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Updated: 26 मार्च, 2015 07:51 AM
मृगांक शेखर
मृगांक शेखर
  @msTalkiesHindi
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आप मानें या न मानें. पर सौ फीसदी सच यही है. केंद्र सरकार अब ऑल पार्टी मीट का कंसेप्ट ही खत्म करने जा रही है. जिस तरह योजना आयोग को नेस्तनाबूद कर दिया गया उसी तरह अब किसी भी मामले में सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई जाएगी. न ही नीति आयोग की तर्ज पर इस मकसद से कोई नया इवेंट आयोजित किया जाएगा जिससे खजाने पर फालतू का बोझ बढ़े. अगर आप आखिरी सर्वदलीय बैठक के बारे में जानना चाहें तो दिमाग पर जोर डालने के बजाए सीधे अंकल गूगल से संपर्क कर सकते हैं.

हुआ ये कि भूमि अधिग्रहण कानून पर आम सहमति बनाने के लिए स्पीकर सुमित्रा महाजन सभी दलों के नेताओं को बुलाकर बात करना चाहती थीं ताकि इस मसले का कोई हल निकल सके. जब ये बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मालूम हुई तो उन्होंने इस तरह की मीटिंग से परहेज करने की सलाह दे डाली. महाजन ने इसके लिए समय, दिन और जगह सबकुछ तय भी कर दिया था, लेकिन प्रधानमंत्री की सलाह के बाद उन्हें न सिर्फ बैकफुट पर आना पड़ा, बल्कि एक नेता का कोपभाजन भी बनना पड़ा. असल में जिस शख्स को कैटरिंग का ऑर्डर दिया गया था वो उस नेता का करीबी है. ऐसी बैठकों में कैटरिंग काफी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि मकसद दिलों को जोड़ना होता है जिसका रास्ता पेट से होकर गुजरता है. खैर जैसे तैसे मामला रफा दफा हुआ.

इस बीच प्रधानमंत्री सैफई से लौट आए थे. देश के दो दिग्गज नेताओं के रिश्तेदारों में बदलने की रस्म भाईचारे से भरपूर होगी इसका किसी को अंदाजा तक न था. प्रधानमंत्री मोदी ने भी पाया कि ये उस भोज में शिरकत का ही नतीजा रहा कि मेजबान मुलायम सिंह यादव ने सुरेश प्रभु के रेल बजट को घटिया नहीं बताया. और कह दिया कि मैं बजट से संतुष्ट हूं. वरना विपक्षी नेताओं से तो विरोध दर्ज कराने की रस्म अदायगी की ही अपेक्षा की जाती है.

यादव नेताओं की दोनों पार्टियों [सैफई में शुभ तिलकोत्सव और दिल्ली में शुभ विवाह] में हुए आवभगत से प्रधानमंत्री कुछ ज्यादा ही प्रभावित थे. ऊपर से मीडिया में छपी फोटो के बाद लोगों के रिस्पॉन्स और समाजवादी प्रोफेसर की तारीफ की उन्होंने राजनीतिक तौर पर अलग से व्याख्या की. यहीं से उन्हें नया आइडिया सूझा.मुझे एक बात का डर लग रहा है. कहीं मैं भी मोदी का फैन न बन जाऊं. जिस तरह के इनोवेटिव आइडिया मोदी जी सुझाते हैं उनका कोई सानी नहीं दिखता. मोदी जी नीरस बातों को भी इतनी खूबसूरती से पेश करते हैं कि कई बार तो मैजिक रीयलिज्म का कंसेप्ट भी उसके आगे बौना नजर आता है. मुझे पक्का यकीन है लेखन के अलावा ऐसी बातों के लिए भी अगर बुकर अवॉर्ड दिया जाने लगा तो प्रधानमंत्री मोदी उसके सबसे बड़े दावेदार होंगे.

भूमि अधिग्रहण बिल के मुद्द को लेकर अब स्पीकर सुमित्रा महाजन एक ऐसी शादी का इंतजार कर रही हैं जिसे वो खुद भी अटेंड कर सकें - और बाकी पार्टियों के नेताओं को भी वहां बुलवा सकें. जल्द ही इस बात की औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी कि भविष्य में ज्वलंत मसलों पर आम सहमति के लिए सर्वदलीय बैठकों की जगह मैरेज पार्टियों में ही चर्चा हुआ करेगी.

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मृगांक शेखर मृगांक शेखर @mstalkieshindi

जीने के लिए खुशी - और जीने देने के लिए पत्रकारिता बेमिसाल लगे, सो - अपना लिया - एक रोटी तो दूसरा रोजी बन गया. तभी से शब्दों को महसूस कर सकूं और सही मायने में तरतीबवार रख पाऊं - बस, इतनी सी कोशिश रहती है.

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