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Updated: 27 अगस्त, 2015 06:07 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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वैसे तो देश में राम राज्य भी भूतिया ही रहा और उसे मुहावरों से बाहर निकालकर प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकी. लेकिन मोदी के स्मार्ट सिटी की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई तो देश को सदियों तक इसके गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने पड़ेंगे, क्योंकि चीन के भूतिया शहर यही सबक सिखा रहे हैं.

केन्द्र सरकार ने स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में देश के 98 शहरों की सूची बना ली है. इन 98 शहरों में जल्द निर्माण कार्य शुरू होगा और अगले 5-6 साल में इन्हें दुरुस्त कर स्मार्ट सिटी घोषित कर दिया जाएगा. इन स्मार्ट सिटीज में शहरी इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और शहरी जीवन को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाएगा. इन शहरों को सरकार अर्थव्यवस्था की लाइफलाइन बनाने जा रही है लिहाजा देश का अधिकांश कारोबार इन शहरों से ही होगा. यही काम पहले दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने किया था लेकिन आज चीन के तैयार खड़े स्मार्ट सिटी महज 'घोस्ट सिटी' बन कर रह गए हैं. अरबों-खरबों की लागत से बन कर तैयार खड़े इन शहरों के बसने से पहले चीन आर्थिक सुस्ती के संकेत देने लगा, मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर मंद पड़ने लगा और सरपट दौड़ रहा शेयर बाजार औंधे मुंह गिर गया. नतीजा यह है कि आज इन शहरों में बड़ी संख्या में बने कॉमर्शियल और रेजिडेंशियल इमारते खाली पड़ी हैं और इन शहरों की और जा रही सड़कों पर सन्नाटा बरपा है. कहीं हम चीन की गलती दोहरा तो नहीं रहे? चीन को इस गलती का बड़ा खामियाजा उठाना पड़ रहा है और आने वाले दिनों में उसकी वैश्विक साख पर असर पड़ना तय है. लिहाजा, प्रधानमंत्री मोदी को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लागू करने से पहले स्मार्ट सिटी का विस्तृत नमूना आंकलन के लिए सामने रखना होगा.

कैसी-कैसी बनेंगी स्मार्ट सिटी

केन्द्र सरकार देश में कुल 98 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने जा रही है. इन शहरों का चयन देश के ज्यादातर राज्यों से किया गया है. योजना के मुताबिक, इन 98 शहरों में 24 शहरों को देश में बिजनेस और इंडस्ट्री स्मार्ट बनाया जाएगा. अन्य 18 शहरों को कल्चरल और टूरिस्ट स्मार्ट और बाकी तीन शहरों को शिक्षा और स्वास्थ सुविधाओं के लिए स्मार्ट बनाया जाएगा. इस काम को अगले 5-6 साल में लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा.

स्मार्ट सिटी की पांच खासियत

कारोबार को किया जाएगा संगठित
लैंड यूज को अधिक कारगर बनाने के लिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत उन असंगठित क्षेत्र जिनमें एक जैसा कारोबार होता है को संगठित कर जमीन का बेहतर इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकारें लैंड यूज बदलने में लचर रुख अपनाने के साथ-साथ बिल्डिंग बायलॉज में जरूरी बदलाव करेंगी.
इंडस्ट्री के लिए रिहायशी इलाके
योजना के तहत आर्थिक गतिविधियों के लिए बन रहे शहरों में सभी के लिए घर की भी योजना है. इन रिहायशी इलाकों को अंतरराष्ट्रीय मानकों पर विकसित किया जाएगा. शहरों में भीड़-भाड़, गंदगी, वायु प्रदूषण जैसी समस्या नहीं रहेगी.
स्वस्थ निर्माण के लिए पार्क और प्ले ग्राउन्ड
योजना के मुताबिक स्मार्ट सिटी में पार्क, स्टेडियम और एंटरटेनमेंट की सभी सुविधाओं के साथ नागरिकों को बेहतर लाइफ क्वालिटी मिलेगी. शहरों को खासतौर पर इको-बैलेंस के आधार पर निर्मित किया जाएगा जिससे गर्मी के दिनों में भी लोगों को क्रितिम एयरकंडीशनिंग के सहारे न रहना पड़े.
ई-गवर्नेंस से चलेंगी स्मार्ट सिटी
स्मा-र्ट सिटी में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सभी सेवाओं को ऑनलाइन किया जाएगा. नगर निगमों को ई-ग्रुप बना कर समस्यापएं सुननी होंगी और समाधान करना होगा. मोबाइल पर शहर की सभी सेवाएं एप के माध्यम से उपलब्ध होंगी.
सड़कें करेंगी आर्थिक गतिविधियों को सपोर्ट
स्मार्ट शहरों में बनने वाली सड़कों पर निजी वाहन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के अलावा पैदल और साइकिल से चलने वालों के लिए विशेष सुविधा रहेगी. सड़कों को जाम और दुर्घटना से मुक्त रखने के लिए जीपीएस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल होगा. सड़क के माध्य म से स्थाजनीय अर्थव्यमवस्‍था को बूस्टॉ मिलेगा.

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लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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