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Updated: 07 फरवरी, 2022 03:57 PM
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भारत रत्न लता मंगेशकर का रविवार को निधन हो गया. इसी दिन मुंबई में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. लता मंगेशकर को आख़िरी विदाई देने वालो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम राजनीति, कारोबार और सिनेमा जगत की तमाम हस्तियां मौजूद थीं. फिल्म इंडस्ट्री से जो बड़े बड़े दिग्गज शामिल थे उनमें शाहरुख खान भी थे. हालांकि लता को श्रद्धांजलि देने पहुंचे शाहरुख खान को लेकर एक विवाद भी खड़ा हो गया है. सोशल मीडिया पर एक धड़ा इसमें हिंदू-मुस्लिम एंगल तलाश रहा है. आरोप लगाए जा रहे कि शाहरुख ने लता दी के पार्थिव के ऊपर 'थूका' और असम्मान प्रकट किया.

सोशल मीडिया पर तमाम ट्रोल्स के अलावा भाजपा के कुछ जाने पहचाने चेहरे भी संबंधित वीडियो और फोटो साझा कर ऐसा ही दावा करते नजर आ रहे हैं.  इन लोगों ने श्रद्धांजलि के वक्त शाहरुख के एक्ट को लता मंगेशकर के असम्मान से जोड़ दिया है. दरअसल, शाहरुख खान अपनी मैनेजर पूजा डडलानी के साथ श्रद्धा सुमन अर्पित करने पहुंचे थे. तमाम अन्य लोगों ने भी भारत रत्न को श्रद्धांजलि दी.

शाहरुख अपनी मैनेजर के साथ लता के पार्थिव के पास खड़े होकर अपने मजहब के अनुसार दुआ करते नजर आए. जबकि उनकी मैनेजर पूजा हिंदू रिवाज से उन्हें नमन करती देखी जा सकती हैं. इस्लामिक जानकार बता रहे कि असल में शाहरुख दुआ के लिए हाथ फैलाकर कुरान की कोई आयत पढ़ रहे थे. दुआ के बाद वे अपना मास्क हटाते हैं और पार्थिव देह के ऊपर थोड़ा सा झुकते हैं. झुकने के बाद उन्होंने फूक मारी. इसी फूक मारने की घटना को पार्थिव देह पर थूकने के रूप में प्रचारित किया जा रहा है.

srk-lata-650_020722033049.jpgशाहरुख खान अपनी मैनेजर के साथ.

इस्लाम में मृत देह पर फूक मारने का रिवाज नहीं, शाहरुख ने भूलवश की गलती

इस्लामिक जानकार बता रहे कि किसी पार्थिव देह को श्रद्धांजलि देते वक्त कुरान की तमाम आयातों में से कुछ आयतें पढ़ने की परंपरा है. संभवत: शाहरुख भी ऐसी ही कोई आयत पढ़ रहे होंगे. बाद में उन्होंने फूक मारी. फूक मारने को 'दम' करना कहा जाता है. शाहरुख लता जी के चरण छूकर प्रणाम भी करते हैं. शाहरुख ने जो भी किया वह लता मंगेशकर के लिए उनके सम्मान प्रकट करने का तरीका था. इसमें धार्मिक नजरिए से सम्मान और असम्मान देखना गलत है. जहां तक बात इस्लामिक परंपरा में फूक या 'दम' मारने के रिवाज की है तो शायद शाहरुख ने भूल की.

दरअसल, इस्लामिक परम्परा में दम मारने का रिवाज कभी भी मृत देह के लिए नहीं किया जाता. हमारे सहयोगी चैनल ने कुछ इस्लामिक विद्वानों से इस बारे में बात की तो पता चला कि असल में 'दम' किसी जिंदा इंसान पर मारने का रिवाज है. हो सकता है कि शाहरुख परंपराओं में बहुत पारंगत ना हों और उन्होंने भूलवश ऐसा कर दिया. मगर उनका इरादा असम्मान प्रकट करने वाला तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता.

शाहरुख पर थूकने का आरोप लगाने वालों की सोच ज्यादा घटिया

शाहरुख पर जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे वह स्तरहीन और शर्मनाक हैं. उनका इरादा बिल्कुल उस तरह घटिया नहीं जैसी लोग बातें कर रहे हैं. सोचने वाली बात है कि शाहरुख जैसे व्यक्ति जिनके सार्वजनिक जीवन पर दुनियाभर की नजरें रहती हैं भला ऐसा क्यों करेंगे? उलटे मौजूदा घटना को लेकर सक्रिय ट्रोल्स के खिलाफ तमाम लोगों ने शाहरुख का पक्ष लिया है और कहा कि यही असल भारत की तस्वीर है. खासकर किंग खान का उनकी मैनेजर के साथ का एक फोटो खूब वायरल है. फोटो में एक्टर दुआ के लिए हाथ उठाए नजर आते हैं तो उनकी मैनेजर हाथ जोड़कर आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रही हैं. इस फोटो को गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल बताने वालों की कमी नहीं है.

यहां तक कि कई दक्षिणपंथी लोगों ने भी ट्रोल्स को आड़े हाथ लिया है और शाहरुख से तमाम असहमति के बावजूद उनके एक्ट को पाक साफ़ माना है. एक्टर पर आरोप लगाने वालों की सोच को धर्मांध और घटिया करार दिया है. सोशल मीडिया पर कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि बात का बतंगड़ बनाने वाले कोई ना कोई बहाना खोजते रहते हैं और लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार में भी उन्हें बखेड़ा खड़ा करने का एक फिजूल का मसाला मिल गया है.

लता मंगेशकर 92 साल की थीं. मुंबई में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. दरअसल, कोरोना से पीड़ित होने के बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबियत को लेकर प्रशंसक परेशान थे. इस बीच खबर आई भी कि उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है. लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और 6 फरवरी की सुबह उनका निधन हो गया. लता मंगेशकर भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी गायिका थीं. उन्होंने करीं 36 भाषाओं में हजारों गाने गाए. उनका फ़िल्मी करियर आधी सदी से भी लंबा था. शायद ही देश का कोई प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान हो जो उन्हें ना मिला हो. लता मंगेशकर ने शादी नहीं की थी.

उनके इकलौते भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने उन्हें मुखाग्नि दी.

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