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Updated: 30 अक्टूबर, 2021 02:39 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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तो गुरु तकरीबन अट्ठाईस- उनतीस दिन की भसड़ के बाद आखिरकार आर्यन खान को पापा शाहरुख खान के कर्मठ वकीलों की बदौलत 16 पर एसी चलाकर और कंबल ओढ़कर सोने का मौका मिल ही गया. अब न तो मच्छर ही कटेगा और न मक्खी ही कान के पास भिनभिनाएगी कुछ दिन मीडिया में शायद और रहे फिर आर्यन की जिंदगी चैन सुकून से कटेगी. कटनी भी चाहिए. आर्यन, शाहरुख के बड़े बेटे हैं. और चूंकि इतना रायता फैल ही चुका है तो इतना तो बनता ही है. हक़ है उनका. नहीं मतलब ख़ुद सोचिए मौका ए वारदात (हां उसी क्रूज पर) पर कुछ ही ग्राम ड्रग बरामद की होगी एनसीबी और समीर वानखेड़े ने लेकिन जो पुदीना आर्यन की ज़िंदगी में हुआ है अब वो उसे शायद ही कभी भूल पाएं. करीब 28 दिन बाद आर्यन बाबू को जमानत मिली है यकीनन उन्हें समझ आ गया होगा कि बाप अगर शाहरुख खान भी हो तो पाप को छिपाया नहीं जा सकता. अब जबकि आर्यन मन्नत में जन्नत का मजा ले रहे हैं और बोरडम दूर करने के लिए नेटफ्लिक्स या अमेजन प्राइम पर कोई बढियां सी अंग्रेजी वेब सीरीज देख रहे होंगे एक सवाल यूं ही जेहन में आया कि जब आर्यन सरीखों का ये हाल है तो कल जब छोटे मोटे एक्टर या एक्ट्रेस किसी केस में नपेंगे तो उनका क्या होगा?

Aryan Khan, SRK, Bail, Drugs, Intoxication, Celebrity, Bollywood, Film Industryआर्यन शाहरुख के बेटे थे तो जमानत में इतना टाइम लगा. सोचिये अगर कोई छोटा मोटा सेलिब्रिटी अंदर हो जाए तो उस बेचारे का क्या हाल होगा

इस सवाल के जवाब के लिए सोच सोचकर दिमाग के घोड़े खोल दिये, दिमाग की नसें दहक गयीं कि तभी विचार आया कि क्यों न लगे हाथ बॉलीवुड के मद्देनजर एक जमानत अधिकार आयोग ही बना दिया जाए. यदि ये बन गया तो यकीनन पूरे बॉलीवुड के लिए ये देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर टाइप मूमेंट होगा.

जैसा कि ब्रांड से लेकर लोकल तक हर कपड़े की दुकान में ये लिखा होता है कि फैशन के इस दौर में गारंटी की इच्छा नहीं करते. वैसा ही केस कुछ कुछ इस मामले में भी है. अब भले ही बॉलीवुडिया जमानत अधिकार आयोग किसी अपराध में लिप्त पाए गए सेलिब्रिटी को जमानत न भी दिलवा पाए मगर इंडस्ट्री के लोगों को तसल्ली रहेगी कि हार जीत तो लगी रहेगी. मगर वहां उधर कोई तो है जो उनके अधिकारों की लड़ाई लड़ रहा है. नहीं तो कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है.

देखिये यूं तो इस मैटर पर बड़े बड़े ग्रंथ लिखे जा सकते हैं. मोटे मोटे रजिस्टर भरे जा सकते हैं लेकिन बात फिर वही है. बॉलीवुड में जिस तरह के घपले सामने आ रहे हैं. इनकम टैक्‍स चोरी, मनी लॉडरिंग, ड्रग्‍स जैसी चीजें धड़ल्ले से हो रही हैं कौन कब पकड़ा जाएगा, पता नहीं. किसे कब जमानत की जरूरत पड़ जाए, क्या पता. ऐसे में जरूरी है एक सिस्‍टम बनाए जाने की, ज‍िसमें तू मेरी पीठ खुजला, मैं तेरी खुजलाऊं टाइप फील आए हमारे फिल्मी सितारों को.

