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Updated: 18 नवम्बर, 2015 06:29 PM
अभिषेक पाण्डेय
अभिषेक पाण्डेय
  @Abhishek.Journo
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नूडल्स के स्वाद और खुशबू के बिना न जी पाने वाले लोगों की किस्मत आजकल उनसे रूठी हुई लग रही है. पहले सेहत के लिए हानिकारक तत्वों की मौजूदगी का हवाला देकर मैगी बाजार से हवा हुई और अब स्वदेशी पतंजलि नूडल्स को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है. कई महीनों के इंतजार के बाद बाजार में वापसी करने वाली मैगी की मुसीबतें खत्म नहीं हुई और FSSAI अब उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में है. यानी नूडल्स विदेशी हो या स्वदेशी, आजकल उसकी किस्मत के सितारे गर्दिश में हैं!

बाबा के नूडल्स पर भी बवालः

जब लोगों की प्यारी मैगी ही उनकी सेहत के साथ खिलवाड़ करती पाई गई तो लोगों को झटका लगा. लोगों को इस निराशा से उबारा देश को अपनी योग विद्या से दशकों से निरोगी और स्वस्थ रहने का मंत्र देने वाले बाबा राम देव ने. उनका पतंजलि का नूडल्स बाजार में स्वदेशी, स्वस्थ और स्वच्छ होने के दावे के साथ उतरा. नूडल्स के दीवानों को लंबे इंतजार के बाद नूडल्रास के दर्शन हुए और उन्हें राहत मिली.

लेकिन वाह रे नूडल्स और उसके चाहने वाले कि किस्मत! अब बाबा के नूडल्स पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं. दरअसल भारतीय सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कहा है कि पतंजलि के नूडल्स के लिए उसका अप्रूवल नहीं लिया गया है. हैरानी कि बात ये है कि बिना FSSAI के अप्रूवल के ही पतंजलि के नूडल्स के पैकेट्स पर लाइसेंस नंबर दिया गया है जोकि FSSAI के अप्रूवल के बाद ही मिलता है. FSSAI मामले की जांच में जुट गई है.

यह नूडल्स के दीवानों के लिए अच्छी खबर कतई नहीं है. उन्हें लगा था कि अब कम से कम जब बाबा खुद मैदान में कूदे हैं तो नूडल्स पर भरोसा किया जा सकता है और ऐसे युग में जब हवा, पानी और खाने से लेकर पर्यावरण भी प्रदूषण की हदें लांघता जा रहा है एक तो भरोसे की चीज है. पर अफसोस नूडल्स फिर से सवालों के घेरे में है!

पतंजलि ने अपने बयान में कहा है कि उसने अपने नूडल्स के लिए FSSAI के किसी नियम का उल्लघंन नहीं किया है. हमारे पास पास्ता का केंद्रीय श्रेणी का FSSAI का लाइसेंस है और FSSAI के दिशानिर्देश के मुताबिक नूडल्स पास्ता की श्रेणी में आता है.

मैगी वापस लौटी, पर संकट जारी हैः

महीनों तक बाजार से गायब रहने के बाद मैगी वापस तो लौट आई है लेकिन उसकी मुसीबतें खत्म नहीं हुई हैं. जी हां, मैगी की वापसी का जश्न मनाने वाले शायद यह जानकार हैरान होंगे कि FSSAI ने मैगी को क्लीन चिट दिए जाने के बांबे हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. FSSAI ने कहा है कि हाई कोर्ट ने मान्यता प्राप्त प्रयोगशलाओं में दोबारा परीक्षण के लिए नेस्ले से ही नमूने उपलब्ध कराने के लिए कहकर बड़ी गलती की, जबकि यह काम किसी तटस्थ भारतीय एजेंसी द्वारा कराया जाना चाहिए था.

खैर, मैगी और बाबा रामदेव के नूडल्स का जो भी हश्र हो, एक बात तो तय है कि नूडल्स के चाहने वालों के अच्छे दिनों पर सकंट चल रहा है. बेचारे नूडल्स की किस्मत ही खराब है. गुडलक, नूडल्स एंड नूडल्स लवर्स!

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लेखक

अभिषेक पाण्डेय अभिषेक पाण्डेय @abhishek.journo

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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