Loan Moratorium क्या है, जिसके खत्म होने की खबर ने EMI जमा करने वालों की नींद उड़ा दी
कोविड 19 महामारी (Covid 19 pandemic) की वजह से आरबीआई (RBI) ने लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) स्कीम के तहत कर्जदारों को ईएमआई (EMI) भरने से 6 महीने की जो राहत दी थी, वह अवधि 31 अगस्त को खत्म हो रही है. ऐसे में सितंबर महीने से कर्जदारों को जेब खाली करनी पड़ेगी और मासिक किस्त का भुगतान करना पड़ेगा.
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कोरोना संकट ने जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है, वहीं लोगों के रोजगार और आय के साधन भी सीमित कर दिए हैं. सरकारी नौकरी कर रहे लोगों के लिए तो ज्यादा मुश्किलें नहीं आईं, लेकिन लाखों प्राइवेट नौकरी करने वालों के साथ ही करोड़ों दिहाड़ी मजदूरों के आय का जरिया ही छिन गया और अब वो लोग हालात सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि जीवन की गाड़ी को फिर से पटरी पर लाने की कोशिशें तेज करें. लेकिन इस बीच लाखों लोग यह खबर सुनकर परेशान हो गए हैं कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोरोना संकट काल में उन्हें लोन मोरेटेरियम की जो सुविधा दी थी, वह 31 अगस्त से खत्म होने जा रही है. यानी अगर आपने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया हो, कार खरीदने के लिए कार लोन लिया हो या पर्सनल लोन समेत अन्य किसी तरह का भी लोन, तो अगले महीने से उसकी मासिक किश्त यानी ईएमआई चुकाने के लिए तैयार हो जाइए. अब तो ईएमआई पर पिछले 6 महीने के ब्याज का भी बोझ पड़ेगा.
दरअसल, कोरोना संकट काल में लॉकडाउन होने और आय के साधनों पर व्यापक असर पड़ने की वजह से आरबीआई ने लोन धारकों को राहत दी थी. यह राहत लोन मोरेटोरियम के रूप में थी. यानी कर्जदार के पास अगर पैसे नहीं हैं या वो ईएमआई चुकाने में सक्षम नहीं हैं तो उन्हें मार्च से अगस्त तक 6 महीने के लिए ईएमआई देने से राहत की घोषणा की गई थी. रिजर्व बैंक ने यह छूट कंपनियों के साथ ही सामान्य लोगों को भी दी थी. कोरोना महामारी के कारण कई लोगों की नौकरी छूट गई थी और उनकी सैलरी कट गई थी, इसकी वजह से वह लोन की किश्त चुकाने में सक्षम नहीं थे. लेकिन अब धीरे-धीरे हालात सामान्य करने की कोशिशें हो रही हैं, ऐसे में कई बैकों ने आरबीआई से आग्रह किया कि लोन मोरेटोरियम की अवधि अब और ज्यादा ना बढ़ाई जाए. बैकों ने यह दलील दी कि ईएमआई न चुकाने से लोगों की आदतें बिगड़ सकती हैं और इससे लोगों के साथ ही बैंक और अर्थव्यवस्था को भी काफी नुकसान पहुंचेगा. बैंकों के तरफ से ये भी कहा गया कि लोन मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने से लोगों को क्रेडिट रिस्क तो होगा ही, साथ ही लोन डिफॉल्टर्स की संख्या भी बढ़ सकती है.
जानें लोन मोरेटोरियम के नुकसान और फायदे
बीते दिनों एचडीएफसी बैंक लिमिटेड के चेयरमैन दीपक पारेख और कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी उदय कोटक ने आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास से आग्रह किया कि आरबीआई अब लोन मोरेटोरियम की अवधि और ज्यादा न बढ़ाए. इसके बाद यह खबर सामने आ रही है कि कोविड 19 महामारी के बीच ही 31 अगस्त से ईएमआई पर राहत से जुड़ी स्कीम अप्रभावी हो जाएगी और लोगों को हर महीने ईएमआई का भुगतान करना पड़ेगा. इन सबके बीच एक बात स्पष्ट कर दूं कि कर्जदारों को लग रहा होगा कि बीते 6 महीने के दौरान उन्होंने जो ईएमआई नहीं चुकाए हैं, बैंक उनपर लगने वाले ब्याज माफ कर देगी, लेकिन ऐसा है नहीं. कर्जदारों को अब लोन मोरेटोरियम की अवधि में मूलधन पर लगने वाले ब्याज पर भी ब्याज देना होगा, जिसकी वजह से अगले महीने से उनके ईएमआई पर और ज्यादा बोझ पड़ने वाला है. हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट का कहना है कि एक तरफ तो ईएमआई देने से राहत दी जा रही है, वहीं ब्याज को लेकर बैंक का रवैया पहले जैसा है कि ब्याज तो लगेगा ही. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक हफ्ते के अंदर ब्याज पर लगने वाले ब्याज के बारे में रुख साफ करने का निर्देश दिया है.
