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Updated: 22 जनवरी, 2021 02:30 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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एक बार की बात है. एक चालाक आदमी बुद्ध के पास पहुंचा. उनसे पूछा कि आप खुद को इंसान मानते हैं या भगवान. हमेशा की तरह बुद्ध मुस्कुराए, बोले- मैं एक जागृत इंसान हूं, जबकि शेष तुम सब इस वक्त सो रहे हो. विश्व का इतिहास, गरीबी और अमीरी का इतिहास है. दोनों ही पक्ष एक-दूसरे को धोखा देने की कोशिश करते रहते हैं...ये कहानी नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म द व्हाइट टाइगर के केंद्र में है, जिसे अरविंद अडिगा ने एक उपन्यास का शक्ल दिया था. इस फिल्म में एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा, एक्टर राजकुमार राव और आदर्श गौरव मुख्य भूमिका में हैं. यह फिल्म रिलीज होने से पहले ही विवादों में आ गई. इस पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगा था, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.

tiger-650x_012221014940.jpgद व्हाइट टाइगर फिल्म के केंद्र में हैं आदर्श गौरव

दरअसल अमेरिकी फिल्म मेकर जॉन एन हार्ट जूनियर ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की थी. जस्टिस सी. हरिशंकर की कोर्ट में जॉन ने दावा किया कि उन्होंने अरविंद अडिगा से उनके उपन्यास पर फिल्म मेकिंग का कॉपीराइट मार्च 2009 में लिया था. इसके बावजूद निर्माता मुकुल देवड़ा और 'नेटफ्लिक्स' ने न सिर्फ इस फिल्म का निर्माण किया, बल्कि आज रिलीज भी करने जा रहे हैं. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि फिल्म की रिलीज से 24 घंटे से भी कम समय के अंदर यहां का रुख करने के पीछे एक भी वजह दिखाई नहीं देती है. इसके बाद हाई कोर्ट ने फिल्म रिलीज करने से रोकने की याचिका को खारिज कर दिया. इसके साथ ही प्रियंका चोपड़ा-राजकुमार राव की फिल्म बिना किसी रुकावट के रिलीज हो गई है.

क्या है द व्हाइट टाइगर फिल्म की कहानी?

फिल्म द व्हाइट टाइगर में भारतीय समाज के उस ताने-बाने को दिखाने की कोशिश की गई है, जिसमें ऊंच-नीच, धनी-गरीब और सामाजिक भेदभाव प्रमुख है. मुख्य रूप से गरीबी, जाति, धर्म, राजनीति और भ्रष्टाचार को आधार बनाकर इसकी कहानी बुनी गई है. इसमें दिखाया गया है कि कैसे एक गरीब बच्चा धनवान बनने का सपना देखता है. उस सपने को साकार करने के लिए क्या-क्या करता है. सपने को साकार करने के लिए उसे क्या-क्या सहना पड़ता है. कहानी के केंद्र में है बलराम हलवाई. फिल्म में वह अपनी कहानी खुद सुनाता है. एक गरीब घर पैदा हुआ बलराम दुकान पर काम करके, कूड़े उठाकर करके अपना पेट पाल रहा होता है, तभी एक दिन उसकी नजर पड़ती है यंग-डैशिंग एनआरआई बिजनेसमैन अशोक पर.

बलराम हलवाई को ये अंदाज़ा हो जाता है कि यही वो शख्स है जिससे जुड़कर उसकी किस्मत बदल जा सकती है. इसके बाद वो अशोक के घर पहुंच जाता है और ड्राइवर की नौकरी मांगता है. अशोक उसे अपने वहां नौकरी पर रख लेता है. वहां बलराम की मुलाकात अशोक की पत्नी पिंकी से होती है. पिंकी एक आजाद ख्यालों वाली और समानता में विश्वास रखने वाली महिला है. वह भारतीय समाज के उंच-नीच के ख्यालों से अनजान बलराम के साथ खुलकर रहती है. बलराम भी पिंकी के साथ खुश रहता है. सब कुछ ठीक चल रहा होता है कि तभी एक हादसा हो जाता है. अशोक और पिंकी किसी प्रोग्राम से घर वापस लौट रहे होते हैं. रास्ते में पिंकी जिद करती है कि वह कार ड्राइव करेगी.

