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Updated: 29 जनवरी, 2022 10:16 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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''जान देने की तड़प बार-बार उठती है, जंग भी हम करते हैं मोहब्बत की तरह; जुल्म की छांव में हम शेर पढ़ा करते हैं, शायरी खून में बहती है एक आदत की तरह''...एफएनपी मीडिया के यूट्यूब चैनल पर रिलीज हुई शॉर्ट फिल्म 'वर्सेस ऑफ वॉर' का ये डायलॉग एक सच्चे देशभक्त सैनिक के दिल से निकली हुई आवाज है. वैसे तो बॉलीवुड में कॉमेडी, रोमांस, ड्रामा, ऐक्‍शन और थ्रिलर आदि जॉनर की फिल्‍में बड़ी संख्या में बनाई जाती हैं, लेकिन पैट्रियोटिक जॉनर की फिल्मों का हमेशा एक अलग स्थान होता है. देशप्रेम और देशभक्ति जैसी भावना से जबरेज इन फिल्मों की लंबी फेहरिस्त है, लेकिन इनका प्रभाव भी व्यापक है. तभी तो देशभक्ति पर बनने वाली ज्यादातर फिल्में बॉक्स ऑफिस पर शानदार कारोबार करती हैं. इनका बॉक्स ऑफिस कलेक्शन जताता है कि दर्शकों ने फिल्म को कितना प्यार दिया है.

untitled-1-650_012922041649.jpgफिल्म 'वर्सेस ऑफ वॉर' में विवेक ओबेरॉय, रोहित रॉय और शिवानी राय लीड रोल में हैं.

देशभक्ति और देशप्रेम की इन्हीं भावनाओं को समेटे हुए फिल्म 'वर्सेस ऑफ वॉर' को एक नए रंग में पेश किया गया है. एफएनपी मीडिया और ओबेरॉय मेगा एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी इस शॉर्ट फिल्म को प्रसाद कदम ने निर्देशित किया है. प्रसाद को ज्यादातर शॉर्ट फिल्मों के लिए ही जाना जाता है. इससे पहले उन्होंने अनुपम खेर, आहाना कुमरा के साथ फिल्म 'हैप्पी बर्थडे' और अदा शर्मा, अनुप्रिया गोयंका के साथ फिल्म 'चूहा-बिल्ली' बनाई है. फिल्म 'वर्सेस ऑफ वॉर' में विवेक ओबेरॉय, रोहित रॉय और शिवानी राय लीड रोल में हैं. इस फिल्म के जरिए विवेक और रोहित 15 साल बाद एक-दूसरे के साथ काम करते हुए नजर आएंगे. इससे पहले दोनों को आखिरी बार साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म 'शूटआउट एट लोखंडवाला' में साथ देखा गया था, जिसमें दोनों मुंबई के नामी गैंगस्टर के किरदार में नजर आए थे.

फिल्म 'वर्सेस ऑफ वॉर' कई मायने में दूसरी देशभक्ति फिल्मों से अलग है. ज्यादातर फिल्मों में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच हुए जंग को दिखाया गया है, जैसे कि फिल्म 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक', 'बॉर्डर' और 'गाजी अटैक'. कुछ फिल्मों में पाकिस्तानी जेल में कैद गुमनाम 'युद्ध बंदियों' पर होने वाले जुल्म-ओ-सितम को दिखाया गया है, जैस कि फिल्म 'दीवार' और '1971'. लेकिन इस फिल्म दो दुश्मन मुल्क के दो आर्मी अफसरों के बीच शायरना बातचीत के जरिए हकीकत को पेश किया गया है. इसे भारतीय सेना के रणबांकुरों को एक काव्यात्मक श्रद्धांजलि भी कह सकते हैं. यह फिल्म देश के उन बहादुर सैनिकों को सलाम करती है जो अपनी जान की परवाह किए बिना हमारी सुरक्षा करते हैं. हमें इन नायकों को कभी नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने हमारी और देश की शांति के लिए अपने जीवन का बलिदान दे दिया है.

