New

होम -> सिनेमा

 |  4-मिनट में पढ़ें  |  
Updated: 04 जनवरी, 2022 05:18 PM
आईचौक
आईचौक
  @iChowk
  • Total Shares

'द स्पाइडर मैन: नो वे होम' दुनियाभर में दर्शकों का मनोरंजन कर रही है. भारत में भी इसे खूब देखा जा रहा है. फिल्म को प्रमुख भारतीय भाषाओं में रिलीज किया गया है और इसने देसी बॉक्स ऑफिस पर 200 करोड़ से ज्यादा की कमाई भी कर ली है. स्पाइडरमैन असल में मार्वल की सुपरहीरोज सीरीज की फिल्म है. ऐसी फिल्मों को साइंस फिक्शन कैटेगरी में रखा जाता है. भारतीय सिनेमा में साई फाई यानी साइंस फिक्शन फ़िल्में लगभग ना के बराबर बनती हैं. लेकिन हॉलीवुड लंबे वक्त से साई फाई फिल्मों में हैरान करने वाली कहानियां दिखाता रहा है.

साई फाई फ़िल्में पसंद करने वाले दर्शकों को हॉलीवुड में ढेरो ऑप्शन मिलते हैं. आपने शायद तमाम फ़िल्में देखी भी हों. अगर नहीं देखी है तो आईचौक तीन साई फाई फिल्मों के बारे में बता रहा है. अलग-अलग ओटीटी प्लेटफॉर्म पर ये फ़िल्में मौजूद हैं और इन्हें आराम से घर में देख सकते हैं. आइए जानते हैं.

#1. द मार्शियन (The Martian)

द मार्शियन साल 2015 में आई एक अद्भुत साइंस फिक्शन मूवी है. इसका निर्देशन रिडले स्कॉट ने किया था. फिल्म की कहानी 2011 में इसी नाम से आए एक उपन्यास पर आधारित है. फिल्म की कहानी कुछ यूं है कि नासा का अभियान दल मंगल ग्रह (Mars) पर रिसर्च के लिए गया है. रिसर्च के दौरान अभियान दल को एक भयंकर तूफ़ान का सामना करना पड़ता है. सारे लोग आ जाते हैं लेकिन दस्ते में शामिल एक व्यक्ति वहीं छूट जाता है. अभियान दस्ता अंतरिक्ष में एक दूसरे मिशन पर पहुंच जाता है. उन्हें लगता है कि उनका साथी जो छूट गया है वो मारा गया. पर असल में वो ज़िंदा है.

सोचिए मंगल पर एक अकेला आदमी. उसके पास धरती पर संपर्क करने का कोई जरिया नहीं है. वो हफ़्तों-महीनों मंगल पर कैसे सर्वाइव करता है. तमाम हालात से गुजरने के बाद धरती पर संपर्क हासिल करने में कामयाब हो जाता है. कैसे सर्वाइव करता है और कैसे संपर्क करता यह देखना वाकई लाजवाब है. मैथ्यू डैमोन ने मुख्य भूमिका निभाई है. इन्हें आपने शायद फोर्ड वर्सेज फरारी में जरूर देखा होगा.

#2. इन टाइम (In Time)

साल 2011 में आई इन टाइम साई फाई एक्शन ड्रामा है. यह अपने दौर से बहुत आगे की कहानी है जिसे एंड्रयू निकोल ने बनाया था. फिल्म में एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था को दिखाया गया है जहां फिएट मनी को करेंसी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी आर्थिक व्यवस्था में किसी आदमी की हैसियत का निर्धारण उसके पास कितना समय है उससे किया जाता है. लोग काम करते हैं और बदले में उन्हें मेहनताने के रूप में समय मिलता है. समय देकर ही लोग खाने-पीने की चीजें खरीदते हैं. और अपराधी समय की लूट पाट तक करते हैं.

समाज की सोसायटी भी इसी आधार पर अलग-अलग है. एक सोसायटी में गरीब लोग हैं जाहिर तौर पर उनके पास समय कम है. रईस अलग हिस्से में रहते हैं और उनके पास खूब समय है. लोग बूढ़े नहीं होते. बस समय ख़त्म और आदमी की मौत हो जाती है. ऐसे ही सिस्टम में एक युवा अपनी मां के साथ रहता है. दोनों बहुत मुश्किल से गुजारा कर रहे हैं. एक दिन युवा की मां समय पर घर नहीं लौट पाती, इससे पहले कि उसका बेटा समय देकर अपनी मां को बचा पाता उसकी मौत हो जाती है. एक दुर्घटनावश गरीब युवा को बेशुमार समय मिल जाता है जिसकी वजह से उसकी दुनिया ही बदल जाती है. लेकिन कई मुश्किलें भी खड़ी हो जाती हैं. उसकी दुनिया किस तरह बदलती है किस तरह पुलिस उसे तलाश करती है इसे फिल्म में देखना दिलचस्प है. जस्टिन टिम्बरलेक ने बहुत ही उम्दा काम किया है.

interstellar-650_010322094534.jpgइंटरस्टेलर

#3. इंटरस्टेलर (Interstellar)

क्रिस्टोफर नोलन ने इसे बनाया था जो साल 2014 में आई थी. मैथ्यू मैक्कॉनौघे ने मुख्य भूमिका निभाई है.  उनका किरदार एक पूर्व नासा पायलट का है जो अब किसान के रूप में अपने परिवार के साथ रह रहा है. उसकी एक बेटी और एक बेटा है.फिल्म की कहानी अपने समय से बहुत आगे की है. धरती का पर्यावरण संतुलन पूरी तरह से बिगड़ चुका है. भयानक धूल भरे गुबार आते हैं.लोग बीमार हो रहे हैं और मर रहे हैं.

कुल मिलाकर कुछ सालों में धरती इंसानों के रहने लायक नहीं बचेगी. ऐसे में वैज्ञानिकों का एक दल ब्रह्माण्ड में धरती के अलावा रहने लायक किसी दूसरी जगह को तलाश करने के मिशन पर निकलने की तैयारी करता है. परिवार और मानवता को बचाने के लिए क्रिस्टोफर भी मिशन पर जाता है. आगे जो कुछ भी होता है दर्शक कहानी से बंधे रहते हैं.

#सिनेमा, #द मार्टियन, #इन टाइम, Hollywood Sci Fi Movies, Interstellar, The Martian

लेखक

आईचौक आईचौक @ichowk

इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म.

iChowk का खास कंटेंट पाने के लिए फेसबुक पर लाइक करें.

आपकी राय