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Updated: 08 फरवरी, 2023 03:43 PM
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दुनिया में इस वक्त हर तरफ भारत का डंका बज रहा है. भला भारतीय सिनेमा कहां पीछे रहने वाला है. कोविड के बाद बदले माहौल में इससे बेहतरीन खबर और क्या हो सकती है कि भारतीय सिनेमा की एक बेहतरीन फिल्म को इस लायक समझा जा रहा है कि गैरभारतीय भाषाओं में उसे बनाने के लिए राइट्स खरीदे जा रहे हैं. वह भी अंतराष्ट्रीय सत्र पर और हॉलीवुड के लिए. दृश्यम 1 और दृश्यम 2 का रीमेक अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में बनाया जाएगा. दृश्यम मूलत: मलयाली भाषा की फिल्म है. इस तरह दक्षिण के सिनेमा ने भारत को एक और बड़ी उपलब्धि दी है. मूल फिल्म के हिंदी रीमेक को भी जमकर सराहा गया था. हाल ही में अजय देवगन और अक्षय खन्ना की भूमिकाओं से सजी दृश्यम 2 आई थी जिसने टिकट खिड़की पर जबरदस्त कारोबार किया.  

ट्रेंड एनालिस्ट और फिल्म समीक्षक तरण आदर्श ने एक ट्वीट में बताया कि 'पैनोरामा स्टूडियो इंटरनेशनल लिमिटेड' ने अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में दृश्यम का रीमेक बनाने के लिए राइट्स खरीदे हैं. इसे अंग्रेजी, फिलीपिनो, सिंहला और इंडोनेशियन भाषाओं में बनाया जाएगा. दृश्यम 2 का चीनी भाषा में रीमेक बनेगा. कोरिया और जापान के लिए भी बात चल रही है. पैनोरामा ने एक स्टेटमेंट में बताया कि चीनी भाषा में दृश्यम 2 का रीमेक बनाने के लिए हमने राइट्स लिए हैं. इसके साथ ही फिल्म को कोरिया, जापान और हॉलीवुड के लिए फिल्म को लेकर हमारी बातचीत चल रही है.

drishyam 2दृश्यम

बदले माहौल में भारतीय सिनेमा का अगुआ बनेगा दक्षिण

निश्चित ही बदले माहौल में कारोबारी लिहाज से भारतीय सिनेमा के लिए यह बड़ी बात है. दृश्यम के दमदार कॉन्टेंट का अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जाना भारतीय सिनेमा उद्योग को एक नई ऊंचाई दे सकता है. आरआरआर, कांतारा और केजीएफ़ 2 ने दुनियाभर में तहलका मचाया. इसके बाद यह एक बड़ी उपलब्धि है. साफ़ दिख रहा है कि अब भारतीय फिल्मों का अंतर्राष्ट्रीय महत्व बढ़ रहा है. हालांकि यह उपलब्धि भी दक्षिण के सिनेमा ने भारत को दिया है. वह सिनेमा जो पिछले दो दशक में बेहतरीन कॉन्टेंट की वजह से सिनेमा कलात्मकता की नई परिभाषा गढ़ रहा है.  बॉलीवुड काफी पीछे छूटता नजर आ रहा है. बॉलीवुड पहले से ही हॉलीवुड की कॉपी और दक्षिण के रीमेक पर निर्भर दिखता है.

चूंकि अब दुनिया की नजर भारतीय कॉन्टेंट पर है, निश्चित ही इसका असर कॉन्टेंट पर पड़ेगा. दक्षिण के सिनेमा की क्वालिटी और बढ़ेगी. जाहिर सी बात है कि यह सबकुछ भारतीय सिनेमा को कारोबारी लिहाज से स्वर्ण युग में ले जाने वाली साबित हो सकती है. अब भारतीय कॉन्टेंट को तवज्जो दी जा रही है. इसका फायदा सिर्फ दक्षिण ही उठाता नजर आ रहा है. क्योंकि अगर पीछे देखते हैं तो दुनिया में भारतीय सिनेमा की पहचान दक्षिण के सिनेमा की वजह से आगे बढ़ती नजर आ रही है और इसमें रजनीकांत, एसएस राजमौली, यश, वेट्रीमारन, पा रंजित, प्रशांत नील, मणिरत्नम और ऋषभ शेट्टी जैसे दर्जनों फिल्म मेकर्स की है. जिन्होंने भारतीय परंपरा और संस्कृति में रची बसी फ़िल्में बनाई जिसमें विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत देखकर दुनिया की आंखें चकाचौंध हैं.

गुल्लक फुड़वाकर कितने दिन पैसे कमाएगा बॉलीवुड

निश्चित ही अगुआ दक्षिण ही बंटा दिख रहा है. बॉलीवुड के वश की बात नहीं जो अभी भी पश्चिम की कचरा कॉपी से काम चलाने की कोशिश करता नजर आ रहा है. बॉलीवुड वैसे भी कॉन्टेंट के संकट से गुजर रहा है. और पाकिस्तानी दर्शकों के जरिए कारोबारी लाभ कमाने की कोशिश में दिखता है. कैसे- तमाम हॉलीवुड फिल्मों के दृश्यों की कॉपी और पठान का कॉन्टेंट इसे पुख्ता कर देता है. अब बॉलीवुड की दिक्कत यह है कि जिस पाकिस्तान में रोजी रोटी का संकट है वह कितने दिन गुल्लक तोड़कर बॉलीवुड को संभाल पाएगा.

और जैसे-जैसे पाकिस्तान में तालिबान बढ़ता जाएगा, बॉलीवुड के पाकिस्तानी साबुन का झाग बैठ जाएगा. पाकिस्तानी दर्शक बॉलीवुड के कॉन्टेंट से घृणा करने लगेंगे.

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