व्यंग्य: अयोध्या अभी दूर है, अबू धाबी में बनेगा मंदिर
मॉडर्न इंडियन राजनीतिक इतिहास में जो काम कोई और प्रधानमंत्री नहीं कर पाया, मोदी ने वह कर दिखाया - मुस्लिम बहुल देश की राजधानी में मंदिर बनाने के लिए जमीन की 'रजिस्ट्री' करवा ली.
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'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे'
राम मंदिर - 1991 के बाद से बीजेपी की राजनीति (चुनावों के समय तो बूम पर) लगभग हमेशा इसी शब्द के इर्द-गिर्द घूमती रही है. दो बार सरकार भी बन गई इनकी. फिर भी राम मंदिर का निर्माण तो दूर, एजेंडे में भी शामिल नहीं हो पाया यह शब्द. 'कोर्ट में है मामला' वाला झुनझुना अब वोटरों को समझ आने लगा है. तभी हमारे पीएम मोदी को एक आइडिया आया - अबू धाबी.
मुस्लिम देश है यूएई. इसी की राजधानी है अबू धाबी. दिल्ली से करीब 2260 किलोमीटर दूर. नरेंद्र मोदी ने दांव खेल दिया - विशुद्ध राजनीतिक. मॉडर्न इंडियन राजनीतिक इतिहास में जो काम कोई और प्रधानमंत्री नहीं कर पाया, मोदी ने वह कर दिखाया - मुस्लिम बहुल देश की राजधानी में मंदिर बनाने के लिए जमीन की 'रजिस्ट्री' करवा ली. मोदी के इस दांव से कांग्रेस का सारा समीकरण ही गड़बड़ा गया. अब उसे अपने मुस्लिम वोट बैंक की भी चिंता सताने लगी है.
आरएसएस, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद और मोदी लहर के समर्थक वोटर सब खुश हैं - यूएई के शेख के कानों में अब अजान के साथ-साथ भगवान भक्ति के मंत्र भी जाएंगे. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में होने वाली देरी अभी ठंडे बस्ते में डाल दी गई है (विश्वस्त सूत्रों से खबर यह भी है कि राम मंदिर के ईंटों को हवाला के रास्ते पहुंचाने की व्यवस्था भी हो चुकी है, मंदिर में ईष्ट देव कोई भी हों, नींव राम नाम की ही पड़ेगी).
इधर बीजेपी खुश है तो उधर मोदी, मस्जिद और टोपी पर विपक्ष की लगभग सभी पार्टियां छाती पीट रही हैं. 'आम आदमी' आशुतोष ने 'खिसियाते' हुए ट्वीट कर पूछ डाला कि मोदी अपने देश की मस्जिद में कब टोपी लगाकर जाएंगे? अब राजनीति की बातें भला 'आम आदमी' को क्या खाक समझ आएंगी! उन्हें कौन समझाए कि मोदी की राजनीति वैश्विक है - वो हिंद और हिंदू धर्म को ग्लोबल लीडर बनाने के मार्ग पर निकले हैं और आप हैं कि उन्हें यहीं लपेटे में लेने को आतुर हैं!!!
मोदी जो भी करते हैं, ग्रैंड करते हैं. ऐसे में 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' नारा एक बार फिर से गूंजने लगा है. चंदे-वंदे सब वसूले जाने लगे हैं. समझने वाले 'वहीं' शब्द को समझ कर भी दान दे रहे हैं और नहीं समझने वालों का क्या... वो तो तब भी दिए थे, अब भी देंगे और आगे भी देते रहेंगे... और हां, रह गई अयोध्या में राम मंदिर की बात, तो 2019 आने में अभी वक्त है. तब तक कुछ और जुमले निकल ही आएंगे... नहीं भी निकले तो अबू धाबी में मंदिर को कैसे 'बेचना' है, मोदी से बेहतर कौन जानता है... कोई शक!

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