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Updated: 24 अगस्त, 2015 11:59 AM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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अंतरराष्ट्रीय प्रॉपर्टी कंसलटेंट नाइट फ्रैंक की भारतीय रियल स्टेट पर आई रिपोर्ट से एक बात साफ है कि देश में घर नहीं खरीदे जा रहे हैं. देश में प्रॉपर्टी के सबसे बड़े बाजार दिल्ली-एनसीआर में साल 2015 के पहले 6 महीनों के दौरान घर बिक्री में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. यही नहीं, इस दौरान लांच हुए नए प्रोजेक्ट में 68 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है. नए घरों की इनवेंट्री को बेचने में डेवलपर्स को पांच साल और लगेंगे.

क्यों रुकी है घरों की बिक्री: रियल स्टेट डेवलपर्स का मानना है कि इस सेक्टर के दो अहम घटक हैं- रेसिडेंशियल और कॉमर्शियल प्रॉपर्टी. देश में कॉमर्शियल प्रॉपर्टी बड़े संकट में है, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था शिथिल पड़ी हुई है. ऐसे में रियल स्टेट सेक्टर में कॉरपोरेट निवेश नहीं हो रहा है और इसके चलते प्रॉपर्टी की कीमतें आसमान छू रही हैं. लिहाजा, रेसिडेंशियल बायर भी ऊंची कीमतों के कारण बाजार में खरीदारी का रुझान नहीं बना पा रहे हैं.

रियल स्टेट में बैंकों को दिख रहा है रिस्क: रियल्टी सेक्टर के जानकारों का मानना है कि रिजर्व बैंक की रेपो रेट में कटौती करने में फिलहाल कोई दिलचस्पी नहीं दिखाने से देश के बैंकों को रियल स्टेट सेक्टर पर भरोसा नहीं हो रहा है. जहां एक तरफ केन्द्रीय बैंक सभी बैंकों पर पूर्व में रेपो रेट में हुई कटौती को ग्राहकों को आगे बढ़ाने का दबाव बना रही है वहीं बैंकों को अपनी माली हालत को देखते हुए इस क्षेत्र में निवेश पर बड़ा रिस्क दिख रहा है. लिहाजा पिछले कुछ समय से डेवलपर्स और प्रॉपर्टी खरीदने वालों को बैंक लोन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्रॉपर्टी की कीमत कम करें डेवलपर्स: केन्द्रीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने डेवलपर्स से अपील की है कि रियल स्टेट सेक्टर में तेजी लाने के लिए वह कीमतों को कम करें जिससे ग्राहकों का रुझान उनकी ओर बढ़े. इसके साथ ही बैंक भी प्रॉपर्टी लोन को आकर्षक बनाए जिससे लोग प्रॉपर्टी में निवेश करने के लिए आगे आएं. इन सबके बीच सवाल यह उठता है कि रियल स्टेट सेक्टर को मौजूदा बदहाली से निकालने के लिए पहला कदम कौन उठाए.

डेवलपर्स का तर्क है कि उसकी बची हुई इनवेंट्री में उसे न सिर्फ अपना मुनाफा निकालना है बल्कि इस सुस्ती के दौर में ऑपरेशन कॉस्ट का भी बोझ झेलना है. इसके साथ ही उसकी कोशिश अपनी इनवेंट्री बेच कर नए प्रोजेक्ट के लिए क्रॉस फंडिग करने की भी है क्योंकि बैंकों से लोन मिलने में उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में रघुराम राजन की सलाह का कोई असर बाजार पर नहीं पड़ेगा और रेपो रेट और बैंकों के ब्याज दरों में कटौती का इंतजार कर डेवलपर्स अपने रिस्क को नहीं बढ़ा सकते.

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लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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