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Updated: 22 सितम्बर, 2022 06:37 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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हाय ब्रो!  

और गुरु क्या हाल वहां नामीबिया के? हवा पानी सब मस्त तो है न? बारिश बारिश हुई वहां की नहीं? गर्मी तो वहां भी गज़ब पड़ रही है ब्रो? नहीं मतलब बस इसलिए पूछ लिया कि अभी जब दो तीन दिन पहले, वहां नामीबिया से चलकर हम लोग यहां कूनो नेशनल पार्क पहुंचे थे, तो अपना जो छोटू था, अरे वही तुम्हारा मित्र छोटू चीता उसे डी हायड्रेशन हो गया था. सोचा था तुमको यहां पहुंचते ही चिट्ठी विट्ठी लिखी जाएगी. लेकिन यार टाइम नहीं मिला. मोदी जी के कारण जो मीडिया की चमक धमक मिली, आंखों के सामने जैसे बड़े बड़े कैमरे आए दिल गार्डन-गार्डन आंगन-आंगन फुलवारी-फुलवारी हो गया.

Cheetah, Madhya Pradesh, Kuno National Park, PM Modi, Open Letter, Satire, Criticism, Deerचीते के खत की जो बातें हैं जरूर आपको कुछ सवालों के जवाब तलाशने पर मजबूर कर देंगी.

चार- पांच दिन में ज़िंदगी यूं गुले गुलजार हो जाएगी मैंने तो कभी सपने में भी नहीं सोचा. देखा तो तुमने भी होगा? क्या ये बातें तुम्हारे भी दिमाग में आई थीं?

कहां तो वहां नामीबिया में जब हम लोग थे तो भीषण गर्मी होने के बावजूद हर तीसरे दिन शिकार करो. फिर उस शिकार को अन्य शिकारियों से बचाकर पेड़ की पुंगी पर रखो. बहुत झंझट था ब्रो.

यहां ऐसा कुछ नहीं है. कोई शिकार- विकार नहीं करना पड़ता. सजे हुए थाल में जो चाहिए सामने हाजिर. मतलब मूड हो तो चीतल, सांभर ले लो नहीं तो फिर नीलगाय या भैंसा खाओ. 

वो तो इंसान हमसे डरता है वरना अपन बिल्लियों की जैसी बल्ले बल्ले यहां है, बड़ी बात नहीं थी कि हमारी सेवा में लगे लोग खुद अपने हाथों से निवाला बनाकर हमें खिलाते.

हम लोग यहां खुश तो हैं लेकिन सही बताऊं तो अभी वो 'कम्फर्टेबल' होने वाला फील आ नहीं पाया है. मन में एक ग्रज है. अपना घर तो अपना ही होता है. क्यों है न ब्रो?

कहां तो वहां पर हम सब साथ रहते थे. साथ घूमते थे लेकिन यहां आइसोलेशन और एडजस्टमेंट के नाम पर हमें अकेले में रख दिया गया है. बड़े बड़े पिंजड़े में  

ब्रो! तुम लोग वहां आजादी की हवा में सांस ले रहे हो. यहां अपने गले में कॉलर है. जीपीएस लगा है और हर पल हम पर नजर रखी जा रही है. सही बता रहा हूं यहां आने के बाद प्राइवेसी की जो लंका लगाने की कोशिश हो रही है दो एक दिन से बड़ा फ्रस्ट्रेशन है.

कल की ही तो बात है अपने साथ आई 'पिंकी चीता के मोबाइल पर एक व्हाट्सएप आया था. वो अपना चश्मा वही नामीबिया छोड़कर आ गयी थी तो उस व्हाट्सएप को मैंने ही पढ़ा. दिल को भारत की मेहमान नवाजी देखकर शाद था, उदास हो गया. यहां का कोई बिश्नोई समाज है. अपने को पशु प्रेमी कहता है और अपने को हिरणों का रक्षक बताता है. आहत है. 

बिश्नोई समाज इस बात को लेकर मध्य प्रदेश की सरकार से सवाल कर रहा है कि आखिर उनकी हिम्मत कैसे हुई हमारे खाने के लिए हिरन राजस्थान से एमपी लाने की. बिश्नोई भाइयों का ये सवाल पूछना भर था एमपी की सरकार बैकफुट पर आ गयी है. यहां हमारे जो सेवादार हैं, बता रहे थे कि यहां भारत में चुनाव टाइप का कुछ होता है. और अगले साल राजस्थान में चुनाव होने हैं तो सरकार इसे सीरियस मैटर मान रही है.

वो तो मैं बंद हूं वरना जाता और सवाल करता बिश्नोई समाज के लीडर लोगों से कि क्यों भइया काहे हमें पालक, लौकी, भिंडी, टिंडे, गोभी और पनीर खिलाने पर तुले हो? ये तुम्हारा खाना है तुमको ही मुबारक!

ब्रो! सीरियसली एक बात कहूं. जितना देखा भारत देश अच्छा है और एमपी उससे भी गज़ब है लेकिन यहां विपक्ष नाम की कोई चीज है उसने तो मेरा दिमाग ख़राब कर के रख दिया है. कह रहा है कि पीएम मोदी को क्या ही जरूरत थी नामीबिया से चीते मंगवाने की? गाय मर रही हैं उन्हीं को बचा लिया जाता.

मतलब जैसे लॉजिक दिए जा रहे हैं मेरी तो समझ से परे हैं. कई लोग ऐसे भी दिखे जिन्हें जब हमारी टांग खींचने के नाम पर कुछ नहीं मिला तो उन्होंने महंगाई, बेरोजगारी, पेट्रोल डीजल को मुद्दा बना लिया. बताओ भला ये भी कोई बात हुई? कल अभी नीम के पेड़ की छांव में आराम फरमाते हुए एक विचार यूं ही मन में आया कि पीएम मोदी ने हमें वहां नामीबिया से मंगवाया है तो ये सारा ड्रामा, ये सारा टंटा शायद उस नाते हो रहा है.

ब्रो एक मजे की बात सुने यहां हिंदुस्तान में कोई पार्टी है... क्या नाम था उसका? हां याद आया कांग्रेस पार्टी! कांग्रेस का कहना है कि चीते इंडिया आएंगे ये प्लान पीएम मोदी का नहीं बल्कि कांग्रेस का था. अब इन बातों में कितनी सच्चाई है ईश्वर ही जानें.

हां ब्रो एक बात और. जिस बात का टेंशन मुझे सबसे ज्यादा है वो है जान का खतरा. अभी कल की ही बात है अपने फेन्स पर अपना पक्का दुश्मन तेंदुआ कूद गया था. वो तो भगवान भला करे हमारे सेवादारों और उनके हाथियों का जिन्होंने हमारी जान बचा ली. जब तक हम बंद हैं तब तक मैटर ठीक है लेकिन आजादी पाने के बाद हम बच जाएं सवाल अभी से मुझे परेशान कर रहा है.

खैर अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं इसलिए इतनी ही बातें सीखी. इतना ही समझा आगे कुछ होगा तो तुमको अपडेट दिया जाएगा. तुम लोग जब आओगे यहां तो  यकीन मानना हमारा एक्सपीरियंस तुम्हारे बहुत काम आने वाला है. लैटर लंबा हो गया है. अब अपनी बातों को विराम दे रहा हूं इसलिए तब तक कम लिखे को ज्यादा समझना.

तुम्हारा ब्रो 

भूरा चीता 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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