व्यंग्य: मोदी के भाषण पर कांग्रेस की मंथन मीटिंग
ये मैसेज टोन राहुल गांधी कभी इग्नोर नहीं कर सकते. इस नंबर से मैसेज मिलते ही राहुल सारा काम छोड़ कर चल देते हैं.
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मछुआरों से मिलने सुबह केरल निकलना था. दूसरों के काम पसंद नहीं इसलिए राहुल गांधी अपनी पैकिंग भी खुद ही करते हैं. पैकिंग करते वक्त व्हाट्सएप पर लगातार अपडेट भी आ रहे थे. तभी एक स्पेशल मैसेज टोन बजा. ये मैसेज टोन राहुल गांधी कभी इग्नोर नहीं कर सकते. इस नंबर से मैसेज मिलते ही राहुल सारा काम छोड़ कर चल देते हैं. इस नंबर को लेकर इतना ही पता है कि ये न तो सोनिया का है और न ही प्रियंका का. किसका है? किसी को नहीं मालूम. खैर, मैसेज वाला काम करके लौट ही रहे थे कि प्रियंका ने फोन पर बोला कि मीटिंग अटेंड कर लो.
हॉल में सब लोग पहुंच चुके थे. सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अहमद पटेल, मनमोहन सिंह पहले से मौजूद थे. राहुल के साथ साथ कई और भी नेता भी दाखिल हुए. 10 मिनट चुपचाप बीत गए. हालांकि इसमें मनमोहन सिंह का कोई रोल नहीं था. तभी.
'अब किसका वेट कर रहे हो?' प्रियंका ने अपनी खनकदार आवाज़ से खामोशी तोड़ी.
राहुल मुस्कुराए और फिर मीटिंग शुरू करने का इशारा किया. नजर दरवाजे पर थी. दिग्विजय सिंह थे. धीरे से दरवाजा बंद किया और आकर पीछे बैठ गए. प्रियंका समझ गईं राहुल को किसका इंतजार था.
प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की मथुरा की रैली को लेकर ये खास मीटिंग बुलाई गई थी. मोदी के भाषण का वीडियो चलाया गया. एक बात खत्म हो जाने पर पॉज होता, फिर आगे बढ़ाया जाता. बीच बीच में नेताओं को अपनी बात रखनी थी. ऑपरेटर को सब पहले ही समझा दिया गया था.
वीडियो प्ले किया गया...
"एक साल में कोई घोटाला नहीं, सिर्फ़ 29 कोयला खदानों की नीलामी से सरकारी खजाने में लगभग तीन लाख करोड़ रुपये जमा कराए." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
"बकवास. बिलकुल बकवास. ये इनफ्लेटेड अमाउंट है. इम्पॉसिबल," कपिल सिब्बल बोले, "फेंक लो जितनी मर्जी हो." फिर सोनिया की तरफ देखा. कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो चुप हो गए.
जब किसी ने कुछ नहीं बोला तो वीडियो आगे बढ़ाया गया.
"मेरी सरकार ने हर दिन, हर पल काम किया है, मेरी सरकार ने हर घंटे एक नया फैसला लिया है. सरकार के 365 दिन के काम को गिनाने में 365 घंटे भी कम पड़ जाएंगे." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
इस पर भी कोई कुछ नहीं बोला. फिर आगे...
"मैं जब प्रधानमंत्री बना तो सरकार के खजाने में 27 हजार करोड़ रुपये था." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
"क्या सोच कर आए थे. सरकार कैसे चलाई जाती है. सब समझ में आ जाएगा," चिदंबरम ने अपनी बात रख कर मौजूदगी दर्ज कराई लेकिन किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई.
"बडे उद्योगपति ज्यादा रोजगार नहीं दे पाते, बल्कि छोटे कारोबार करने वाले फैक्टरी चलाने वाले रोजगार देते हैं. पर, बैंक वाले उन्हें कर्ज नहीं देते हैं. उन्हें साहूकार के पास जाना होता है. उन्हें पैसे मिलने चाहिए. उन्हें दस हजार रुपये से दस लाख रुपये तक मिलने चाहिए. हमने इन लोगों के लिए मुद्रा बैंक की स्थापना की है." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
जैसे जैसे वीडियो आगे बढ़ रहा था राहुल के गुस्से का ग्राफ भी उसी हिसाब से चढ़ता जा रहा था. स्टॉप.
फिर राहुल बोले, "मैं कहता हूं ना, ये सिर्फ सूट-बूट वालों की सरकार है. बस उद्योगपतियों की बात. इन्हें न तो किसानों की फिक्र है, न गरीबों की..."
"न मछुआरों की," प्रियंका ने बात कंप्लीट कर दी. फिर सलाह भी, "थोड़ा ध्यान से सुना करो. वो क्या बोल रहा है. गुस्से में कुछ सुनाई नहीं देता. अंकल को छोड़ो कुछ खुद भी सोचा करो."
"पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से एक रुपया निकलता है, गांव में जाते-जाते 15 पैसे हो जाता है. हमने इंतजाम किया कि दिल्ली से रुपया निकले तो वह सौ के सौ पैसे गरीब के हाथ में जाना चाहिए." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
सब लोग सोनिया की तरफ देख रहे थे. मोदी क्या बोल रहे थे इससे कहीं ज्यादा दिलचस्पी इस बात में थी कि वो राजीव गांधी का नाम ले रहे हैं.
"नाम लेना ही पड़ेगा. बगैर गांधी परिवार का नाम लिए कोई कुछ कह ही नहीं सकता," एसएम कृष्णा के इतना बोलते ही, श्रीप्रकाश जायसवाल कूद पड़े, "मैं तो पहले भी कहता था. चाहे कोई सरदार पटेल की रट लगाए, चाहे अंबडकर का नारा दे - घूम फिर के सबको नेहरू-गांधी परिवार की शरण में आना ही पड़ेगा."
"सब के सब येड़े ही भरे हैं," संजय निरूपम की ओर होकर सुशील कुमार शिंदे फुसफुसाए. निरुपम ने उन्हें चुप रहने का इशारा किया. फिर वो कुछ बोलना चाह रहे थे तो निरुपम ने मनमोहन सिंह की तरफ दिखाया और वो समझ गए. चुप रहना है.
"आज 12 रुपये में कफन नहीं मिलता, हमने बीमा योजना शुरू की." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
सोनिया के मुंह से बरबस निकल पड़ा, "मर्डरर... मास मर्डरर... "
सोनिया का गुस्सा देख प्रियंका ने उन्हें संभालने की कोशिश की. "दिस गाय वुड नेवर थिंक बियॉन्ड सच थिंग्स," बोलकर वो चुप हो गईं.
सबने एक दूसरे की तरफ देखा - और फिर वीडियो आगे बढ़ा दिया गया.
"गांधी, लोहिया और दीनदयाल के चिंतन में गरीबों की बात है. देश की राजनीति पर इन्हीं तीन महापुरुषों का प्रभाव रहा है." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
"पास." अहमद पटेल बोले. ऑपरेटर ने वीडियो आगे बढ़ा दिया.
"कालेधन के खिलाफ मजबूत कानून व्यवस्था हमारी उपलब्धि है." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
"पास." अहमद पटेल फिर बोले.
"सबके अच्छे दिन आए, कुछ के बुरे दिन भी आए." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
शायद ये बात लग गई. राहुल गांधी का गुस्सा आसमान पर पहुंच गया. सोनिया भी सीरियस हो गईं इसलिए बाकियों ने भी मुंह बना लिए. अगर किसी के चेहरे पर निर्विकार भाव थे तो उनमें एक थीं प्रियंका - और दूसरे, मनमोहन सिंह.
वीडियो का ये आखिरी हिस्सा था. "प्ले." पटेल का स्वर काफी धीमा था लेकिन ऑपरेटर समझ गया. एक बार उनकी तरफ देखा और इशारे से समझ गया कि इसके बाद आगे नहीं बढ़ाना है.
"गंदगी से बीमारी फैलती है, मौत होती है. हम गंदगी नहीं करेंगे, यह संकल्प लेने की जरूरत है." - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
"वाह, क्या जानकारी दी है. बहुत अनुसंधान किया है साहेब ने. अभी ट्वीट करता हूं." ये दिग्विजय सिंह ही थे.
दिग्गी अंकल की बात से माहौल थोड़ा हल्का हो गया. सीरियस चेहरों पर राहत भरी मुस्कान लौट आई. मौके पर दिग्गी अंकल का होना इसीलिए ज्यादा जरूरी होता है. शायद इसीलिए राहुल उनके आने से पहले बार बार दरवाजे की ओर झांक रहे थे.
राहुल उठे और चल दिए. उनकी पैकिंग अधूरी जो रह गई थी. दिग्विजय सिंह भी उठ कर खड़े हुए. शायद कुछ कहना चाह रहे थे. राहुल तब तक गाड़ी में बैठ चुके थे.
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