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Updated: 24 जून, 2016 04:21 PM
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देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की प्रमुख अरुंधति भट्टाचार्या केन्द्रीय रिजर्व बैंक की पहली महिला गवर्नर बनने की कतार में मजबूती के साथ खड़ी हैं. मौजूदा गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल सितंबर के पहले हफ्ते में खत्म हो रहा है और मीडिया में छप रही खबरों के मुताबिक मोदी सरकार एसबीआई प्रमुख अरुंधति के पक्ष में फैसला कर सकती है. ऐसा हुआ तो इंडियन करेंसी पर पहली बार किसी महिला गवर्नर का सिग्नेचर देखने को मिलेगा. 1935 में स्थापना के बाद से रिजर्व बैंक के कुल 23 गवर्नर रह चुके हैं जिनका नाम और सिग्नेचर समय-समय पर करेंसी पर छपता रहा है.

अमेरिका के फेडरल रिजर्व की पहली महिला गवर्नर जैनेट येलन के बाद अब अरुंधति भट्टाचार्या दुनिया के उन-गिने-चुने केंद्रीय बैंको के प्रमुख के तौर पर शुमार हो सकती हैं जिसे कुछ साल पहले तक महज जैनटलमैन डोमेन कहा जाता रहा है. गौरतलब है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड और यूरोपियन सेंट्रल बैंक को फिलहाल इस दिशा में पहल करना बाकी है.

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एसबीआई चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्या

बहरहाल, महिला होना बैंकिग की दुनिया में सिर्फ अरुंधति भट्टाचार्या की काबिलियत पर चार चांद लगाता है. साठ वर्षीय अरुंधति पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने फॉर्च्यून 500 कंपनी की कमान संभाली है. अमेरिका की फोर्ब्स मैगजीन ने 2016 के संस्करण में उन्हें दुनिया की 100 सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल किया था. अरुंधति में 1977 में बतौर प्रोबेश्नरी ऑफिसर एसबीआई में दाखिल हुई और 2013 में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कमान संभालने के बाद से उन्होंने लगातार बैंक की मुनाफे की तरफ अग्रसर रखते हुए बैंक का नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट में कमी दर्ज कराई है. इस दौरान वह बैंक के चीफ जनरल मैनेजर और डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर भी रहीं. उनके नेतृत्व में एसबीआई का ग्रॉस नॉन पर्फॉर्मिंग एसेट मार्च 2013 में 4.75 फीसदी के स्तर से कम होकर 2015 में महज 4.25 फीसदी पर रहा. इसके साथ ही अरुंधति ने अपने कार्यकाल के दौरान एसबीआई की डिजिटल बैंकिंग सेवा, जनरल इंश्योरेंस सर्विस जैसे कई कीर्तीमान स्थापित किए हैं.

इसके साथ ही सरकारी बैंकों के गंदे कर्ज की रिकवरी की दिशा में भी अरुंधती ने कारगर कदम उठाए हैं. यह उन्हीं की कोशिशों का नतीजा था कि एसबीआई समेत देश के सभी सरकारी बैंकों ने लोन डिफॉल्टर विजय माल्या पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. गौरतलब है कि माल्या के देश छोड़ने कर इंग्लैंड भागले से पहले ही अरुंधती ने विजय माल्या के पासपोर्ट को जब्त करते हुए उन्हें गिरफ्तार करने की अपील की थी. इससे पहले अरुंधती की पहल पह ही विजय माल्या की कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया था.

अब अरुंधती कोई पहली महिला नहीं हैं जो देश के बैंकिंग सेक्टर में शीर्ष पर काबिज हैं. देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई की कमान भी एक महिला के हाथ में है. चंदा कोचर ने 1984 में आईसीआईसीआई लिमिटेड से जुड़ी थी और इस संस्था को आईसीआईसीआई बैंक में तब्दील करने में उनकी अहम भूमिका रही है. इस दौरान उनके साथ काम कर रही एक अन्य महिला मैनेजर शिखा शर्मा भी एक्सिस बैंक के प्रमुख पद पर तैनात हैं.

लिहाजा, रघुराम राजन की विदाई के बाद देश के केन्द्रीय बैंक की कमान अरुंधति का हाथ जाने से आम आदमी के लिए सबसे पहला फर्क यही दिखेगा की देश की नई करेंसी के इतिहास में पहली बार किसी महिला का नाम और सिग्नेचर करेंसी पर देखने को मिलेगा.

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