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Updated: 11 जुलाई, 2016 09:34 PM
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केरल सरकार ने अपने वार्षिक बजट में इस साल एक नए टैक्स का प्रावधान किया है जिसे फैट टैक्स (मोटापा टैक्स) कहा गया है. यह टैक्स मोटापा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार डिलेवरी चेन और ब्रांडेड रेस्टोरेंट के कुछ फूड आइटम जैसे पिज्जा, बर्गर, पास्ता, डोनट और सैंडविच पर लगाया जाएगा. राज्य बजट के मुताबिक यह टैक्स इन खाद्य पदार्थो पर 14.50 फीसदी की दर से लगाया जाएगा.

जानकारों के मुताबिक केरल भी पूर्ण शराबबंदी की ओर अग्रसर है और राज्य में चरणबद्ध ढंग से शराब की दुकानों को बंद किया जा रहा है. इसके चलते राज्य सरकार को राजस्व में भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. इसी नुकसान की भरपाई करने के लिए सरकार ने फैट टैक्स लगाने का प्रावधान किया है.

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 केरल में फैट टैक्स का प्रावधान

गौरतलब है कि ऐसे खाद्य पदार्थों पर इस तरह का टैक्स कोई पहली बार नहीं लग रहा है. जापान, डेनमार्क और हंगरी जैसे देशों ने भी 2011 में बटर, चीज, पिज्जा, दूध पदार्थों पर फैट टैक्स लगाया था जिसे नंवबर 2012 में हटा लिया गया था. वहीं राज्य में शराबबंदी शुरू करने से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी राज्य में समोसे पर लक्जरी टैक्स लगाने का ऐलान किया था जिससे शराब से होने वाली आमदनी का विकल्प तैयार किया जा सके. इसके अलावा केरल सरकार के पास एक और तर्क है कि पंजाब के बाद वह दूसरे नंबर पर नागरिकों के मोटापे की समस्या से जूझ रहा है.

अब मोटापा टैक्स या फैट टैक्स जैसे कुछ और दिलचस्प टैक्स समय-समय पर दुनियाभर में प्रयोग किए गए जिनको लगाने के कारण और भी ज्यादा रोचक हैं. जानिए ऐसे ही कुछ और टैक्स-

1. जॉक टैक्स (Jock Tax)- 1991 में एनबीए चैंपियनशिप में शिकागो बुल्स द्वारा लेकर्स को हराए जाने के बाद कैलिफोर्निया में पहली बार जॉक टैक्स लाया गया. लॉस एंजिल्सं जाकर खेलने वाले शिकागो बुल्स के सभी खिलाड़ियों पर जॉक टैक्स लगाया गया था. उसके बाद अमेरिका के आधे राज्यों ने जॉक टैक्स लगाया था जिसके तहत दूसरे राज्यों से आकर कमाई करने वाले लोगों से टैक्स वसूला जाता था.

2. खिड़की टैक्स (Window Tax)- 18वीं & 19वीं सदी में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और ग्रेट ब्रिटेन में खिड़की टैक्स उन लोगों पर लगाया गया जो अच्छी कमाई के साथ अच्छे घरों में रहते थे और उनके घरों में दो से ज्यादा खिड़कियां थी. इससे पहले यहां ईट पर टैक्स लगाया गया था जिससे बचने के लिए लोगों ने ज्यादा से ज्यादा खिड़कियों का निर्माण कराना शुरू कर दिया था. सन् 1696 में ये कर शुरू किया गया था लेकिन 1851 में इसे हटा दिया गया क्योंकि लोगों ने घर की खिड़कियों को बंद करवाना शुरू कर दिया जिसका असर उनके स्वास्य् र पर पड़ने लगा.

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 इंग्लैंड में घर की खिड़कियों पर टैक्स

3. गाय का पेट फूलने पर टैक्स (Cow Flatulence Tax)- आयरलैंड और डेनमार्क सहित यूरोप के कई देशों में पशु मालिकों पर गायों के पेट फूलने पर कर लगाया गया. फूड एंड एग्रिकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार गायों के उत्पादों से निकलने वाली गैस में 18 फीसदी ग्रीनहाउस गैस हैं जो ग्लोबल वॉर्मिंग का एक बड़ा कारण है. लिहाजा, आयरलैंड में 18 डॉलर प्रति गाय और डेनमार्क में 110 डॉलर प्रति गाय की दर से कॉओ फ्लैटूलेंस टैक्स लगाया गया.

4. ताश के पत्तों पर टैक्स (Playing Card Tax)- अलाबामा में जो भी व्यक्ति ताश के पत्ते खरीदता है या फिर बेचता है उसे यह टैक्स अदा करना पड़ता है. ताश की गड्डी पर तीन डॉलर प्रति वर्ष लाइसेंस फीस के अलावा खरीदने वाले व्यक्ति को दस सेंट प्रति गड्डी और बेचने वाले को एक डॉलर प्रति ताश की गड्डी पर इस टैक्स को अदा करना पड़ता है. यह टैक्स सिर्फ 54 या उससे कम पत्तों की गड्डी पर ही लगाया जाता है. इस टैक्स से आय का इस्तेमाल समाज सेवा के लिए किया जाता था.

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 ताश की गड्डी पर टैक्स

5. कैंडी टैक्स (Candy Tax)- चॉकलेट और आइसक्रीम कैंडी पर आमतौर पर सामान्य टैक्स ही लगता है. लेकिन इसके अलावा वह कैंडी जिसे पेड़ों की जड़, जड़ीबूटियों, फूलो इत्यादि से तैयार किया जाता है उसपर अलग से 5.25 फीसदी की दर से ट्रेड टैक्स लगाया जाता है. यह टैक्स अमेरिका के 50 राज्यों में से लगभग 33 राज्यों में प्रभावी है.

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अमेरिका में कैंडी पर टैक्स

6. गूगल टैक्स (Google Tax)- फ्रांस सरकार ने गूगल, फेसबुक और अन्य वेबसाइट पर ऑनलाइन विज्ञापन देने पर गूगल टैक्स का प्रावधान किया है. इस टैक्स से फ्रांस सरकार लगभग 29 मिलियन डॉलर की आय करती है. अब वह इस टैक्स को माइक्रोसोफ्ट, एओएल और याहू जैसी ऑनलाइन कंपनियों पर भी लगाने की तैयारी में है. इसके साथ ही भारत सहित दुनिया के कुछ अन्य देश भी गूगल टैक्स लगाने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

7. ब्लूबेरी टैक्स (Blueberry Tax)- यह टैक्स अमेरिका के मेन राज्य में ब्लूबेरी की फसल पर लगाया गया था. ब्लूबेरी इस क्षेत्र का एक खास फल था जिसका इस्तेमाल आइसक्रीम और होटल इंडस्ट्री द्वारा किया जाता था. इसके चलते राज्य में प्राय: किसान अपने खेतों से ब्लूबेरी की पूरी फसल तोड़ लिया करते थे. इस टैक्स को लगाकर मेन राज्य ने पेड़ों को पूरी तरह से फलों से विहीन होने से बचा लिया, जिससे पेड़ों पर कोई खतरा न रहे.

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