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Updated: 17 फरवरी, 2017 07:48 PM
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ब्रेकअप किसी के लिए अच्छा नहीं होता. अगर एक कपल के बीच हो तो उन दो लोगों के लिए जो रिलेशनशिप में हैं और अगर बोर्डरुम में हो तो कंपनी और शेयरधारकों दोनों के लिए. ब्रेकअप के बाद ज़िंदगी को फिर से पटरी पर लाने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ती है.

आइए देखते हैं पिछले साल अपने देश की कंपनियों और सरकारों के अंदर हुए ब्रेकअप जिन्होंने शेयरधारकों को रुला दिया.

1- टाटा-मिस्त्री ब्रेकअप

हमेशा चर्चा में रहने वाली टाटा कंपनी अक्टूबर 2016 में अखबारों और समाचार चैनलों में छाई हुई थी. लेकिन इस बार गलत कारणों से. टाटा कंपनी के अंदर मची हलचल ने सबको हैरान कर दिया था. कंपनी से साइरस मिस्त्री को बाहर निकालना और रतन टाटा के वापस आने की खबर सुर्खियों में थी. साइरस मिस्त्री को अचानक निकाले जाने की खबर के बाद 48 घंटे में टाटा के 21 हजार करोड़ रुपए स्वाहा हो गए. एक तरफ जहां रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री पर काम में अनदेखी का आरोप लगाया वहीं मिस्त्री ने रतन टाटा पर कंपनी के काम में लगातार हस्तक्षेप करने के आरोप से सनसनी फैला दी.

tata_650_021717041432.jpgटाटा ने साइरस को अचानक टाटा कह दिया

तीन महीने और दो हफ्ते की मशक्कत के बाद रतन टाटा साइरस मिस्त्री को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा पाए. लेकिन आगे अभी कानूनी लड़ाई की मारामारी भी देखनी बाकी है. इसके बाद टाटा कंपनी की और फजीहत हो सकती है.

2- इंफोसिस में नारायणमूर्ती का वापस आना

इंफोसिस के संस्थापक नारायणमूर्ती ने पहले भी बताया था कि संस्थापकों का कंपनी से रिश्ता कभी खत्म नहीं होता. 2002 में कंपनी को अलविदा कहने के बाद 2013 में कंपनी की डूबती नईया को पार लगाने वो फिर से वापस आए. 2014 में विशाल सिक्का इंफोसिस के सीईओ और एमडी बने. विशाल सिक्का पहले सीईओ बनने वाले पहले बाहरी व्यक्ति थे.

narayan_650_021717041534.jpgनारायणमूर्ति और अधिकारियों में ठनी

लेकिन नारायणमूर्ति फिर से वापस आए हैं और इस बार उन्होंने कंपनी के गवर्नेंस में खामियों का हवाला दिया है. उन्होंने कंपनी के सीईओ विशाल सिक्का के वेतन पर भी सवाल खड़ा किया है. नारायणमूर्ती ने कंपनी के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन के बीच की विसंगतियों पर नाराजगी जताई है जिससे अब नारायणमूर्ती और इंफोसिस अधिकारियों के बीच ठन गई है.

3- 'भगोड़ा' माल्या

विजय माल्या ने चुपचाप इंग्लैंड की फ्लाइट पकड़ ली. हर साल अपने नए साल के कैलेंडर लॉन्च के नाम पर करोड़ों खर्च करने वाले माल्या के पास अपने कर्मचारियों को देने के लिए वेतन नहीं है. बैंको से 9000 करोड़ के कर्ज में डूबे माल्या को भारत वापस लाने के लिए एजेंसियां भी सारे तिकड़म अपना रही हैं. लेकिन फायदा अभी तक तो नहीं मिला.

mallya_650_021717041621.jpgकर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं, कैलेंडर के लिए है

4- फरवरी 2016 में ई-कॉमर्स कंपनी फ्लिपकार्ट ने भी कई उठा-पटक देखे. कंपनी के कॉमर्स और एडवरटाइजिंग बिजनेस के हेड मुकेश बंसल ने इस्तीफा दे दिया. मुकेश फ्लिपकार्ट के साथ 2014 में जुड़े थे. मुकेश ने अपने फैशन पोर्टल माइन्त्रा को 375 मिलियन डॉलर की कीमत पर फ्लिपकार्ट को बेचा था और साथ ही कंपनी के कॉमर्स और एडवरटाइजिंग बिजनेस के हेड के पद पर ज्वाइन भी किया था.

flipkart_650_021717041659.jpgअमेजन ने इनका बिजनेस गिरा दिया

फ्लिपकार्ट को अमेजन से कड़ी टक्कर मिल रही है और अमेजन इसके मार्केट पर कब्जा जमाता जा रहा है. मुकेश के साथ मोबाइल टेक्नोलॉजी के जानकार और गूगल के पूर्व एक्जीक्यूटीव पुनित सोनी ने भी संदीप बाजवा के साथ इस्तीफा दे दिया.

5- चट शुरु पट बंद

बिजनेस शुरु करने वाला हर शख्स चाहता है कि उसे सफलता मिले और वो तरक्की करे. लेकिन पिछले साल के वैश्विक आर्थिक तंगी के कारण नई स्टार्ट-अप कंपनियों को भी पैसे की कमी झेलनी पड़ी. पिछले साल कई स्टार्ट-अप कंपनियों को बिक्री में गिरावट और अपने इसके कारण अपने सपनों को टूटते हुए देखना पड़ा. कम से कम tinyOwl, Dazo, ZuperMeal जैसी 32 स्टार्ट-अप कंपनियां बंद हो गईँ. PepperTap, intelligent interface, Fashionara जैसी 2015 की उभरती हुई कंपनियां भी बंदी के कगार पर पहुंच गईं हैं.

6- दूसरा मौका नहीं दिया गया

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के विरोध के बाद आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने गवर्नर पद को टाटा-बाय कहना ही उचित समझा. अपनी दूसरी पारी के कयासों के बीच राजन ने कहा कि अब वो शिक्षा के क्षेत्र में अपने सपने को पूरा करना चाहते हैं. इसके बाद आरबीआई गवर्नर का पद उर्जित पटेल को दिया गया.

raghuram_650_021717041740.jpgदूसरा मौका चाहते थे, राजनीति ने होने ना दिया7- क्लीन ब्रेक-अप

48 साल के निकेश अरोड़ा ने जापान के सॉफ्टबैंक में शीर्ष पद पर ज्वाइन किया था. लेकिन कंपनी के सीईओ और चेयरमैन मायायोशी सोन के साथ मनमुटाव के बाद उन्होंने जून में इस्तीफा दे दिया. दिसंबर में जब निकेश ने कंपनी छोड़ी तब 9 महीने के कार्यकाल के लिए उन्हें 125 मिलियन डॉलर दिए गए थे!

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