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Updated: 05 जुलाई, 2021 02:07 PM
मुकेश कुमार गजेंद्र
मुकेश कुमार गजेंद्र
  @mukesh.k.gajendra
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ब्रह्मांड में एलियन के अस्तित्व पर चर्चा बहुत पुरानी है. अक्सर देश-दुनिया में एलियन या उनके प्लेन के नजर आने की खबरें सामने आती रहती हैं. पिछले कुछ समय से एलियंस को लेकर हलचल काफी तेज हुई है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा तक यूएफओ के अस्तित्व पर हाल ही में चर्चा कर चुके हैं. उनके बाद एक ब्रिटिश-इजरायली जादूगर और टीवी पर्सनैलिटी यूरी जेलर ने यह कहकर हर किसी को हैरान कर दिया कि पिछले 50 सालों से पृथ्वी एलियंस से संपर्क में हैं. कुछ लोग एलियंस को अच्छा बताते हैं, तो कुछ इसे मानव सभ्यता के लिए बड़ा खतरा. अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई हॉलीवुड फिल्म 'द टुमॉरो वॉर' इन्हीं दो मान्यताओं में से एक की पोषक है, जिसका मानना है कि आने वाले वक्त में एलियंस इंसानों को खत्म कर देंगे.

हॉलीवुड फिल्म 'द टुमॉरो वॉर' उस इंसानी भविष्य पर आधारित है, जिसके सच के बारे में शायद ही कोई जानता होगा. इस फिल्म में हॉलीवुड स्टार क्रिस प्रैट, यवोन स्ट्राहोवस्की, जेके सिमंस, बेट्टी गिलपिन, सैम रिचर्डसन और एडविन हॉज प्रमुख भूमिकाओं में हैं. इस साइंस फ़िक्शन, एक्शन, एडवेंचर मूवी को क्रिस मैकके ने निर्देशित किया है, जो वार्नर एनिमेशन ग्रुप की फिल्म 'लेगो बैटमैन मूवी' के लिए जाने जाते हैं. हॉलीवुड फिल्म स्टार क्रिस प्रैट '​गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी', 'जुरासिक वर्ल्ड', '​पैसेंजर्स', 'अवेंजर्स: इन्फिनिटी वॉर' सरीखी फिल्मों से हिंदुस्तानी फैंस के दिलों में खास जगह रखते हैं. यही वजह है कि रिलीज से पहले और बाद में भी इस फिल्म की चर्चा जोरों पर है. लेकिन इस बार क्रिस प्रैट अपने दमदार एक्शन के बाद भी दिल जीतने में असफल रहे हैं.

untitled-1-650_070521010553.jpgक्रिस प्रैट '​गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी' और 'जुरासिक वर्ल्ड' जैसी फिल्मों से हिंदुस्तानी फैंस के दिलों में रहते हैं.

कहानी

फिल्म 'द टुमॉरो वॉर' एक ऐसे बाप की कहानी है, जो अपनी बेटी को बचाने के लिए अपने पिता के साथ मिलकर दुनिया के सबसे बड़े दुश्मन से लड़ाई लड़ता है. इसमें साइंस और इमोशन के बीच वॉर का तड़का लगाने की कोशिश की गई है. साल 2022 का क्रिसमस अमेरिका में धूमधाम से मनाया जा रहा होता है. स्कूल टीचर डैन फ़ोरेस्टर (क्रिस प्रैट) के घर पर क्रिसमस पार्टी चल रही है. वो अपनी बेटी के साथ बैठकर फुटबॉल वर्ल्ड कप का फाइनल देख रहा है. अचानक फील्ड के बीचों-बीच कुछ हथियारबंद लोग नजर आते हैं, जो खुद को 'समय यात्री' बताते हैं. भविष्य के गर्भ से निकलकर आए 'समय यात्री' साल 2051 से एक गंभीर संदेश लाए हैं.

