New

होम -> ह्यूमर

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 01 अगस्त, 2019 02:30 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
  • Total Shares

नाम में बहुत कुछ रखा है. अब जो इस बात को समझना हो तो हम इंदौर का रुख कर सकते हैं और राहुल गांधी से मिल सकते हैं. कुछ और बताने से पहले ये बता दें कि ये वो कांग्रेस वाले राहुल गांधी नहीं हैं जिनकी तस्वीर आपके दिमाग में आई होगी. एमपी के इंदौर में रहने वाले एक 22 साल का लड़का कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हमनाम होने के कारण परेशान हैं.

युवक को अपनी पहचान को लगातार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. मामला इस हद तक सीरियस हो गया है कि अब लड़का अपना सरनेम यानी की उपनाम बदलने के बारे में प्लान कर रहा है. अपने साथ हो रही परेशानियों पर बात करते हुए लड़के का कहना है कि अपनी पहचान के दस्तावेज के रूप में उसके पास केवल और केवल आधार कार्ड है और जब भी वो इसका इस्तेमाल किसी काम जैसे सिम लेने या किसी और काम में करता है न सिर्फ लोग आश्चर्य में पड़कर उसकी तरफ देखते हैं बल्कि कई बार उसे लोगों द्वारा जालसाज समझ लिया जाता है जिस कारण उसे कई बार शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है.

राहुल गांधी, इंदौर, नाम, डिप्रेशन, Rahul Gandhi   राहुल गांधी नाम इंदौर के युवक के गले की हड्डी बन गया है जगह जगह उसे अपमान का सामना करना पड़ रहा है

इसके अलावा राहुल गांधी को राहुल गांधी के कारण सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब उनके पास किसी का फोन आता है. राहुल के अनुसार जैसे ही वो किसी को ये बताते हैं कि 'मैं राहुल गांधी' बोल रहा हो लोग न सिर्फ उनकी चुटकी लेते हैं बल्कि कई बार तो ऐसा भी बहुत कुछ कह जाते हैं जो साफ तौर पर भाषा की गरिमा को तार तार करता है. उन्होंने ये भी बताया कि कई बार तो ऐसा हुआ है जब लोग उन्हें अपशब्द कहते हुए फोन काट देते हैं और कहते हैं कि राहुल गांधी इंदौर रहने कब आ गए ?

गौरतलब है कि इंदौर के ये राहुल गांधी पेशे से कपड़ा व्यापारी हैं और इनका नाम राहुल गांधी या ये कहें कि इनके नाम के आगे गांधी सरनेम कैसे जुड़ा ये कहानी अपने आप में बड़ी दिलचस्प है. दरअसल बात ये है कि राहुल गांधी के पिता  राजेश मालवीय सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में वॉशरमैन के रूप में कार्यरत थे. उनका स्वाभाव और काम करने का तरीका बहुत अच्छा था इसलिए उनके साथियों के आलवा सीनियर अफसर उन्हें 'गांधी' कहते थे. घीरे धीरे उन्हें भी ये नाम अच्छा लगने लग गया और उन्होंने इसे अपना लिया. राहुल बताते हैं कि जब वो स्कूल गए तो माता पिता ने उनका नाम बजाए राहुल मालवीय के राहुल गांधी लिखवाया.

राहुल सिर्फ 5 वीं तक पढ़े हैं और बताते हैं कि उन्हें किसी दल की राजनीति में कोई रूचि नहीं है बस वो कमाना चाहते हैं और अच्छे से जीवन जीना चाहते हैं. अब चूंकि उनके नाम के कारण उन्हें तरह तरह के तानों और अपमान का सामना करना पड़ रहा हैबस वो ये चाह रहे हैं कि कैसे भी करके इस नाम से उनका पीछा छूट जाए.

बात आगे बढ़ाने से पहले हमारे लिए ये बताना बहुत जरूरी है कि अभी अभी हाल में ही एक मुस्लिम महिला ने अपने बच्चे का नाम, देश के प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर नरेंद्र मोदी रखा था और नाम रखते साथ ही महिला तमाम तरह की परेशानियों में पड़ी थी और उसे बच्चे का नाम बदलना पड़ा. जरा सोचिये यदि वो महिला अपने फैसले पर अडिग रहती और बच्चे का नाम नहीं बदलती तो भविष्य में उस बच्चे की क्या स्थिति होती?

बात नाम और नाम के बदले आई परेशानी पर चल रही है तो हमें भी इंदौर के इस युवक से पूरी सहानुभूति है. कह सकते हैं कि ऐसे मामलों में खुद मां बाप को सोचना चाहिए कि उनके द्वारा जाने अनजाने में की जा रही एक छोटी सी भूल कहीं एक बहुत बड़ी दुर्घटना की जनक न बन जाए. बाक़ी बात हमने शेक्सपियर की बात से शुरू की थी तो हम भी बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि गलत थे शेक्सपियर. नाम में बहुत कुछ रखा है. इंसान की पहचान है उसका नाम. यदि किसी का नाम खराब हो तो उसके नाम पर रखा गया नाम खराब होता है और व्यक्ति के डिप्रेशन का कारण बन जाता है.

ये भी पढ़ें -

केसीआर का महासुदर्शन यज्ञ एक विहंगम तुष्टिकरण!

तीन तलाक कानून मुस्लिम महिलाओं से ज्यादा BJP के लिए फायदेमंद है

यूपी में नए रूप में उतरीं प्रियंका गांधी नए अस्‍त्र लेकर आई हैं

लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय