क्यों नहीं चाहिए बिहार को नई सड़कें
बिहार में रोड के मेगा प्रोजेक्ट का फायदा तभी है, जब उन सड़कों के किनारे कोई बड़ा अस्पताल, स्कूल या फैक्ट्री नहीं लगा रहे हों. वरना यहां के लोग तो इसकी तलाश में ट्रेन से सफर करने के आदी हैं.
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार में राष्ट्रीय राजमार्गों का उद्घाटन कर प्रदेश में चुनावी बिगुल फूंक रहे हैं. केन्द्रीय खजाने से हजारों करोड़ खर्च कर इन राजमार्गों के बिहार चरण का निर्माण किया जाना है. राजमार्गों के जरिए पीएम मोदी बिहार में विकास की लहर दौड़ाने की तैयारी में हैं.
हकीकत ये है कि चुनाव दर चुनाव पहले कांग्रेस और फिर कांग्रेस व्यवस्था से बिफरे नेताओं ने इस लहर को बखूबी दौड़ाकर वोट बटोरे और सत्ता हथियाई. बिहार ने भी अपने नेताओं के आगे कोई छटपटाहट नहीं दिखाई कि उसे स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, फैक्ट्री जैसे मूलभूत आर्थिक उपक्रमों की बहुत ज्यादा जरूरत है. ऐसा होता भी क्यों, जब विशाल रेल नेटवर्क से जुड़े इस देश में स्कूल और कॉलेज, अस्पताल और रोजगार महज एक रेल यात्रा की दूरी पर हों.
आईआईटी और मेडिकल की तैयारी के लिए छात्रों को जहां जाना हुआ, रेल पकड़ी और अपने सपने को साकार करते हुए देश के विश्व विख्यात कॉलेजों में अपनी जगह बना ली. इस प्रदेश के शहरों में कोई बीमार पड़ा तो दिल्ली, चंदीगढ़ और मुंबई तक की टिकट कटाई और इलाज के लिए यह यात्रा भी कर डाली. स्वास्थ्य और शिक्षा की मूलभूत जरूरत को पूरा करने में जब रेल यात्रा का सहारा लिया तो फिर रोजगार की तलाश के लिए रेल पर सवार हो गए.
लेकिन सवाल यह है कि बिहार का युवा कब तक रेल यात्रा के सहारे अपने सपनों को संजोता रहेगा. क्या प्रदेश में बन रही नई सड़कें रेल यातायात से ट्रैफिक को कम करेंगी. जब तक प्रदेश में मूलभूत ढांचा सुदृढ़ नहीं होगा, कोई टाटा या वॉल्वो की बस में बैठकर यात्रा क्यों करेगा. या फिर इन सड़कों का कोई रोडमैप बने. कब दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल जैसा स्कूल और कॉलेज नेटवर्क बिहार की सड़कों के किनारे बनेगा? कब पीजीआई और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज जैसे अस्पताल बिहार के शहरों में बनेंगे? कब तक यहां के युवाओं को रोजगार तलाशने के लिए दूसरे राज्यों तक जाने वाली पैसेंजर ट्रेनों में टिकट लेकर या बिना टिकट यात्रा करके जाना होगा? क्या इन सड़कों के रोडमैप में मेक इन बिहार का कोई ठोस मसौदा है? नई फैक्ट्रियां स्थापित करने की कोई प्लानिंग है? या फिर यह महज रेल यात्रा के साथ बायरोड यात्रा का एक विकल्प मात्र है.

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