उनका कहना है कि भविष्य में 30 साल बाद, मानव सभ्यता घातक एलियंस से जंग हार रही है. यदि अतीत से सैनिक और नागरिक लड़ने के लिए भविष्य में जा सकें, तभी जंग जीतने की उम्मीद की जा सकती है. इतना सुनने के बाद दुनियाभर से फौज को भेजा जाता है. फौज जब कम पड़ने लगती है, तो वॉलंटियर को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे लड़ाई के लिए आगे आएं. डैन फ़ोरेस्टर, जो पहले स्पेशल फोर्स में काम कर चुका होता है, वहां जाने के लिए तैयार हो जाता है. उसे एक खतरनाक टेस्ट से गुजरना होता है, जिसमें उसे सक्षम पाया जाता है. उसे भविष्य में भेजा जाता है. वहां जाकर डैन की मुलाकात भविष्य की अपनी बेटी से होती है.

डैन की बेटी भविष्य की सेना में कर्नल होती है, लेकिन एलियंस से लड़ते हुए शहीद हो जाती है. इसके बाद डैन वर्तमान में वापस आता है, तो उसे इस बात की चिंता सताने लगती है कि उसकी बेटी 30 साल बाद मौत के मुंह में समा जाएगी. वह भविष्य को बदलने का प्रण करता है. अपने दोस्तों के साथ एक टीम तैयार करता है, जो वर्तमान समय में रूस के ग्लैशियर में छिपे एलियंस से मुकाबला करके उन्हें खत्म करने में मदद करती है. एक सीन में डैन से उसका साथी कहता है, 'हीरो सिर्फ फिल्मों में दुनिया में बचाते हैं'. इस पर डैन कहता है, 'मैं सिर्फ अपनी बेटी को बचाना चाहता हूं. उसमें दुनिया बच जाए तो बहुत अच्छी बात है.' इस तरह अपनी बेटी के लिए दुनिया को बचाने के लिए प्रतिबद्ध डैन फ़ोरेस्टर दिग्गज वैज्ञानिक अपने पिता के साथ मिलकर इस दुनिया की किस्मत फिर से लिखता है.

समीक्षा

'ये हथियार पर पैसे लगाएंगे, लेकिन रिसर्च पर नहीं'...फिल्म का ये डायलॉग युद्ध के उन्माद में नाद कर रहे उन देशों की असलियत उजागर करता है, जो पैसों के लिए हथियारों का खेल खेलते हैं. उनके हथियार कभी जंगी जहाज के रूप में आसमान से गोले बरसाते हैं, तो कभी मिसाइल दागते हैं, तो कभी कोरोना वायरस जैसा बायो वेपन बनकर पूरी दुनिया पर कहर बरपाते हैं. इस फिल्म में ऐसे कई तथ्य पेश किए गए हैं, जो वाकई में दुनिया का भविष्य हैं. एनियन ना सही लेकिन कोरोना के रूप में दुनिया के सामने एक ऐसा दुश्मन तो है ही, जो समूची मानव सभ्यता को खत्म करने पर तुला हुआ है. लेकिन दुनिया एकजुट होकर उसके खिलाफ लड़ रही है.

जहां तक विषय की बात है, तो उसे अच्छे से फिल्म में उठाया गया है, लेकिन पटकथा पर पकड़ बहुत ढ़ीली है. एक्शन दमदार है, लेकिन कहानी कमजोर होने की वजह से रोचक नहीं बन पाती. उपर से फिल्म की लंबाई, 2 घंटे 20 मिनट, भला हॉलीवुड की फिल्में भी इतनी लंबी होती हैं? आजकल तो बॉलीवुड फिल्में भी 2 घंटे से कम समय में निपटा दी जाती है. कई बार तो इतनी बोरियत होती है कि नींद तक आने लगती है, लेकिन आंखें धोकर बैठना और देखना ही पड़ता है, क्योंकि इसकी समीक्षा जो करनी है. स्पेशल इफेक्ट और विजुअल अपील बेहतर है. बैकग्राउंड स्कोर और म्यूजिक एवरेज है. जहां तक निर्देशन की बात है, तो सारा मामला इसी विभाग ने खराब किया है. चुस्त निर्देशन फिल्म को रोचक बना सकता था. क्रिस प्रैट सहित सभी कलाकारों ने अभिनय शानदार किया, जो फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है.

iChowk रेटिंग: 5 में से 2 स्टार

नीचे देखिए फिल्म का ट्रेलर...

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लेखक

मुकेश कुमार गजेंद्र मुकेश कुमार गजेंद्र @mukesh.k.gajendra

लेखक इंडिया टुडे ग्रुप में सीनियर असिस्टेंट एडिटर हैं.

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