किया जा रहा है. कनाडा जैसे देशों में तो खतरे की आशंका में सिनेमाघरों के लिए कई सारी सख्त पाबंदियां लागू कर दी गई हैं. भारत में अभी सिनेमाघरों को बंद तो नहीं किया गया है मगर सार्वजनिक जुटान को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त सख्ती बरती जा रही हैं और इस बारे में तमाम राज्य सरकारों की गाइडलाइंस आ रही हैं. नाइट कर्फ्यू, सार्वजनिक स्थानों में कोरोना के अनुकूल नियम लागू करने के आदेश आ चुके हैं.

महाराष्ट्र सरकार ने तो चर्चों में भी 50 प्रतिशत क्षमता की अनुमति दी है. साफ़ दिख रहा है कि ओमिक्रोन के मद्देनजर आउटिंग को कंट्रोल करने की कोशिशें हो रही हैं. जो कार्यालय शुरू हो चुके थे वहां कर्मचारियों को वापस वर्क फ्रॉम होम मोड में भेजा जा रहा हो. कई राज्यों में सिनेमाघर पूरी क्षमता के साथ खुले थे. दिल्ली सरकार ने अब सिनेमाघरों को 50 प्रतिशत दर्शक क्षमता के साथ खोलने का आदेश दिया है. कई और शहरों में भी ऐसे निर्देश सामने आ रहे हैं. महाराष्ट्र में तो पहले से ही 50 प्रतिशत क्षमता के साथ ही सिनेमाघर चल रहे हैं.

83 में रणवीर ने कपिल की भूमिका निभाई है.

क्या महामारी के शोर ने 83 का रास्ता रोक लिया है?

कुल मिलाकर ओमिक्रोन की आशंका में जो फैसले लिए जा रहे हैं वो पूरी तरह से सिनेमाघरों के अनुकूल नहीं कहे जा सकते. नाइट कर्फ्यू, बार, रेस्टोरेंट, थियेटर में 50% क्षमता की अनिवार्यता से फिलहाल आउटिंग और फेस्टिव मूड पर सीधा असर पड़ता दिख रहा है. पूरे सीन में कबीर खान के निर्देशन में बनी पैन इंडिया स्पोर्ट्स ड्रामा 83 अचानक फंस गई लगती है. हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ में बनी फिल्म को कुल 3741 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है. इसमें हिंदी के 3374 स्क्रीन्स 11 हजार से ज्यादा रोजाना शोज हैं. मगर पहले दिन फिल्म का कलेक्शन अकुपेंसी के हिसाब से नहीं दिख रहा. ऐसा लग रहा है मानो माहामारी का शोर लोगों के कदम सिनेमाघरों तक जाने से रोक रहा है.

11 हजार शोज के बदले 16 करोड़ की कमाई तो बहुत ही कम है!

ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने बताया कि पहले दिन फिल्म के सभी वर्जन ने मिलाकर 12.64 करोड़ कमाए हैं. ओवरसीज में 11 करोड़ से ज्यादा की कमाई है. घरेलू बाजार में रणवीर सिंह दीपिका पादुकोण स्टारर 83 के स्केल से बहुत ही कम है. अगर एक हफ्ते पहले आई पैनइंडिया मूवी पुष्पा: द राइज या दीपावली पर आई सूर्यवंशी की ओपनिंग देखें तो यह बहुत मामूली नजर आता है. पुष्पा ने सभी भाषाओं में करीब 50 करोड़ जबकि सूर्यवंशी ने 26 करोड़ से ज्यादा की ओपनिंग की थी. 1983 में क्रिकेट विश्वकप जीतने की कहानी पर बनी फिल्म जिसे समीक्षकों ने आउट ऑफ़ दी बॉक्स पाया है- उसकी पहले दिन की कमाई निराशाजनक ही है.

दिल्ली-बेंगलुरु, गुरुग्राम जैसे महानगरों में सिनेमाघरों में दर्शक क्षमता कम होना सीधे-सीधे फिल्म के कारोबार को प्रभावित करने वाला है. उसपर तमाम शहरों में नाइट कर्फ्यू, सिनेमाघरों के लिए कोरोना अनुकूल पाबंदिया आदि भी सिनेमाघरों में नाइट शोज को बुरी तरह प्रभावित करने वाले साबित हो सकते हैं.

83 के साथ जो हो रहा उसके आगे ना होने की फिलहाल कोई गारंटी नहीं

83 का कलेक्शन साफ़ बता रहा है कि त्योहारी सीजन होने के बावजूद दर्शक बड़ी संख्या में नहीं निकले. संकेत बॉलीवुड को डराने वाले ही हैं. 83 के बाद अगले हफ्ते जर्सी, फिर जनवरी में RRR, राधेश्याम और पृथ्वीराज जैसी बड़ी फ़िल्में हैं. कबीर खान की 83 से जो 'जनादेश' निकलकर आएगा उसका असर लंबा होगा. हालांकि अभी देश में ओमिक्रोन के मामले कम है. 500 के नीचे. यह बढ़िया तो है मगर उसकी रफ़्तार बहुत तेज है. और यह महानगरों में बहुत ज्यादा है.

ओमिक्रोन के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में आए हैं. करीब 108. इसके बाद दिल्ली में 70 से ज्यादा मामले मिले हैं. सिनेमाघरों का चलते रहना ओमिक्रोन की गति पर निर्भर करता है. अगर मामले तेजी से बढ़े तो सिनेमाघरों को फिर से बंद किया जा सकता है. और सिनेमाघरों का भविष्य में कारोबार 83 के साथ 2021 के आख़िरी सप्ताह में ही तय होगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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