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Updated: 01 अक्टूबर, 2015 08:15 PM
राहुल मिश्र
राहुल मिश्र
  @rmisra
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अक्टूबर 26 से 30 तक 54 अफ्रीकी देशों के प्रमुखों का राजधानी दिल्ली में जमावड़ा लग रहा है. मौका है तीसरा इंडिया-अफ्रीका फोरम समिट. लगभग 35 देशों के प्रमुखों के शामिल होने की मंजूरी विदेश मंत्रालय को मिल चुकी है. एक आक्रामक विदेश नीति की चाहत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए यह समिट ट्रम्प कार्ड साबित हो सकता है. इसकी सफलता यह तय कर देगी कि भारत सुपर पॉवर बनने के लिए तैयार है. ऐसा इसलिए नहीं कि अफ्रीका में 54 देश हैं और सब मिनरल रिसोर्स में धनी है, बल्कि इसलिए कि इन देशों पर चीन का दबदबा पिछले एक दशक से कायम है और अपनी जगह बनाने के लिए मोदी को चीन से दो-दो हांथ कर शिकस्त देनी होगी.

इंडिया-अफ्रीका समिट का उद्देश्य
भारत और अफ्रीकी देशों के बीच इस चार दिनी समिट के दौरान एक साथ विश्व आर्थिक पटल पर उभरने के लिए साक्षा प्रयास करने पर जोर दिया जाएगा. गौरतलब है कि विश्व बैंक और आईएमएफ सरीखे वित्तीय संस्थाओं का मानना है कि मौजूदा सदी में वैश्विक अर्थव्यवस्था को अफ्रीका और एशिया में तेज आर्थिक विकास से गति मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक, इन चार दिनों के दौरान एग्रीकल्चर, इंफ्रास्ट्रक्चर, सिक्योरिटी, ब्लू इकोनॉमी, ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट और इंस्टीट्यूशन बिल्डिंग पर जोर देते हुए द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने पर सहमति बनाई जाएगी.

क्यों जरूरी है अफ्रीका
पिछले कई दशकों से अफ्रीका आर्थिक विकास और बेहतर सामाजिक जीवन के लिए प्रयास कर रहा है. इस कोशिश में सबसे पहले अमेरिका और यूरोपीय देशों ने अफ्रीका का रुख किया लेकिन वहां व्याप्त क्षेत्रीय वर्चस्व की लड़ाई में उन्हें महज हथियार बेचना ज्यादा मुनाफे का सौदा लगा. इसके बाद चीन ने अफ्रीका का रुख किया और पश्चिमी देशों के मुकाबले मजबूती के साथ अपनी पकड़ बनाते हुए पिछले डेढ़ दशखों में अपने व्यापार को अच्छी रफ्तार दी. हालांकि, चीन ने भी अफ्रीका में किसी तरह के इंफ्रास्ट्रक्चरल निर्माण में रुचि नहीं दिखाई और वहां से महज रॉ मटेरियल मंगा कर मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट बेचता रहा. इसी के सहारे चीन और अफ्रीका का आपसी व्यापार लगभग 200 बिलियन डॉलर के आंकड़े तक पहुंच गया. वहीं भारत ने हमेशा अफ्रीका से एतिहासिक जुड़ाव का दावा किया है लेकिन साल 2000 तक दोनों देशों के बीच महज 3 बिलियन डॉरल का व्यापार हो रहा था. हालांकि पिछले एक दशक में भारतीय कंपनियों को अफ्रीका में बड़ी सफलता मिली है और मौजूदा समय में भारत का अफ्रीकी व्यापार बढ़कर लगभग 75 बिलियन डॉलर का हो चुका है जिसे इस साल के अंत तक बढ़ाकर 90 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है.

चीन को शिकस्त देने का सही मौका
साल 2000 में जहां चीन का अफ्रीका के साथ लगभग 10 बिलियन डॉलर का कोराबार था वहीं 2014 के अंत तक यह बढ़कर 200 बिलियन डॉलर हो गया. लेकिन अब चीन के लिए अफ्रीका में हवा बदल रही है. मध्य 2014 के बाद से चीन में सुस्ती के दस्तक देते ही अफ्रीकी रॉ मटेरियल की चीन में मांग घटने लगी थी जिसके चलते कई कई अफ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी है. ग्लोबल ट्रेड का जानकारों का मानना है कि साल 2014 के अंत से ही ग्लोबल कमोडिटी कीमतों में गिरावट दर्ज होने के बाद से ही चीन का कई अफ्रीकी देशों से रिश्ता खराब होना शुरू हो चुका है. चीन का अफ्रीका मॉडल, जिसके तहत चीन की सरकारी तेल और माइनिंग कंपनियों को सस्ते लोन के बदले प्रोजेक्ट्स मिले हैं, अब एनवायरमेंट और लेबर विवादों में फंस रहा है. लिहाजा, कई अफ्रीकी देश भारत में होने वाले समिट के दौरान भारत को चीन के मॉडल के विकल्प के तौर पर देखते हुए करार करना चाह रही हैं.

एक कारगर अफ्रीका मॉडल की दरकार
चीन के अफ्रीका मॉडल के उलट भारत को एक कारगर मॉडल पेश करने की जरूरत है. अपने एतिहासिक जुड़ावों के चलते भारत अफ्रीका के विकास के लिए अमेरिका और चीन से बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. जहां अमेरिका और यूरोपीय देशों के अफ्रीका मॉडल से महज हिंसा को बढ़ावा मिला है और पिछले 60 सालों में अफ्रीका के अधिकांश हिस्सों में तानाशाही का वर्चस्व रहा है. वहीं चीन के मॉडल से अफ्रीका का केवल एक्सप्लॉयटेशन हुआ है और वह पिछले दो दशकों से अपना आर्थिक और सामाजिक विकास करने में विफल हो रहा है. लिहाजा, भारत को कोशिश करनी चाहिए कि वह एक लंबी अवधि की नीति के तहत अफ्रीका में बड़ा निवेश करे. भारतीय कंपनियां पहले से ही कई अफ्रीकी देशों में अपना वर्चस्व बढ़ा चुकी है और अर्थव्यवस्था के कोर सेक्टर में अफ्रीका का विकास कर रही हैं.

अब देखना यह है कि इन चार दिनों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी अपना तुरुप का इक्का किस तरह चलते हैं और अफ्रीका के साथ बेहतर कनेक्ट बनाकर देश को सुपर पावर बनाने की राह में कितना आगे बढ़ते हैं.

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लेखक

राहुल मिश्र राहुल मिश्र @rmisra

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में असिस्‍टेंट एड‍िटर हैं

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