पिंकी कार ड्राइव करने लगती है. उसके बगल में अशोक बैठा होता है. ड्राइवर बलराम को पीछे की सीट पर बैठा दिया जाता है. तभी एक बड़ा हादसा हो जाता है, जिसमें एक बच्चे की जान चली जाती है. इस हादसे से बलराम, अशोक और पिंकी की पूरी ज़िंदगी बदल जाती है. जैसा कि हमारे समाज में अक्सर ऐसा होता है कि कमजोर को ही फंसा दिया जाता है, वैसा फिल्म में भी होता है. अशोक का पिता बलराम को इस हादसे का जिम्मेदार बना देता है. उसे सजा हो जाती है. लेकिन इसके बाद बलराम ऐसी चाल चलता है कि पूरा पासा पलट जाता है.

देखिए फिल्म का ट्रेलर...

आदर्श के आगे फीके पड़े प्रियंका और राजकुमार

गरीब बलराम, जिसे एक अपराध में फंसा दिया जाता है, वह कैसे धनवान बन जाता है. एक सफल बिजनेसमैन बन जाता है. इसकी कहानी आपको फिल्म द व्हाइट टाइगर में देखने को मिलेगी. इस फिल्म में भले ही प्रियंका चोपड़ा और राजकुमार राव जैसे दो धुरधंर कलाकार काम कर रहे हैं, लेकिन बलराम हलवाई के किरदार में एक्टर आदर्श गौरव ने जान डाल दी है. अपने जबरदस्त अभिनय की बदौलत आदर्श गौरव इस फिल्म की धुरी बन गए हैं. उनका किरदार और अभिनय इतना शानदार और जोरदार है कि उसके आगे प्रियंका और राजकुमार भी फीके नजर आ रहे हैं. यदि यूं कहें कि फिल्म द व्हाइट टाइगर आदर्श गौरव की फिल्म है, तो ये अतिश्योक्ति नहीं होगी.

गुमनामी के अंधेरे में जी रहे थे आदर्श गौरव, तभी...

अपने शानदार अभिनय से लोगों का जीतने वाले आदर्श गौरव एक्टर के साथ ही सॉन्ग राइटर भी हैं. उन्होंने शाहरुख खान की फिल्म माई नेम इज खान से अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसे करण जौहर ने डायरेक्ट किया था. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि फिल्म द व्हाइट टाइगर मिलने से पहले आदर्श गुमनामी के अंधेरे में जी रहे थे. उनके पास करीब 5 महीने तक कोई काम नहीं था. जब उनको अपना भविष्य अंधेरे में नजर आने लगा, तभी फिल्म द व्हाइट टाइगर में काम करने के लिए ऑफर मिल गया. उन्होंने कई राउंड ऑडिशन दिया, तब जाकर उनको बलराम हलवाई के रोल के लिए चुना गया. इस रोल के साथ इंसाफ करने के लिए आदर्श कई महीनों तक झारखंड के एक गांव में भी रहे थे.

उपन्यास द वाइट टाइगर पर आधारित है फिल्म

बताते चलें कि फिल्म 'द व्हाइट टाइगर' को रामिन बहरानी ने लिखा और डायरेक्ट किया है. इस फिल्म में पहली बार प्रियंका चोपड़ा और राजकुमार राव साथ में काम कर रहे हैं. इस फिल्म को आज 22 जनवरी को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ किया गया है. यह फिल्म बुकर प्राइज जीतने वाले अरविंद अडिगा के उपन्यास द वाइट टाइगर पर आधारित है. इस नॉवेल के बारे में बात करते हुए प्रियंका ने लिखा था, 'मैंने द व्हाइट टाइगर कई साल पहले पढ़ी थी. मैं अरविंद अडिगा की इस पॉवरफुल कहानी की गिरफ्त में आ गई. इसलिए जब इस पर फीचर फ़िल्म बनाने की बात सुनी तो मुझे पता था कि मुझे इसका हिस्सा बनना है. एक्ज़ीक्यूटिव प्रोड्यूसर और सपोर्टिंग एक्टर के तौर पर, यह मेरे लिए सम्मान की बात है.'

लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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