आपको बता दूं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कंपनियों और लोगों के लिए कोविड 19 महामारी काल में लोन मोरेटोरियम की जो सुविधा दी थी, वह वैकल्पिक थी. यानी जिनके पास ईएमआई देने के लिए पर्याप्त पैसे थे, वे हर महीने किस्त दे सकते थे, वहीं जिनके आय के साधन सीमित हो गए, ने लोन मोरेटोरियम का फायदा उठा सकते थे और 6 महीने तक ईएमआई भरने से निजात पा सकते थे. हालांकि, यह सौदा घाटे का है, क्योंकि इस अवधि में वह जितना ईएमआई भरते, अब उन्हें इसपर भी ब्याज देना होगा. यानी बकाये राशि पर लगने वाले ब्याज के साथ ही लोन मोरेटोरियम की अवधि के दौरान ब्याज पर भी ब्याज चुकाना होगा. इस तरह आम लोगों और कंपनियों को लोन मोरेटोरियम स्कीम अपनाने की वजह से हजारों-लाखों रुपये अतिरिक्त चुकाने होंगे. अब लोग ये सोचकर परेशान हैं कि वैसे ही कोरोना महामारी की वजह से उनकी आय सीमित हो गई है, ऊपर से अब अतिरिक्त ब्याज का बोझ अलग से. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में बैंकों के साथ ही सरकार भी इस मसले पर कोई फैसला ले और कर्जदारों को राहत दे. लोन मोरेटोरियम का लोगों को एक फायदा ये हुआ कि 6 महीने तक ईएमआई न चुकाने के बाद भी उनका सिबिल स्कोर खराब नहीं होगा. काफी सारे कर्जदारों ने लोन मोरेटोरियम का लाभ उठाया है, जिसमें पब्लिक सेक्टर के लोग ज्यादा हैं.
जानिए अन्य देशों ने अपने कर्जदारों को कैसी राहत दी
उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है. कोरोना संकट काल में भारतीय अर्थव्यवस्था तो काफी हद तक पीछे चली गई. करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए, जिनमें प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों और दिहाड़ी मजदूरों की संख्या ज्यादा है. भारत में हर साल लाखों लोग सरकारी और प्राइवेट बैंक से लोन लेते हैं. कोरोना महामारी काल में अचानक नौकरी जाने से उनके सामने लोन चुकाने की समस्या हो गई, जिसके बाद आरबीआई उनके लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा लाई, जिसका लोगों ने फायदा भी उठाया. लेकिन अब बैंकों को डर है कि इससे लोन डिफॉल्टर्स की संख्या बढ़ेगी, जिसके बाद लोन मोरेटोरियम स्कीम को 31 अगस्त से खत्म किया जा रहा है. कोरोना संकट काल में भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप के अन्य देशों में भी बैंकों ने कर्जदारों को लोन मोरेटोरियम जैसी सुविधा दी. यह कोरोना राहत के रूप में थी. यूरोप के ज्यादातर देशों ने 3 महीने के लिए लोन मोरेटोरिटम स्कीम को लागू किया. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी 6 महीने से लेकर एक साल तक के लिए इस स्कीम को लागू किया गया. अफ्रीका और एशिया के देशों में भी सरकार के साथ ही बैंकों द्वारा भी लोगों को आर्थिक राहत की घोषणा की गई. अब जबकि हालात सामान्य हो रहे हैं तो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उद्देश्य से सुविधाएं खत्म की जा रही हैं या सीमित कर दी जा रही हैं.
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