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Updated: 02 फरवरी, 2016 10:45 PM
करुणेश कैथल
करुणेश कैथल
  @karuneshkaithal
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आजकल नृत्य करने के कई तरीके आ चुके हैं. इनमें दर्शकों को लुभाने के लिए सबसे प्रसिद्ध व अक्सर देखा जाने वाला नृत्य है ‘सेक्सी डांस’ और ‘फूहड़ नाच’. हम जानने की कोशिश करते हैं कि दोनों तरह के नृत्य को कितना अलग-अलग तरीके से पेश किया जाता है या इन दोनों नृत्य को पेश करने वाली नृत्यांगनाओं को किस नजरिए से कमेंट दिए जाते हैं.

अगर कोई मशहूर व्यक्तित्व का एक ही इंसान दोनों तरह के नृत्य का लुत्फ उठाने अलग-अलग दिन चले जाए तो उसे सम्मानित नजरिए से भी देखा जाता है और बेइज्जती का दंश भी उसे झेलने को मजबूर होना पड़ता है. बल्कि यह कहना गलत नहीं होगा कि जो नृत्य सेक्स करने के लिए प्रेरित करता हो उसमें सम्मान दिया जाता है और जिस नृत्य में रूपये लुटाते लोग दिखें उसमें बेइज्जती झेलनी पड़ती है. यह कैसे होता है आगे इसकी चर्चा करेंगे, फिलहाल एक नजर इस पर डालते हैं कि ये दो नृत्य कौन-कौन से हैं-

एक है ‘सेक्सी डांस’ तो दूसरा है ‘फूहड़ नाच’

सेक्सी डांस को करने के बाद जो कमेंट दिए जाते हैं वो कुछ इस प्रकार के होते हैं-

-आपके डांस में ‘सेक्स अपील’ खुलकर दिखा

-आपकी ड्रेस इस डांस को पेश करने के हिसाब से बिल्कुल सेक्सी नजर आ रही थी आदि.

-आपके डांस में वाकई वो बात दिखी जो आप दिखाने की कोशिश कर रही थीं,

सेक्सी डांस में इस तरह के कमेंट मिलने का मतलब यह होता है कि जो नृत्यांगना है उसने इस नृत्य को सीखने के लिए काफी पैसे खर्च किए हैं और खूब पसीने भी बहाए हैं. अपने गुरू का पूरा-पूरा ज्ञान ले चुकी है. तब जाकर इस तरह के सम्मानित शब्दों से उन्हें पुरस्कृत करने का काम किया जाता है और कई बार इन तरह के नृत्यों के लिए बड़े-बड़े अवार्ड भी दिए जाते हैं.

अब बात करते हैं ‘फूहड़ नाच’ की. फूहड़ नाच करने वाली अधिकतर नृत्यांगना गरीब तबके से होती हैं और इनमें से अधिकतर इस तरह के नृत्य करने के लिए मजबूर होती हैं. उन्हें अपने घर का खर्च खुद निकालना होता है ताकि उनके घर के सदस्यों को दो वक्त की रोटी मिल सके. वो इस तरह का नृत्य किसी गुरू से नहीं बल्कि गानों के विडियो को देखकर सीखती हैं. इन नृत्यांगनाओं को कोई अवार्ड प्राप्त नहीं होता है. इन्हें देखने वालों में अनपढ़ और मजदूर लोगों की तादाद ज्यादा होती है जो पहले से ही ऐसे नृत्यांगनाओं के बारे में गलत सोच रखते हैं. फूहड़ नाच अक्सर आसपास के छूटभईये नेता व दबंगों द्वारा संचालित किया जाता है जहां जमकर बंदूक व लाठियों का प्रदर्शन भी देखने को मिलता है. इस तरह के नाच को प्रस्तुत करने के लिए नृत्यांगनाओं को काफी कम पैसे दिए जाते हैं.

देखा जाए तो दोनों ही नृत्यों में नृत्यांगनाओं का मकसद अपनी पारंगत कला से दर्शकों को केवल अपने-अपने तरीके से अपनी ओर आकर्षित करने का होता है. लेकिन आप कितने भी प्रतिष्ठित व्यक्ति हों, दोनों नृत्यों को एक बार अलग-अलग तारीखों में देखें और कोशिश करें कि आप मीडिया के नजरों में हों. फिर इसके बाद आपकी जो सुर्खियां लोगों के समक्ष पेश हो रही होंगी उसे देख कर आप दंग रह जाएंगे. जैसा कि अभी हाल ही में कुछ मंत्री और नेता समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में नजर आ रहे थे.

इन सब के अलावा एक बात महत्वपूर्ण है. अगर आपके नृत्य को यह कह कर नवाजा जाता है कि ‘आपके डांस में सेक्स अपील दिख रहा था’ इसका सीधा-सीधा मतलब जो समझ में आ रहा है वो यह है कि आपने अपने सेक्सी डांस से सामने वाले को सेक्स करने के लिए पूरी तरह से मना लिया है. यह समझ नहीं पा रहा हूं कि जिस देश में सेक्स पर खुलकर बातचीत तक नहीं की जाती उस देश के नृत्य में ‘सेक्स अपील’ सम्मानित शब्द कब से हो गया.

अब यह तय हम जनता को करना है कि गलत कौन है. सेक्सी डांस करने वाली, सेक्सी डांस देखने वाला, फूहड़ नाच करने वाली, फूहड़ नाच देखने वाला, इन दोनों के स्थितियों को जनता के समक्ष अलग-अलग ढंग से पेश करने वाला, आप या हम...

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