32 मिनट 4 सेकंड की शॉर्ट फिल्म 'वर्सेस ऑफ वॉर' की कहानी इंडियन आर्मी के अफसर मेजर सुनील भाटिया (विवेक आनंद ओबेरॉय) और पाकिस्तानी सेना के मेजर नवाज जहांगीर (रोनित रॉय) के इर्द-गिर्द घूमती रहती है. फिल्म की शुरूआत में दिखाया जाता है कि मेजर सुनील भाटिया अपनी शादी की सालगिरह के दिन साथी जवानों के साथ बॉर्डर पर गश्त कर रहे होते हैं. उसी समय उनको पाकिस्तानी पोस्ट दिखती है, जो भारतीय सीमा के अंदर बनी होती है. मेजर भाटिया तुरंत अपनी यूनिट को सूचना देकर पाकिस्तान पोस्ट की तरफ आगे बढ़ते हैं. इसी दौरान उन पर दुश्मन सेना हमला कर देती है. मेजर अपने बाकी साथियों को वापस भेजकर खुद दुश्मनों से लड़ने लगते हैं. लेकिन पाक सेना के मेजर नवाज जहांगीर उनको बंदी बना लेते हैं. उनको पाकिस्तान स्थिति किसी कैंप पर पूछताछ के लिए रखा जाता है.

मेजर सुनील भाटिया भारतीय सेना के रणबांकुरों की तरह दिलेर और साहसी होते हैं, लेकिन उनके अंदर एक शायर भी होता है, जो समय-समय पर अपनी शायरी के जरिए अपने साहस को प्रकट करता रहता है. युद्ध बंदी होने के बाद भी मेजर भाटिया दुश्मनों से डरते नहीं है, बल्कि अपने हिम्मत से उनका मुकाबला करते हैं. मेजर नवाज उनसे सीक्रेट सूचना शेयर करने के लिए दबाव डालता है, लेकिन उनकी हिम्मत देखकर वो खुद टूट जाता है. मेजर भाटिया अपनी शायरी से अपने पाकिस्तानी समकक्ष का दिल जीत लेते हैं. दोनों के बीच में शायराना अंदाज में व्यक्तिगत बातचीत होने लगती है. इसी बीच मौका देखकर मेजर भाटिया मेजर नवाज पर हमला कर देते हैं. उसकी गन लेकर वहां से भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन पाकिस्तानी सैनिक उनको गोली मार देते हैं. इस घटना के बाद मेजर नवाज उनकी डायरी देखता है. उसे पढ़कर भावुक हो जाता है. डायरी को मेजर भाटिया की पत्नी को देने के लिए भारत आता है. इसके बाद क्या होता है, जानने के लिए फिल्म देखनी होगी.

निर्देशक प्रसाद कदम ने एक युद्ध फिल्म के लिए जरूरी सारे तथ्यों का समावेश करते हुए एक बेहतर परिवेश का निर्माण किया है. फिल्म का पहला शॉट ही धूल धूसित जंगलों के बीच गश्त करते जवानों और गोलियों की तड़तड़ाहट के साथ शुरू होता है, जो दर्शकों में रोमांच पैदा करता है. फिल्म में ज्यादातर इनडोर शूटिंग हुई है, लेकिन भूषण कुमार जैन ने शानदार सिनेमैटोग्राफी के जरिए दृश्यों को बोर नहीं होने दिया है. कहीं-कहीं वीएफएक्स का इस्तेमाल हुआ है, जिसे थोड़ा बेहतर किया जा सकता था. इससे दृश्य ज्यादा प्रभावी दिखते. जहां तक कलाकारों के परफॉर्मेंस की बात है, तो लंबे समय बाद एक साथ काम कर रहे विवेक ओबेरॉय और रोहित रॉय के बीच केमेस्ट्री शानदार दिखी है. फिल्म की स्क्रिप्ट की डिमांड के अनुसार कुछ जगहों पर दोनों को देखकर लगता है कि रियल लाइफ दोस्ती रील पर भी नजर आ रही है. कुल मिलाकर, फिल्म 'वर्सेस ऑफ वॉर' एक औसत फिल्म है, लेकिन इसे एक बार देखा जा सकता है, क्योंकि इसकी कमाई का आधा हिस्सा वॉर विडोज को जाने वाला है.

iChowk.in रेटिंग: 5 में से 2.5 स्टार

यहां पूरी फिल्म देख सकते हैं...

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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