आप खुद बताइए बीते कुछ दिनों या बहुत सीधे कहें तो एक्टर सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले के बाद जिस तरह एक के बाद एक नए मामले आ रहे हैं और जैसे पोर्न बनाने से लेकर ड्रग्स लेने तकिया हमारे प्यारे सेलिब्रिटी नप रहे हैं वाक़ई जरूरत है जमानत अधिकार आयोग की जो जमानत में अग्रणीय भूमिका निभाए. आज भले ही इस विषय पर सेलिब्रिटी खुलकर कुछ कह न पा रहे हों लेकिन किनारे ले जाकर पूछिये अपने फेवरेट सुपरस्टार से. कहेगा यही कि ऐसे आयोग डूबते को तिनके का सहारा हैं. वक़्त की ज़रूरत हैं ऐसे आयोग.

आप चाहे मानिए या न मानिए अभी कल की डेट में इंडस्ट्री से जुड़ा कोई बड़ा मठाधीश इस जमानत अधिकार आयोग वाली बात को लेकर कैम्पेन चला दे यकीन मानिए इंडस्ट्री के 100 में से 90 लोग इसमें जुड़ ही जाएंगे यूं भी आज सोशल मीडिया वाले इस दौर में आदमी को जान प्यारी हो न हो इज्जत ज़रूर बहुत प्यारी होती है जिसे बचाने के लिए व्यक्ति किसी भी सीमा तक जा सकता है. अपना कुछ भी लुटा सकता है.

अब वो वक़्त आ गया है जब ऐसे आयोग बन ही जाने चाहिए. बात अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, कोषाध्यक्ष जैसे पदों की आएगी तो भतेरे पड़े हैं इंडस्ट्री में जो तन मन धन से 100 टका खाली हैं. ले आएं ऐसे लोगों को पुण्य इस बात का मिलेगा कि इसी आयोग के बहाने कुछ सार्थक करने में उन लोगों के समय का सही उपयोग हो रहा है.

देखिये हम फिर इस बात को दोहराएंगे. बार बार कहेंगे कि जब सेशंस कोर्ट में मी लार्ड के सामने आर्यन खान के वकीलों की एक न सुनी गयी तो छोटे मोटे सेलिब्रिटी होते कौन हैं ये सोचने वाले कि यदि उन्होंने कुछ गलत किया तो वो बच जाएंगे. ज्यादा दूर क्या ही जाना अभी बीते दिनों ही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक्ट्रेस नोरा फ़तेही और जैक्लीन का नाम आया था. इसी तरह रिया चक्रबर्ती के साथ सुशांत की मौत मामले के बाद क्या हुआ उसे भी दुनिया ने देख लिया. 

अब कल्पना करिये ये जमानत वाला आयोग यदि उसी समय बन गया होता तो क्या नोरा, जैक्लीन और रिया जैसे लोग न बचते? बिलकुल बचते और डंके की चोट पर बचते. याद रखिये मैटर वही है जो हम ऊपर बता चुके हैं तू मेरी खुजला मैं तेरी खुजलाऊंगा का फंडा इंडस्ट्री में सदियों से चल रहा है यदि ये आयोग होता तो यकीनन उस रिश्ते को मजबूती मिलती.

बहरहाल जैसा कि हमारे बड़े बुजुर्ग कहकर चले गए हैं कि जब जागो तब सवेरा है इसलिए अब भी देर नहीं हुई है यूं भी नेक काम में देरी नहीं करनी चाहिए. अब वो वक़्त आ गया है जब जमानत अधिकार आयोग बन ही जाना चाहिए. कम से कम हमारे स्टार्स पर प्रेशर तो कम रहेगा. मतलब टेंशन कम होगी कि यदि कल कुछ उल्टा सीधा किया तो कोई तो है पास जो न केवल मदद करेगा बल्कि ये भी जुआड़ लगाएगा कि सजा से कैसे बचा जाए. 

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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