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Updated: 08 अप्रिल, 2017 04:59 PM
पल्लवी त्रिवेदी
पल्लवी त्रिवेदी
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1- नकल एक ऐसा सात्विक कृत्य है जिसमें दो मनुष्यों की आवश्यकता पड़ती है. एक 'कर्ता' और दूसरा 'कर्वाता'. ईश्वर इस कार्य की महत्ता को देखते हुए दोनों ही किस्में तैयार करके पृथ्वी पर सप्लाई करता है.

2- नकल करवाना एक सच्ची व निस्वार्थ सेवा है. ऐसे महात्माओं को मृत्यु उपरांत स्वर्ग जाने वाली बस में पहले नम्बर की सीट पर फर्स्टक्लास रेशमी रूमाल डला डलाया मिलता है.

3- नकल करना बुद्धि की फालतू पारंपरिकता को आउटडेटेड कर जुगाड़ की आधुनिकता की ओर कदम बढ़ाना है.

4- नकल करने से कोर्स की किताबें रटने में व्यर्थ होने वाले समय की बचत होती है. इस समय का सदुपयोग फेसबुक पर धार्मिक, राजनैतिक प्रवचन देने, किसी को ट्रॉल करके समाज को सही राह दिखाने, विभिन्न मुखमुद्राओं में सेल्फी लेने, आशिकी में पी.एच.डी करने तथा रात्रि में फ्री के सिम से मित्रों से गम्भीर विमर्श करने में किया जा सकता है.

nakal650_040817045334.jpgरांची के एक कॉलेज में परीक्षा का एक नजारा

5- नकल कर्वाता का पुण्य आधा हो सकता है, यदि लगातार पीछे मुड़कर देखने से कर्ता को गर्दन दर्द की समस्या पैदा हो जाये. अतः नकल करवाते समय कॉपी सीधी करके सामने वाले को ही दे देनी चाहिए. (उक्त फोटो में पीले दुपट्टे वाली कन्या का तरीका दोषपूर्ण कहा जायेगा)

6- कर्वाता को कभी भी अपना उत्तर लिखने में इतना तल्लीन नहीं हो जाना चाहिए कि कर्ता के रिरियाते चेहरे पर नज़र ही न जा सके. यह घोर स्वार्थपूर्ण कृत्य है. (उक्त तस्वीर में चश्मे वाला लड़का स्वार्थ में अंधा हो गया है. उसे नकलाकांक्षी बालक की आवश्यकता का कोई ख्याल नहीं है. सही पद्धति यह है कि कर्ता से विनम्रता से पूछ लिया जाए कि उसे किन किन प्रश्नों के उत्तर देखने की ज़रूरत है. उन उत्तरों को पहले लिखकर समर्पित कर दिया जाए)

7- नकल कर्वाता को अपनी कॉपी कभी भी हाथों से नहीं ढकनी चाहिए. उसे स्मरण रहना चाहिए कि कर्ता निल बटे सन्नाटा है और अधूरे उत्तर देखकर अर्थ का अनर्थ कर सकता है. अतः कॉपी को पूरा खोलकर रखना चाहिए और यथासंभव बड़ी ढपोला रायटिंग में उत्तर लिखने चाहिए. सरकार जितनी चाहो उतनी सप्लीमेंट्री कॉपी निशुल्क प्रदान करती है.

8- पर्यवेक्षकों को अपने सारे फेसबुकीय और वाट्सएपिया कार्य इन तीन घण्टों में निपटा लेने चाहिए, जैसा कि इस परीक्षा केंद्र में वे कर रहे हैं. बेकार में कर्ता और कर्वाताओं की खोपड़ी पर खड़े रहने की कतई आवश्यकता नहीं है.

9- नकल कर्ता व कर्वाता दोनों के चेहरे पर मृदु मुस्कान होनी चाहिए ताकि मीडिया कैमरे लेकर पहुंचे तो तस्वीर अच्छी आये. (सनद रहे कि आपकी यह तस्वीर संपूण भारतवर्ष में आपको सेलेब्रिटी का दर्जा दिलाने वाली है. उक्त तस्वीर में प्रथम बेंच की दोनों बालिकाएं प्रफुल्लित मुखमुद्रा में दिखाई देती हैं. यह निश्चित ही प्रेम और मित्रता का आदर्श उदाहरण है. पीले दुपट्टे वाली कन्या का मुख यूं खिला हुआ है मानो सत्यनारायण कथा के बाद पंडित जिमा रही हो)

10- सरकार को चाहिए कि नकल कर्म को इतना प्रसारित व प्रमोट करे कि देश का कोई बच्चा फेल न हो सके. ऐसे हम शीघ्र ही सौ प्रतिशत शिक्षित देशों की श्रेणी में आ जाएंगे. पास होने के लिए बच्चों की स्कूल जाने की बाध्यता समाप्त कर सिर्फ परीक्षा देने की बाध्यता होनी चाहिए. ज्ञान के स्थान पर अंकों के आधार पर शिक्षा के आंकलन वाली शिक्षा व्यवस्था के लिए यह पद्धति सर्वश्रेष्ठ है.

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लेखक

पल्लवी त्रिवेदी पल्लवी त्रिवेदी @pallavi.trivedi.3

लेखक मध्यप्रदेश में पुलिस अधिकारी हैं

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