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Updated: 09 नवम्बर, 2016 05:04 PM
पारुल चंद्रा
पारुल चंद्रा
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रात 8 बजे तक तो सब ठीक था. कुछ ही देर बाद की आपाधापी किसी इनकम टैक्स रेड से कम नहीं थी. भूमिका के बाद जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुद्दे पर आये देशभर में खलबली मच गई. भाषण खत्म होते होते बहुत सारे लोग पास के एटीएम पहुंच चुके थे. आखिर, 12 बजे के बाद से 500 और 1000 रुपये के नोट बंद जो हो रहे थे.

कुछ लोगों को शॉक लगा, कुछ चिंता में पड़ गए, और कुछ बेचारे ऐसे थे जिन्हें पता ही नहीं चला कि कल का दिन क्या क्या दिखाने वाला है. लोगों में सबसे ज्यादा फिक्र इस बात की रही कि 500 और 1000 के जितने नोट उनके पास हैं उनसे किस तरह पीछा छुड़ाया जाए. वैसे देखिए क्या दिन दिखाए मोदी जी ने, कभी 500 और 1000 के नोट अपने बटुए की सबसे छिपी हुई जेब में सेंत कर रखने वाले लोग अब उससे पीछा छुड़ाने के उपाय ढ़ूंढ रहे थे.

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मोदी जी के भाषण के बाद ऐसी तस्वीरों ने लोगों को खूब डराया

इस बात की जानकारी जिन्हें भी थी, वो सबसे पहले पेट्रोल पंप की तरफ दौड़ पड़े, जहां वो 500 और 1000 के नोट टिका सकें. अब लोग रात में क्या क्या खरीद सकते थे भला, तो जो भी ले सकते थे, ले लिया.

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लेकिन इस मौके का भी फायदा जो उठा ले उसे ही बाजार कहते हैं. लोग जब समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें, क्या न करें, तब उनके फोन में मैसेज आने शुरू हो गए, कि भइया घबराओ नहीं...यहां आ जाओ. ये थे बड़े बाजार जैसे बिगबाजार, स्पेन्सर जो बता रहे थे कि उनका स्टोर आधी रात को भी खुला मिलेगा, जल्दी आइए और खरीदारी कीजिए अपने करीबी स्टोर पर.

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 रात के 12 बजे तक खुला रहा बिग बाजार

यही हाल सर्राफा बाजार का भी रहा, उन्होंने भी दुकानें बंद नहीं कीं - और लोगों का सारा ब्लैक मनी गोल्ड में बदलता रहा. कई शहरों में तो प्रशासन को दुकानों को बंद करवाना पड़ा. मतलब जो स्टोर रात 9 बजे तक बंद हो जाते हैं वो स्टोर राते के 12-1 बजे तक खुले रहे, और लोग रात में भी अपने नोट ठिकाने लगाते रहे. देर रात तक सडकें गुलजार थीं.

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सोना खरीदने के लिए कितने बेचैन थे लोग, दुकानों के बाहर ये भीड़ बता रही है

और रात के 12 बजे के बाद चांदी हुई डिजिटल वॉलेट और ई कॉमर्स कंपनियों की. इस पूरी कवायद में अगर किसी का सबसे ज्यादा फायदा हुआ तो वे हैं - पेटीएम, पेयूमनी, मोबीक्विक वगैरह. सबने शानदार तरीकों से ग्राहकों को लुभाना शुरू कर दिया है.

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 सभी अलग अलग तरीके से ग्राहकों को लुभा रहे हैं

सुबह से दूध, ब्रेड और सब्जी के लिए परेशान होते लोग अब ऑनलाइन शॉपिंग करके खाने पीने का सामान ऑर्डर कर रहे हैं.

मैं बस यही सोच रही हूं कि कल ऑफिस से घर जाते वक्त मैंने सब्जी वाले से 50 रुपये की सब्जी खरीदी और 500 रुपये का नोट दिया तो उसने 450 रुपये की चिल्लर मुझे वापस की और कहा 'मैडम सारी चिल्लर तो आपके पास ही चली गई'. तब वो 500 का बंधा नोट देखकर बहुत खुश हो रहा था. पर आज उसने मुझे कितना कोसा होगा, मैं समझ सकती हूं. फिलहाल, सबसे ज्यादा परेशान तो वे ही होंगे जो न तो प्लास्टिक मनी समझते हैं और न 'पेटीएम करो' जानते हैं.

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बहरहाल, जो भी हो रहा है लोगों के भले के लिए ही हो रहा है. भ्रष्टाचार को मुहंतोड़ टक्कर देने के लिए मोदी जी ट्रेंड भी कर रहे हैं, इसके दूरगामी परिणाम बहुत सुकून देने वाले हैं. दो दिन तक पब्लिक के लिए न तो बैंक खुले हैं न एटीएम.

एक पल यकीन नहीं होता कि '15 लाख' वाला जुमला महज चुनावी था, दूसरे ही पल फिर याद आता है- अरे, चुनाव तो बस आने ही वाले हैं.

लेखक

पारुल चंद्रा पारुल चंद्रा @parulchandraa

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं

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